हिटलर को प्यार हो गया - 1

लेखिका -सेक्सी रीत

प्रीति अपने कॉलेज से घर वापिस आ रही थी. वो अपने शहर के ही एमजी कॉलेज में पढ़ती थी. प्रीति बहुत ही सुन्दर और सेक्सी थी. उसका चहरा एकदम गोरा था और बाकी शरीर भी पूरा साँचे में ढला हुआ था. उसका फिगर 32-28-34 था वो एकदम स्लिम ट्रिम थी. उसके चूतड़ कमर के नीचे थोड़े बाहर को निकले हुए थे जो कि उसके जिस्म का सब से आकर्षक हिस्सा थे. उसके चूतड़ जब टाइट जीन्स में क़ैद होकर उसके चलते वक़्त आपस में थिरकते थे तो देखने वालो के पसीने छूट जाते थे. वो अक्सर जीन्स-टॉप और टी-शर्ट पहनती थी. जो कि उसके गोरे जिस्म के साथ चिपकी रहती थी.

वो पैदल घर की तरफ आ रही थी और चलते चलते वहाँ पहुँच चुकी थी जहाँ पे कुछ बदमाश टाइप के लड़के अक्सर बैठते थे. वो अक्सर आती जाती लड़कियों पे कॉमेंट करते थे और कभी कभी तो यहाँ वहाँ हाथ भी फिरा देते थे. प्रीति जब वहाँ से गुज़रने लगी तो एक लड़का जिस का नाम बहादुर था वो उठ कर प्रीति के साथ चलने लगा और उसने अपना हाथ प्रीति की कमर में डाल दिया और प्रीति ने एकदम से उसका हाथ झटक दिया और बोली.
प्रीति-ये क्या बदतमीज़ी है.

बहादुर-क्या हुआ जानू मज़ा नही आया क्या.

प्रीति-शट अप युवर माउत ईडियट.

बहादुर ने अपना लेफ्ट हाथ उठाया और प्रीति के लेफ्ट चूतड़ पे रख कर उसे मसल दिया. प्रीति कराह उठी और उसने अपना हाथ बहादुर को मारने के लिए उठाया मगर बहादुर ने उसे अपने दूसरे हाथ में पकड़ लिया और बोला

बहादुर-साली मुझ पे हाथ उठाएगी.

प्रीति-प्लीज़ छोड़ो मेरा हाथ. आअहह.

इतने में विकी वहाँ आ पहुँचा जो कि अपने दोस्त की दुकान पर से आ रहा था. उसने जब देखा कि उसकी बेहन का हाथ किसी ने पकड़ रखा है तो वो आग में जल उठा.

बहादुर-साली याद रख अगर ज़्यादा नखरा दिखाने की कोशिश करेगी तो ऐसी जगह से तुम्हे उठवाउन्गा कि किसी को पता तक नही चलेगा और उसके बाद तुम्हारी इस गुलाबी चूत का ऐसा हाल करूँगा की याद रखेगी.

और उसने प्रीति का हाथ छोड़ दिया और प्रीति पलट कर अपने घर की तरफ भाग गई उसने विकी को नही देखा था.
विकी आग में जलता हुआ बहादुर की तरफ बढ़ा और उसे गले से पकड़ लिया और बोला.

विकी-अबे साले मेरी बेहन का हाथ पकड़ता है तेरी तो मैं सारी फॅमिली चोद दूँगा. और विकी ने दूसरे हाथ का मुक्का बनाकर एक घुसा उसकी नाक पे मारा. और उसकी नाक में से खून आने लगा. फिर विकी ने अपनी एक टाँग मोड़ कर बहादुर की दोनो टाँगों के बीच मारी और बहादुर अपने लंड वाली जगह पकड़ कर नीचे गिर गया. विकी ने अपनी बेल्ट निकाली और धड़ा धड़ उसके उपर बरसा दी.

उधर एक लड़का भागता हुआ विकी के घर पहुँचा और बोला.
लड़का-दीदी दीदी वहाँ पे हिट्लर भैया किसी लड़के को बुरी तरह से पीट रहे हैं.
प्रीति भागती हुई बाहर आई और बोली.

प्रीति-कहाँ पे जल्दी चल.

वहाँ पहुँच कर प्रीति ने देखा कि विकी उसी लड़के को पीट रहा था जिसने उसे छेड़ा था. वो भागती हुई विकी के पास पहुँची और बोली.

प्रीति-भैया छोड़ो अब इसे जल्दी घर चलो.
विकी उसे मारता रहा.

प्रीति-भैया प्लीज़ चलो आपको मेरी कसम.
और वो विकी को खीच कर घर की तरफ लेज़ा ने लगी.
बहादुर उठा और भाग निकला.

प्रीति-भैया क्या कोई किसी को ऐसे मारता है.

विकी-उसने तुम्हे छेड़ा था और जो तुम्हे कुछ कहेगा उसका मैं यही हाल करूँगा. वैसे भी पूरे कलाज में हिट्लर के नाम से मशहूर है तेरा भाई.

प्रीति हँसती हुई बोली.

प्रीति-मैं अच्छी तरह से जानती हूँ मेरे हिट्लर भैया.

विकी भी प्रीति के साथ एमजी कॉलेज में पढ़ता था. वो पूरे कॉलेज में हिट्लर के नान से जाना जाता था. और पिछले 2 साल से 2न्ड एअर में फैल हो रहा था.

प्रीति ने इसी साल 1स्ट्रीट एअर में अड्मिशन ली थी. और उसकी क्लासस शुरू हो चुकी थी मगर विकी की क्लासस कल से शुरू होनी थी. 

सुबह हुई तो प्रीति ने चाय बनाई और अपने भैया को उठाने उसके रूम में गई.

प्रीति-भैया उठो चाय पी लो और आज कॉलेज भी जाना है आपको.

विकी-उम्म्म्मम सोने दो ना. चाय रख दो यहाँ टेबल पे.
प्रीति ने उसका कंबल खीच दिया और बोली.

प्रीति-जल्दी उठो 8 बज रहे हैं.
हारकर विकी को उठना पड़ा.

विकी-तुम भी सुबह सुबह उठ जाती हो दिमाग़ खाने के लिए. मुझे तो लगता है कि बांग देने वाला मुर्गा भी तुमसे बाद में उठता होगा.
प्रीति सिरहाना उठाती है और विकी को मारती है.

प्रीति-चुप करो तुम्हारी तरह नही है कि सूरज देवता से शर्त लगाकर सोते है कि देखते है बाद में कॉन उठेगा.
फिर प्रीति बाहर निकल जाती है.
ऐसी नोक झोक इन दोनो में अक्सर चलती रहती है.
विकी कॉलेज के लिए रेडी हो जाता है और प्रीति को आवाज़ लगाता है.

विकी-अरे पीतू(विकी प्रीति को प्यार से पीतू ही कहता है) रेडी होने में इतना टाइम क्यूँ लगाती हो जल्दी आओ.
प्रीति भागती हुई शोल्डर पे बॅग डाले विकी के पास आती है. उसने आज ब्लॅक टी-शर्ट और ब्लू जीन्स पहनी हुई है. वो विकी की बाइक पे उसके पीछे बैठ जाती है.

प्रीति-चलो भैया.
विकी कॉलेज की तरफ बाइक उड़ा देता है.

विकी की फॅमिली मे उसकी बेहन के इलावा उसकी माँ और पिता जी हैं. उसके पिता जी एक गूव्ट. जॉब करते है. पर फिर भी बच्चों की पढ़ाई और महनगाई के चलते उन्हे परिवार चलाने में मुश्क़िल पेश आती है. उनका परिवार एक मीडियम तबके का परिवार है.

विकी को अपने परिवार की कोई चिंता नही है. उसके माता पिता बहुत बार बैठ कर उसे समझा चुके हैं. मगर विकी एक कान से सुनता है तो दूसरे से निकाल देता है. उसके माता पिता उस से बहुत परेशान हैं. रोज़ ही उसके कारनामे उन्हे सुन ने को मिल जाते है. एक दो बार तो वो लड़ाई के मामले में थाने तक भी जा चुका है. वो तो उसके मामा की अच्छी जान पहचान है कि हर वार वो छूट जाता है.

विकी और प्रीति कलाज पहुँच जाते है.

प्रीति-ओके भैया मैं अपनी क्लास में चलती हूँ. और हां आज अपना फिर से हिट्लर पना ना दिखा देना.

विकी-अच्छा अच्छा अब जा और ध्यान से पढ़ना.

प्रीति-कभी खुद पे भी ये बात आज़मा लो भैया ध्यान से पढ़ने वाली शायद तुम पास हो जाओ.

विकी-तू जाती है कि नही.
प्रीति हँसती हुई क्लास की तरफ चल देती है.

विकी भी क्लास की तरफ जाता है. आज फर्स्ट डे है उनका तो वो सोचता है नये नये पटाके आए होंगे आज तो क्लास में.
तभी उसे अपने दोस्त बॉब्बी और दिपु दिखाई देते है.

फिर वो तीनो क्लास में पहुँच जाते है और 1स्ट लेक्चर शुरू होता है.
उनके एक टीचर मिस्टर. नरेन्दर लेक्चर अटेंड कर रहे हैं.

नरेन्दर-आप सब का वेलकम है हमारे कलाज में जो स्टूडेंट्स 1स एअर से आए हैं उनका भी और जो इसी एअर न्यू अड्मिशन हैं उनका भी और विकी की तरफ देखकर टीचर फिर से बोलता है. और उनका भी जिन्होने इस साल भी यहीं पे रहना है.
और पूरी क्लास हँसने लगती है.

