जीवन एक संघर्ष है - 2

गांव छोड़ने का दुःख रेखा और सूरज के चेहरे पर उदासी बन कर साफ़ छलक रही थी । जिस गाँव में पूरा जीवन व्यतीत किया, जन्म से लेकर अबतक का सफ़र किसी दृश्य की तरह सभी के दिलो दिमाग पर छाया हुआ था ।
बस में बैठे चारो लोग गुमसुम थे । आगे क्या होगा, शहर में कहाँ रहेंगे? क्या खाएंगे? 
ये बातें सब के मन में चल रही थी ।
एक तरफ ध्यान चौधरी और हरिया की खून से लथपथ लाश पर जाता तो सबका मन झकझोर उठता ।
इन्ही बातों को सोचते-सोचते शहर कब आ जाता है पता ही नहीं चलता ।
कंडेक्टर के आवाज़ लगाने पर चारो लोग चोंकते हुए उठते हैं ।
बस से निचे उतरते ही चारो के मन में बस एक ही बात आ रही थी" नया शहर नई ज़िन्दगी" कहाँ जाए? चारो लोग बस से उतरते हैं ।
लेकिन अब जाना कहाँ है, ये किसी को नहीं मालुम ।
तनु-" मम्मी हम शहर तो आ गए लेकिन अब कहाँ रहेंगे, 
रेखा-" बेटा जहां ऊपर बाला लेकर जाएगा, ईश्वर जरूर कुछ इंतजाम करेगा।
सूरज-"माँ चलो कुछ न कुछ में इंतज़ाम करता हूँ ।किसी झोपड़ पट्टी में शायद कुछ रहने का इंतज़ाम हो जाए ।
में यहीं कहीं अपने लिए काम ढूंढ लेता हूँ ।
पूनम-" माँ सुबह से किसी ने कुछ खाया भी नहीं है । आपका तो बहुत सारा रक्त भी बह गया । पहले कुछ खा लेते हैं । 
सूरज-" हाँ दीदी चलो पहले कहीं बैठने का इंतज़ाम करते हैं । आप लोग वहीँ बैठना में कुछ खाने का इंतज़ाम कर लूंगा।
सभी लोग शहर की सड़को पर चलते चलते काफ़ी दूर निकल आए ।
रेखा की हालात ठीक नहीं थी, फिर भी अपना दर्द छुपा कर आराम आराम चल रही थी ।
तभी सूरज को एक मंदिर दिखाई पड़ा ।
काफी विशाल और भव्य दिखाई दे रहा था । नव दुर्गा के कारण काफी भीड़भाड़ भी थी ।
सूरज-"माँ चलो इस मंदिर में चलते हैं ।थोड़ी देर विश्राम कर लो ।
पूनम और तनु तो शहर की चका चोंध और बड़ी-बड़ी इमारते देखने में आश्चर्य महसूस कर रही थी । गाँव और शहर की ज़िन्दगी की तुलना उनके मन में चल रही थी ।
सूरज सभी लोगो को मंदिर लेकर जाता है ।
मंदिर इतना बड़ा था की उनका गाँव भी इसके आगे बहुत छोटा लग रहा था ।
पूनम और तनु तो आने वाले लोगो। को देख रही थी । काफी श्रद्धालु मन्नत मागने के लिए ईश्वर के सामने प्रार्थना कर रहे थे ।
पूनम और तनु भी मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी की सब कुछ ठीक हो जाए । रहने को घर और खाने को दो वक़्त की रोटी नसीब हो जाए ।
ईश्वर को देख कर लगभग सभी के मन में यही प्रार्थना थी ।
मंदिर के अंदर बहुत बड़ा आलिशान चबूतरा बना हुआ था । रेखा और पूनम, तनु वहीँ वैठ गए ।
सूरज कुछ खाने के इंतज़ाम के बारे में सोच रहा था । तभी मंदिर के दूसरे स्थान पर कुछ लोग भंडारा कर रहे थे ।सूरज तुरंत ही भंडारे की तरफ भाग कर गया, और सभी के लिए भोजन ले आया ।
चारो ने भोजन किया और ईश्वर को धन्यवाद दिया । 
भोजन करने के उपरान्त रेखा पूनम और तनु चबूतरे पर लेट गई ।
सूरज-" माँ में रहने के लिए घर का इंतज़ाम करके आता हूँ और कुछ काम भी ढूंढ लूंगा अपने लिए ।
मुझे आने में समय लग सकता है आप लोग कहीं जाना नहीं ।
रेखा-"बेटा इतने बड़े शहर में कहाँ घर ढूंढेगा । कुछ दिन इसी मंदिर में रह लेते हैं ।खाने के लिए भंडारे की व्यवस्था है ही ।
सूरज-" माँ घर तो ढूँढना ही पड़ेगा। मंदिर में एक दो दिन तो रह सकते हैं ज्यादा दिन नहीं ।
पूनम-" हाँ माँ सूरज सही कह रहा है ।
माँ में भी कुछ काम ढूंढ लुंगी अपने लिए ।
फिर कोई समस्या नहीं आएगी।
सूरज-"नहीं दीदी आपको काम करने की जरुरत नहीं है.आपका भाई सब ठीक कर देगा । दीदी आप माँ और तनु दीदी का ख्याल रखना में रहने का कुछ इंतज़ाम करता हूँ ।
रेखा-" बेटा अपना ध्यान रखना । और जल्दी आ जाना' रेखा चिंतित होती हुई बोली 
सूरज वहां से चल दिया। मंदिर से वहार निकलते ही एक बार फिर पलट कर अपनी माँ और दोनों दीदी को देखता है ।सभी लोग सूरज को ही देख रहे थे ।
तीनो लोगों की आँखों में एक उम्मीद और जिम्मेदारी दिखाई दे रही थी सूरज के प्रति ।
सूरज मंदिर से बहार निकला ही था तभी उसने देखा एक सुन्दर सी महिला जो मंदिर में पूजा करने आई थी, देखने से ही अमीर घराने की लग रही थी । वह महिला मंदिर से जैसे ही बहार के लिए निकली दो गुंडे उसे मारने के लिए आए । दोनों गुंडे के हांथो में हॉकी और कमर में तमंचा लगा हुआ था।
जैसे ही उस महिला के सामने दोनों गुंडे पहुंचे महिला डर से इधर उधर भागने लगी।
सूरज बड़े गौर से देख रहा था । सूरज उस महिला को बचाने के लिए जैसे उस गुंडे के सामने गया । दोनों गुंडे सूरज को देख कर चोंक गए ।और आँखे फाड़-फाड़ कर देखने लगे ।
सूरज उस महिला के सामने पंहुचा तो वह महिला भी सूरज को देख कर उसके आँखों में आंसू बहने लगे ।
सूरज भी चकित था की यह लोग मुझे देख कर इतने हैरान क्यों है ? 
तभी दोनों गुंडे सूरज पर हॉकी से बार करते हैं ।
एक गुंडा-" तू अभी तक जिन्दा है सूर्य प्रताप"' हमने तो सोचा तू मर गया होगा" 

दूसरा गुंडा-" सूर्य प्रताप तू आज नहीं बचेगा । तुझे और तेरी माँ को आज एक साथ मार देंगे । दोनों गुंडे जोर से हस्ते हुए बोले ।
लेकिन सूरज उनकी बातें सुनकर चोंक गया । ये किस सूर्य प्रताप की बात कर रहें हैं ।
तभी वह औरत सूरज के पास आकर बोली 
सूर्या बेटा तू कहाँ चला गया था । कितना परेसान थी में । रोजाना मंदिर में आकर तेरे लिए प्रार्थना करती हूँ ।
इतना ही बोल पाई वह औरत तब तक एक गुंडे ने उस औरत के सर पर हॉकी से बार कर दिया ।
सूरज ने तुरंत उस गुंडे के सीने में एक जोर से लात मारी गुंडा सीढ़ीयों से नीचे गिरा ।
दूसरे गुंडे को भी लात मारता है ।फिर हॉकी उठा कर दोनों गुंडे को मार मार कर अधमरा कर देता है ।
सूरज उस औरत के पास आता है जो बेहोस पड़ी थी ।सूरज उस औरत को नीचे लेकर आता है तभी एक फॉर्च्यूनर गाडी सूरज के पास आकर रुकी ।
गाड़ी से ड्रावर बहार निकला ।
ड्रावर-" साहब मालकिन को क्या हो गया है? 
सूरज-" कुछ गुंडों ने इनके ऊपर हमला किया था । बेहोस हैं अस्पताल लेकर जाना पड़ेगा" 
ड्रावर-" चलो सूर्या भैया गाडी में बैठो। मालकीन को हॉस्पिटल लेकर चलते हैं ।
सूरज तुरंत गाडी में बैठ जाता है । उस महिला को आराम से बीच बाली सीट पर लेटा देता है और खुद आगे आकर बैठ जाता है ।
सूरज बार बार यह सोच रहा था की ये सूर्यप्रताप कौन है ? गुंडे दोनों माँ बेटे को क्यों मारना चाहते हैं ? 
मुझे देख कर सभी लोग चोंक क्यूँ गए? 
मुझे बार बार सूर्यपताप कह कर क्यूँ पुकार रहें हैं? 
इन्ही बातो को लेकर सूरज परेसान था तभी वह ड्रावर से पूछता है ? 
सूरज-" ड्रावर भैया ये सूर्यप्रताप कौन है और ये औरत कौन है ? 
ड्रावर" हैरान होकर सूरज से बोलता है!" मालिक मज़ाक क्यों कर रहे हो ? 
आप ही तो सूर्याप्रताप हो । ये आपकी माँ राधिका प्रताप हैं । आप कहाँ चले गए थे मालिक ?
मालकिन रोज आपके लिए मंदिर में दुआ माँगने आती हैं""" 
सूरज बहुत चकित था और परेसान था यह क्या हो रहा है उसके साथ ।
कौन हैं यह लोग और मुझे सूर्यप्रताप कयूँ बोल रहें हैं ।
इन्ही बातों को सोचते सोचते हॉस्पिटल आ जाता है ।
सूरज राधिका के लिए गाडी से बहार निकलता है और इमरजेंसी वार्ड में लेकर भर्ती करवाता है ।
ड्रावर फोन करके परिवार के लोगों को घटना की सुचना देता है ।
डॉक्टर राधिका के लिए तुरंत भर्ती करते हैं और ट्रीटमेन्ट सुरु कर देते हैं ।
सूरज वार्ड के बहार कुर्सी पर आज की पूरी घटनाक्रम के बारे में सोच रहा था ।
गाँव से लेकर हरिया का क़त्ल और चौधरी की पिटाई से लेकर गाँव छोड़कर भागने से अब तक परेसानियां एक एक करके उसके दिमाग में चल रही थी ।
सूर्यप्रताप और राधिका उसके दिमाग़ में अभी भी प्रश्नचिन्ह की तरह बने हुए थे ।
तभी हॉस्पिटल के अंदर एक सुन्दर सी लड़की अंदर की ओर भागती हुई आती है ।
जीन्स और टॉप पहने हुए लगभग 24 वर्षीय होगी ।
लड़की-" डॉक्टर से " मेरी माँ कहाँ है ? 
क्या हुआ है उन्हें ? अब कैसी हैं? 
डॉक्टर-" आप राधिका जी की बेटी हैं?
लड़की-" जी हाँ डॉक्टर साहब में उनकी बेटी तान्या हूँ" लड़की परेसान सी थी, तभी उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और गुस्से से मेरी तरफ आकर एक जोर से तमाचा मेरे गाल पर मारा । मेरे तो होश ही उड़ गए ।
उस लड़की की आँखों में मेरे लिए नफरत साफ़ दिखाई दे रही थी ।में बूत की तरह सिर्फ उसे ही देखे जा रहा था ।
तभी वह लड़की मेरी और गुस्से से देखती हुई बोली जिसका नाम तान्या था।
तान्या-" आज माँ की यह हालात सिर्फ तेरी बजह से है, तेरी बजह से ही माँ वो लोग माँ की जान के दुश्मन बने हुए हैं ।
जब तू घर से भाग गया तो अब वापिस क्यूँ आया ।
सूरज की समझ में नहीं आ रहा था की आखिर ये हो क्या रहां था ।
तभी डाक्टर उनके पास आया ।
डॉक्टर-"राधिका जी के लिए होश आ गया है । वो बिलकुल ठीक हैं आप उनसे मिल सकते हैं । आप उन्हें घर भी ले जा सकते हैं ।

