मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ - 2 - मीरा

चलो अब आपको मीरा के पास ले चलती हूँ.. देखते हैं वो क्या कर रही है अभी..
मीरा अपने कमरे में बैठी मोबाइल पर गेम खेल रही थी, तभी उसके पापा हाँफते हुए कमरे में आए.. उन्हें ऐसे देख कर मीरा डर गई।
मीरा- पापा क्या हुआ..??? आप ठीक तो हैं ना.. ऐसे हाँफ क्यों रहे हो आप…??
पापा- उम्म में ठीक हूँ.. अभी आह्ह.. एक फ़फ्फ़..फ़ोन आया था.. कोई तुम्हारी बहन के बारे में बात कर रहा था आह अह..
मीरा- क्या पापा.. आप ये क्या बोल रहे हो इतने सालों बाद दीदी के बारे में पता चला.. कहाँ है वो? किसने फ़ोन किया था पापा बताओ?
अपनी बहन की खबर सुनकर मीरा की आँखों में आँसू आ गए थे.. मगर ये ख़ुशी के आँसू थे.. अब क्या हुआ.. क्या नहीं.. ये तो उसके पापा ही उसको बताएँगे.. तभी पता चलेगा ना.. मगर मैं आपको कुछ बता देती हूँ कि आख़िर यह बहन का क्या चक्कर है।
दरअसल बहुत साल पहले एक मेले में मीरा की बड़ी बहन खो गई थी.. तब से लेकर आज तक दिलीप जी गम में थे.. इसी सदमे से उसकी पत्नी बीमार रहने लगी थी और एक दिन उनसे बहुत दूर चली गई थीं।
दिलीप जी ने बहुत कोशिश की.. अपनी बेटी को खोजने की.. मगर वो नाकाम रहे.. पैसे को पानी की तरह बहा दिया.. मगर कोई फायदा नहीं हुआ.. आज बरसों बाद उनकी उम्मीद दोबारा जागी थी। अब ये फ़ोन किसका आया होगा.. चलो आप खुद देख लो।
पापा- अभी किसी का फ़ोन आया था.. वो बोल रहा था कि आपकी बेटी खो गई थी ना.. उसके बारे में कुछ बात करनी है.. मैंने कहा हाँ बताओ प्लीज़ मेरी बेटी कहाँ है? तो बोला कि कल सुबह पूरी बात बताएगा और उसने फ़ोन काट दिया।
मीरा- बस इतना ही बताया.. ओह पापा.. वो कौन था.. कहाँ से फ़ोन किया कुछ नहीं बताया? अब सुबह ही पता चलेगा आज नींद भी नहीं आएगी.. ओह कब सुबह होगी दीदी के बारे में पता लगेगा।
दोनों बाप-बेटी वहीं बैठे बातें करने लगे।

उधर राधे जब कमरे में पहुँचा तो नीरज उसका इन्तजार कर रहा था।
नीरज- अरे मेरे दोस्त आ गया तू.. आजा आजा.. आज तुझे ऐसी खबर सुनाऊँगा कि तू अपने सारे गम भूल जाएगा..
राधे- अबे ऐसी क्या खबर लाया है साले.. कोई लॉटरी लग गई क्या तेरी?
नीरज- अरे ऐसा ही कुछ समझ.. मेरी नहीं हमारी बोल भाई.. अब सारी जिन्दगी मज़े से गुजारने का समय आ गया है.. देख ये अख़बार देख..
राधे अख़बार को गौर से देखने लगा जो काफ़ी पुराना था.. उसमें एक छोटी लड़की की तस्वीर थी और गुम हो जाने की खबर थी.. साथ ही ढूँढने वाले को 5 लाख का इनाम देंगे.. ऐसा कुछ था। 
राधे ने सब देखा और गुस्से से नीरज की ओर देखा..
राधे- साले 1999 की खबर है.. जिसमें साफ लिखा है कि यह 6 साल की लड़की है। अब इस लड़की को कहाँ ढूँढ़ता फ़िरेगा तू.. अब तक तो यह जवान हो गई होगी।
नीरज- सही कहा तूने.. अब तक तो ये जवान हो गई होगी.. मगर उसके घर वाले अब भी उसको ढूंढ रहे हैं।
राधे-तुझे कैसे पता बे ये सब?