नरेन्दर-तो डियर स्टूडेंट्स आप सभी मुझे अपनी अपनी इंट्रो दो. आज हम सिर्फ़ इंट्रो ही लेंगे. सो लेट'स स्टार्ट.

और सभी स्टूडेंट्स अपनी इंट्रो देने लगते है.
विकी की वारी आती है तो वो उठकर खड़ा हो जाता है और जैसे ही कुछ बोलने लगता है तभी नरेन्दर सिर उसे रोक देते हैं.

नरेन्दर-अरे बैठो हिट्लर साहब आपके बारे में तो मैं बतता हूँ. तो स्टूडेंट्स ये है महान शक्षियात के मालिक विकी. इन्हे 2 साल हो गये है यहाँ पे 2न्ड एअर में सडते हुए और पता नही और कितने दिन सडना है इन्होने यहाँ पे. आप इनसे दूर रहिएगा क्योंकि आप ने सुना होगा कि एक गला हुआ सेब पूरी सेबो की पेटी को गला देता है.

और फिर से सभी हँसने लगते हैं.
विकी वैसे तो इस सब का आदि है उसे कोई फ़र्क नही पड़ता इन सब बातो का लेकिन आज वो थोड़ा गुस्सा हो उठता है.

उसके बाद उसके 2नो फ़्रेंड इंट्रो देते है जो उसके साथ ही बैठे होते हैं.
फिर उनके आगे की लाइन का नंबर. आता है. और नरेन्दर सर बोलते हैं.

नरेन्दर-जी मिस आप बताइए.
और एक लड़की खड़ी होती है. जिसका नाम रीत है.

रीत-जी माइ नेम इस रीत.मैने लास्ट एअर डीएवी कलाज से पास किया न्ड दिस एअर मैने इस कलाज में अड्मिशन लिया है.

नरेन्दर-तो आप क्या बन ना चाहती हैं.

रीत-जी मैं आइएएस ऑफीसर बन ना चाहती हूँ.
तभी पीछे से विकी की आवाज़ आती है.

विकी-लो आ गयी एक और किरण बेदी.
रीत पीछे देखती है और विकी से पूछती है.

रीत-जी आपने कुछ कहा.

विकी-यस किरण बेदी जी.

नरेन्दर-विकी गेट आउट फ्रॉम दा क्लास.
रीत बैठ जाती है और विकी बाहर चला जाता है.
रीत को उदास देख कर उसके साथ वाली सीट पे बैठी लड़की सीमा उसे कहती है.

सीमा-अरे रीत तू इसकी बात को लेकर परेशान मत हो वो तो है ही बदतमीज़.

और वो दोनो निकल कर कॅंटीन की तरफ चल देती हैं.

रीत अपने माता पिता की अकेली औलाद थी और उसके माता पिता दोनो सरकारी. जॉब करते थे और उनका गुज़ारा अच्छा चल रहा था. रीत बहुत सुंदर थी उसकी हाइट 5'8'' थी और खूब भरा भरा जिस्म था लेकिन जहाँ जहाँ से भी जिस्म भरा हुआ होना चाहिए था वही से भरा हुया था. उसका फिगर 34-28-36 था और उसके चूतड़ तो कुछ ज़्यादा ही बाहर को निकले हुए थे. उसके मुहल्ले के लड़के इंतेज़ार करते रहते थे कि कब रीत घर से बाहर आए और वो उसके मटकते चुतड़ों को देखकर अपने लंड मसले. लेकिन रीत एकदम शरीफ लड़की थी वो कभी किसी की तरफ आँख तक नही उठा कर देखती थी. लेकिन उसका जिस्म जैसे जैसे कातिलाना होता जा रहा था वैसे ही उसके दीवानो की लिस्ट भी बढ़ती जा रही थी.

रीत और सीमा कॅंटीन में बैठ कर कॉफी का मज़ा ले रही थी.

रीत-यार ये लड़का अपने आप को समझता क्या है.

सीमा-अरे तू अभी तक उसकी बात दिल पे लगाए बैठी है.

रीत-मैं बात दिल पर नही लगाए बैठी मैं ये सोच रही थी कि आख़िर उसका बिहेवियर ऐसा क्यूँ है.

सीमा-अरे छोड़ यार उस हिट्लर की बातें. और बता कोई पसंद आया आज क्लास में.

रीत-अरे नही नही मैं इन झमेलो में नही पड़ती.

सीमा-अरे इतनी हसीन और जवान हो क्या जवानी बेकार में ही बर्बाद कर देगी.

रीत-अरे नही में यहाँ पे पढ़ने आती हूँ ये सब करने नही तू ले ले जवानी के मज़े.

सीमा-मैं तो लूँगी ही लेकिन अभी तक कोई मिला ही नही मज़े देने वाला.

रीत-अब छोड़ ये सब बातें और क्लास में चल.

उधर प्रीति अपनी एक फ़्रेंड कोमल के साथ अपनी क्लास में बैठी थी. कोमल भी प्रीति की तरह बहुत हॉट थी. लेकिन फिगर के मामले में वो प्रीति से भी मस्त थी. उसका फिगर 34-28-38 था उसकी गान्ड तो कुछ ज़्यादा ही बड़ी थी. उसका कारण ये था कि वो स्कूल लाइफ में ही 3-4 लड़को से चुद चुकी थी.

कोमल-अरे प्रीति वो लड़का तुम पर बहुत लाइन मारता है.

प्रीति-तो मारने दो मैं क्या करूँ.

कोमल-अरे देख तो उसकी बॉडी किसी बॉडी बिल्डर जैसी है अरे जब वो तुझे बाहों में जकड़े गा तू तो पागल हो जाएगी.

प्रीति-चुप कर बदमाश. मुझे तो वो अच्छा नही लगता.

कोमल-ओह हो तो कौन अच्छा लगता है मेडम को.

प्रीति-अरे अभी तक कोई नही.

तभी एक लड़का उनकी क्लास में एंटर होता है और सीधा प्रीति के पास आकर पूछता है.

लड़का-क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ.

प्रीति-या श्योर.

वो लड़का प्रीति के साथ वाली सीट पर बैठ जाता है. वो दिखने में बहुत हॅंडसम था और शरीफ भी लगता था.

लड़का-हेलो आइ आम अमित.

प्रीति-हाई आइ आम प्रीति.

अमित-ओह गुड. आप इसी शहर से हो क्या.

प्रीति-जी इसी शहर से.

अमित-ओके कॅन वी फ्रेंड्स. और अपना हाथ प्रीति से मिलाने के लिए आगे बढ़ा देता है.

प्रीति थोड़ा झिझकती है और तभी कोमल उसे कोहनी मारती है.
प्रीति-ओके और अपना हाथ अमित के हाथ में दे देती है.

फिर वो कुछ देर और बातें करते हैं इतने में लेक्चर क्लोज़ हो जाता है और प्रीति सीधा अपने भाई की बाइक के पास आ जाती है. विकी और वो घर की तरफ चल देते हैं.

प्रीति-कैसा रहा पहला दिन भैया.

विकी-बस बढ़िया था.
और वो घर पहुँच जाते हैं.

प्रीति घर पे अपने रूम में बेड पे लेटी हुई थी मगर उसकी आँखो के आगे अमित का चेहरा घूम रहा था क्योंकि अमित उसे अच्छा लगा था. उसका बात करने का स्टाइल और उसका चेहरा सब कुछ प्रीति के मन में घर कर गया था. प्रीति एक तरफ तो उसके साथ प्यार की बात आगे बढ़ाना चाहती थी लेकिन दूसरी तरफ उसे डर था की अगर विकी को कुछ पता चल गया तो वो बिना वजह अमित के साथ मारपीट कर देगा.

लेकिन कहते है ना कि जब प्यार पनपता है तो वो किसी की परवाह नही करता. वैसे ही प्रीति को भी अपना प्यार उसके हिट्लर भाई विकी पे भारी लग रहा था.


इन्ही बातों को सोचती और अमित के ख्यालों में खोई प्रीति की आँख लग जाती है.

अगले दिन प्रीति और विकी फिर से कलाज पहुँच जाते है. जीन्स और टी-शर्ट में प्रीति कहर ढाती हुई क्लास में पहुँच जाती है और कोमल के पास बैठ जाती है.

प्रीति-अरे कोमल बड़ी खुश दिखाई दे रही है क्या बात है.

कोमल-अरे बात ही खुशी की है.

प्रीति-अच्छा तो बता ना क्या हुआ.

कोमल-उस बॉडी बिल्डर लड़के ने मुझे आज सुबह प्रपोज कर दिया.
प्रीति हैरान होती हुई.

प्रीति-तो तूने क्या कहा.

कोमल-अरे मैने भी आक्सेप्ट कर लिया मुझे तो वो पहले से ही अच्छा लगता था.

प्रीति-अच्छा तो क्या नाम है उसका.

कोमल-जिम्मी. और उसने तो मुझे कल घूमने चलने के लिए भी कहा है.

प्रीति-तो तूने क्या डिसाइड किया.

कोमल-मैं तो जाउन्गी ही तू भी मेरे साथ चल ना.

प्रीति-ना बाबा ना भैया को पता चल गया तो जान से मार देंगे मुझे. तू ही जा मगर संभाल कर कोमल मुझे वो लड़का ठीक नही लगता.

कोमल-अरे तुझे तो कोई भी ठीक नही लगता सिवाए अमित के.
प्रीति कोमल को मारती हुई तू ना कुछ भी बोलती है.