तान्या और सूरज राधिका के की तरफ जाते हैं ।
राधिका सूरज को देख कर रोने लगती है ।उसकी आँखों से आंसू निकलने लगते हैं ।
राधिका सूरज की ओर देखते हुए 
राधिका-" बेटा तू कहाँ चला गया था । एक महीने से तुझे कहाँ -कहाँ नहीं ढूंढा, अब तू कहीं मत जाना मुझे छोड़ कर बेटा ।
सूरज से राधिका के आंसू देखे नहीं गए । वह राधिका के आंसू पोंछता है ।
सूरज-"माँ आप परेसान मत होइए ।
में कहीं नहीं जाऊँगा ।
राधिका सूरज को अपने सीने से लगा लेती है ।
तभी ड्रावर और तान्या राधिका को हॉस्पिटल से छुट्टी कराकर घर के लिए निकलती है ।
सूरज भी आगे वाली सीट पर बैठा अपनी माँ और बहनो के बारे में सोच रहा था ।
उसे मंदिर से निकले लगभग 3 घंटे हो चुके थे ।किराए का घर और अपने लिए काम ढूंढ़ने निकला था ईश्वर ने कैसी मुसीबत में डाल दिया यही सब सोच रहा था ।
अभी गाडी एक आलिशान कोठी पर आकर रुकी ।
ड्रावर-" मालिक घर आ गया उतरो" सूरज को हिला कर बोला जो अपनी सोच में डूबा हुआ था ।
सूरज ने जैसे ही गाडी से उतर कर कोठी की ओर देखा उसकी आँखे चोंधियां गई ।
ये बहुत बड़ी कोठी थी।जिसकी भव्यता देखने लायक थी ।
सूरज ने राधिका को सहारा देकर कोठी के अंदर प्रवेश किया ।कोठी बहुत सुन्दर ओर आलिशान बनी हुई थी । ऐसा लग रहा था जैसे कोई सपना देख रहा हूँ । गाँव की टूटी फूटी चार दीवारों में रहने बाले के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था ये घर ।
राधिका को सोफ़ा पर लेटा कर सूरज खुद दूसरे सोफे पर बैठ गया तभी नोकर सूरज के लिए जूस लेकर आया । सूरज जूस पी कर कोठी का मुयायना कर रहस था।
तभी राधिका-" बेटा अपने रूम में जा कर फ्रेस हो जा, और ये कपडे कितने गंदे पहना है इन्हें उतार कर दूसरे कपडे पहन ले" 
सूरज सब कुछ सच बता देना चाहता था ।शायद गलत फहमी का शिकार हुआ हूँ में 
इनका बेटा में नहीं हूँ । 
सूरज-' माँ में कुछ बात करना चाहता हूँ आपसे" सूरज इतना ही बोला तभी राधिका बोल पड़ी
राधिका-"बेटा बातें तो मुझे भी तुझसे बहुत सारी करनी है लेकिन अभी नहीं पहले तू फ्रेस हो जा और ये गंदे मैले कपडे उतार दे।
तभी राधिका एक नोकर को सूरज के साथ उसके साथ रूम में भेजती है।
राधिका-" नोकर से! शंकर सूर्या के रूम का ताला खोल दे ।
शंकर सूरज को लेकर ऊपर छत पर बने एक रूम का ताला खोल देता है ।
सूरज जैसे ही उस रूम में प्रवेश करता है एक दम चोंक जाता है ।
रूम बहुत आलिशान बना हुआ था । रूम की दीवार पर सूरज की फोटो लगी हुई थी ।
सूरज पूरा माजरा समझ जाता है की सूर्यप्रताप इनका बेटा है जिसकी सकल मुझसे मिलती है जो बिलकुल मेरी ही तरह था । 

सूरज रूम में प्रवेश करते ही सूर्यप्रताप की फोटो देख कर सारा माजरा समझ गया लेकिन अभी भी बहुत से सवाल उसके जहन में गूंज रहे थे जिनके जवाब ढूंढना सूरज के मन की शान्ति के लिए अति आवश्यक थे ।
सूर्यप्रताप के जीवन की कहानी, 
गुंडे उसके पीछे क्यूँ पड़े हैं? 
अब कहाँ है ?
तान्या की नफ़रत सूर्या के लिए ।
सूरज के परिवार की हकीकत ।
इन्ही सवालो में सूरज खोया हुआ था ।
सूरज ने निश्चय किया की जब तक सूर्या के बारे में पता नहीं कर लेता तब तक स्वयं ही सूर्या बनकर माँ और इस परिवार की रक्षा करेगा । जिस दिन सूर्या मिल जाएगा उस दिन सबको सच बता देगा ।
इस परिवार की रक्षा करना मेरा धर्म है ।
संध्या की आँखों में उसने अपने लिए एक माँ का प्यार देखा है । गाँव में इतना संघर्ष किया है अब थोडा संघर्ष और सही ।
जब तक मुझे और मेरे परिबार को सहारा भी मिल जाएगा ।
तभी सूरज को अपनी माँ और बहनो की चिंता हुई जो मंदिर में उसका इंतज़ार कर रही हैं । सूरज जल्दी से रूम में अटेच बाथरूम में नहाया । पहली बार इतना सुन्दर घर देख कर सूरज भी आश्चर्यचकित था । उसने कभी नहीं सोचा था की इस प्रकार के सुन्दर बॉथरूम में नहाने का मौका मिलेगा । सारी फेसलेटी उस घर में मौजूद थी जिसको अब तक फिल्मो में देखते आया था ।सूरज नहा कर अपने आपको तरोताज़ा महसूस कर रहा था ।
बाथरूम से निकल कर रूम में बनी सुन्दर अलमारी खोली कपडे पहनने के लिए तो उसके तो होश ही उड़ गए ।
सुन्दर कोट पेंट और नई प्रकार की जीन्स की सेकड़ो जोड़ी कपडे उस अलमारी में टंगे हुए थे । उन्ही के नीचे जूते और सेंडल की सेकड़ो प्रकार की जोड़िया रखी हुई थी ।
सूरज उनमे से एक जोड़ी जीन्स और शर्ट निकाल कर पहनता है ।
सूरज आज किसी हीरो की तरह अपने आपको महसूस कर रहा था ।सूरज उस अलमारी के प्रत्येक वस्तु का मुयायना करता है तभी एक अलमारी में बहुत से रुपए की गड्डी की लाइन लगी हुई थी । सूरज ने
इतने पैसे कभी नहीं देखे । सूरज उन रुपए में एक गड्डी निकाल लेता है ।
तक़रीबन एक लाख रुपए की गड्डी लेकर उसने जेब में रखी । और निचे की ओर चल दिया ।
संध्या अभी भी सोफे पर लेटी थी जैसे ही सूरज को देखा मुस्करा गई ।
सूरज संध्या के पास आकर बैठ गया ।
संध्या-" बेटा एक महीने बाद तुझे आज देखा है । इस एक महीने में मुझे क्या तखलिफ् हुई में बता नहीं सकती हूँ ।
तू कहाँ चला गया था ? 
क्या तुझे मेरी बिलकुल याद नहीं आई ।
इतना बड़ा कारोबार कौन देखेगा बेटा ? 
कब तू इस घर की जिम्मेदारी समझेगा ?""