नीरज- तू चुप रह मेरी पूरी बात सुन पहले.. उसके बाद बोलना ओके..
राधे- चल बता क्या बात है?
नीरज- सुन.. आज ये पुराना पेपर मुझे मिला.. इसमें दिया नम्बर मैंने देखा और एसटीडी से कॉल किया.. मैं बस ये देखना चाहता था.. वो लड़की मिली या नहीं.. जैसे ही मैंने फ़ोन किया.. एक आदमी ने उठाया और मैंने बस इतना कहा कि आपकी बेटी खो गई थी ना.. उसके बारे में बात करनी है.. वो रोने लगा.. कहाँ है मेरी बेटी.. प्लीज़ बताओ.. बरसों बाद आज उसकी कोई खबर आई है.. वो उतावला हो गया.. मैंने कहा कि सुबह बताऊँगा.. बस फ़ोन काट दिया।
राधे- तो लड़की कहाँ है..
नीरज- तूने शायद पूरी खबर को गौर से नहीं देखा.. उस लड़की के हाथ पर निशान देख.. बिल्कुल वैसा ही है.. जैसा तेरे हाथ पर है।
राधे- त..त..तू कहना क्या चाहता है साले.. मुझे लड़की बना कर ले जाएगा क्या साले?
नीरज- हाँ यार.. अब इतने साल बाद वो थोड़े ही पहचान पाएँगे अपनी बेटी को.. तगड़ा माल मिलेगा.. साले ऐश करेंगे हम दोनों।
नीरज की बात सुनकर राधे कुछ सोचने लगा।
नीरज- अरे सोच मत.. बस हाँ कर दे तू.. कितने साल से लड़की बन रहा है.. बस एक बार कुछ दिनों के लिए लड़की बन जा.. उसके बाद सारी लाइफ इस अभिशाप से छुटकारा मिल जाएगा।
राधे- बात तो सही है.. मगर मैं उनके बारे में कुछ नहीं जानता.. अगर उन लोगों ने कोई सवाल पूछ लिया तो?
नीरज- अरे मेरे भाई भगवान ने इसी लिए तुझे ऐसा बनाया है कोई सवाल पूछे तो कहना याद नहीं और तुम उस समय बहुत छोटी थीं.. याद रहना जरूरी नहीं यार।
राधे- बात तो ठीक है.. चल मान ले वो मुझे अपनी बेटी मान भी लें और तुझे 5 लाख दे दें.. उसके बाद मैं वहाँ से निकलूंगा कैसे?
नीरज- अरे यार 5 नहीं अब हम 10 लेंगे.. सुन तू कुछ दिन वहाँ रहना.. तेरा हिस्सा तुझे दे दूँगा.. डर मत.. उसके बाद कोई गेम बना लेंगे यार.. अभी तो बस पैसे की सोच।
राधे- ओके चल.. अब बता करना क्या है और उस साले मास्टर का क्या करना है उसको क्या बोलेंगे?
नीरज- अरे मास्टर की माँ की आँख.. साले को बोल देंगे गाँव में दादी मर गई हैं.. कुछ दिन के लिए जाना होगा.. तू छोड़ मास्टर को.. वहाँ क्या करना है.. उसकी सुन।
दोनों काफ़ी देर तक बातें करते रहे.. उन्होंने कोई प्लान बनाया.. जिससे दोनों खुश थे कि इस प्लान में कोई कमी नहीं है.. अब पैसे आए ही समझो।

रात को दोनों आराम से सो गए और सुबह जल्दी उठकर नीरज बाहर गया और एसटीडी से दिलीप जी को फ़ोन लगा दिया।
दिलीप- हैलो, कौन हो आप? प्लीज़ मुझे अपनी बेटी के बारे में जानना है.. प्लीज़ पूरी बात बताओ।
नीरज- देखिए मैंने अच्छे से पता लगा लिया है.. वो आपकी बेटी राधा ही है मगर।
दिलीप जी- मगर क्या.. बोलो.. बताओ.. क्या हुआ मेरी बेटी ठीक तो है ना?
