जीवन एक संघर्ष है -3

अब सूर्या के परिवार के बारे में थोडा जान लेते हैं -

संध्या सिंह- अपने पिता की एकलौती संतान थी, इनके पिता की 2 फेक्ट्री थी,
अमीर घर की लड़की होने के कारण
इनका विवाह एक रहीश परिवार में हुआ
लेकिन शादी के दो साल बाद इनके पति की मृत्य हो गई। संध्या उस समय तान्या को
जन्म दे चुकी थी ।
संध्या के विधवा होने का दुःख संध्या के पिता बहुत हुआ ।
इसलिए उन्होंने अपने फेक्ट्री में काम करने वाले एक बफादार नोकर BP Singh से करवा दी। सूर्याप्रताप इन्ही से पैदा है ये बात सिर्फ संध्या और BP Singh ही जानते हैं। (झगडे का खुलाशा कहानी के अंत में ही होगा)
संध्या पढ़ी लिखी लड़की थी, अपने पिता का पूरा बिजनेस खुद ही सम्भाला ।
सूर्या के पिता-B.P.Singh 
संध्या के पिता की फेक्ट्री में मजदूरी करते थे, 
संध्या से शादी कर ली क्योंकि संध्या के पिता बहुत बड़े बिजनेस मैन थे। संध्या के पिता के मारने के पस्चात सभी फेक्ट्री के मालिक बन गए।
अमेरिका में रह कर बिजनेस सँभालते हैं।
15 वर्ष पहले अमेरिका चले गए।
संध्या और इनके बीच किसी बात को लेकर
झगड़ा हो गया, झगड़ा किस बात पर हुआ ये बात सिर्फ संध्या ही जानती है।


तान्या-" 24 वर्षीय खूबसूरत लड़की थी 
MBA की पढ़ाई करने के बाद अपनी माँ के साथ खुद की फेक्ट्री और बिजनेस को संभालती है ।
बिजनेस के चक्कर में अपनी असल जिंदगी 
को भूल गई। तान्या किसी मोडल से कम नहीं लगती थी।
लेकिन आज तक उसने कभी अपना bf नहीं बनाया।
थोड़ी सख्त मिजाज और चीड़ चिड़ी स्वभाव की हो गई थी ।
सूर्या से हमेसा इसका झगड़ा रहता था ।

सूर्यप्रताप सिंह- 21 वर्षीय था। BBA करने के लिए मुम्बई होस्टल में पढ़ा, 
गलत सांगत में पड़ कर शराब सिगरेट और 
अय्यासी सीख गया ।लड़ाई झगड़ा करना दोस्तों के साथ देर रात तक घूमना 
इसका सबसे बड़ा शोक था ।
जब होस्टल से वापिस घर आया तो घर की 
नोकरानी के साथ जबरदस्ती शराब के नशे
में बलात्कार कर दिया तब से तान्या इससे बहुत नफरत करने लगी।सूर्या और तान्या का झगड़ा युद्ध स्तर तक बढ़ गया ।
संध्या सूर्या की हरकतों को लेकर बहुत
परेसान रहती । कई बार शराब के नशे में 
तान्या पर हाथ भी छोड़ देता था और गाली गलोच भी करता था ।
पैसा इंसान को बिगाड़ देता है इसका सही
उदाहरण सूर्या था ।
शहर के सबसे बड़े डॉन शंकर की बहन शिवानी को
इसने अपने प्यार के जाल में फसां कर उसके साथ सेक्स किया और फिर उसको छोड़ दिया।
जब ये बात शंकर को पता चली तो उसने सूर्या पर हमला कर दिया सूर्या का आजतक पता नहीं चला लेकिन जब संध्या को 
इस बात का पता चला तो संध्या ने शंकर के 
खिलाफ पुलिस की मदद से शंकर को जेल भिजबा दिया ।
शंकर के आदमी संध्या के दुश्मन बन गए ।
आज मंदिर पर उन्होंने संध्या पर हमला भी
किया लेकिन सूरज ने उन्हें बचा लिया।
शंकर के आदमी सूरज को सूर्या समझ बैठे
और ये बात शंकर को जेल में जाकर
बता दिया । शंकर सूर्या के जिन्दा होने की
खबर सुनकर आग बबूला हो जाता है ।
और मौके का इंतज़ार करता है ।