सूरज को समझ नहीं आ रहा था की इन सवालो का क्या जवाब दे । तभी रूम से तान्या निकल कर आई जो अभी भी मुझे गुस्से से देख रही थी ।मुझे तो देख कर ही डर लगता है तान्या से कहीं एक और तमाचा मेरे गाल पर न मार दे । 
तान्या-" ये क्या बोलेगा माँ इसको इस घर की कब फ़िक्र हुई है । इसको तो सिर्फ दोस्तों के साथ पार्टी और गुंडागर्दी ही पसंद है । इसको कुछ भी बोलना बेकार है बरना फिर से घर छोड़ कर भाग जाएगा ।
संध्या-" तान्या चुप जा बेटा! इतने दिन बाद घर आया है तूने देखा नहीं ये कुछ ढंग से बोला भी नहीं है इसके कपडे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे ये कहीं भाग कर आया है ।जरूर कुछ ऐसा हुआ है जिसके कारण ये चुप है? बोल सूर्या क्या बात है ? 

सूरज बेचारा क्या बोले।अगर सच बोला तो इस घर से शायद उसे धक्के मार कर भगा दिया जाएगा । फिर इस घर को गुंडों से कौन बचाएगा । आज तो सूरज मंदिर पर अकस्मात मौजूद था इसलिए संध्या की जान बचा ली ।अगर इस घर से चला गया तो कौन रक्षा करेगा ।
सूरज-" माँ मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है ।
जब मुझे होश आया तो में सब कुछ भूल चुका था । शायद मेरे सर में चोट लगने के कारण ऐसा हुआ है माँ ।
मुझे बस इतना याद है की तुम मेरी माँ हो ।
माँ मुझे कुछ याद नहीं है" इतना बोलकर सूरज रोने लगा । सूरज ने यह झूठ जानबूझ कर बोला ताकि उसे सारी सच्चाई पता चले सूर्यप्रताप के जीवन के बारे में पता चले ।

सूरज के इतना बोलते ही संध्या सोफे से उठकर बैठ गई, और तान्या भी आँखे फाड़े सूरज को देख रही थी ।
तान्या मन ही मन सोच रही थी की क्या सच में सूर्या को कुछ याद नही क्या सच में इसकी यादास्त चली गई है ।
तभी उसे हॉस्पिटल में की घटना याद आई जब सूरज को तमाचा मारा तो सूर्या किसी अनजान की तरह उसे देख रहा था, जो सूर्या हमेसा उससे लड़ता रहता था, उसकी खामोशी आश्चर्य में डालने जैसी थी तान्या के लिए ।
संध्या-" ये तू क्या कह रहा है बेटा, तू फ़िक्र मत कर, में तुझे अच्छे से अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाऊंगी,
संध्या के चेहरे पर परेसानी साफ़ पता चल रही थी, जिसने सूर्या की ये हालात की है मन ही मन उसे बददुआ भी दे रही थी ।
एक तरफ सूर्या के घर लौटने की ख़ुशी थी तो दूसरी तरफ सूर्या की यादास्त चली जाने का दुःख भी था ।
तान्या-" क्या तुझे वास्तव में कुछ याद नहीं है? तू इतने दिन से कहाँ पर था? 
सूरज-" दीदी में सच कह रहा हूँ मुझे कुछ याद नहीं । बस ऐसे ही भटक ही रहा हूँ "" 
सूरज की बात सुनकर तान्या को यकीन हो गया था की वास्तव में सूर्या की यादास्त चली गई है ।
जब से तान्या ने होश सम्भाला है तब से आज तक सूर्या ने तान्या के लिए दीदी" शब्द का प्रयोग नहीं किया ।
सूर्या के मुह से अपने आपको दीदी का सम्बोधन सुनकर तान्या की नफ़रत सूर्या के लिए कुछ कम हुई, 
संध्या-" परेसान मत हो हम इस देश के सबसे बड़े हॉस्पिटल में तेरा इलाज कराएंगे । तू अब घर पर ही आराम कर वैसे भी सारा कारोबार तो तान्या ने ही संभाल रखा है""
संध्या माँ की बातो से एक बात और समझ में आ रही थी की इनका कोई बहुत बड़ा कारोबार था । जिसको तान्या दीदी ने संभाल रखा था ।सूरज सब कुछ जानना चाहता था परंतु एक दम नहीं धीरे धीरे ।
सूरज को अपनी माँ की चिंता सता रही थी जो अभी भी मंदिर में मेरे आने का इंतज़ार कर रही थी ।
सूरज-" माँ में थोड़ी देर के लिए मंदिर जाना चाहता हूँ, जल्दी ही वापस आ जाऊँगा"" 
सूरज विनती करते हुए बोला, जिसे सुनकर संध्या और तान्या को हैरानी हुई जो सूर्या कभी ईश्वर में विस्वास नहीं करता था वह आज मंदिर जाने की बात कह रहा था ।
संध्या-" बेटा मंदिर जा सकते हो लेकिन अकेले नहीं गाडी से जाओ और दो नोकरो को साथ लेकर जाओ ताकि कोई परेसानी न हो"" संध्या को क्या पता था की सूरज अपनी असली माँ और बहनो से मिलने जा रहां था ताकि उन्हें एक घर किराए पर लेकर उन्हें महफूज कर सके ।
सूरज-" माँ में अकेले ही चला जाता हूँ, मुझे सुरक्षा की जरुरत नहीं है माँ, में अकेला ही काफी हूँ अपनी सुरक्षा के लिए"" 
संध्या-" ठीक है चले जाओ लेकिन गाडी लेकर जाओ बेटा"" 
सूरज जैसे ही कोठी से बहार निकलता है 
तान्या ड्राइवर को आवाज़ लगाती है ।
तान्या-" ड्राइवर सूर्या के साथ मंदिर जाओ और सूर्या का ध्यान रखना ।
तान्या ने जीवन में पहली बार सूर्या की फ़िक्र महसूस हुई थी । इस बात को तान्या भी जानती थी की सूर्या से पहली उसने बात की है और उसकी बात का विस्वास किया है । सूर्या के चेहरे की मासूमियत आज पहली बार तान्या ने देखि जिसके कारण उसका पत्थर जैसा ह्रदय भी पिघल गया था ।
सूरज ड्राइवर को लेकर मंदिर की और निकल जाता है ।