नीरज- नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. वो ठीक है.. मगर जिसने उसे पाला है.. अब उसको भी तो कुछ मिलना चाहिए ना.. आप 10 लाख दे दोगे तो राधा आपको मिल जाएगी।
दिलीप- दे दूँगा.. बस तुम मुझे मेरी बेटी से मिलवा दो प्लीज़।
नीरज- ठीक है दोपहर तक मैं राधा को ले कर आ जाऊँगा आप पैसे तैयार रखना।
दिलीप जी ने नीरज को पता दे दिया.. नीरज ने फ़ोन काट दिया। 
मीरा वहीं पास खड़ी थी.. दिलीप जी ने ख़ुशी से मीरा को गले लगा लिया और पूरी बात बताई।
मीरा- मगर पापा ऐसे अचानक दीदी का मिल जाना और 10 लाख.. मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा.. कहीं वो आदमी कोई फ्रॉड ना हो?
दिलीप- शुभ-शुभ बोल बेटी.. ऐसा कुछ नहीं होगा.. उसको आने तो दो हम अच्छे से राधा को देख कर उसको पैसे देंगे।
दोनों बाप-बेटी बड़े खुश थे.. दिलीप जी ने पैसों का बंदोबस्त किया और बड़ी बेताबी से नीरज का इन्तजार करने लगे।
उधर नीरज और राधे ने पूरी तैयारी कर ली थी.. सब को ‘बाय’ बोल कर वहाँ से निकल गए।
दोपहर के 3 बजे थे.. मीरा ने जींस और टी-शर्ट पहनी हुई थी.. वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी.. दिलीप जी और मीरा हॉल में बैठे राधा के आने का इन्तजार कर रहे थे।
तभी डोरबेल बजी.. मीरा भाग कर गई और दरवाजा खोला तो सामने नीरज खड़ा था.. मगर राधा उसके साथ नहीं थी।
मीरा- हाँ कहिए.. कौन हो आप?
मीरा को देख कर नीरज की जीभ लपलपा गई.. ऐसी सुन्दरता को देख कर वो उस को देखता रह गया।
नीरज- ज्ज्ज..जी.. मैं नीरज हूँ.. फ़ोन पर बात हुई थी ना।
मीरा- ओह आइए.. अन्दर आइए.. राधा दीदी कहाँ हैं?
नीरज कुछ बोलता उसके पहले राधे उर्फ राधा पीछे से सामने आ गई। उसने सिंपल सलवार-कमीज़ पहना हुआ था और हल्का सा मेकअप किया हुआ था। वैसे भी उसका चेहरा लड़कियों जैसा था.. मेकअप से एकदम लड़की लग रही थी।
राधा- मैं यहाँ हूँ..
मीरा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. वो भाग कर राधा से चिपक गई।
मीरा के चिपकते ही राधे का लौड़ा सलवार में तन गया.. मीरा के जिस्म की भीनी भीनी खुश्बू उसकी नाक में जाने लगी.. उसका संतुलन बिगड़ता देख कर नीरज ने उनको अलग किया।
नीरज- अरे अरे.. बाद में आराम से मिल लेना.. अन्दर तो चलो।
तभी दिलीप जी भी आ गए और राधा को सीने से लगा लिया.. उनकी आँखों में आँसू आ गए थे।
जब मिलना-मिलाना हो गया.. तो सब अन्दर चले गए.. अब इतना तो आप भी समझ सकते हो कि ऐसे ही कोई किसी को अपनी बेटी कैसे मान लेगा। 
दिलीप जी ने निशान को गौर से देखा और राधा को बचपन की बातें पूछी जो सही निकलीं.. और निकलती भी कैसे नहीं.. नीरज और राधे ने बड़ी शालीनता से ये प्लान बनाया था। आप खुद सुन लो पता चल जाएगा ऐसी बातें तो अक्सर सब के साथ होती हैं। बेचारे दिलीप जी उनके जाल में फँस गए।
दिलीप जी- अच्छा बेटी निशान तो वही है.. ये बताओ उस दिन क्या हुआ था.. कुछ याद है तुम्हें?