इधर शंकर डॉन की बहन शिवानी को भी पता चल जाता है की सूर्या जिन्दा है तो 
वह भी अपना बदला लेने के लिए मौके
का इंतज़ार करने लगती हैं।

अब आगे देखते हैं की सूरज की ज़िन्दगी
में क्या होगा ।
सूरज अपनी असली हकीकत को छुपा पाएगा, कब तक अपनी असली पहचान को छुपा रख सकता है ।

1- क्या सूरज अपनी बहन पूनम और तनु को शहर की ज़िन्दगी और खुशियाँ दे पाएगा? 
2-अपनी माँ रेखा के दुखो को कैसे दूर कर पाएगा ।
3- बिजनेस और फेक्ट्री को संभाल पाएगा 
4- तान्या का दिल जित पाएगा
5-संध्या को एक माँ के रूप में उसे खुश रख पाएगा ।
6-शंकर डॉन से लड़ पाएगा
7- शिवानी को न्याय दिला पाएगा
8-"संध्या और BPsingh की लड़ाई झगडे की बजह क्या थी।
9- गाँव का चौधरी हरिया की मौत का बदला कैसे लेगा सूरज से।
सूरज के सामने सूर्या की ज़िन्दगी एक चुनौती की तरह थी जिसे स्वीकार कर लिया था सूरज ने । ये सूरज के लिए एक संघर्ष था जिसमे उसे कामयाबी हांसिल करनी है ।

सुबह के सूरज की पहली किरण सूरज की नई ज़िन्दगी के लिए अहम् थी।

सूरज गहरी नींद में सोया हुआ था।
संध्या उसे उठाने आती है।
संध्या-" सूर्या सूर्या बेटा उठो, सुबह हो गई
नीचे आकर चाय नास्ता कर लो""
सूरज कसमसा कर उठता है ।संध्या प्यार से उसके सर पर हाथ फिरा कर उठा रही थी ।
सूरज-" माँ बस थोड़ी देर में आता हूँ" 
संध्या-" जल्दी फ्रेस होकर आओ बेटा, में नीचे इंतज़ार कर रही हूँ" संध्या चली जाती है ।
सूरज फ्रेस होकर नीचे जाता है । और डायनिंग टेबल पर बैठकर नास्ता करता है।
तभी तान्या तैयार होकर कंपनी के लिए जा रही होती है ।
तान्या-" मोम में जा रही कंपनी, 
संध्या-" नास्ता तो करती जा बेटा"
तान्या-" नहीं मॉम लेट हो रही हूँ,नास्ता
अपने ऑफिस में ही कर लूँगी"इतना कह कर तान्या चली गई ।
मैंने नास्ता कर लिया, आज मुझे पूनम, और
तनु का किसी अच्छे स्कूल में एडमिसन करवाना था इसलिए मुझे भी जल्दी फार्महाउस पर जाना था ।
मै-" माँ में सब कुछ भूल चूका हूँ इसलिए मुझे कम्प्यूटर और बिजनेस की पढ़ाई द्वारा 
सीखनी है, किसी अच्छे इंस्टिट्यूट में पढ़ाई कर लेता हूँ,
संध्या-" ये तो अच्छी बात है, इस शहर का 
सबसे बड़ा इंस्टिट्यूट 
" जे.एस.इंस्टिट्यूट" है उसमे चले जाना, 
में फोन से बात कर लूँगी, तुम्हे कोई परेसानी नहीं होगी, 
सूरज-" ठीक है माँ में गाडी से चला जाता हूँ" 
संध्या-" एक मिनट रुक बेटा" संध्या अपने पर्स में दो ATM निकाल कर देती है।
संध्या-" बेटा ये ATM है जितने पैसो की जरुरत हो निकाल लेना" संध्या दोनों के पासवर्ड बता देती है और साथ में एक मोबाइल भी दे देती है ।
संध्या-" बेटा कोई परेसानी हो तो फोन कर लेना"
सूरज-" ठीक है मॉम चलता हूँ अब" अपनी माँ को गले लगता है और बहार ड्राइवर को लेकर चल देता है फार्महाउस की तरफ।
सूरज गाडी की सीट पर जैसे ही बैठता है उसे एक पैकेट दिखाई देता है ।
सूरज पैकेट को खोल कर देखता है तो उसे ब्रा और पेंटी दिखाई देती हैं ।
सूरज चोंक जाता है और मन में सोचने लगता है की शायद कल शॉपिंग वाले बेग से गिर गया होगा ।
सूरज सोचता है की अब तनु को यह कैसे दिया जाए ।
सूरज ब्रा और पेंटी के गिफ्ट पैक को गाडी की जेब में रख देता है । और अपनी माँ संध्या के दिए गए मोबाइल को देखने लगता है ।
सूरज android फोन लेकर बहुत खुश था।
काफी देर मोबाइल को देखते देखते फार्म हाउस आ जाता है।
सूरज घर पहुचते ही देखता है 
तनु और पूनम नास्ता करके गप्पे मार रही थी। जैसे ही सूरज को सब लोग देखते हैं खुश हो जाते हैं ।