सूरज कोठी से निकलते ही ड्राइवर से मंदिर के लिए बोलता है ।
ड्राइवर उसी दिशा में गाडी चलाने लगता है । सूरज इस हमशक्ल वाली घटना को लेकर बहुत उत्साहित होता है। उसे इतना तो पता थी की इस दुनिया में एक ही शक्ल के सात लोग होते हैं लेकिन अपनी हमशक्ल के कारण उसकी ज़िन्दगी में ऐसा मॉड आएगा पता नहीं था ।जीवन के इस अनोखे सफ़र में सूरज अपने आपको बहुत भाग्यशाली भी मानता था की जैसे जैसे मुश्किलें उसके सामने आती गई ईश्वर ने कोई न कोई रास्ता उसे दिखता गया, सूरज ने ऐसा कभी नहीं सोचा था की एक लकड़ी काटने वाला लकड़हारा जिसे दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है उसका हमशक्ल सूर्यप्रताप इस शहर का सबसे रहीश व्यक्ति है जिसे परिवार और रुपए की बिलकुल कद्र नहीं है । सूरज ने सूर्या की अलमारी से पैसे तो निकाले अच्छे कार्य के लिए फिर भी वह अपने आपको अपराधी महसूस कर रहा था 
वह जानता था की पहले अपने परिवार को अच्छे से सेट्टल कर देता है तभी सूर्या के परिवार की मदद कर सकता है इसलिए उसने पैसे निकाले ।
ड्राइवर के तेजी से ब्रेक मारने पर सूरज एक दम चोंका सामने देखा तो मंदिर पर आ चुका था । सूरज ने ड्राइवर को खड़ा रहने को कहां और तुरंत अपनी माँ और बहनो को ढूंढने के लिए भागा, सूरज तुरंत मंदिर के उसी परिसर की ओर भागता हुआ गया ।उसने जैसे ही मंदिर के फर्स पर अपनी माँ और बहनो को बैठा देखा तो उसकी जान में जान आई । उसकी माँ और बहने ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी की उसके बेटा को कोई काम मिल जाए इसी उम्मीद में बहुत देर से उसके लौटने का इंतज़ार भी कर रही थी ।
दोनों बहनो की निगाहें आते जाते लोगों को की भीड़ को देख रही थी। उन आँखों में भाई के लौटने का इंतज़ार था। जैसे ही सूरज माँ और बहनो के पास पहुचा उसने आवाज़ दी
सूरज-"माँ देखो में आ गया"'
रेखा सूरज को इस नए रूप को पहचान नहीं पाई लेकिन जैसे ही पुनम और तनु में देखा तुरंत ही चिल्ला पड़ी
तनु-" सूरज तू आ गया, ये कपडे किसने दिए तुझे, में तो पहचान ही नहीं पाई तुझे, 
क्या तुझे नोकरी मिल गई ? कितनी देर से हम लोग आस लगाए बैठे थे,
सूरज के नए कपडे देख कर माँ और दोनों दीदी हैरान थे, सुबह गया था तब फटे पुराने हरिया के खून से सने कपडे थे, एक दम से ये नई जीन्स और शर्ट देख कर सभी लोग हैरान थे, सूरज के नए रूप को लेकर हज़ारो सवाल रेखा और तनु पूनम के मन में उमड़ पड़े ।
सूरज-" माँ मुझे नोकारी मिल गई, अब हमे कोई परेसानी नहीं होगी, हम किराए के घर में रहेंगे माँ चलो अब यहां से"
सूरज को खुश देख कर रेखा को ख़ुशी हुई और ईश्वर को धन्यवाद देती है ।
रेखा-" चलो बेटा यहां से, लेकिन तुझे नोकारी किसकी मिली है तू यहां कौनसा काम करेगा,कोई गलत काम तो नहीं है बेटा, तेरा तो एकदम हुलिया ही बदल गया है।
सूरज-" माँ फिकर नहीं करो मुझे बहुत अच्छी नोकरी मिली है, जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। 
पूनम-" सूरज अभी हम जा कहाँ रहे है, कोई घर मिल गया है क्या किराए पर? 
सूरज-"दीदी घर तो नहीं मिला है किराए का एक दो दिन किसी होटल या लॉज में कमरा किराए पर लेलेंगे तब तक में किसी किराए के घर की व्यवस्था कर लूंगा"' 
तनु-" लेकिन भैया होटल में तो बहुत महंगा रूम मिलेगा किराए पर इतने पैसे कहाँ है हम पर? 
सूरज-" दीदी पैसे की चिंता नहीं जहां नोकारी मिली है वहां से मुझे नगद रुपए मिल गए हैं ।
तीनो यह बात सुनकर बहुत खुश हो गए हैं तीनो लोग जैसे ही मंदिर के बहार निकले ड्राइवर गाडी लेकर सूरज के सामने लगा देता है।
सूरज-" माँ दीदी गाडी में बैठ जाओ। ये गाडी मेरे मालिक की है ।
पूनम और तनु तो इतनी महंगी और खूबसूरत गाडी देख कर खुश हो जाती है और मन ही मन अपने भाई पर गर्व महसूस करती हैं यही हाल रेखा का भी था ।
तभी ड्राइवर गाडी से निकल कर सूरज के पास आता है ।
ड्राइवर-" मालिक बैठिए गाडी में" ड्राइवर जैसे ही सूरज को मालिक बोलता है तनु सुन लेती है ।रेखा और पूनम दूसरी तरफ होते है इसलिए वो नहीं सुन पाते हैं ।
तनु हैरान थी की इतनी बड़ी और महँगी गाडी चलाने वाला सूरज को मालिक बोल रहा था । तनु दिमाग से सोचने बाली लड़की थी उसे कुछ शक सा होता है । तनु मन ही मन सोचती है सूरज कुछ झूठ बोल रहां है कुछ ही घंटे में इतना बड़ा चमत्कार कैसे हो गया ।सूरज सबको गाडी में बैठा देता है ।
सूरज-" ड्राइवर इधर आओ, सूरज ड्राइवर को बहार बुला कर उससे रहने के लिए किसी सस्ती लॉज या होटल के बारे में जाना चाहता था ।
ड्राइवर-" जी मालिक बोलिए 
सूरज-" ये लोग मेरे दोस्त की माँ बहने है।
में भी इनको अपनी माँ और बहन की तरह मानता हूँ, बहुत गरीब हैं ये लोग, इनके लिए एक किराए का घर चाहिए तुम्हारी नज़र में कोई घर हो तो बताओ? 
या कोई सस्ती लॉज या होटल में रहने का इंतज़ाम करवाओ ।
सूरज ने सच जानबूझ कर नहीं बताया ताकि किसी अन्य को न पते चले वरना सूर्या के दुश्मन इन पर हमला न करें और वास्तविक सच्चाई संध्या माँ और तान्या दीदी को भी नहीं बताना चाहता था अभी 
वक़्त आने पर पता चले ज्यादा ठीक रहेगा ।
ड्राइवर-" मालिक किराए का घर लेने की क्या जरुरत है आपको इस शहर में आपकी 5 पांच कोठियां है किसी एक में से ईनको ठहरने के लिए दे दो । सब की सब कोठी खाली पड़ी हैं, आप कहो तो में इनको शहर के बहार फ़ार्म हाउस वाली कोठी में रहने की व्यबस्था करवा देता हूँ" सूरज को यह सुनकर बड़ी ख़ुशी हुई की सूर्या की इस शहर में पांच कोठी और भी थी ।
सूरज-" चलो फिर फ़ार्म हॉउस वाली कोठी में ही चलो" 
सूरज और ड्राइवर तुरंत गाड़ी में बैठ कर कोठी की तरफ चल देते हैं ।
रेखा और दोनों बहने गाडी में बैठकर अपने आपको बहुत अचम्भा महसूस कर रही थी दोनों बहने और माँ गाडी के शीशे से शहर की चकाचौन्ध देख रही थी ।
गाडी एक आलीसान कोठी के बहार पहुचती है । कोठी के बहार बैठा चोकीदार सूरज को देख कर सेल्यूट मारता है और कोठी का दरवाजा खोल देता है । ड्राइवर कोठी के अंदर मुख्य दरवाजे पर गाडी रोकता है ।
सभी लोग गाडी से बहार निकलते है तो सबकी आँखे फटी की फटी रह जाती है बिना पलक झपकाए कोठी की रौनक और उसकी भव्यता देख कर होश उड़ जाते हैं ।
रेखा-" बेटा ये तू कहाँ ले आया ये तो किसी बड़े आदमी की हवेली लगती है ।
पूनम और तनु तो कोठी के बहार गार्डन और उसकी सुंदरता देख रही थी ।ऐसा लग रहा था की मानो कोई सपना देख रही हो ।
ड्राइवर सबको कोठी के अंदर लेकर जाता है ।कोठी में कई कमरे थे ।जरुरत की सारी सुविधाएं मौजूद थी ।
हर कमरे में डबल बेड और टेलीविजन लगा हुआ था ।
पूनम तो कोठी के हर स्थान को बड़े गौर से देख रही थी ।
सूरज-" पूनम दीदी आज से हम लोग यही रहेंगे । 
तनु-" भैया इतनी बड़ी हवेली में सिर्फ हम चार लोग ही रहेंगे या और भी लोग हैं ।
सूरज-" दीदी सिर्फ हम लोग ही रहेंगे ।
हर कमरे में बॉथरूम है आप लोग नहा लीजिए जब तक में कुछ खाने की व्यवस्था करता हूँ ।
सूरज ड्राइवर के पास जाता है जो चोकीदार को समझा रहा था ।
सूरज-" यहां खाने की क्या व्यवस्था है? 
चोकीदार-" मालिक खाना बनाने बाली नोकरानी आती है। सुबह शाम को ।
आप चिंता न करे किसी को कोई परेसानी नहीं आएगी । ड्राइवर साहब ने सब समझा दिया है मुझे ।
इस कोठी के बगल में नोकर और ड्राईवर सबके लिए अलग अलग रुम बने हुए थे ।
सुरक्षा की दृष्टि से बिलकुल सुरक्षित थी ।
परिंदा भी पर नहीं मार सकता था ।
इधर पूनम और तनु ने एक कमरा अपने लिए सिलेक्ट कर लिया था और बेड पर लेट कर गद्दे का आनंद ले रही थी ।
रेखा ने भी अपने लिए एक रुम खोल लिया था । नीचे टोटल चार रूम थे और ऊपर 4 ही रूम थे हर कमरे में बाथरूम अटेच था ।
किचेन में खाने के लिए हर प्रकार की सुबिधस थी ।
रेखा तो नरम गद्दे पर लेटते ही सो गई 
पूनम और तनु इस कोठी के सामान के बारे में बात कर रही थी ।कोठी थी ही इतनी भव्य और आलिशान की जितनी तारीफ़ करो कम थी ।