राधा- पापा, ठीक से तो कुछ याद नहीं.. मगर जब आप कहीं नहीं मिले.. तो मैं रोने लगी और इधर-उधर भागने लगी.. तब एक आदमी ने मुझे गोद में ले लिया और आपको ढूँढा.. मगर जब आप नहीं मिले तो वो मुझे साथ ले गया और बेटी बना कर पाला।
दिलीप जी- ओह मेरी बेटी.. सॉरी.. मैंने भी तुमको बहुत ढूँढा.. मगर तुम नहीं मिलीं.. अच्छा उस दिन की बात जाने दो.. पहले की कुछ बात याद है?
नीरज और राधे एक-दूसरे को देखने लगे उनको लगा कि कहीं पकड़े ना जाएं.. मगर राधे बोल पड़ा। 
राधे- पापा उस समय में बहुत छोटी थी.. ठीक से कुछ याद नहीं.. मगर हाँ मैं ज़िद करती थी.. तो आप गोद में मुझे ले जाते और मैं जो मांगती.. आप दिला देते।
इतना सुनते ही दिलीप जी ने राधा का हाथ पकड़ लिया और खुश हो गए- हाँ सही कहा.. तुम सही बोल रही हो.. तुम ही मेरी राधा हो।
दोस्तो, राधे को पता था ये नॉर्मल सी बात है कि सब पापा ऐसे ही करते हैं और दिलीप जी फँस गए।
अब उनको कोई शक नहीं था।
नीरज- अच्छा अंकल जी.. अब आपकी बेटी आपके हवाले.. मुझे मेरा इनाम दे दो.. मैं जाता हूँ।
दिलीप जी- तुमने अपने बारे में कुछ बताया नहीं और राधा इतने साल कहाँ रही.. कैसे रही?
नीरज- व्व.. वो जिस आदमी ने राधा को पाला.. वो मेरा चाचा है.. मैंने भी राधा को अपनी बहन की तरह माना है.. मगर साहब हम गरीब लोग हैं.. बड़ी मुश्किल से गुजारा होता है.. राधा अब बड़ी हो गई है.. इसकी शादी भी करनी है.. हमारे तो खाने के फ़ाके हैं.. शादी कहाँ से करवाते.. किस्मत से पुराना अख़बार मिल गया था.. उसमें आपका नम्बर मिला और आगे तो आप सब जानते ही हो।
दिलीप जी- ओह हाँ सही किया तुमने बेटा.. लो इस बैग में पूरे पैसे हैं.. मगर एक बात कहूँगा.. तुम लोगों ने मेरी बेटी को बड़े प्यार से पाला वरना.. आजकल की वहशी दुनिया में ना जाने क्या-क्या होता है।
राधा- नीरज ऐसे मत जाओ ना.. इतने साल साथ रहे.. खाना खाकर जाना आप हाँ।
मीरा- हाँ दीदी… आपने सही कहा.. इनको ऐसे नहीं जाने देंगे.. खाना तो आपको खाना ही होगा।
सब के ज़िद करने पर नीरज मान गया और बस सब इधर-उधर की बातें करने लगे। कुछ देर बाद दिलीप जी को किसी काम से बाहर जाना पड़ा और मीरा भी इधर-उधर कुछ काम कर रही थी। तब मौका देख कर दोनों ने बात की।
राधे- अबे साले यहाँ तो एक आइटम भी है अब क्या होगा?