सूरज-" पूनम और तनु दीदी आप दोनों 
मेरे साथ चलो आपका एड्मिसन करवाना है।
पूनम-" अभी चलना है?
सूरज-" हाँ दीदी
तनु-" 5 मिनट रुको हम दोनों तैयार होकर आते हैं ।
पूनम और तनु खुश होकर तैयार होने चले जाते हैं ।
5 मिनट में दोनों बहने तैयार होकर घर से इंस्टिट्यूट चल देते हैं ।
पूनम और तनु बहुत खुस थी ।
institute के प्रिसिपल ऑफिस में पहुचकर 
सूरज अपना परिचय देता है ।
प्रिसिपल-" खड़ा होकर! सूर्या सर आइए 
ये इंस्टिट्यूट आपका ही है । संध्या मेडम का फोन आ गया था मेरे पास ।
सूरज-" धन्यवाद प्रिंसिपल जी, तीन एड्मिसन आपको करने है । 
सूरज तनु और पूनम का एडमिसन करवा देता है । और स्वयं का भी ।
पूनम का BBA में एड्मिसन और तनु का 
12वीं में करवाता है । और खुद कम्प्यूटर क्लासेस में करवाता है ।
प्रिंसिपल-" बेटा आप लोग कल से क्लासेस अटेंड करने आइए ।आपको कोई परेसानी नहीं होगी ।
सूरज-' सर फीस बताइए कितनी देनी है"
प्रिंसिपल हाथ जोड़ कर खड़ा हो जाता है।
प्रिंसिपल-" हमारे इंस्टिट्यूट का सोभाग्य है की आप आए हो ।हमारा इंस्टिट्यूट आपके ही पैसो से चलता है । 
सूरज प्रिंसिपल को नमस्ते बोल कर वापिस चल देता है ।
इंस्टिट्यूट बहुत आलीसान कई एकड़ जमीन में बना हुआ था ।
पूनम और तनु तो आँखे फाड़ कर उसकी भव्यता का मुयायना कर रही थी।
सभी लोग गाडी में बैठ कर फ़ार्म हाउस की तरफ चल देते हैं ।
सूरज-"दीदी आप दोनों डेली क्लास अटेंड जरूर करना, में अभी आ जाया करूँगा।
फ़ार्म हाउस पहुच कर सब अपने रूम की ओर चले गए । 
सूरज तनु और पुनम अपनी पढ़ाई में मगसुल हो जाती है ।
रोजाना इंस्टिट्यूट जाना और घर आ कर पढ़ाई करना ।
इधर तान्या दीदी कंपनी के बढ़ते कारोबार के चक्कर में पुरे दिन व्यस्त रहना ।
संध्या सूरज को कारोबार के बारे में हर एक जानकारी बता दिया करती थी ।