कोमल-अरे मैने ग़लत तो नही कहा कब से तेरी आँखें अमित को ढूंड रही हैं.
लो आ गये साहबजादे.

अमित-हेलो प्रीति, हाई कोमल.
दोनो उसकी हेलो का जवाब देती हैं और फिर क्लास शुरू हो जाती है.
उधर विकी की क्लास में नरेन्दर अपना भाषण दे रहे हैं.

नरेन्दर-हां तो स्टूडेंट्स आप मुझे बताओ कि आप किस तरीके से पढ़ना पसंद करोगे ताकि मैं तुम्हे उसी तरीके में पढ़ाऊ और आप अच्छे मार्क्स ले सको.
सभी स्टूडेंट्स चुप रहे तभी विकी बोला.

विकी- सर आप हमे एमबीडी लाकर दे दीजिए हम उसी में से पढ़ लेंगे.
सारी क्लास हँसने लगी.
तभी रीत उठी और बोली.

रीत-सर जो आपका ओरिजनल तरीका है पढ़ाने का आप वोही इस्तेमाल कीजिए क्योंकि उसमे आप अपना बेस्ट दे पाएँगे.

विकी-साली चमची.
रीत ने एकदम पीछे विकी की तरफ देखा और बिना कुछ बोले उदास सी होकर बैठ गई.
उसे बहुत बुरा लगा रहा था कि विकी उसके साथ ऐसा बिहेव कर रहा है.

लेक्चर ख़तम हुआ और सभी बाहर आ गये. रीत और सीमा कॅंटीन में जाकर बैठ गये. सीमा ने जब रीत के चेहरे की तरफ देखा तो वो हैरानी से बोली.

सीमा-अरे रीत तू रो क्यूँ रही है.
और पास आकर उसे गले लगा लिया.

सीमा-प्लीज़ बता ना क्या बात है.

रीत-सीमा विकी मुझे ऐसे क्यूँ बोलता है मैं परेशान हो चुकी हूँ.

सीमा-अरे तू दिल पे क्यूँ लगा रही है पगली वो तो लफंगा है उस जैसे घटिया इंसान की बात को लेकर रो रही है तू. चल अब चुप कर.
रीत अपने आँसू पोछती है और फिर वो क्लास में चले जाती है.
उधर बहादुर जिसे विकी ने मारा था वो जिम्मी का आदमी है जिम्मी भी बदमाश टाइप का लड़का है. बहादुर जब उसे उस दिन की बात बताता है तो वो लोग मिलकर विकी के एक दोस्त बॉब्बी को बुरी तरह से कॉलेज में ही पीट देते हैं. विकी को जब ये पता चलता है तो उसका खून खोल उठता है मगर अभी वो कुछ नही कर सकता है क्योंकि एक तो कॉलेज बंद हो चुका है और दूसरा बॉब्बी की देखभाल भी ज़रूरी है जो कि हॉस्पिटल में है.

उधर कॉलेज बंद होने के बाद कोमल पैदल अपने घर की तरफ जा रही होती है और जिम्मी अपनी बाइक लेकर आ जाता है.
जिम्मी कोमल के बड़े बड़े चुतड़ों को थिरकते देख सोचता है क्यूँ ना साली के साथ थोड़ा मज़ा किया जाए आज ही.

जिम्मी-हाई कोमल चलो मैं छोड़ देता हूँ तुम्हे.
कोमल उसके पीछे बैठ जाती है. जिम्मी बाइक को दौड़ा देता है और थोड़ी सुन सान गली में बाइक रोक देता है.

कोमल-क्या हुआ.

जिम्मी-अरे उतरो आज हमारे अफेर का 1स्ट डे है तुम्हे कुछ देना है.
कोमल उतार जाती है जिम्मी भी उतर जाता है और झट से कोमल को बाहों में भर लेता है और उसके होंठ चूसने लगता है. कोमल पहले तो घबरा जाती है लेकिन फिर वो भी मज़ा लेने लगती है. जिम्मी अपने हाथ उसकी बड़ी गान्ड पे फिराने लगता है. कुछ ही देर में कोमल उस से अलग हो जाती है और बोलती है.

कोमल-जिम्मी प्लीज़ चलो अब मुझे देरी हो रही है.

जिम्मी भी मौके की नज़ाकत को समझता हुआ बाइक दौड़ा देता है. और कोमल को उसके घर के पास छोड़ कर अपने घर की तरफ निकल जाता है.

रात हो चुकी थी. जिम्मी ने अपना मोबाइल उठाया और कोमल को कॉल की.

कोमल-हेलो.

जिम्मी-हाई जानू कैसी हो.

कोमल-ठीक हूँ तुम बताओ.

जिम्मी-मेरा तो बुरा हाल है.

कोमल-क्या हुआ.

जिम्मी-जब से तुम्हारे गुलाबी होंठों को चूसा है बस पूछो मत दिल बार बार तुम्हे चूसने का कर रहा है.

कोमल-अच्छा जी तो मैं क्या कर सकती हूँ.

जिम्मी-तुम्हे कुछ करना थोड़े है जानू मुझे करना है.

कोमल-चुप बदमाश कहीं के.

जिम्मी-सुनो कोमल कल सुबह जल्दी कॉलेज आ जाना और पीछे लॉन में मुझे मिलना.

कोमल-क्यूँ मैं क्यूँ आउ.

जिम्मी-प्लीज़ जानू. थोड़ी बातें करेंगे.

कोमल-मुझे पता है तुम्हे कोन्सि बातें करनी है.

जिम्मी-अगर पता ही है तो आ जाना ना प्लीज़.

कोमल-ओके कोशिश करूँगी. बाइ

जिम्मी-बाइ मैं वेट करूँगा.

सुबह जल्दी ही कोमल अपने घर से निकल जाती है. उसने ब्लू टाइट जीन्स और ग्रीन टी-शर्ट पहन रखी थी. कलाज में पहुँच कर वो पीछे लॉन की तरफ चल देती है. लॉन में एक बेंच पर वो जिम्मी को बैठा देखती है और उसके साथ 2 और लड़के बहादुर और जीतू दिखाई देते है. वो उनके पास पहुँचती है तो वो दोनो उठकर चल देते हैं. जिम्मी उसका हाथ पकड़ता है और उसे एक पेड़ के पीछे की तरफ लेजाने लगता है.

कोमल-जिम्मी ये दोनो यहाँ पे क्या कर रहे हैं.

जिम्मी-अरे जानू ये दोनो ध्यान रखेंगे कि कोई इस तरफ आ तो नही रहा.
और वो कोमल को पेड़ के साथ सटा देता है और अपने होंठ उसके होंठो पर टिका देता है. कोमल भी अपने हाथ जिम्मी के बालों में फिराने लगती है और उसके होंठ चूसने लगती है. जिम्मी के हाथ कोमल के बड़े बड़े मम्मों पे पहुँच जाते है और वो उन्हे दबाने लगता है. कोमल अपने मम्मे दबाए जाने से मस्त होने लगती है और अपनी गान्ड पेड़ के साथ घिसने लगती है. जिम्मी उसकी टी-शर्ट को पकड़के निकालने लगता है मगर कोमल उसे रोक देती है.

कोमल-नही प्लीज़ जिम्मी यहाँ कोई भी आ सकता है.
जिम्मी टी-शर्ट को उसकी छातियों के उपर कर देता है और ब्रा में से उसकी छातियों को बाहर निकाल कर उनपे अपनी जीभ फिराने लगता है. कोमल मस्ती में आहें भरने लगती है. आचनक वो ज़ोर ज़ोर से चूसने लगता है. कोमल की हालत पतली हो जाती है उसकी चूत पानी छोड़ने लगती है. जिम्मी उसे कस कर अपने से भींच लेता है और अपने हाथ उसकी मस्त गान्ड पे घुमाने लगता है. वो एक हाथ आगे लेज़ा कर उसकी जीन्स का बटन खोल देता है. और कोमल को तो जैसे एकदम होश आता है.

कोमल-जिम्मी प्लीज़ जीन्स मत खोलो मुझे डर लग रहा है.

जिम्मी-कुछ नही होता जानू यहाँ पे कोई नही आएगा और मेरे दोस्त हमें बता देंगे अगर कोई आ रहा होगा तो. और वो उसकी जीन्स उतार कर उसके घुटनो के बीच कर देता है और फिर पैंटी भी उतार कर उसकी जांघों में अटका देता है. उसके हाथ बुरी तरह से कोमल के चुतड़ों को मसल्ने लगते है. कोमल के मूह से सिसकियाँ निकलने लगती है और वो डर के मारे इधर उधर भी देखती रहती है.

उधर जिम्मी के दोस्त थोड़ी दूर ही खड़े लॉन के गेट की तरफ नज़र गढ़ाए खड़े है. कभी कभी वो पीछे भी देखते है और उन्हे कोमल के पेड़ के पीछे होने की वजह से ज़्यादा कुछ तो नही मगर उसका एक चूतड़ दिखाई देता है जो कि बिल्कुल नंगा होता है और जिम्मी के हाथ उसके उपर घूम रहे होते है.

उधर जिम्मी अपनी पॅंट की ज़िप खोलता है और अपना लंड बाहर निकाल लेता है. और कोमल के हाथ में पकड़ा देता है. कोमल हाथ में 7इंच से भी बड़ा लंड देखकर डर जाती है और बोलती है.

कोमल-प्लीज़ जिम्मी इसे अंदर डाल लो कोई आ गया तो मैं बदनाम हो जाउन्गी.

जिम्मी-जानू एक बार चूस तो लो इसे.