सूरज अब अपने आपको हल्का महसूस कर रहा था । मनुष्य की सबसे महत्वपूर्ण चीजे रोटी कपडा और मकान होता है लेकिन सूरज के लिए तो सूर्या का जीवन अनमोल तोहफे के रुप में मिली थी ।
जीवन के इस नए मोड़ में सभी लोग उत्साहित तथा प्रशन्न थे । एक ही दिन में इतना बड़ा परिवर्तन गाँव से भागना और शहर की इस आलिशान जिंदगी को लेकर सभी लोग इस समय का भरपूर आनंद उठा रहे थे ।
नया घर और घर के अंदर सभी प्रकार की सुबिधायें के बारे में अपने अपने तरीके से उसका मूल्यांकन और विशेषता का अध्ययन कर रहे थे । गाँव में दो तीन लोगों के पास ही मोटर गाडी और टेलीविजन हैं, और जिनके पास हैं वह व्यक्ति अपने आपको सबसे अमीर समझता है ।
आज सूरज के इस नए घर में वो सारी सुबिधायें देख कर सभी लोग बड़े ही खुश थे । सूरज अपनी बहनो को खुश देख आज बहुत खुश था। मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रहा था की मेरी दोनों दीदी और माँ ऐसे ही अब खुश रहें ।
जीवन भर लोगों की दलीले और गालियां सुनी है ।आज के बाद सभी परेसानी उनसे दूर रहें और जीवन की सभी खुशियाँ उन्हें मिले ।
सूरज पूनम और रेखा के कमरे में जाता है ।
दिनों बहने नए घर की भव्यता का वर्णन कर रही थी ।सूरज को देखते ही दोनों बहने बेड पर बैठ गई ।
पूनम-" सूरज आजा यहां बैठ, तुझसे कुछ पूंछना है?
सूरज" बोलो दीदी, 
पूनम-" सूरज हम यहां कितने दिन तक रह सकते हैं?? 
सूरज-" जब तक में घर की व्यवस्था नहीं कर लेता तब तक हम यही रहेंगे।
तनु-"इस घर का किराया कितना होगा? 
सूरज-" दीदी हमारे लिए फ्री है, आप परेसान मत हो आराम से रहिए। और सभी चीजो को इस्तेमाल कर सकती हो ।
पूनम-" सूरज तू काम क्या करेगा ये तो बता? क्या हम सबको भी काम करना है यहां पर? 
सूरज-" नहीं दीदी सिर्फ मुझे ही काम करना है, आप लोग यहां सुकून से रहिए, में आपके पास आता जाता रहूँगा, 
तनु-" सूरज तू रोज रही आया करेगा यहां पर। हम लोग अकेले तीनो लोग कैसे रहेंगे? 
सूरज -" दीदी यहां चोकीदार और नोकरानी भी रहेगी, आप लोग अकेले कहाँ हो ।
पूनम-" बाकी सब तो ठीक हो गया बस पहनने के लिए हमारे पास कपडे नहीं है, फटे-पुराने कपडे ही हैं। तू अगले महीने की तनखा में से तीनो के लिए कपडे वनवा देना? बड़ी मासूमियत से दीदी ने बोला तो मुझे भी एक दम से याद आया की मेरे पास तो एक लाख से ज्यादा पैसे हैं जो सूर्या की अलमारी से निकाले है इन्ही पैसे से सबके लिए दो जोड़ी कपडे और जरुरत का सामन दिलबा देता हूँ ।
सूरज-" दीदी आप मेरे साथ अभी मार्केट चलो आपके लिए कपडे खरीद कर लाते हैं ।
मेरे पास कुछ पैसे हैं ।
हम तीनो लोग गाडी से चलते हैं ।
पूनम-" ओह्ह मेरे भाई तू सच में बहुत अच्छा है। कितना ख्याल रखता है हम सबका, हमारे लिए कितनी परेसानी सेहता है। इतनी सुबिधायें के लिए तुझे अकेले को ही मेहनत करनी है । अपने मालिक से कह कर मेरी भी नोकरी लगवा दे, थोडा बोझ हल्का हो जाएगा तेरा"" 
सूरज-" दीदी ये तुम्हारा भाई जब तक है तब तक आपको कोई परेसानी नहीं आने देगा।
इस घर की खुशियों के लिए में अपने जीवन का बलिदान देने को तैयार हूँ ।
पूनम-" नहीं भाई ऐसा मत बोल तेरे लिए कभी मेरी जान की जरुरत पड़ी तो हस्ते हस्ते दे दूंगी लेकिन तुझे इस घर के लिए अकेले बलिदान की भेंट नहीं चढ़ने दूंगी" पूनम की आँखे नम हो गई थी, तनु भी सूरज के गले लग कर रोने लगी थी, दोनों बहनो को अपने प्रति प्यार देख कर आंसू छलकने लगे, कई वर्षो के बाद उसने अपनी बहनो के पास बैठ कर बात की थी, गाँव में तो पुरे दिन लकड़ी काट कर थका हारा सो जाता था कभी बहनो से बात करने का समय ही न मिला ।
तीनो बहन भाई आपस में गले लग जाते हैं ।सूरज को बहुत सुकून मिलता है आज अपनी बहनो से बात करके, तीनो भाई बहन सुबक रहे थे तभी गेट पर माँ की रोने की आहाट सुनाई दी, रेखा भी बहुत देर से गेट पर खडी तीनो बच्चों को एक साथ रोते हुए खुद के आंसू रोक नहीं पाई।
सूरज रेखा के पास जाता है और माँ की आँखों से आंसू पोछता है, रेखा सूरज को गले लगा लेती है और चूमने लगती है। रेखा ने कई सालो बाद आज सूरज को गले लगाया था, दो वक़्त की रोटी के लिए जीवन भर काम की व्यस्तता के कारण वो कभी अपने बच्चों को प्यार ही नहीं कर पाई ।
सूरज भी आज पहली बार माँ की ममता को महसूस कर रहा था । दोनों दीदी भी आकर माँ और भाई के गले लग कर रोने लगती है। 
रेखा और तीनो भाई बहन के लिए सबसे ज्यादा ख़ुशी का पल था।
सूरज-" बस माँ अब आज के बाद दुखो के दिन कट चुके हैं, अब हम लोग ख़ुशी से रहेंगे, एक साथ""'
रेखा-" हाँ बेटा हम सब लोग ख़ुशी से रहेंगे, पुरानी असहनीय बातों को भुला कर,गाँव की सभी बातों को भुलाना होगा, 
पूनम-" हाँ माँ अब कोई पुरानी बातो को याद नही करेगा, अतीत में जो कष्ट झेले हैं उनको भुला कर वर्तमान में खुशी से जिएंगे।
सूरज अपनी माँ और बहनो से वादा करता है की आज के बाद कोई दुखी नहीं होगा पुरानी बातो को याद कर, नई ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए दिन रात मेहनत करेगा।
सूरज-" दीदी अब मार्केट चलो कपडे लेकर आते हैं सब के लिए,
पूनम-" तनु को साथ ले जा, इसी के नाप के मेरे कपडे भी ले आना और माँ के लिए भी साडी बगेरहा ले आना, में जब तक घर की सभी चीजो का मुयायना कर लू, और रसोई में खाने की व्यवस्था कर लेती हूँ ।
तनु-" तो फिर माँ तुम चलो हमारे साथ आप भी अपने लिए कुछ कपडे ले आना"
रेखा-" बेटा में नहीं जाउंगी, तुम ही भाई के साथ चली जाओ"
सूरज-" तनु दीदी आप ही चलो जल्दी, मुझे आज शाम को मालिक के यहाँ नोकारी पर भी जाना है" 
तनु-" चलो फिर हम दोनों ही चलते हैं" 
पूनम-" तनु एक मिनट मेरी बात सुन" पूनम तनु को अकेले में कुछ बोलती है, शायद कपडे के लिए ही कुछ बोल रही थी 
तनु मेरे पास आते ही चलने के लिए बोलती है ।
में और तनु ड्राइवर को लेकर मार्केट की ओर निकल जाते हैं। ड्राइवर एक अच्छी सी मार्केट पर गाडी रोकता है और हम दोनों को दूकान में जाने के लिए बोलता है ।
में और तनु एक बहुत अच्छे शोरूम में घुसते है, पहली बार किसी अच्छी दूकान देख कर हम दोनों बहन भाई वहां की सुंदरता देखकर ही दंग रह गए, ऐसी खुबसूरत मार्केट सिर्फ फिल्मो में ही देखि थी अब तक ।
शोरूम के अंदर सभी काउंटर पर लड़कियां बैठी थी ।तनु फ़टे पुराने कपडे में खड़ी थी उसे तो बहुत शर्म भी महसूस हो रही थी । सूरज तनु की मनोदशा समझ चुका था ।
सूरज तनु का हाथ पकड़ कर एक लेडीज काउंटर पर जाता है ।
लेडीज-" सर बताइए क्या दिखाऊं, लेडीज सेलर तनु को बार बार देख रही थी. उसके फटे कपडो से शायद सेलर समझ चुकी थी की ये लड़की गरीब है ।लेकिन सूरज बहुत स्मार्ट और हेंडसम लग रहां था ।
सूरज-' मेडम कपडे दिखाइए इनके साइज़ के" सूरज ने तनु की और इशारा करते हुए कहा
लेडीज सेलर तुरंत फेशनेवल कपडे लेकर आती है । जिसे देख कर तनु बड़ी खुश होती है ।
आज तक इतने कीमती और सुन्दर कपडे उसने पहने नहीं थे ।
सूरज चार जोड़ी कपडे सलेक्ट कर लेता है। 
लेडीज-" सर मेडम के लिए जीन्स और टॉप दिखाऊं क्या??? जीन्स का नाम सुनते ही तनु के कान खड़े हो जाते है। उसका हमेसा से मन था की जीवन में एक बार जीन्स और टॉप पहने ।
सूरज-" जी हाँ दिखाइए" सेलर बहुत सी प्रकार की जीन्स और टॉप दिखाती है ।
सूरज एक जीन्स तनु को दिखाते हुए बोलता है। 
सूरज-" दीदी आप ये वाली जीन्स पहन कर देखो बहुत अच्छी लगेगी।
तनु-" तनु शर्म से कुछ बोल नहीं पा रही थी फिर भी बस इतना ही बोल पाई" तुझे जो पसंद है वही ले ले"' 
सूरज चार जीन्स पूनम और तनु के लिए ले लेता है । उनके साथ टॉप भी खरीद लेता है ।
लेडीज सेलर-" सर! मेडम चाहें तो ट्राई रूम में पहन कर देख सकती हैं ।सूरज तनु को वह जीन्स और टॉप देकर ट्राई रूम में पहनने के लिए बोलता है ।तनु बहुत शर्मा रही थी फिर भी वह कपडे लेकर ट्राई रूम में पहुँच जाती है ।
तनु अपने फटे पुराने सलवार सूट निकाल कर नंगी हो जाती है । ट्राई रूम में लगे शीसे में अपना जिस्म देख कर शर्मा जाती है । तनु बिना ब्रा और पेंटी के ही सलवार सूट पहनी थी । तनु ब्रा और पेंटी भी खरीदना चाहती थी लेकिन शर्म की बजह से सेलर से कह नहीं पा रही थी इधर उसका भाई सूरज भी इसके साथ था ।
पूनम ने भी मार्केट जाते समय ब्रा और पेंटी के लिए बोला था ।
तनु बिना ब्रा और पेंटी के ही जीन्स और टॉप पहन लेती है ।
और खुद को शीशे में देख कर हैरान रह जाती है। ऐसा लग रहा था की शहर की सबसे खूबसूरत लड़की हो । खुद को देख कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था ।तनु शर्माती हुई ट्राई रूम से बहार निकलती है।
सूरज तो देखते ही अचम्भा रह जाता है । इतनी खूबसूरत बहन को देख कर तुरंत 
तनु से बोलता है ।
सूरज-" woww दीदी इस ड्रेस में आप तो बिलकुल हीरोइन लग रही हो"" 
तनु-" तनु शर्मा जाती है, में कपडे बदल कर आती हूँ"
सूरज-" नहीं दीदी यही कपडे पहने रहो, वो कपडे वहीं कूड़ेदान में डाल दो, फटे पुराने हैं ।
तनु सूरज के पास आकर लेडीज सेलर के पास आती है । 
तनु-" सूरज माँ के लिए एक साडी और ब्लाउज ले लो" लेडीज सेलर तुरंत सूरज को दूसरे काउंटर पर लेकर जाती है ।
सूरज चार साडी और पेटीकोट और ब्लॉउज ले लेता है ।
सारी शॉपिंग हो चुकी थी बस तनु को ब्रा पेंटी ही खरीदनी बची थी ।