इसी प्रकार सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था । सब बहुत खुश थे ।
कहानी को थोडा आगे बढ़ाते हुए 
After 5 Month......
5 महीने का समय सूरज पूनम और तनु का 
स्कूल क्लासेज में ही बीत जाता है ।
इन पांच महीनो में सूरज पूनम और तनु शहर के माहोल में ढल जाते हैं ।
वर्तमान परिवेश के हिसाब से सूरज पूनम और तनु मोबाइल, गाडी और कम्प्यूटर सब कुछ सीख जाती हैं ।
बड़े इंस्टिट्यूट के माहोल में आकर नई नई सहेलिया भी बना ली थी । 
पूनम तो बहुत सीधी लड़की थी लेकिन तनु की सहेलियों का बहुत बड़ा गैंग बना लेती हैं। पूनम ने भी अपनी हमउम्र की सीमा नाम की सहेली बना ली थी ।
सीमा दिल की बहुत अच्छी लड़की थी लेकिन सेक्स की बहुत प्यासी थी ।
जब भी पूनम के पास बैठती अपने bf की बाते और उसके साथ किए गए सेक्स की बातें करती रहती थी ।
पूनम सीमा को डांटती रहती लेकिन सीमा जब तक अपनी सेक्स की पूरी बात न बता देती तब तक उसे सुकून नहीं मिलता।
इन सब बातों को सुनकर पूनम के अंदर हलचल सुरु हो जाती थी और रात मे उंगलियो से अपने जिस्म की भड़ास को शांत कर लेती थी । ये उम्र का तकाज़ा ही ऐसा होता है। जिस प्रकार भूक मिटाने के लिए ईश्वर ने भोजन की व्यवस्था की है उसी प्रकार जिस्म की भूक शांत करने के लिए नर और नारी के निशेचन क्रिया की व्यवस्था की है ।
पूनम की उम्र के हिसाब से उसे पति की आवस्यकता महसूस होने लगी थी ।
कॉलेज में उसे कई लड़के लाइन भी मारते थे लेकिन डरती थी कहीं कुछ गलत न हो जाए। समाज और परिवार का भय ऊपर से उसका लालन पालन गरीबी में हुआ । पूनम हर अमीर लड़के से बात करने में कतराती थी । पूनम पढ़ने में होशियार थी कुछ ही समय में पूरा कॉलेज उसकी होशियारी की दाद देता था ।
तनु भी पढ़ने में बहुत होशियार थी लेकिन वह अपनी सहेलियों के साथ पुरे दिन गप्पे मारती रहती थी । तनु हँसमुख थी कॉलेज का हर लड़का उसे देख कर आहें भरता था । तनु लड़को को जलाने में बहुत मजा आता था । तनु की एक सहेली शैली नाम की थी बहुत ही चुदक्कड़ टाइप की थी । शैली सूरज पर बहुत फ़िदा थी । एक दिन तनु और शैली कॉलेज के केन्टीन में बैठी हुई थी तभी सूरज वहां आता है । तनु भाई को देख कर तुरंत अपने पास कुर्सी पर बैठाल लेती है ।
सूरज-" तनु दीदी आज आपने क्लास अटेंड नहीं की? 