कोमल-नही जिम्मी फिर कभी मुझे जाने दो अब.

जिम्मी-अच्छा ऐसा करो अपने कपड़े ठीक करो जल्दी से.
कोमल जल्दी से अपनी टी-शर्ट नीचे करती है और अपनी जीन्स और पैंटी भी उपर चढ़ा लेती है.

जिम्मी-अब प्लीज़ इसे चूसो ना जानू थोड़ी देर अब तो कोई ख़तरा नही है.
कोमल जल्दी से नीचे बैठ जाती है और अपने होंठ खोल कर जिम्मी के लंड पर चढ़ा देती है उसे चूसने लगती है. जिम्मी उसका सिर पकड़ कर तेज़ तेज़ उसका मूह चोदने लगता है. कोई 5 मिनिट में ही उसके लंड का सारा पानी कोमल के मूह में ढेर हो जाता है और जब तक कोमल सारा पानी गटक नही जाती तब तक उसके मूह में ही लंड डाले रखता है.


फिर वो अपना लंड अपनी पॅंट में डालता है और कोमल उठ कर जल्दी से क्लास की ओर चल देती है.
जिम्मी भी अपने दोस्तो के साथ कॅंटीन की तरफ आ गया.

सामने से उसे रीत आती हुई दिखाई दी. रीत ने आज रेड कलर का सलवार कमीज़ पहन रखा था जो कि उसके जिस्म पे बिल्कुल टाइट था. जिम्मी के मूह में उसे देखते ही पानी आ गया और अपने दोस्त जीतू से बोला.

जिम्मी-अरे देख साले क्या मस्त माल है.

जीतू- हां जिम्मी इसने इसी साल अड्मिशन ली है. बहुत मस्त आइटम है साली.
रीत उनके पास से गुज़रने लगी तो जिम्मी बोला.

रीत-अरे मेडम कभी हमारे पास भी रुक कर बात कर लिया करो.
रीत उसकी तरफ पलटी और बोली.

रीत-जी बताइए.

जिम्मी-अरे बताना क्या है अपने इस कातिलाना हुस्न का रस कभी हमे भी पिला दो.
उसके मूह से ऐसी बात सुनकर रीत को गुस्सा आ गया और वो बोली.

रीत-स्टॉप दिस नोन सेन्स. ईडियट.
और वहाँ से जाने लगी तो जिम्मी ने उसका हाथ पकड़ लिया.

रीत-प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ो.

जिम्मी-अभी तो हाथ ही पकड़ा है अभी देखती जा तेरा क्या क्या पाकडूँगा.
रीत गिडगिडाते हुए बोली.

रीत-प्लीज़ मुझे जाने दो.
तभी विकी गुस्से से भरा हुआ कलाज में एंटर हुआ.

और सामने जिम्मी को देखते ही उसका खून खोल गया और वो अपने दोस्त की पिटाई का बदला चुकाने उसकी तरफ चल पड़ा. और जिम्मी के कंधे पे हाथ रख कर बोला.

विकी-लड़की का हाथ छोड़.

जिम्मी-क्यूँ बे साले तेरी क्या लगती है.

विकी तो एक बहाना ही चाहता था उसे पीटने के लिए और वोही बहाना उसे मिल गया था. क्यूंकी अगर प्रिन्सिपल के पास कंप्लेंट जाएगी तो वो बोल सकता था कि जिम्मी एक लड़की के साथ बदतमीज़ी कर रहा था.

उधर रीत हैरानी से विकी की तरफ देख रही थी कि बात बात पे उसे परेशान करने वाला विकी आज उसकी मदद कर रहा था.
तभी विकी फिर से बोला.

विकी-आख़िरी बार कह रहा हूँ हाथ छोड़ दे.

जिम्मी-नही छोड़ूँगा क्या करेगा.
जिम्मी अभी बोल ही रहा था कि विकी ने एक लात उसके पेट में जड़ दी. जिम्मी अपना पेट पकड़कर बैठ गया और रीत अपना हाथ छुड़ा कर एक तरफ हो गई. बहादुर और जीतू तेज़ी से विकी की ओर लपके लेकिन उनके पास आने से पहले ही उसने पास ही पड़ा एक पाइप उठा लिया और दोनो की टाँगों पे जड़ दिया और धड़ा धड़ उन तीनो पे बरसाने लगा.

विकी उन्हे बुरी तरह से पीट रहा था. रीत मूह खोले हैरान खड़ी उसे देख रही थी. वो सोच रही थी कि विकी मेरे लिए उन लोगो को इतना मार रहा था. तभी उनके नरेन्दर सर वहाँ पे आ गये और उन्होने विकी को रोका और बोले.

नरेन्दर-ये क्या हो रहा है यहाँ.
तभी रीत वहाँ पे आई और सर को सारी बात बता दी. फिर सर ने उन तीनो को प्रिन्सिपल रूम में आने को कहा और वहाँ से चल दिए.
रीत विकी के पास गई और धीरे से बोली.

रीत-थॅंक यू विकी.
विकी बिना कुछ बोले वहाँ से चल दिया.

फिर सारा दिन रीत यही सोच रही थी कि क्या सच में विकी ने उसकी मदद की या फिर इसके पीछे कोई और वजह है. हो सकता है उसका उन लड़को के साथ कोई पुराना झगड़ा हो. और यही सब सोचते दिन बीत गया.

अब रीत अपने घर अपने बिस्तेर पर उल्टी लेटी हुई थी और उसके दिमाग़ में सुबह वाली घटना चल रही थी.

वो सोच रही थी चाहे कुछ भी हो विकी ने उसकी मदद तो की थी. भले ही उसका मक़सद कोई और हो लेकिन रीत के उपर उसका ये एहसान ही था.

अब रीत सोच रही थी कि भले ही विकी हिट्लर टाइप लड़का है लेकिन फिर भी वो अच्छा इंसान है. उसकी अच्छाई को जगाने की ज़रूरत है. कॉन जगाएगा उसे. 'क्या मैं'
'हां मैं जगा सकती हूँ' मैं उसके दिए हुए एहसान का बदला उसे एक अच्छा इंसान बना कर दूँगी. चाहे कुछ भी हो जाए विकी को अब में हिट्लर से हीरो बनाकर रहूंगी. और यही सब सोचते हुए उसकी आँख लग गई.

प्रीति और अमित के बीच प्यार की शुरुआत हो चुकी थी. दोनो एक दूसरे को जी जान से चाहने लगे थे. प्रीति और अमित छुप छुप कर मिलने भी लगे थे. मगर प्रीति को डर था तो अपने हिट्लर भाई का अगर उसे कुछ भी पता चला तो वो अमित को जान से भी मार सकता था.


लेकिन वो अपने भाई को अपने प्यार के बारे मे बताने से भी डर रही थी. क्यूंकी उसे पता था कि उसका भाई उसके प्यार को कभी नही मानेगा. इसलिए उसने सब कुछ उस उपर वाले पे छोड़ दिया था. और अपना प्यार आगे बढ़ा रही थी. अब तो अकेले में प्रीति और अमित एक दूसरे से लिपटने लगे थे. अमित अक्सर क्लास में उसे अकेले बुलाकर उसको बाहों में भर लेता था और उसके गुलाबी होंठों को अपने क़ब्ज़े में ले लेता था और उसके हाथ भी अब धीरे धीरे प्रीति के जिस्म का जायज़ा लेने लगे थे. उसके हाथ प्रीति के सुडौल नितंबों पे घूमते थे और प्रीति उसे इस सब से आगे नही बढ़ने दे रही थी. लेकिन अमित उसके जिस्म को भोगने के लिए मरा जा रहा था. लेकिन प्रीति अभी नही मानती थी. ऐसा नही है कि अमित को प्रीति के जिस्म से ही प्यार था वो प्रीति को दिलो जान से चाहता था. और उसकी हाँ का इंतेज़ार कर रहा था कि कब प्रीति माने और वो उसे खूब कस कर प्यार करे.
उधर रीत ने भी विकी के साथ मेल जोल बढ़ाना शुरू कर दिया था. ताकि वो उसे सुधर सके पर उसके लिए ये काम आसान नही था क्यूंकी विकी उससे अभी भी ठीक तरह से बात नही करता था.

एक दिन रीत कॉलेज में आई तो उसे सामने ही अपने दोस्तो के साथ विकी खड़ा दिखाई दिया. रीत ने आज ग्रीन कलर का सलवार कमीज़ पहन रखा था. जो कि उस पर बहुत फॅब रहा था.
वो सीधा उसके पास गई और बोली.

रीत-हाई विकी कैसे हो.

विकी-ठीक हूँ. तुम्हे क्या.

रीत-विकी तुम अच्छी तरह से पेश क्यूँ नही आते हो मैने कभी कुछ बुरा तो नही कहा.

विकी-जाओ जाओ अपना रास्ता नापो.
रीत उदास होकर बोली.

रीत-विकी तुम समझ क्यूँ नही रहे हो अगर मुझसे कोई ग़लती हुई है तो मुझे माफ़ करदो प्लीज़ पर इस तरह हर वक़्त मुझे बुरा भला क्यूँ कहते हो.

विकी-तुम चाहती क्या हो.

रीत-मैं सिर्फ़ यही चाहती हूँ कि तुम मुझसे अच्छी तरह से पेश आओ. और प्लीज़ मुझे किरण बेदी मत कहा करो.
विकी कुछ सोचने लगा और बोला.