नीरज- होना क्या है भोसड़ी के.. तेरी बहन है.. आराम से साथ रह कर मजे ले.. तब तक मैं जल्दी ही यहाँ से तुझे निकालने का कोई प्लान बनाता हूँ।
राधे- कुत्ते बहन होगी तेरी.. साले ऐसी गजब की आइटम के साथ कैसे रह पाऊँगा.. उससे गले मिल कर तो मेरा तो लौड़ा फड़फड़ा गया था।
नीरज- अबे काबू कर अपने आपको.. नहीं तो हवालात की हवा खानी पड़ जाएगी.. चुप.. वो आ रही है।
मीरा वापस आ गई और दोनों से बातें करने लगी.. दोनों की गंदी नजरें मीरा के जिस्म की बनावट का मुआयना कर रही थीं।
शाम तक सब नॉर्मल रहा.. नीरज को खाना खिलाकर विदा किया। अब तीनों बाप-बेटी ही बातें कर रहे थे।
दिलीप जी- अरे मीरा.. दोपहर से रात हो गई.. बेचारी राधा ने ज़रा भी आराम नहीं किया है.. जाओ अब सो जाओ.. अब राधा यहीं रहेगी.. बातें होती रहेंगी।
मीरा- हाँ पापा.. दीदी खोई थी.. तब तो मुझे होश भी नहीं था.. बहुत छोटी थी ना.. अब दीदी से बहुत बातें करूँगी..
राधा- हाँ मीरा.. अब में यहीं हूँ.. बातें होती रहेंगी..
मीरा- चलो दीदी वो है हमारा कमरा आज तक अकेली सोती थी.. आज आपके चिपक कर सोऊँगी और ढेर सारी बात करूँगी।
मीरा की बात सुनते ही राधे घबरा गया कि यह चिपक कर सोएगी.. तो गड़बड़ हो जाएगी.. इसे पता चल जाएगा कि मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ..
राधा- स..साथ सोएगी तू मेरे.. एमेम मगर मुझे तो अकेले सोने की आदत है..
दिलीप- अरे यह क्या बोल रही हो बेटी.. तुम दोनों बहनें हो.. और बरसों बाद मिली हो.. साथ सो जाओ बेटी.. इससे प्यार बढ़ता है.. जो बातें बचपन में ना कर सकी.. अब कर लो.. अगर शुरू से तुम दोनों साथ होतीं.. तो कितने खेल खेलतीं.. अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है.. दोनों साथ में खेलो-कूदो.. मज़ा लो.. लाइफ का..
राधा- ज्ज..जी पापा.. लगता है.. अब तो खेल खेलना ही पड़ेगा मीरा को मेरे ऊपर कुदवाऊँ या मैं उसके ऊपर कूदूँ..
मीरा- दीदी जैसा आपको अच्छा लगे.. मैं आपके साथ खेलने के लिए हर समय तैयार हूँ.. बड़ा मज़ा आएगा..
दिलीप जी आज बड़े खुश थे और मीरा भी अपनी दीदी को पाकर बहुत खुश थी।
जब दोनों कमरे में चली गईं.. तो मीरा ने दरवाजा बन्द कर लिया और कपड़े उतारने लगी। ये नजारा देख कर राधे की तो सांस अटक गई.. उसको उम्मीद नहीं थी कि अचानक ऐसा होगा.. उसका लौड़ा सलवार में खड़ा हो गया।
मीरा ने अभी टी-शर्ट ही निकाली थी.. अब वो पैन्ट का हुक खोल रही थी।
राधे की नज़र सफ़ेद ब्रा में कैद उसके संतरे जैसे मम्मों पर थीं। ये नजारा देख कर उसकी साँसें तेज हो गईं.. मगर उसने अपने आप पर काबू पाया।

राधा- मीरा, यह क्या कर रही हो.. कुछ शर्म है कि नहीं तुम्हारे अन्दर?
मीरा- अरे दीदी रात को ये कपड़े पहन कर थोड़ी सोते हैं बस कपड़े बदल रही हूँ..
राधा- हाँ जानती हूँ.. मगर ऐसे मेरे सामने बदल रही हो.. ये सही है क्या?
मीरा- हा हा हा हा दीदी.. आप भी ना.. हा हा हा.. अरे आप मेरी दीदी हो और स्कूल में कोई ड्रामा होता है.. तो हम लड़कियाँ ऐसे ही एक-दूसरे के सामने कपड़े बदली करते हैं इसमें क्या बड़ी बात है?
राधे को अपनी ग़लती का अहसास हो गया अक्सर लड़कियाँ ऐसा ही करती हैं मगर राधे तो लड़का था.. उसे ये बात थोड़ा देर से समझ आई कि मीरा की नज़र में राधे एक लड़की है और ये नॉर्मल सी बात है।
राधा- ओके.. ठीक है.. बदल ले मगर मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता..