तनु-" नहीं सूरज बड़ा बोरिंग चेप्टर पढ़ा रहें हैं टीचर इसलिए केन्टीन आ गई ।
शैली-" सूरज तुम तो पुरे दिन पढ़ाई में ही चुपके रहते हो कभी हमारे पास भी बैठ जाया करो"" सूरज को बड़े सेक्सी अंदाज में बोलती है । तनु शैली को आँखे दिखाती हुई चुप रहने को बोलती है ।
सूरज-" शैली दीदी ! कॉलेज पढ़ाई करने के लिए होता है, कभी घर आओ वहीँ बैठ कर बातें करेंगे"" सूरज शैली को दीदी बोलता है । शैली मन ही मन चिढ जाती है ।
सूरज वहां से उठ कर क्लास अटेंड करने क्लास रूम में चला जाता है ।
शैली-" तेरा भाई कितना अकड़ू है कभी ढंग से बात ही नहीं करता है ।
तनु-" वो मेरा भाई है तू अपना हवसी दिमाग उसपर मत चला"हस्ती हुई बोलती है।
शैली-" कितना हेंडसम है तेरा भाई, एक बार सेट करवा दे, उसे भी रोमांटिक बना दूंगी"
तनु-' अपनी बकबास बंद कर शैली तुझसे उम्र में छोटा है" डाँटती हुई बोली
शैली-" उम्र में छोटा हुआ तो क्या बात है उसका पप्पू बड़ा होना चाहिए" तनु अपने भाई के बारे में ऐसी बात सुनकर शर्मा जाती है और शैली को मारने लगती है ।
तनु-" साली तू कभी नहीं सुधरेगी, तेरे दिमाग में सेक्स का कीड़ा घुसा है" 
शैली-"वही कीड़ा तू एक बार घुसवा ले तुझे भी चस्का चढ़ जाएगा"शैली छेड़ती हुई बोली 
तनु का चेहरा लाल पढ़ जाता है ।
सेक्स की बातों में तनु को बहुत मजा आता था । 
शैली ने तनु को सेक्स की सभी प्रकार की मूवी दिखा चुकी थी । कई बार तो शैली अपने घर तनु को बुला कर घर ले जाती थी जब घर पर उसके मम्मी पापा कहीं बहार होते थे । शैली लेपटोप में ब्लू फ़िल्म लगा कर तनु के सामने ही अपनी चूत में ऊँगली करने लगती थी । तनु चुपचाप देखती रहती कभी उसने शैली के सामने ऊँगली नहीं की हालांकि उसकी भी पेंटी गीली हो जाती थी ।तनु घर आकर बाथरूम में ऊँगली या टूथब्रूस का उल्टा हिस्सा अपनी चूत में डाल कर अपनी काम अग्नि को शांत करती थी।
सूरज को भी सेक्स में बहुत रुचि थी लेकिन किसी के साथ अपनी सेक्स फिलिंग्स को शेयर नहीं करता था ।
ज़िन्दगी ऐसे ही गुज़र रही थी ।
बदलते वक़्त और परिवेश में अपने आपको ढालते गए ।
लेकिन आने वाला समय एक तूफ़ान की ओर अग्रसर था जिससे तीनो बहन भाई अनजान थे ।
ये तूफ़ान हवस का था। देखते हैं इस तूफ़ान से किस किस की ज़िन्दगी बदलती है।