भारतीय संस्कृती की और रिश्ते की बुनियादी जड़ हिंदुस्तान ही एक मात्र देश है 
जहां रिस्तो की कद्र है । प्रत्येक व्यक्ति रिस्तो की मर्यादा को ध्यान में रख कर ही 
अपनी मानसिक सोच को ढालता है ।जिसकी कुछ सीमाएं और मर्यादाएं जैसी शर्ते होती है। । इसी सोच को संस्कार कहा गया है । और इसका जीता जागता उदहारण तनु थी । 
कपडे के बड़े शोरुम में अपने लिए और 
पूनम दीदी के लिए पेंटी और ब्रा लेने में झिझक रही थी। और ये जिझक जायज भी थी क्योंकि उसका भाई सूरज उसके साथ था ।
कपड़ो की खरीदारी हो चुकी थी । माँ और पूनम के लिए भी 3-4 जोड़ी कपडे ले लिए थे । सूरज ने तन ढकने वाले कपडे तो खरीद लिए थे लेकिन तन के भीतरी अंग ढकने वाले कपड़ो के बारे में उसका कोई ध्यान नहीं था ।पहली बार इतने आलिशान दूकान पर कपडे खरीदना का पहला अनुभव पा कर दोनों भाई बहन बहुत ही गोरवान्वित महसूस कर रहे थे । तनु अपने भाई के इस शहरी रूप को देख कर बहुत गर्व कर रही थी ।
शॉपिंग पूरी होते ही सूरज कपड़ो के भुगतान के लिए मुख्य काउंटर की तरफ जाता है ।
सूरज-" दीदी सबके लिए कपडे तो खरीद लिए कोई और ड्रेस आपको पसंद हो तो खरीद लीजिए । 
तनु असमंजस में पड गई थी की भाई से
कैसे कहे की उसे पेंटी और ब्रा भी खरीदनी है । तनु अकेली होती तो लेडीज सेलर से पेंटी ब्रा मांग लेती लेकिन सूरज तनु के साथ ही रहा । तनु अपनी सोच से बहार निकलते हुए ।
तनु-" नहीं सूरज ड्रेस तो बहुत सारी ले ली
और क्या खरीदूं ? कुछ याद आएगा तो बाद में खरीद लुंगी ।
सूरज-" ठीक है दीदी । में कपड़ो का भुगतान करके आता हूँ आप दो मिनट रुको"" 
सूरज तनु को वहीँ खड़ा करके भुगतान के लिए मुख्य काउंटर पर जाता है ।
सूरज जैसे ही मुख्य काउंटर पर जाता है तभी उसे भुगतान काउंटर के पास ब्रा और पेंटी की शॉप दिखाई दी जिस पर लड़कियो के फेसनेवल ब्रा और पेंटी के एड फ्लेक्स लगे हुए थे । सूरज तो फ्लेक्स में छपी लड़की जो ब्रा में थी उसकी फेन्सी ब्रा में कैद बूब्स और ब्रा को बड़े गोर से देख रहा था ।
सूरज भुगतान करने के लिए पेमेंट काउंटर पर जाता है और पेमेंट करने के लिए बोलता है । पेमेंट काउंटर वाली लड़की बहुत सुन्दर और फेसनेवल टॉप पहनी थी जिसमे उसकी ब्रा में कैद बूब्स दिखाई दे जाते हैं ।
सूरज उस लड़की से कपड़ो के बिल के लिए बोलता है ।

लड़की कंप्यूटर पर झुक कर पूरा हिसाब किताब लगाने लगती है । झुकने के कारन उसकी ब्रा में कैद बूब्स दिखने लगते है ।
सूरज की नज़र बार बार बूब्स पर जाती है । उस लड़की की ब्रा देख कर सूरज का दिमाग ठनकता है । ऊपर बाले का खेल बड़ा ही निराला होता है । जिस बात को तनु अपने भाई से कह नहीं पर रही थी । ऊपर बाले ने उसे वाही चीज दिखा दी । 
सूरज अपने मन में सोचता है की तनु दीदी ने ब्रा और पेंटी तो खरीदी नहीं है ।
सूरज सोचता है" शायद दीदी शर्म की बजह से मुझसे कह नहीं पाई होंगी, अब में दीदी से कैसे कहूँ ब्रा और 
पेंटी खरीदने के लिए आखिर वह मेरी बहन है, मुझे कुछ तो करना होगा । 
तभी पेमेंट वाली लड़की सूरज से बोलती है ।
लड़की-" सर जी 22000 हजार रुपए का बिल हुआ है आपका" बिल देते हुए लड़की बोली 
सूरज जेब से एक लाख की नोटों की गड्डी में से पूरा भुगतान करता है । सूरज सोचता है की क्यूँ न में ही ब्रा पेंटी खरीद लू, लेकिन वह शर्मा भी रहां था और सोच रहा था की तनु दीदी को कैसे दूंगा । क्या सोचेगी मेरे बारे में ? 
बहुत ही सोचा विचारी करने पर सूरज के मन में एक आइडिया आया और वह सेल गर्ल के पास जाता है । सूरज सेल गर्ल के पास जाता है और उसे बोलने में बड़ी शर्म महसूस कर रहा था ।
सेल गर्ल-' जी कहिए सर आपको क्या दिखाऊं ? 
सूरज-" मेडम एक मदद कर दीजिए वो अंदर काउंटर पर एक लड़की खड़ी है उसे ब्रा और पेंटी खरीदने के लिए तैयार कर लीजिए । 
लड़की-" सर आप ही बोल दीजिए उनसे?
सूरज-" मेडम में उनसे बोल नहीं सकता हूँ प्लीज़ आप मेरी मदद कीजिए ।
लड़की मान जाती है । और तनु के पास जाती है ।सूरज सोचता है तनु दीदी मेरे सामने ब्रा नहीं खरीद पाएँगी इसलिए मुझे थोड़ी देर यहां से हट जाना चाहिए ।
सूरज तनु के पास जाता और बोलता है 
सूरज+" दीदी में अभी 20 मिनट में आता हूँ जब तक आप कुछ और ड्रेस खरीद लो ।
तनु-' ठीक है सूरज, जल्दी आना" तनु की तो मन की मुराद ही पूरी हो गई थी । सूरज जैसे ही दूकान से बहार निकलता है तनु ब्रा और पेंटी खरीदने के लिए ब्रा काउंटर देखने लगती है तभी वाही लड़की तनु के पास आती है जिससे सूरज ने तनु के पाद भेजा था ब्रा खरीदने के लिए ।
लड़की-' मेडम में आपके लिए सुन्दर और फेसनेवल ब्रा और पेंटी ऑफर करना चाहती हूँ । क्या आप देखना चाहेगी ? 
तनु-" हैरान होते हुए" हाँ बिलकुल में भी ब्रा और पेंटी की दूकान ढूंढ रही थी ।
लड़की-" हाँ मुझे पता है मेडम" अचानक लड़की के मुह से निकल जाता है ।
तनु हैरानी से उस लड़की को देखने लगती है 
लड़की-' बात को संभालते हुए-" वो क्या है न मेडम आप इधर उधर देख रही थी तो मुझे लगा शायद आपको ब्रा पेंटी चाहिए" 
तनु-" हाँ जी मुझे चाहिए तो थी लेकिन मेरे भैया मेरे साथ थे इसलिए में खरीद नहीं पाई 
लड़की-" ओह्हो तो वह आपके भैया थे क्या? फिर से जुबान फिसली सेल गर्ल की।
तनु-"क्या आप जानती है मेरे भैया को? 
लड़की-" हाँ जी वो अभी तो आपके साथ थे तब देखा था-" फिर से बात संभालते हुए बोली

लड़की तनु के लिए अपनी शॉप पर लेकर जाती है । तनु माँ और दीदी की ब्रा का साइज़ बता कर पेंटी खरीदती है ।
जीवन में पहली बार तनु में स्वयं के लिए ब्रा और पेंटी खरीदी थी इससे पहले गाँव में तो बाज़ार या मेला में रेखा ही स्वयं और दोनों बेटिओं के लिए खरीद कर ले आती थी ।
लड़की सेलर-" मेडम आपका साइज़ क्या है ब्रा का? सेल्स गर्ल के द्वारा खुद की ब्रा का साइज़ पुछने पर तनु शर्मा गई, आज से पहले उसने अपना साइज़ सिर्फ माँ या दीदी को ही बताया था ।
तनु-" मीडियम दे दो"
लड़की-"हस्ते हुए! अरे मेडम में लड़की हूँ मुझसे क्यों शर्मा रही हो आप? नम्बर बताइए अपना और जिनके लिए आप ब्रा लेने आई हो"' 
तनु-" 32D दे दीजिए" दो ब्रा" इस बार बिना झिझक के साइज़ बोल दिया
सेल्स बाली लड़की ने दो ब्रा निकल दी और उसी के साइज़ की पेंटी भी ।
सेल्स लड़की-' दूसरा साइज़ बताइए मेडम"
तनु-"34D की दो ब्रा और पेंटी भी' सेल्स लड़की ने फेसनेवल पेंटी और ब्रा निकाल दी ।ये ब्रा पेंटी पूनम के लिए थी ।अब माँ के लिए बाकी थी, सेल्स बाली लड़की के बोलने से पहले ही तनु ने तीसरे ब्रा का साइज़ बोल दिया ।
तनु-" 36D की 2 ब्रा निकाल दीजिए साथ में पेंटी भी" 
सेल्स गर्ल ने सभी की ब्रा और पेंटी को पैक कर दिया तनु ने सभी ब्रा बिना देखे ही पैक करवा ली चूँकि उसे शर्म आ रही थी और दूसरा डर सूरज का भी था की कहीं आ न जाए इसलिए जल्दबाजी में सभी ब्रा पेंटी को पैक करवा ली ।
तनु काउंटर से हटने बाली ही थी तभी सेल्स बाली लड़की बोली
लड़की-" मेडम आपने इतनी खरीदारी की है इसलिए आपको एक विशेष ऑफर हमारी तरफ से फ्री दिया जाता है ।
इस ऑफर में आपको दो ब्रा और पेंटी आपकी साइज़ की मुफ़्त दी जाती हैं ।
लड़की ब्रा और पेंटी का एक बहुत ही फेसनेवल गिफ्ट देते हुए बोली।
तनु ने गिफ्ट लेकर उस लड़की को धन्यवाद बोला ।