विकी-ओके ठीक है मैं तुम्हे किरण बेदी नही कहूँगा. अब जाओ जहाँ से.
रीत थोड़ा मुस्कुराइ और वहाँ से चल पड़ी.
विकी का दोस्त डिपु जो कि पास ही बैठा था बोला.

डिपु-अरे यार हिट्लर वो साली तुम पे मरी फिरती है और तू है कि उस से दूर भाग रहा है.
उसका दूसरा दोस्त बॉबी बोला.

बॉब्बी-बात तो तेरी सही है डिपु और साली माल भी तो बहुत करारा है एक बार इसकी मिल जाए तो मैं तो सब कुछ भूल जौन.

डिपु-हां यार देख साली की गान्ड कितनी बड़ी है. और कैसे साली के चूतड़ थिरक रहे हैं. अगर ये अभी अपनी सलवार उतार दे तो शर्त लगाकर बोलता हूँ. सारे कॉलेज के लौन्डो की पिचकारियाँ छूट जाए.

बॉब्बी-अरे छातियाँ क्या कम है साली की कितनी बड़ी बड़ी हैं देखा नही कैसे तन कर खड़ी थी कमीज़ में जैसे अभी हिट्लर की छाती में घुस जाएगी. क्यूँ हिट्लर.
फिर तीनो हँसने लगे और विकी बोला.

विकी-सालो तुमने मुझे पोपट समझ रखा है क्या अगर मैने उस से थोड़ी तमीज़ से बात की तो वो इस लिए क्यूंकी साली की जवानी पे तो मेरी नज़र आज ही पड़ी है. पर सालो क्या ये मुझसे पटेगी.

डिपु-अरे यार वो तो तैयार है. तू ही ढील कर रहा है.

विकी-ह्म्म्म्म म वैसे एक बात तो है ये अभी कच्ची कली है किसी को हाथ तक नही लगाने दिया होगा इसने. और लगता है अब तो इसे कली से फूल मुझे ही बनाना पड़ेगा.

डिपु-यार हिट्लर कली के फूल बन जाने के बाद क्या फूल कर रस थोड़ा हमे भी चूसने को मिलेगा.

विकी-आबे क्यूँ नही सालो फूल बन ने के बाद तो तीनो मिलकर उसका रस चूसेंगे.
फिर से तीनो हँसने लगे.
उधर रीत आज खुश थी कि आज विकी ने उस से थोड़ी तमीज़ से बात की थी. मगर उसे क्या पता था कि विकी की ये तमीज़ उसके भरे हुए जिस्म को देखने के बाद आई थी.
नेक्स्ट डे रीत कॉलेज आई और सीधे विकी के पास ही गई. आज विकी ने सोच रखा था कि वो रीत को प्रपोज करेगा. जैसे ही रीत पास आई तो दोनो ने हाई, हेलो की. और विकी ने बात शुरू की.

विकी-रीत मैने तुम्हे बहुत बुरा भला कहा मैं उसके लिए शर्मिंदा हूँ. मुझे माफ़ कर दो.

रीत-अरे छोड़ो विकी उन बातो को मैने वो सब बातें कब की भुला दी. और तुम्हे माफ़ भी कर दिया. अब तो हम अच्छे दोस्त हैं.

विकी-रीत क्या हम एक दूसरे के लिए दोस्त से बढ़कर कुछ बन सकते हैं.
रीत एकदम चौंक्ति हुई.

रीत-क्या मतलब.

विकी-मतलब ये कि मैं तुम्हे चाहने लगा हूँ. जिस रीत को मैं देखना भी पसंद नही करता था. पता नही क्यूँ वो आज मुझे मेरा सब कुछ नज़र आ रही है.

विकी ने कहते कहते रीत का हाथ पकड़ लिया था. रीत एक दम से सकपका गई थी. उसे बहुत शरम आ रही थी. वैसे वो खुश भी थी क्यूंकी विकी को अपने प्यार में पा कर सुधारना आसान था. लेकिन वो कुछ भी बोल नही पा रही थी और सिर झुकाए खड़ी थी.
विकी उसको खामोश देखकर फिर से बोला.

विकी-प्लीज़ रीत कुछ तो बोलो. और उसने रीत की टॉंड पे उंगली रखी और उसका चेहरा उपर कर दिया.

रीत की नज़रें जैसे ही विकी से टकराई वो फिर से शरमा गई और मुस्कुराती हुई अपना हाथ छुड़ा कर क्लास की तरफ भाग गई.
विकी मन में बहुत खुश हुया. तभी डिपु और बॉब्बी भी उसके पास आ गये जो नज़दीक ही बैठे ये नज़ारा देख रहे थे.

डिपु-वाह रे हिट्लर कमाल हो गया ये तो साली बड़ी जल्दी लाइन पे आ गई.

बॉब्बी-जितनी जल्दी लाइन पे आई है काश इतनी जल्दी साली लंड पे भी आ जाए तो मज़ा आ जाए.

विकी-सालो ये लाइन पर भले ही जल्दी आ गई हो पर लंड पर इतनी आसानी से नही आने वाली. साली शरमाती बहुत है.

डिपु-अरे हिट्लर नखरे करने वाली लड़की को चोदने में तो मज़ा ही बहुत है. वो लड़की ही क्या साली जो खुद ही सामने नंगी होकर लेट जाए.

विकी-बात तो तेरी सही है डिपु. अब मुझे कदम धीरे धीरे आगे बढ़ाना होगा.

फिर वो तीनो कॅंटीन की तरफ चल दिए.
नेक्स्ट डे-
आज हिट्लर कॉलेज नही आया था तो अमित और प्रीति ने कही घूमने जाने का प्लान बनाया था. अमित और प्रीति अमित की कार में जा रहे थे. अमित ड्राइव कर रहा था और प्रीति साथ वाली सीट पर बैठी थी. प्रीति ने ग्रीन टॉप और ब्लू जीन्स पहन रखी थी जिनमे उसका जिस्म कयामत ढा रहा था.

प्रीति-अमित हम कहाँ पे जा रहे हैं.

अमित-बताओ कहाँ पे जायें.

प्रीति-लो कर्लो बात तो अभी तक जनाब ने डिसाइड ही नही किया कि कहाँ जाना है.

अमित-अरे जानू यहाँ तुम कहोगी वही पे ले जाउन्गा.
प्रीति जानबूझ कर गुस्सा दिखाते हुए.

प्रीति-मुझे कहीं नही जाना. मुझे तो घर जाना है.
अमित मुस्कुरा कर.

अमित-अरे जानेमन गुस्सा क्यूँ होती हो. बताओ कोन्से होटेल में रूम बुक करें.

प्रीति-रूम किस लिए?

अमित-अरे जानेमन रूम में नही जाएँगे तो क्या यहाँ खुले में तुम्हारे इस नशीले बदन को नंगा करूँगा मैं.

प्रीति अमित को मारते हुए.

प्रीति-चुप करो बदमाश कहीं के.
मुझे किसी रूम-वूम में नही जाना.

अमित-अरे यार कब तक नखरा करती रहोगी. अब मान भी जाओ.

प्रीति-मैं नखरा नही कर रही हूँ अमित जब सही वक़्त आएगा तो मैं तुम्हे कभी नही रोकूंगी. अब अच्छे बच्चे की तरह गाड़ी किसी होटेल पे ले चलो क्यूंकी तुम्हारी इस नन्ही सी जान को भूख लगी है.
अमित मुस्कुराते हुए.

अमित-ओके मेरी जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. लेकिन खाने के बाद मुझे तुम्हारे ये गुलाबी होंठ चूसने है. समझ गई ना.

प्रीति-ओके बाबा मगर सिर्फ़ होंठ.
अमित ने गाड़ी एक होटेल में रोकी और फिर दोनो ने एक ही प्लेट में खाना खाया और दुबारा गाड़ी चल पड़ी. अमित ने गाड़ी शहर से बाहर लेज़ा कर एक सुनसान सड़क पर रोक दी.

प्रीति-अमित यहाँ पे गाड़ी क्यूँ रोकी.
अमित ने बिना कुछ बोले प्रीति का अपनी तरफ खींचा और अपने होंठ उसके होंठो पे टिका दिए. कोई 5 मिनिट तक वो एकदुसरे में खोए रहे. फिर अमित के हाथ हरकत करने लगे और प्रीति के नितंबों को जीन्स के उपर से ही मसल्ने लगे.
प्रीति एकदम से अपने होंठ छुड़ाती हुई बोली.

प्रीति-ना ना ना ना बात सिर्फ़ होंठों की हुई थी.
अमित ने फिरसे उसे खीचा और कहा.

अमित-अब नखरा छोड़ भी दो जानू. और फिरसे उसके होंठ चूसने लगा. अमित ने अपने हाथ पीछे से प्रीति के टॉप में डाल दिए और उसकी नंगी पीठ पे फिराने लगा. नंगी पीठ पे हाथ लगते ही प्रीति सिसक उठी. मगर अमित ने उसे मज़बूती से पकड़ रखा था इसलिए वो कुछ नही कर पाई.

प्रीति मन में सोचने लगी की आज तो वो गई.
अमित के हाथ प्रीति की नंगी पीठ पे घूम रहे थे. प्रीति भी गरम होने लगी थी. अमित ने अपना हाथ उपर की तरफ बढ़ाना शुरू किया और उसके हाथ प्रीति की ब्रा से टकराने लगे. और अमित ने ब्रा के हुक खोल दिए. प्रीति ने झटके से अमित को पीछे हटाया और उसे मारने लगी.

प्रीति-ये क्या कर रहे हो.

अमित-अरे डियर प्लीज़ एक बार अपने खूबसूरा मम्मों दिखा तो दो प्लीज़.