मीरा बस हँसती रही और उसने जींस भी निकाल दी.. अब वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में थी पैन्टी में उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। गोरी-गोरी जाँघें राधे को पागल बना रही थीं.. उसका लौड़ा इतना अकड़ गया कि उसमें दर्द भी होने लगा।
आपको बता दूँ राधे ने अन्दर एक चुस्त लंगोट फिर पजामा पहना हुआ था.. उस पर सलवार पहनी थी.. जिससे किसी को लौड़े का आभास ना हो.. मगर इस समय अगर कोई गौर से देखे.. तो पता चल जाएगा कि ये लड़की नहीं लड़का है..
अब मीरा ने अपनी ब्रा का हुक खोलना चाहा मगर वो उससे खुल नहीं रहा था।
मीरा- ओह ये हुक भी ना कभी-कभी अटक जाता है दीदी.. आप खोलो ना प्लीज़…
राधे ने काँपते हाथों से मीरा की ब्रा खोल दी।
मीरा ने ब्रा निकाल कर एक तरफ रख दी और अब वो पैन्टी निकालने लगी.. उसकी पीठ राधे की तरफ थी। 
अब राधे का बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था। वो घूम कर खड़ा हो गया.. उसको लगा अगर उसकी चूत दिख गई.. तो आज उसका बलात्कार हो जाएगा।
मीरा ने पास से एक लोवर और पतली टी-शर्ट ली और पहन ली।
मीरा- अरे दीदी आप उधर क्या देख रही हो आप चेंज नहीं करोगी क्या? या ऐसे ही सोने का इरादा है।
राधा- हाँ करूँगी ना.. मगर तुम्हारी तरह नहीं.. मैं बाथरूम में जा कर करूँगी समझी..
मीरा ने ज़्यादा बोलना ठीक नहीं समझा और बिस्तर पर बैठ गई..
राधा ने अपने बैग से कपड़े लिए और बाथरूम में चली गई।
वहाँ जाकर उसने कमीज़ और सलवार निकाली.. अन्दर उसने टाइट टी-शर्ट और पजामा पहना हुआ था.. टी-शर्ट में टाइट ब्रा में टेनिस बॉल फंसे थे.. राधे को बड़ी बेचैनी हो रही थी.. मगर मरता क्या ना करता..
राधे ने अपने पूरे कपड़े निकाल दिए.. उसका 8″ का लौड़ा फुंफकार मार रहा था और होता भी क्यों नहीं ऐसी नंगी जवानी पहली बार जो देखी थी बेचारे ने..
राधे- अबे साले मरवाएगा क्या.. बैठ जा मादरचोद.. मेरे बाप.. अभी मैं लड़की बना हूँ.. तेरा कुछ नहीं हो सकता…
राधे अपने-आप से बड़बड़ा रहा था और लौड़े को सहला रहा था।
मीरा- दीदी क्या हुआ.. आ जाओ ना बाहर.. क्या कर रही हो आप?
राधा- रुक ना थोड़ी देर.. आती हूँ सुबह से बैठी हूँ थोड़ी फ्रेश हो जाने दो.. उसके बाद आती हूँ।
राधे ने पास पड़ी शैम्पू की बोतल से थोड़ा शैम्पू हाथ में लिया और लौड़े पर लगा कर मुठ्ठ मारने लगा- आह्ह.. साले ऐसे खड़ा रहेगा तो मरवा देगा तू.. आह्ह.. उहह.. अब तो तुझे ठंडा करना ही पड़ेगा आह्ह.. उहह..
दस मिनट तक राधे मुठ्ठ मारता रहा.. मगर लौड़ा था कि झड़ने का नाम नहीं ले रहा था और उधर मीरा बार-बार आवाज़ लगा रही थी।

राधे- साली कुतिया चैन से ठंडा भी नहीं होने देती.. अब तो साली की चूत ही मारूँगा उहह..