समय का पहिया अपनी रफ़्तार से बढ़ रहा था । ये रफ़्तार इतनी तेज थी की
सूरज और पूनम तनु की ज़िन्दगी भी बदल सी गई थी ।शहर की इस ज़िन्दगी ने पुरानी 
गाँव की यादों को बहुत पीछे छोड़ दिया था। गाँव के उस काले अतीत को सभी ने अपने दिलो दिमाग से निकाल दिया था।
सभी अपने इस आधुनिक जीवन से खुश थे।
संध्या अपने बेटे के भोलेपन और मधुर व्यवहार से खुश थी ।
तान्या अपने काम से काम रखती थी
कंपनी को संभालने में ही उसका पूरा दिन लग जाता है 
इधर पूनम और तनु कॉलेज से घर और सहेलियों में दिन कब कट जाता है ।
थोडा बहुत समय मिलता है तो whatsap और fecebook में चेंटिंग करती रहती है ।
सूरज ने दोनों बहनो को android फोन दिलवा दिया था ।
सूरज ने तनु के लिए एक्टिवा गाडी दिलबा दी थी स्कूल जाने के लिए, पूनम और तनु एक साथ स्कूल जाती और आती थी ।
सूरज खुद bike या कभी कार से स्कूल आता जाता था ।
स्कूल में तनु शैली पूनम और सीमा की मस्ती चलती रहती थी ।
एक दिन सूरज केंटीन में बैठ कर कोल्डरिंग पी रहा था । तभी तनु और शैली सूरज के पास आती हैं ।
तनु-" सूरज भाई अकेले ही बैठकर कोल्डरिंग पी रहे हो"
सूरज-"ओह्हो तनु दीदी आप, बैठो आपके लिए कोल्डरिंग मंगवाता हूँ ।
शैली-" सिर्फ अपनी दीदी के लिए और में क्या पियूँगी? शैली नटखट अंदाज़ में बोलती है ।
सूरज-" आपके लिए भी मंगवाता हूँ शैली दीदी बैठो ।कुर्सी पर बैठने के लिए बोलता है ।
बेटर सबके लिए कोल्डरिंग और नास्ता लगाता है । 
तनु-" सूरज आज शैली का बर्थ डे है" 
सूरज-" ओह्हो अच्छा Happy birth Day शैली दी ।
शैली-" इस तरह wish कबुल नहीं करुँगी"शैली मुँह बनाते हुए बोली
सूरज-" फिर कैसे दीदी"
शैली-" आज मेरे घर पर आकर celebrete करना होगा तुम्हे और तनु को"'
सूरज-" में नहीं आ पाउँगा तनु दीदी चली जाएगी"
तनु-" सूरज में अकेली नहीं जाउंगी, वो भी रात में"
शैली-"में कुछ नहीं सुनना चाहती हूँ तुम दोनों को ही आना पड़ेगा मेरे घर"
सूरज-" ठीक है आ जाउंगा" शैली और तनु खुश हो जाती हैं ।
शैली-" 9 बजे से आ जाना पक्का, बरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा"शैली अपना हुकुम सुनाती हुई बोलती है ।
तीनो हँसने लगते हैं । इंस्टिट्यूट की छुट्टी के बाद सभी अपने घर चले जाते हैं ।
सूरज घर आकर कंपनी के बारे में स्टडी करने लगता है । अपनी कंपनी के बारे में बहुत कुछ सीख गया था ।लेकिन अभी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार नहीं था।
संध्या सूरज की इस लगन को देख कर बहुत खुश थी ।
सूरज का अधिक समय पढ़ाई में निकलता था । 
ज्यादा थक जाने पर सो जाता था ।
सूरज अपने कमरे में सो रहा था तभी उसका मोबाइल बजा 
सूरज मोबाइल देखता है तनु की कई मिस्ड कोल थी ।सूरज को याद आता है उसे आज शैली के जन्मदिन पर घर उसके घर जाना था।
सूरज फोन उठाता है ।
तनु-"सूरज कहाँ हो कबसे फोन कर रही हूँ"
सूरज-"दीदी कंपनी में हूँ पता नहीं चल पाया"(सूरज ने पूनम तनु और रेखा को यही बताया था की वो कंपनी में ही रहता है)
तनु-" 9 बज रहें है शैली के घर भी जाना है"
सूरज घडी में समय देखता है तो चोंक जाता है ।
सूरज- दीदी बस 15 मिनट में आ रहा हूँ आप तैयार मिलो"
तनु-"में तैयार हूँ तुम जल्दी आओ" 