सेल्स लड़की-" वैसे मेडम एक बात कहूँ ?
तनु-" हाँ जी बोलिए
लड़की-" आप बहुत लकी हो आपका भाई बहुत
समझदार है । जो अपनी बहन का इतना ख्याल रखता है ।
तनु-" जी हाँ वो तो है, मेरा भाई लाखो में एक है।
लड़की-" हा सही कहा आपने, आपके पर्सनल कपडे खरीदने 
के कारण वो बेचारे बहार खड़े हैं बहुत देर से ।ताकि आप आराम से ब्रा और पेंटी खरीद सको'' तनु यह सुनकर 
चोंक जाती है और सोचने लगती है की जानबूझ कर मुझे अकेला
छोड़ कर गए ताकि में आराम से ब्रा खरीद सकु और शर्म के कारण ।
भाई कितना समझदार हो गया है मेरा, कितना ध्यान रखता है ।
तनु अपने मन में यही सोच रही थी और शर्म भी महसूस कर 
रही थी । इसी सोच में तनु डुबी हुई थी ।
लड़की-' क्या हुआ मेडम किस सोच में पड गई आप।
तनु-" जी कुछ नहीं"'


तनु तो सिर्फ सूरज के बारे में सोच रही थी, 
एक भाई अपनी बहन से सीधे नहीं बोल सकता इसलिए उस सेल्स वाली लड़की से कहा यही सोच रही थी 

तभी सूरज अपने निर्धारित समय पर आ जाता है और उस लड़की को गोर से देखता है ।
तभी वह लड़की सूरज को देख कर मुस्करा देती है सूरज समझ जाता है की काम हो गया ।
सूरज काउंटर पर ब्रा पेंटी का भुगतान करता है और तनु को लेकर शॉप के बहार आ जाता है ।
तनु शर्माती हुई सूरज के साथ शॉप से बहार निकलती है ।
सूरज सारा सामन गाड़ी में रखता है ।

समय काफी हो चुका था इसलिए सूरज तनु को गाडी में वैठा कर घर की और निकल जाता है ।
दोनों भाई बहन गाडी में बैठ गए। घर की ओर रवाना हो गए, तनु जीन्स और टॉप में बेहद सुन्दर लग रही थी कोई नहीं कह
सकता था की वह गाँव की लड़की है ।
शहर की पढ़ी लिखी लड़की लग रही थी ।
हालांकि रेखा ने अपने तीनो बच्चों के लिए 12वीं तक पढ़ाया था । तीनो बच्चे स्कूल में 
अच्छी पोजीसन में थे, स्कूल में हमेसा प्रथम ही आते थे लेकिन पैसे के अभाव में तीनो बच्चों की शिक्षा बीच में ही रोकनी पड़ी ।
रेखा स्वयं हाई स्कूल तक पढ़ी थी इसलिए उसने तीनो बच्चों के लिए पढ़ाया ।
तनु के इस नए रूप को सूरज निहार रहा था। सूरज को यकीन नहीं हो रहा था की 
उसकी बहन इतनी सुंदर है की शहर की शहरी लड़की भी उसके सामने फ़ैल है ।
सूरज सोच रहा था की यदि तनु पुन: अपनी पढ़ाई पूरी कर ले तो शायद अच्छा परिवार मिल जाएगा और उसने जो सपने देखें हैं वह भी पुरे हो जाएंगे । गाँव में पैसो के कारण पढ़ न सकी लेकिन अब में तनु और पूनम दीदी को पढ़ा सकता हूँ अच्छे इंस्टिट्यूट में।
शहर में पढ़ाई करने से दो फायदे भी होंगे ।
एक तो शहर के माहोल को समझ लेंगी
और नोकारी भी कर सकती हैं ।
सूरज सोचता है एक बार बात करनी चाहिए 
दोनों बहनो से ।
तनु सूरज से बोलती है ।
तनु-" सूरज क्या हुआ, क्या सोच रहे हो? 
सूरज-" कुछ नहीं दीदी, में सोच रहा था की तुम और दीदी अपनी पढ़ाई फिर से सुरु कर दो ।में आप दोनों की पढ़ाई का बोझ उठा सकता हूँ ।आप पढ़ाई करोगी तो आपके सपने पुरे होंगे दीदी" तनु भी आगे पढ़ना चाहती थी, 
तनु-" ठीक है सूरज में पढ़ाई के लिए तैयार हूँ ।
सूरज-" में किसी अच्छे स्कूल में आप दोनों का एड्मिसन करवा दूंगा" बात करते करते घर आ गया ।
सूरज और तनु गाडी से निकलते हैं । 
सूरज कपड़ो का बेग गाडी से निकालता है ।
कपड़ो का बेग पूरी तरह से भरा हुआ था, 
सूरज ने जब कपडे उठाए तो शॉप वाली लड़की के द्वारा तनु को दिया गया गिफ्ट गाडी के सीट के निचे ही गिर गया ।
सूरज ने कपड़ो का बेग निकाल कर घर के अंदर लेकर गया ।
पूनम और रेखा दोनों बैठ कर सूरज की इस
तरक्की के गुणगान ही कर रही थी ।
जैसे ही पूनम ने तनु और सूरज को देखा तुरंत तनु के पास पहुंची। 
पूनम ने तनु को जीन्स और टॉप में देखा तो 
वह पहचान ही नहीं पाई की ये तनु है ।
तनु के इस शहरी रूप को देख कर उसे
बहुत अच्छा लगता है ।
पूनम-" अरे वाह्ह तनु तू तो इन कपड़ो में बहुत सुन्दर लग रही है,
बिलकुल शहरी लग रही है ।
तनु-" शर्मा कर! दीदी तुम्हारे लिए भी 
सूरज ने जीन्स और टॉप ख़रीदे हैं ।
पूनम खुश हो जाती है ।
पास में खड़ी रेखा दोनों बेटियों को खुश
देख कर बहुत खुश होती है ।
पूनम-" मेरे कपडे दिखाओ? तनु पूनम के लिए लाए गए 
सभी कपडे पूनम को देती है और माँ की 
साडी निकाल कर देती है ।
रेखा इतनी सुन्दर साडी देख कर बहुत खुश
होती है और अपने बेटे को बहुत दुआएं देती है । सूरज लोन में पड़े सोफे पर बैठा देख रहा था, सबको खुश देख कर वह भी बहुत खुश था ।
तनु बेग से पेंटी और ब्रा लेकर रूम में लेकर जाती है ।पूनम भी उसके साथ जाती है ।

तनु-" दीदी इसमें पेंटी और ब्रा हैं अपनी और
मेरी निकाल लो । माँ की ब्रा और पेंटी भी इसी में है ।
पूनम-" तूने खरीदी कैसे, सूरज तो तेरे साथ में था ? 
तनु-"क्या बताऊँ दीदी अपना सूरज तो 
बहुत समझदार है"
पूनम-" क्या सूरज ने खरीदी हैं ये" पूनम चोंकते हुए बोली
तनु-" नहीं दीदी सूरज तो बहार चला गया था " तनु शॉपिंग की सारी बातें पूनम को बता देती है । पूनम को बड़ा गर्व होता है 
भाई की इस समझदारी पर ।
पूनम-" बाकई ये तो सूरज ने बड़ी समझदारी दिखाई है ।
कितना समझदार है अपना भाई ।
तनु-" हाँ दीदी 
पूनम-" ब्रा और पेंटी दिखा" तनु बेग खोल कर पूनम की 34 साइज़ की ब्रा और पेंटी देती है । जैसे ही पूनम ब्रा और पेंटी खोल कर देखती है उसकी आँखे फट जाती है ।
बहुत ही फेसनेवल ब्रा और पेंटी थी ।
पूनम-" तनु ये तो बहुत महंगी आई होंगी ।
इस तरह की तो मैंने आज तक नहीं देखि है । तनु भी अपनी ब्रा पेंटी देखती है, 
उसकी ब्रा पेंटी भी पूनम की तरह फेसनेवल 
थी । रेखा की ब्रा पेंटी भी वैसी ही थी ।
तनु-" दीदी पहन कर चेक कर लो कैसी है।
और अपनी जीन्स और टॉप पहन कर देख लो ।
पूनम-" ठीक है अभी बाथरूम में पहन कर देखती हूँ" पूनम तुरंत वाथरूम में एक ब्रा और पेंटी 
लेकर कर जाती है ।अपनी सलवार सूट निकाल कर बाथरूम में लगे शीशे से अपने बदन को देखती है ।
पूनम सलवार सूट के अंदर ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी ।
अपने आपको शीशे में निहार कर उसे बड़ी शर्म सी आ रही थी।
आज तक उसने शीशे में कभी अपना संगमरमर जैसा बदन नहीं देखा था ।
अपने दूधिया उभारो को देख कर उसे शर्म सी आ रही थी ।
पूनम तुरंत नई ब्रा लेकर पहन कर शीशे में देखती है और अपने बूब्स को ब्रा के 
ऊपर से ही हाथ स्पर्श करके देखती है ।
ऐसा लग रहा था जैसे अपने बूब्स का मापन कर रही हो उनकी गोलाईयां का ।
पूनम के जिस्म में सिरहन सी दौड़ गई आज से पहले शीशे में देख कर 
अपने बूब्स को दवा कर कभी नहीं देखा था।
पूनम की आँखे किसी झील की तरह बहुत सेक्सी थी ।
उसका गोरा बदन नितम्ब बहार की ओर निकले हुए उसके जिस्म को
बहुत बहुत सेक्सी बना रहे थे ।दोनों बेटियां
रेखा पर गए थे ।
रेखा का जिस्म और सुंदरता के दीवाने उसके गाँव में लगभग सभी थे ।
पूनम पेंटी उठाकर पहनने लगती है, पेंटी का अग्र भाग जालीदार होता है और नितंम्ब की तरफ एक मात्र लेश थी जो नितंम्ब की 
दरार में छुप जाती है ।
पूनम पेंटी पहन कर शीशे में खुद के जिस्म का मुयायना करती है ।
सर से लेकर पाँव तक अपने आपको निहारने के पस्चात उसकी नज़र पेंटी के अग्र भाग योनी पर ठहर गई।
पेंटी जालीदार होने के कारण उसकी योनी के बाल जाली से झाँक रहे थे ।
पूनम ने अपनी योनी पर हाथ फेराया,
उसके बालो के कारण पेंटी की शोभा बिगाड़ रहे थे ।
पूनम ने लगभग 6 महीने से योनी के बाल साफ़ नहीं किए 
जिसके कारण बाल दो इंच के हो गए थे ।