प्रीति-कुछ देखने को नही मिलेगा समझे और चलो अब जल्दी से.

अमित उदास होते हुए.

अमित-क्या डियर मैं तुमसे प्यार करता हूँ क्या मेरा इतना भी हक़ नही तुम पर.

प्रीति-मेरे राजा आपका पूरा हक़ है मुझ पर लेकिन थोड़ा सबर करो.

अमित-मुझे लगता है कि तुम मुझसे प्यार ही नही करती और तुम्हे मुझ पर भरोसा ही नही है.

प्रीति अमित को बाहों में भरती हुई.

प्रीति-अरे तुम गुस्सा बहुत जल्दी होते हो. तुम सिर्फ़ मेरे हो और मैं और मेरा ये जिस्म सिर्फ़ तुम्हारा है.
अमित उसके टॉप के उपर से ही उसके उभारों को पकड़ कर मसलता हुआ.

अमित-तो कब तक इस जिस्म को मुझसे छुपाती रहोगी.
प्रीति आह भरते हुए.

प्रीति-जब तक भैया हमारी शादी के लिए मान नही जाते.

अमित-यार तुम्हारा वो हिट्लर भाई कभी नही मानेगा. चलो हम भाग कर शादी कर लेते है.

प्रीति-मेरे भैया को कुछ मत बोलो और हां ये भाग कर शादी करने का ख्याल दिल से निकाल दो अगर घरवाले मानेगे तो शादी करेंगा वरना नही.

अमित-अरे छोड़ो यार तुम तो सीरीयस होने लगी हो.
अमित उसका टॉप पकड़कर उपर उठाने लगा.
प्रीति ने फिर से उसे रोक दिया मगर अमित नही माना और बोला.

अमित-प्लीज़ जानू मुझे मत रोको. आज मुझ से रुका नही जा रहा और अगर तुम्हे ये लगता है कि मैं तुम्हारे साथ ये सब कर के तुम्हे छोड़ दूँगा तो चलो हम अभी शादी कर लेते हैं.

प्रीति-मुझे तुम पर पूरा भरोसा है अमित मगर...

अमित-मगर वगर कुछ नही.
और अमित ने झट से उसका टॉप निकाल दिया.

प्रीति के गोरे गोरे 32द के बूब्स एकदम नुकीले होकर ब्लॅक ब्रा में फॅनफ्ना रहे थे. प्रीति ने अपने दोनो हाथों से उन्हे ढक लिया और शरमाने लगी. अमित ने उसके दोनो हाथ पकड़े और अपनी बाहों में उसे जाकड़ लिया और धीरे से उसकी ब्रा जो पहले से ही खुली थी उसे निकाल दिया. अब अमित ने अपने होंठ प्रीति के होंठों पे सटा दिए और अपने हाथों से उसके दोनो उभार मसल्ने लगा. प्रीति बहुत गरम होने लगी थी. और ज़ोर ज़ोर से अमित के होंठ चूसने लगी थी. अब अमित ने अपना होंठ प्रीति के होंठों पर से हटाकर उसके गोरे गोरे उभारों पे रख दिए और उन्हे चूसने लगा.

प्रीति ना ना करती रही मगर अब अमित उसकी सुन ने के मूड में नही था. पहले वो धीरे धीरे उसके निपल चूस रहा था मगर अब ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा था प्रीति के उपर भी अब सेक्स की खुमारी भारी होने लगी थी. वो भी अमित के सिर को पकड़ कर अपनी छातियों में घुसेड रही थी. अमित के हाथ अब प्रीति की कमर तक पहुँच चुके थे और उसने अपना एक हाथ धीरे से जीन्स के उपर से ही प्रीति की छूट पे रख दिया और मसल्ने लगा. चूत पे हाथ लगते ही प्रीति मचल उठी और अमित को दूर करती हुई बोली.

प्रीति-प्लीज़ अमित बस इस से आगे नही वरना मैं तुमसे कभी बात नही करूँगी.

अमित-प्लीज़ प्रीति मैं मरा जा रहा हूँ. कम से कम मुझे तुम्हे एक बार पूरी नंगी देखना है.
प्रीति शरमाते हुए.

प्रीति-बदमाश कही के मैं पूरी नंगी नही हूँगी.

अमित-प्लीज़ प्रीति यार बस एक बार तुम्हे नंगी करूँगा उस से आगे कुछ नही.
प्रीति-प्रॉमिस.

अमित-ओके प्रॉमिस.

अमित ने जल्दी से अपना हाथ प्रीति की जीन्स के बटन की तरफ बढ़ाया और उसे खोल दिया. फिर उसकी जीन्स को निकालने लगा. जीन्स को सीट और प्रीति की गान्ड में फसि होने की वजह से निकालने में मुश्किल हो रही थी. अमित ने प्रीति को थोड़ा उपर उठने को कहा और प्रीति के उठते ही उसने जीन्स नीचे सरका दी और उसे प्रीति के घुटनो में कर दिया. नीचे प्रीति ने एक पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी जो कि उसकी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी. अमित ने अपना चेहरा उसकी चूत के नज़दीक किया और एक किस पैंटी के उपर से ही उसकी चूत पे की और फिर उसे चाटने लगा.


प्रीति मस्त होकर आहें भरने लगी. अमित तभी पीछे हटा और प्रीति की दोनो टाँगें पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया. प्रीति की पीठ अब बाहर की तरफ हो गई थी और उसका सिर अब उसकी साइड वाली विंडो के शीशे से लगा हुया था. अमित ने उसकी टाँगों को उपर उठाया और उसकी जीन्स निकाल कर पिछली सीट पर फेंक दी. प्रीति ने अपने चेहरे को अपने हाथों से ढक रखा था और वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी. अमित ने उसकी पैंटी को पकड़ा और नीचे करने लगा. प्रीति ने अपने हाथ से पैंटी को पकड़ कर उसे रोकना चाहा मगर अमित नही रुका और देखते ही देखते उसकी पैंटी उसके जिस्म से अलग हो गई. अब वो बिल्कुल नंगी अपने प्रेमी के सामने थी.
अमित की नज़र प्रीति की टाइट और गुलाबी चूत पर से नही हट रही थी. प्रीति अपने चेहरे पे हाथ रखकर मुस्कुरा रही थी. आज पहली दफ़ा वो किसी मर्द के सामने बिल्कुल नंगी हुई थी. लेकिन वो खुश थी क्यूंकी जिसके सामने वो नंगी हुई थी वो कोई और नही बल्कि उसका प्रेमी था. जो उसे दिल से चाहता था. अमित ने अपने होंठ उसकी चूत के पास किए और जैसे ही उसके होंठ प्रीति की चूत के होंठो से टकराए. प्रीति मचल उठी और एकदम से उपर को उठ गई और बोली.


प्रीति-प्लीज़ अमित दूर रहो.


अमित-प्रीति प्लीज़ एक बार मुझे इन्हे चूसने दो.


और कहकर अमित ने फिर से प्रीति की टाँगें पकड़ी और उसे अपनी तरफ खींच लिया. और अपने होंठ उसकी चूत पे टिका दिए और उन्हे चूसने लगा. प्रीति का सारा शरीर काँपने लगा और वो आआहएं भरने लगी.

अमित अपनी जीभ को अंदर तक घुमाने लगा. प्रीति के हाथ अब अमित के सिर पे पहुँच गये थे और वो उसे अपनी चूत की ओर धकेल रही थी. प्रीति की आँखें बंद थी और वो धीरे धीरे सिसक रही थी. अमित ने अपने होंठ उसकी चूत पर से हटाए और अपनी टी-शर्ट खोल कर बॅक सीट पर फेंक दी. उसने अपनी एक उंगली को थूक लगाया और प्रीति की चूत की पंखुड़ियों पे टिका दी और धीरे धीरे उसे अंदर सरका दिया. उंगली अंदर जाते ही प्रीति बेचैन हो उठी और एकदम से अमित को मारने लगी. और बोली.


प्रीति-ब्स अब आगे मैं कुछ नही करवाउन्गी. तुम बहुत बदमाशी कर रहे हो.


अमित ने उसकी टाँगें खोली और फिर से एक उंगली ज़बरदस्ती अंदर डाल दी और तेज़ तेज़ अंदर बाहर करने लगा. प्रीति ने कुछ देर विरोध किया और जब उसपे सेक्स भारी होने लगा तो अपनी टाँगें फैला कर विंडो को पीठ लगाकर आराम से मज़ा लेने लगी.


अमित ने एक हाथ से अपनी पॅंट की ज़िप खोली और अपना फनफनाता हुया लंड बाहर निकाल लिया. उसका लंड एकदम गोरा था और पूरे उफान पर था उसकी लंबाई कम से कम 7इंच होगी और मोटाई 2 इंच थी. अमित एक हाथ से धीरे धीरे अपना लंड मसल्ने लगा. प्रीति अब अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुकी थी अचानक उसके अंदर एक तूफान सा उठा और उसकी चूत में से पानी की फुहारें छूटने लगी.

अमित का हाथ उसके पानी से भीग गया मगर उसने उंगली अंदर बाहर करना जारी रखा. पूरी तरह से झड़ने के बाद प्रीति ने अपनी आँखें खोली और अमित को प्यार से देखकर मुस्कुराने लगी. मगर अमित की नज़र उसकी चूत पर थी और एक हाथ उसकी चूत में था और दूसरा उसके लंड पे. प्रीति की नज़र जैसे ही अमित के लंड पर पड़ी तो वो बस उसे देखती ही रह गई. उसने आज पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था. अमित ने जब प्रीति को अपने लंड की तरफ देखते हुए पाया तो उसने प्रीति का हाथ पकड़ा और अपने लंड पे रख दिया. प्रीति ने एकदम से हाथ हटा लिया और अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया.