राधे ने वापस सारे कपड़े पहन लिए ऊपर से उसने एक टी-शर्ट और पजामा और पहन लिया और बाहर आ गया।
मीरा- क्या दीदी.. कितना समय लगा दिया मुझे आपसे बातें करनी हैं.. आ जाओ यहाँ लेट कर आराम से बात करेंगे।
राधा उसके पास जाकर लेट गई.. मीरा ने उस पर अपना हाथ रख दिया और बातें करने लगी। एक घन्टे तक मीरा चपर-चपर करती रही उसकी बातों से राधे समझ गया कि वो एक बहुत ही भोली-भाली लड़की है।
राधा- कितनी बोलती है तू.. अब सो जा..
मीरा- दीदी हाँ नींद आने लगी है अब.. सोने में ही भलाई है.. नहीं सुबह उठ नहीं पाऊँगी और हाँ दीदी एक बात आपको बता दूँ मैं बहुत गहरी नींद में सोती हूँ.. हाथ-पाँव भी चलाती हूँ.. आप बच कर सोना.. कहीं मैं आपको मार ना दूँ कहीं.. और मुझे उठाना हो.. तो ज़ोर से हिलाना.. तब ही उठूँगी वरना नहीं.. ओके..
मीरा तो नींद की दुनिया में खो गई.. मगर राधे बस उसको निहार रहा था.. उसका लौड़ा उसे परेशान कर रहा था.. वो कुछ कर नहीं पा रहा था..
राधे ने मीरा को हिलाया देखा वो सोई या नहीं.. एक-दो बार आवाज़ भी दी मगर वो गहरी नींद में थी।
जब राधे को पक्का यकीन हो गया कि मीरा सो गई है.. तो राधे बड़बड़ाने लगा।
राधे- साले कहाँ फँसा दिया मुझे.. इतने कपड़े पहन कर आज तक नहीं सोया और ऐसी कमसिन कली मेरे पास सोई.. कुछ कर भी नहीं पा रहा हूँ.. साला लौड़ा भी बेचैन है चल मुठ्ठ तो मार लूँ.. मुझे तो तभी नींद आएगी..
राधे ने सारे कपड़े निकाल दिए अब वो एकदम नंगा था.. उसका लौड़ा अब भी खड़ा फुंफकार रहा था।
मीरा ने करवट ली और उसकी टी-शर्ट ऊपर हो गई.. उसका गोरा पेट राधे को दिखने लगा। उसकी आँखों में चमक आ गई।
राधे ने डरते हुए मीरा के पेट पर हाथ रखा उसका बड़ा मज़ा आया।
अब वो धीरे-धीरे हाथ ऊपर ले जा रहा था और मीरा नींद में आराम से सोई हुई थी।
राधे ने उसकी टी-शर्ट को ऊपर कर दिया अब मीरा के 32 इन्च के गोल-गोल संतरे आज़ाद हो गए थे.. उन पर हल्के भूरे बटन जैसे निप्पल भी गजब ढा रहे थे।
राधे धीरे-धीरे मम्मों को दबाने लगा और एक हाथ से अपने लौड़े को सहलाने लगा।
दस मिनट तक वो ऐसा करता रहा.. अब उसकी आँखों में वासना साफ दिखाई देने लगी थी।
राधे ने धीरे से एक मम्मे को अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगा.. मीरा नींद में थी.. मगर इस अहसास से वो सिहर गई।
मीरा थोड़ी हिली.. मगर वापस सो गई। अब राधे का शैतान जाग चुका था।
उसने मीरा का लोवर नीचे सरकाना शुरू किया.. मीरा नींद में थी तो राधे ने उसकी गाण्ड को थोड़ा उठा कर लोवर नीचे खींच लिया।
अब जो नजारा उसकी आँखों के सामने आया.. वो मदहोश सा हो गया।
मीरा की डबल रोटी जैसी फूली हुई बिना झाँटों की चमचमाती चूत उसकी आँखों के सामने थी।
मीरा की चूत एकदम सफेद.. जैसे बरफी हो और फाँकें गुलाबी थीं और उसकी जाँघें ऐसी कि बस क्या बताऊँ.. एकदम भरी-भरी थीं।
राधे का खुद पर से संयम टूट गया.. उसने धीरे से चूत पर एक चुम्बन किया और अपना लौड़ा उस पर रगड़ने लगा।
मीरा को बेचैनी होने लगी.. वो नींद में थी मगर ऐसी हरकत उसको बेचैन कर गई मगर वो उठी नहीं.. बस थोड़ी सी हिली बाद में वापस सो गई।
राधे- उफ़.. साली क्या मस्त चूत है.. दिल तो कर रहा है अभी लौड़ा पेल कर इसका महूरत कर दूँ.. मगर नहीं.. गड़बड़ हो जाएगी.. इस साली को तो दूसरे तरीके से चोदना होगा।
फिलहाल राधे का लौड़ा बहुत ज़्यादा अकड़ गया था.. उसने ज़ोर-ज़ोर से लौड़े को हिलाना शुरू कर दिया और आख़िरकार उसका वीर्य निकल ही गया।
राधे ने मीरा की जाँघ पर सारा वीर्य डाल दिया और चैन की सांस ली।
राधे- चल बेटा राधे.. अब ये साफ कर दे.. नहीं तो तू कल का सूरज जेल में देखेगा..