पूनम शीशे के सामने अपने जिस्म को मात्र दो कपड़ो में देख कर शर्माती है, 
आज से पहले उसने अपने जिश्म को पहले कभी इस तरह घूरा नहीं था ।
पूनम 24 वर्ष की हो चुकी थी, उसकी इच्छाएं उसके जिस्म से निकलने लगी थी।
पति और परिवार की चाह हर लड़की को होती है 
लेकिन पूनम की बदनसीबी उसकी गरीबी थी,
जिसके कारण उसका विवाह अभी तक नहीं हो पाया था। दिन तो जैसे तैसे काट लेती लेकिन रात की तन्हाई उसे बहुत तड़पाती थी।
शारीरिक इच्छाएं भड़काने के बावजूद भी पूनम ने कभी घर की मर्यादा को भंग नहीं हॉने दिया।
घर की इज्जत का हमेसा ध्यान रखा।
जब कभी ज्यादा ही जिश्म से आग भड़कने लगती तो खुद ही ऊँगली से अपने आपको शांत कर लेती थी ।
पूनम जालीदार पेंटी के ऊपर निकली झांटे को उंगलिओ से स्पर्श करती है। जिस्म में सिरहन दौड़ने लगती है तभी तनु की आवाज़ आती है ।
तनु-" दीदी जीन्स पहन ली क्या, बहुत देर लगा रही हो"' पूनम एक दम चोंकती हुई
अपने कपडे पहनती है ।जीन्स और टॉप पहनने के बाद पूनम एक दम सेक्सी बोम्ब जैसी लग रही थी ।
जिस्म ऐसा था की शायद उसको सनी लीओन भी देख ले तो शर्मा जाए ।
पूनम बॉथरूम से बहार निकलती है ।
तनु पूनम को देख कर खुश हो जाती है ।
पूनम जीन्स में बाकई बहुत मस्त लग रही थी ।
तनु-" wowwe दीदी आप तो बहुत सुन्दर लग रही हो"
पूनम बहुत शर्मा जाती है और कुछ बोल नहीं पाती है ।तनु पूनम का हाथ पकड़ कर 
माँ के रूम में जाती है ।
रेखा भी पूनम का सुन्दर रूप देख कर खुश थी ।
इधर सूरज गाडी लेकर नए घर यानी की सूर्या के घर की तरफ निकल आया था।
संध्या और तान्या सूर्या की यादास्त चली 
जाने से बहुत दुखी और परेसान थी।
और बहुत देर से उसके आने का इंतज़ार कर रही थी
तभी बहार सूरज की गाडी की आवाज़ सुनकर उसे सुकून मिलता है ।

सूरज के अंदर आते ही संध्या पूछती है।
संध्या-" बेटा मंदिर से लौटने बड़ी देर लगा दी, भूका प्यासा ही चला गया तू ।

सूरज-" मंदिर से आने के बाद घूमने चला गया था माँ"
संध्या-" चल बेटा खाना खा ले, सब तेरी पसंद का बनाया है" सूरज को भी बहुत तेज भूंक लगी थी इसलिए माँ और बेटा दोनों बैठ कर खाना खाने लगते हैं ।
सूरज-" माँ दीदी कहाँ है ? तान्या उसे दिखाई नहीं दी इसलिए माँ से पूछता है 
संध्या-" कंपनी की जरुरी मीटिंग थी आज
इसलिए थोडा देर से आएगी।
तू जल्दी से ठीक हो जा फिर सारी जिम्मेदारी तुझे ही संभालनी है बेटा, 
सूरज-" हाँ माँ अब में दीदी के साथ जाया करूँगा, जल्दी सीख जाऊँगा"
संध्या-" तूने मेरे मन की बात कह दी बेटा"
कितना बदल गया है तू, एक समय ऐसा था तू अपनी दीदी की सकल भी नहीं देखना पसंद करता था,
आज उसके साथ बिजनेस की जिम्मेदारी संभालने की बात कर रहा है ।
में बहुत खुश हूँ तेरे इस भोलेपन रवैये से।

सूरज-" माँ में पहले कैसा था?? मन में उमड़े सवालो के उत्तर के लिए सूरज चिंतित था और सूर्या की जीवन शैली उसका व्यवहार 
अब जानना चाहता था सूरज ।
संध्या-' बेटा अपने अतीत के बारे में मत पूछ, आज तेरे इस भोलेपन के रूप से में बहुत प्रशन्न हूँ जो कमसे कम मेरे साथ बैठकर खाना तो खा रहा है, आज से पहले तो तूने कभी ढंग से बात भी नहीं की"
संध्या रुआंसी हो जाती है ।
सूरज माँ के पास जाता है और गले लगा लेता है संध्या सूरज को सीने से चुपका लेती है।
और बहुत सारी पुच्ची उसके गालो पर करने लगती है।
संध्या बहुत खुश थी आज कई सालो बाद उसने अपने बेटा को सीने से गले लगाया था
संध्या नहीं चाहती थी की सूरज की फिर से

यादास्त वापिस लौटे और वह फिर आवारा गर्दी और अय्यासी के दल दल में चला जाए ।

रात्रि के समय सूरज अपने रूम लेटने चला जाता है। आज पहला दिन था उसके लिए की किसी आलीसान कोठी के सुन्दर 
सुबिधाओं से परिपूर्ण कमरे के नरम गद्दे पर लेटा था।एक ही दिन में उसकी कैसे जिंदगी 
बदल गई इसी के बारे में सब सोच रहा था।
इस घर में सूर्या का रूप तो धारण कर लिया था सूरज ने 
लेकिन अब सूर्या बनकर सारी समस्याओं को कैसे सुलझाया जाए
यही बाते सूरज के मन मस्तिक में दौड़ रही थी ।
सूरज अभी तक अनभिज्ञ था सूर्या के 
परिवार के बारे में कोई जानकारी
हांसिल नहीं थी उसे।

सूरज सोचता है की कैसे सूर्या के बिजनेस को सम्भालू ?
जबकि में गाँव गंवार लकड़ी काटने वाला लकड़हारा इतने बड़े बिजनेस को कैसे
सम्भाल सकूँगा? मुझे सब सीखना होगा,
हालांकि 12वीं तक पढ़ा था सूरज, हिंदी अंग्रेजी और गणित में अव्वल था लेकिन
व्यवस्याय शिक्षा के बारे में जीरो था।
सूरज सोचता है क्यूँ न किसी अच्छे शिक्षक से व्यवस्याय और कम्प्यूटर तकनिकी की
शिक्षा ले ली जाए, बिना कम्प्यूटर ज्ञान के 
अच्छा बिजनेस मेन नहीं बन सकता हूँ।
सूरज मन में ठान लेता है की कल से ही 
शहरी जिंदगी जीने के लिए कम्प्यूटर और
कॉमर्स की ट्युन्सन लगा लूंगा ।
ज़िन्दगी बदलने के लिए खुद को बदलना 
बहुत आवश्यक है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है । इसलिए धीरे-धीरे सब कुछ सीखना है और खुद की बहन पूनम और तनु के लिए भी आगे शिक्षा के लिए स्कूल में दाखिला करवा दूंगा ।
इधर रात्रि के 10 बजे तान्या घर आती है।
संध्या और तान्या आज की बिजनेस मीटिंग
के बारे में डिस्कसन कर रही थी।
संध्या का कपड़ो की फेक्ट्री थी, सभी कपडे विदेश जाते थे ।
तान्या खुश थी क्योंकि आज उसकी कंपनी को पचास करोङ का टेंडर मिला था ।
दोनों माँ बेटी बहुत खुश थी ।संध्या डायनिंग टेबल पर खाना खा रही थी ।
संध्या को आज दो ख़ुशी एक साथ मिली थी,
एक तो उसका बेटा घर आ गया था दूसरी ख़ुशी कंपनी के टेंडर की थी।
संध्या तान्या की ओर कुर्सी डाल कर बैठ जाती है 
और तान्या से बोलती है 
संध्या-" तान्या बेटा तुझ से सूर्या के बारे में बात करना चाहती हूँ ।
तान्या संध्या की ओर देखती है लेकिन
कुछ बोलती नहीं है, तान्या अब से पहले
सूर्या से बहुत नफरत किया करती थी,
बात करना तो दूर की बात उसकी
सकल भी देखना पसंद नहीं करती थी।
तान्या-" बोलो मोम क्या बात करनी है? बेटी के इस नरम रवैये से संध्या खुश थी।
संध्या-" बेटा सूर्या को कुछ याद नहीं है,
उसकी यादास्त वास्तव में चली गई है,
उसके चेहरे के भोलेपन को मैंने
महसूस किया है बेटा, आज से पहले मैंने
कभी सपने में भी नहीं सोचा था की
मुझे बेटा का प्यार नसीब होगा,
हमेसा यही सोचती थी की उसके
अंदर सुधार आए, वो अपनी जिम्मेदारी को
संभाले, बिजनेस और परिवार को ध्यान दे।
ऐसा लगता है जैसे मेरी मनोकामना पूरी हो 
गई हो, में नहीं चाहती हूँ की उसे उसकी
पिछली ज़िन्दगी के बारे में कुछ पता चले और 
वह फिर से उसी दुनिया में लौट जाए"" संध्या गंभीर होती हुई बोली, तान्या भी नहीं
चाहती थी की फिर से इस घर में कलेस हो इसलिए अपनी माँ को भरोसा दिलाती
है की वह उसे उसकी ज़िन्दगी के बारे में कुछ नहीं बताएगी।
तान्या-"माँ तुम बेफिक्र रहो हम उसे कुछ नहीं बताएंगे ।तान्या की बात सुनकर संध्या को सुकून मिलता है। 
संध्या-" बेटी अब सो जाओ बहुत रात हो गई है, कल से तुम सूर्या का थोडा ध्यान रखना, उसे बिजनेस और कंपनी के 
सभी काम सिखाओ" 
तान्या-" ठीक है मोम, में प्रयास करुँगी,
अब आप भी सो जाओ. 
तान्या ने संध्या को गुड नाईट किस्स किया और ऊपर सूर्या के 
बगल बाले अपने कमरे में चली गई


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