अमित-जानू इसे पाकड़ो ना ये भी सिर्फ़ तुम्हारा ही है.

प्रीति कुछ नही बोली और उसने ना में सिर हिला दिया. अमित को अब रुकना बहुत मुश्किल हो रहा था. उसने प्रीति को अपनी तरफ खीचा और अपना लंड उसकी चूत पे टिका दिया. चूत पे लंड का स्पर्श पाते ही प्रीति चौंक गई और बोली.


प्रीति-प्लीज़ अमित तुमने प्रॉमिस किया था.


लेकिन अमित कुछ सुन ने के मूड में नही था. उसने हल्के से एक धक्का दिया और उसका टोपा प्रीति की चूत में उतार गया. प्रीति एकदम से हिली और उसके मूह से एक दर्दनाक चीख निकली. अमित ने एक और धक्का दिया और उसका आधा लंड चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया. कुछ देर बाद जब प्रीति सामान्य हो गई तो अमित ने एक आख़िरी और जोरदार धक्का दिया और लंड पूरा जड़ तक अंदर पह्नचा दिया. प्रीति दर्द से बिलखने लगी.

अमित ने कुछ देर वेट की और फिर धीरे से लंड को थोड़ा पीछे किया और फिर आगे किया और वो ऐसे ही धीरे धीरे करने लगा. जब उसका लंड थोड़ा बाहर निकलता तो उसके लंड पे प्रीति की कुँवारी चूत के फटने से निकले खून के निशान दिखाई देते. अब प्रीति को भी मज़ा आने लगा था तो वो भी अमित का साथ देने लगी थी.

अमित ने भी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी थी औक़ धड़ा धड़ धक्के लगाने लगा था. कोई 10मिनट ऐसे ही दमदार चुदाई के बाद वो और प्रीति साथ साथ झड़ने लगे. प्रीति ने अमित को कस कर पकड़ रखा था. और अमित ने अपना सारा पानी प्रीति की चूत में भर दिया. 5मिनट बाद वो अलग हुए तो प्रीति अमित से नज़रे नही मिला पा रही थी. अमित ने उसका चेहरा उपर उठाया और उसके होंठों पे एक किस की. और बोला.


अमित-आइ लव यू जानू. मैं तुम्हे लाइफ में कभी भी दुखी नही होने दूँगा.


उसकी बात सुनकर प्रीति उस से फिर लिपट गई.
अमित-अरे क्या दूसरे राउंड का भी इरादा है.
प्रीति उसकी छाती में मुक्के मारती हुई बोली.


प्रीति-बदमाश चुप चाप चलो अब यहाँ से.
और उन दोनो ने कपड़े पहने और वापिस घर की तरफ चल दिए.


रीत और विकी की नज़दीकियाँ भी बढ़ने लगी थी. अब वो घंटो एक दूसरे से बात करते रहते थे. रीत तो बस बात बात पे विकी को बोलती रहती थी कि वो ये सब हरक़तें छोड़ दे. और विकी भी उसकी हां में हां मिलाता रहता था क्योंकि अभी तक रीत के संगमरमर के जिस्म को उसने हाथ तक नही लगाया था. अब रीत के मस्त जिस्म को भोगने के लिए वो रीत की बातें मान रहा था और उसके सामने उसने सिग्रेट वगेरा पीना छोड़ दिया था. क्यूंकी रीत को ये सब पसंद नही था. रीत भी खुश थी क्यूंकी विकी उसकी बातें मान रहा था और उसे अपना विकी को सुधारने वाला सपना आसान लगने लगा था.

आज विकी बहुत खुश था क्योंकि आज रीत उसके साथ मूवी देखने जाने वाली थी. बड़ी मुश्क़िल से उसने रीत को मनाया था. वो मन में सोच रहा था कि आज हो ना हो वो रीत के मखमली जिस्म के अंगों को मसल कर रहेगा. उधर रीत को थोडा डर ज़रूर लग रहा था क्यूंकी आज से पहले वो कभी किसी लड़के के साथ ऐसे मूवी देखने नही गई थी. क्यूंकी विकी ही उसका पहला प्यार था और शायद आख़िरी भी. लेकिन फिर भी वो खुश थी कि आज वो अपने प्रेमी के साथ मूवी देखने जा रही थी. सुबह से ही उसके शरीर में फुर्ती दिखाई दे रही थी. वो सब काम जल्दी जल्दी निपटा रही थी. और सब काम निपटा कर वो अपने गोरे बदन को मल मल कर नहाई और फिर उस गोरे बदन पे महरूण कलर का सलवार कमीज़ पहन लिया जो कि उसके शरीर के उपर पूरा फिट था और उसके अंग उसमे से बाहर निकल कर गिरने को हो रहे थे. वो अपनी स्कॉटी लेकर कॉलेज पहुँची और स्कूटी पार्क की और कॅंटीन की तरफ़ चल पड़ी. सामने विकी अपने दोस्त दिपु और बॉब्बी के साथ बैठा था. रीत को देखते ही तीनो के मूह में पानी आ गया और दिपु बोला.

दिपु-अरे हिट्लर क्या किस्मत पाई है तूने. देख तो साली आज कितनी मस्त लग रही है.

बॉब्बी-हां यार हिट्लर आज साली बचनी नही चाहिए. देख साली के मम्मे कैसे उच्छल कर बाहर गिरने को हो रहे हैं.

विकी-अबे सालो चुप करो वो यहीं आ रही है.
रीत उनके पास आकर.

रीत-हेलो विकी, हाई दिपु न्ड बॉब्बी.

विकी-हाई रीत चलें क्या.

रीत-ओके लेट'स गो.

विकी ने उन दोनो से विदा ली और रीत को लेकर अपनी बाइक की तरफ चल पड़ा.
दिपु और बॉब्बी जाते टाइम रीत के रगड़ खाते चुतड़ों को देख रहे थे और बातें कर रहे थे.

डिपु-अरे यार जब इसके बड़े बड़े और गोरे गोरे चुतड़ों के बीच हिट्लर का लंड जाएगा तो क्या सीन होगा.

बॉब्बी-हां यार क्या किस्मत पाई है साले ने कितनी मस्त लोंड़िया चोदने को मिल रही है साले को.

उधर रीत और विकी थियेटर में पहुँच चुके थे. और एक कॉर्नर में जाकर वो दोनो बैठ गये थे. मूवी शुरू हो चुकी थी और रीत मूवी देखने में व्यस्त थी. लेकिन विकी का ध्यान मूवी में ना होकर रीत के जिस्म पे था और वो सोच रहा था कि शुरुआत कैसे करे. उसने थोड़ी हिम्मत करते हुए रीत का हाथ पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगा. रीत मूवी देखने में मस्त थी. तभी विकी ने हाथ बढ़ाते हुए रीत की जाँघ पे टिका दिया और उसपे फिराने लगा. रीत की टाँग एकदम से काँपी और उसने अपनी टाँग दूसरी ओर खिसका ली और विकी का हाथ हटा दिया. रीत ने अपनी टाँग दूसरी टाँग के उपर चढ़ा ली और ऐसा करने से रीत का विकी की तरफ वाला चूतड़ थोड़ा उँचा उठ गया और विकी ने धीरे से अपना हाथ उसके टाँग उठाने से सामने आए उसके चूतड़ पे रख दिया और उसे चूतड़ और सीट के बीच घुसने लगा. रीत एकदम चौंक गई और उसने अपनी टाँग फिर से नीचे कर ली. लेकिन ऐसा करने से विकी का हाथ उसके दोनो चुतड़ों के नीचे दब गया. विकी की उंगलिया रीत के चुतड़ों की दरार में थी. रीत थोड़ा उपर उठी और उसने विकी का हाथ अपने चुतड़ों के नीचे से निकाल दिया और फिर से बैठ गई. और विकी के चेहरे के पास अपना मूह लेज़ाकार बोली.

रीत-विकी प्लीज़ ये सब मत करो.


रीत के चेहरे को अपने नज़दीक पाकर विकी ने एकदम से उसका चेहरा अपने दोनो हाथों में पकड़ लिया. रीत बिल्कुल बौखला गई अब उसे पता था कि विकी क्या करेगा. विकी ने अपना चेहरा बिल्कुल रीत के चेहरे के पास कर लिया. अब उनके चेहरे बिल्कुल आमने सामने थे. रीत अपना चेहरा विकी के हाथों में से छुड़ाना चाहती थी मगर विकी ने मज़बूती से उसे पकड़ रखा था. अब विकी अपने चेहरे को रीत के चेहरे की तरफ लेज़ाने लगा और रीत ने उसके होंठों को अपने होंठों की तरफ आता देख अपनी आँखें बंद कर ली और फिर कुछ ही सेकेंड में विकी के होंठ रीत के गुलाबी लरज़ते होठों के उपर थे.

विकी और रीत के होंठ आपस में मिले हुए थे और विकी के हाथ रीत का चेहरा थामे हुए थे. रीत थोड़ा कस मसा रही थी मगर विकी के द्वारा उसके चेहरे को मज़बूती से थामे होने की वजह से वो कुछ नही कर पा रही थी. विकी ने रीत के निचले होंठ को अपने होंठों में क़ैद कर रखा था और वो उसे प्यार से चूस रहा था. रीत को भी अब मज़ा आने लगा था. ये रीत का पहला चुंबन था.