उसने मीरा की जाँघ से वीर्य साफ किया उसके कपड़े उसे पहनाए और खुद भी अपने लड़की वाले रूप में आ गया और सो गया।

राधे सो तो गया.. मगर नींद उसे कहाँ आने वाली थी.. ऐसी मस्त हूर पास में सोई हो.. तो कोई लड़का कैसे सो सकता है। वो बहुत देर तक जागता रहा और ना जाने कब उसकी आँख लग गई।
सुबह मीरा जब उठी तो राधे पेट के बल लेटा हुआ था और पैर फैलाए हुए थे.. जिसे देख कर मीरा को हँसी आ गई.. वो कुछ बोली नहीं.. बस उठी और बाथरूम चली गई।
जब मीरा नहाकर बाहर आई.. तो राधा अभी भी वैसे ही सोई पड़ी थी।
मीरा- दीदी ओ दीदी.. उठो सुबह हो गई.. मुझे स्कूल भी जाना है.. अब उठ भी जाओ.. आप कब तक सोती रहोगी।
राधा- उहह.. सोने दो ना.. तुम जाओ स्कूल मुझे नींद आ रही है।
मीरा ने ज़्यादा बहस करना ठीक नहीं समझा और तैयार होने लगी।
दिलीप जी- मीरा बेटी आ जाओ.. नास्ता तैयार है.. क्या अब तक राधा नहीं उठी?
मीरा- पापा दीदी तो उठ ही नहीं रहीं.. मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है.. अब आप ही उठाना दीदी को..
ममता- बीबी जी आप चिंता ना करो.. बड़ी बीबी जी को मैं उठा दूँगी.. कल मैं नहीं आई थी.. पर आज साहब ने बताया कि राधा बीबी जी मिल गई हैं.. सुनकर बहुत ख़ुशी हुई.. आप नाश्ता कर लो।
राधा सुकून से सो रही थी। दिलीप जी और मीरा को नास्ता करवा कर ममता साफ-सफ़ाई में लग गई।
दिलीप जी किसी काम से बाहर गए और ममता को हिदायत दे गए कि राधा को परेशान मत करना.. जब तक वो सोना चाहे सोने देना।
ममता ने भी वैसा ही किया.. कोई 10 बजे राधा उठी.. तो ममता को देख कर चौंक गई या गया.. आप समझ रहे हो ना.!
ममता- नमस्ते बड़ी बीबी जी.. मैं ममता हूँ यहाँ काम करने आती हूँ..
ममता ने पूरी बात राधा को बता दी.. राधा ने ज़्यादा बात नहीं की.. नाश्ता किया और बाहर घूमने का बोल कर निकल गई।
थोड़ी दूर चलने के बाद नीरज सामने से आता दिखाई दिया।
राधे- अबे सालेम कहा फँसा दिया.. कल की रात बड़ी मुश्किल से कटी है.. यार मैं वहाँ पर और नहीं रुक सकता।
नीरज- अरे क्या हो गया यार.. एक ही रात में ऐसा क्या हो गया.. जो तू वहाँ नहीं रहना चाहता?
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