क्यूंकी आज से पहले किसी मर्द ने चुंबन तो दूर उसे हाथ तक नही लगाया था. विकी ही पहला ऐसा मर्द था जो रीत के गुलाबी होंठों का रस चूस रहा था. विकी अब रीत के होंठ को ज़ोर ज़ोर से अपने होंठों से मसल्ने लगा था. रीत भी अब थोड़ा उसका साथ देने लगी थी और उसके हाथ विकी के बालों के बीच पहुँच चुके थे. विकी अब रीत के होंठ को चूसने के साथ साथ काटने भी लगा था.

विकी के होंठ को काटने की वजह से रीत को अब मज़े के साथ साथ थोड़ा दर्द भी हो रहा था. लेकिन वो फिर भी अपने प्रेमी का साथ दे रही थी. विकी इतनी मस्त हसीना को चूस्ते हुए अपने होश गँवा बैठा था और उसकी हवस अब जालिम सी होने लगी थी. और वो अब ज़ोर ज़ोर से रीत के होंठ को चूसने और काटने लगा था.

रीत का होंठ और उसका मूह विकी द्वारा बेरेहमी से उसके चूसे जाने की वजह से दर्द करने लगा था और अब उसके लिए ये दर्द सहना मुश्क़िल हो रहा था. मगर विकी को इसकी कोई परवाह नही थी वो पूरी मस्ती से रीत के निचले होंठ को चूसे जा रहा था. रीत अब छटपटाने लगी थी और अपने हाथों से विकी को अपने से दूर धकेल रही थी उसकी आँखों में से दर्द के कारण आँसू निकल आए थे. विकी भी अब उसकी परेशानी समझ चुका था और उसने धीरे से आख़िरी चुंबन लेते हुए रीत के होंठों को अपने होंठों से आज़ाद कर दिया था.

पूरे 10मिनट तक विकी ने रीत के गुलाबी लरज़ते होंठों का रस्पान किया था. विकी ने जैसे ही रीत को छोड़ा था तो रीत सीधी होकर बैठ गई और उसने अपना चेहरा नीचे कर लिया और अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और भारी भारी साँसें लेने लगी. उसे अपने होंठों के पास कुछ गीला महसूस हुया उसने जब ध्यान से देखा तो वो खून था जो कि विकी ने उसके होंठों को बुरी तरह चूस चूस कर निकाल दिया था. अब रीत को विकी के उपर बहुत गुस्सा आ रहा था और साथ ही साथ प्यार भी क्योंकि उसने कभी सोचा भी नही था कि उसका पहला चुंबन इतना जबरदस्त होगा.

अब उसकी विकी की तरफ देखने की हिम्मत नही हो रही थी. और वो वैसे ही अपने हाथों से अपना चेहरा छुपाये बैठी थी. सामने मूवी चल रही थी मगर अब ना तो विकी का उसमे कोई ध्यान था और ना ही रीत का. विकी अब सोच रहा था कि आगे कैसे बढ़ा जाए. उसका लंड उसकी पॅंट में पूरे उफान पर था. और हो भी क्यूँ ना. कुछ ही देर पहले उसने एक मदमस्त हसीना के मस्त गुलाबी होंठों को बुरी तरह चूसा था. विकी ने फिर से अपना हाथ रीत की जांघों की तरफ बढ़ा दिया था. और उसका हाथ रीत की चूत के पास उसकी दोनो जांघों के बीच पहुँच चुका था.

अपनी जांघों पे हाथ महसूस होते ही रीत फिर से चौंक उठी थी और उसने अपनी जांघों को कस कर भींच लिया था. और अब विकी का हाथ उसकी जांघों के बीच फस चुका था. रीत वैसे ही चेहरा छुपाये बैठी थी और अपने प्रेमी की इस हरकत पर मंद मंद मुस्कुरा रही थी. विकी धीरे धीरे अपना हाथ रीत की चूत की तरफ बढ़ने लगा था. जांघों के बीच फसा होने के कारण उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी. विकी का हाथ अपनी चूत की तरफ बढ़ता महसूस कर रीत की साँसें फिर से फूलने लगी थी और उसकी टाँगें भी काँपने लगी थी. रीत की टाँगों का कंपन विकी को महसूस हो रहा था.

वो सोच रहा था कि इस की चुदाई का तो मज़ा ही कुछ और होगा. उसका हाथ आगे बढ़ता हुआ अब रीत की सलवार में क़ैद उसकी चूत पे पहुँच चुका था और उसने देखा कि रीत की सलवार भी उसकी चूत के पानी से भीग चुकी थी. और चूत पर विकी का हाथ महसूस करते ही रीत एकदम से कंपकपा उठी थी और उसने अपने हाथ अपने चेहरे पर से हटाकर विकी के हाथ को पकड़ लिया जो कि उसकी चूत पे था. और अपने चेहरे पे मुस्कान लिए हुए विकी की तरफ देखकर अपना सिर ना में हिलाने लगी. विकी को भी लगा कि जल्द बाज़ी ठीक नही है. उसने अपना हाथ रीत की चूत पर से हटा दिया और रीत के दोनो हाथों का पकड़कर उसे फिरसे अपनी ओर खींच लिया. अब फिरसे उन्दोनो के होंठ मिल चुके थे और विकी जी भर के उन्हे चूस रहा था.


विकी को भी अपने होंठों पे गीलापन महसूस होने लगा था. उसने रीत के होन्ट छोड़े और उसने देखा कि रीत के होंठ के एक कोने से खून निकल रहा था. वो अपनी जीभ से उसके होंठ के कोने से निकल रहे खून को चाटने लगा और उसे चाट चाट कर सॉफ कर दिया. रीत विकी की इस हरकत पे मुस्कुरा रही थी. तभी थियेटर में लाइट'स ऑन हो गई और रीत झट से विकी से अलग हो गई. मूवी का इंटर्वल हो गया था. मगर अब रीत और विकी दोनो का मन मूवी देखने का नही कर रहा था. वो बाहर निकले और विकी की बाइक घर की तरफ चल पड़ी.
रीत अपने रूम में बेड के उपर उल्टी लेटी हुई थी. उसने एक ब्लॅक टी-शर्ट और पिंक पाजामा पहना हुया था. उसने हाथ में एक मिरर पकड़ा हुया था और अपना चेहरा उसमे देख रही थी. वो अपने होंठों को देख रही थी जिनका आज विकी ने रस निचोड़ डाला था. भले ही उसके होंठों का रस विकी ने चूस लिया था. लेकिन फिर भी उसके होठों की लाली कायम थी. और कम होने की वजह और बढ़ गई थी. रीत मन में बहुत खुश थी. क्योंकि उसे आज से पहला कभी इतना अच्छा एहसास नही हुआ था.

उसे विकी के उपर बहुत प्यार आ रहा था. जैसे कि हम कहते हैं कि जब एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को छोड़ देता है तो प्रेमिका उसपे और भी ज़्यादा मोहित हो जाती है. ऐसा ही कुछ रीत के साथ हो रहा था. भले ही विकी ने अभी उसे छोड़ा नही था. लेकिन जिस तरह से उसने रीत को चूसा था. उससे ही रीत के मन में वो एहसास जाग उठे थे जो उसने आज से पहले कभी महसूस नही किए थे. उसने अब मिरर को साइड पे रख दिया था और एक तकिया अपनी बाहों में भरकर आँखें बंद किए हुए विकी के उस चुंबन को याद कर रही थी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

उधर विकी अपने दोस्त बॉब्बी और दिपु के साथ बैठा था.

दिपु-हां तो हिट्लर भाई कैसी रही मुलाक़ात बदल दी क्या छमिया की चाल.

बॉब्बी-अरे यार दिपु ये हिट्लर उस रीत की चल कैसे बदल देगा. कुछ समझ नही आया.

दिपु-अबे साले जब हिट्लर ने उसकी कुँवारी चूत में लंड डालकर उसे बेरेहमी से चोदा होगा तो दर्द के कारण उस से चला कहाँ जाएगा तो चल तो बदल ही जाएगी.
फिर तीनो हँसने लगे.

हिट्लर-अरे यार अभी कहाँ साली शरमाती बहुत है.

बॉब्बी-मतलब कुछ नही किया.

हिट्लर-अबे साले हिट्लर किसी लड़की के साथ थियेटर के अंधेरे में हो और वो भी रीत जैसी कुँवारी लोंड़िया के साथ और कुछ हो ना ऐसा कभी हो सकता है.

डिपु-अबे साले क्या किया बताएगा भी कुछ.

हिट्लर-साली के होंठ चूस चूस कर खून निकाल दिया.

दिपु-हाए रे क्या किस्मत पाई है तूने इतनी मस्त हसीना के होंठ. आआहाआ अगर मुझे चूसने को मिलते तो मेरा तो पॅंट में ही पानी निकल जाता.

बॉब्बी-हिट्लर यार उस से आगे भी कुछ किया या नही.

विकी-आगे कहाँ बढ़ने दिया साली ने. मैने तो साली की चूत पकड़ ली थी सलवार के उपर से ही पर वो साली नखरा करने लगी और ना नुकर करने लगी. मैने भी सोचा जल्दबाजी ठीक नही सो छोड़ दिया.

दिपु-सही किया यार ऐसी लड़की पहले पहले ज़रूर शरमाती हैं लेकिन फिर बाद में बहुत मज़े से चुदवाती हैं.

विकी-सही कहा. ओके मैं चलता हूँ यार.
फिर वो तीनो अपने घर की तरह चल पड़े.

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