सूरज-" बस अभी आया"फोन काट देता है।
सूरज आनन् फानन में तैयार होकर नीचे आता है ।
संध्या कंपनी की फ़ाइल पढ़ रही थी।
सूरज-"माँ में एक दोस्त के जन्मदिन में जा रहा हूँ । थोडा लेट हो जाऊँगा"
संध्या-" बेटा रात ज्यादा हो जाए तो बहीं रुक जाना और मुझे फोन कर देना, संभल कर जाना।
सूरज-" ठीक है माँ"
संध्या-" गाडी से जाना bike से नहीं
सूरज-"okkk मेरी माँ, जा रहा हूँ लेट हो गया हूँ । 
सूरज गाडी निकाल कर चल देता है ।
गाडी को खुद ही ड्राइव कर बड़ी तेजी से रोड पर दौड़ता हुआ 15 मिनट में फ़ार्म हाउस पहुँचता है ।
तनु बहार ही सूरज का इंतज़ार कर रही थी । सूरज गाडी को तनु के पास रौकता है और आगे वाली फ्रोन्ट सीट बैठा कर पुनः गाडी को हाईवे पर दौड़ाने लगता है ।
तनु-" कितनी देर लगा दी सूरज, शैली पचास बार कॉल कर चुकी है मेरे पास"
सूरज-" सॉरी दीदी" तनु की ओर देखते हुए बोलता है । तनु पंजाबी कुर्ती और ब्लैक लेगी पहनी हुई थी ।बहुत सुन्दर लग रही थी।
सूरज-" वाह्ह दीदी इस ड्रेस में पंजाबन कुड़ी लग रही हो एक दम गज़ब"' 
तनु-" ग़ज़ब तो में हूँ ही, इसमें कोई शक नहीं है" तनु atitude में बोलती, मजाक के लहजे में और हसने लगती है ।
सूरज-" वो तो है दीदी, मेरी दीदी गज़ब तो होगी ही"' हस्ते हुए
बात करते हुए शैली का घर आ जाता है ।
सूरज गाड़ी को साइड में लगा कर लोक करता है ।
तनु गेट बजाती है ।
दरवाजा शैली खोलती है और तनु को भला बुरा कहने लगती है ।
शैली-" आ गई महारानी, बड़ी जल्दी आ गई तुम"
तनु-" में तो जल्दी तैयार हो गई, सूरज ही लेट आया तो में क्या करू"'
जब तक सूरज भी आ जाता है ।
सूरज-" दीदी बहार ही खड़ा रखोगी क्या, अंदर तो आने दो" 
तनु-"ओह्हो में तो भूल ही गई ।
तीनो लोग अंदर आते हैं ।
तनु बहुत सेक्सी हॉट ड्रेस पहनी हुई थी ।
जिसमे उसके आधे बूब्स और झाँघे नंगी थी। सूरज की नज़र कभी उसके बूब्स पर जाती तो कभी उसकी जांघो पर ।
शैली का घर बहुत आलीसान बना हुआ था । सूरज लॉन में पड़े सोफे पर बैठ जाता है 
तनु शैली के साथ किचेन में थी ।
शैली बात तनु से कर रही थी लेकिन उसकी नज़र सूरज पर थी ।
शैली सूरज के लिए कोल्ड ड्रिंक लेकर आती है । जैसे ही झुकती है उसके बूब्स सूरज के सामने आ जाते हैं ।टॉप के अंदर ब्रा न होने के कारण उसके निप्पल सूरज को दिखाई दे जाते हैं ।
सूरज हड़बड़ा सा जाता है आज से पहले उसने किसी लड़की के खुले बूब्स और निप्पल तक नहीं देखे । सूरज के जिस्म में खुनी बड़ी तेजी से दौड़ने लगता है ।
सूरज कभी शैली के बारे में गलत नहीं सोचता था हमेसा उसे दीदी की तरह ही मानता था ।
शैली भी सूरज की नज़र अपने बूब्स पर पाकर मंद ही मंद मुस्करा देती है ।
उसके चेहरे की कुटिल मुस्कान से ऐसा लग रहा था की उसने ये सब जानबूझ कर किया हो ।
शैली-" क्या हुआ सूरज पियो न" सूरज हड़बडाता हुआ कोल्डरिंग का ग्लास लेकर पिने लगता है । शैली भी कम नहीं थी 
अपनी हर बात को ऐसे बोलती थी जिसका दो अर्थ निकलता हो ।
सूरज-" धन्यवाद दीदी" कोल्ड ड्रिंक का ग्लास खाली करते हुए बोलता है ।

शैली-" सूरज कोल्ड ड्रिंक और पीओ न" फिर से झुक कर सूरज के ग्लास में कोल्ड ड्रिंक डालने लगती है लेकिन सूरज मना कर देता है । सूरज की नज़र फिर से शैली के बूब्स पर पहुच जाती है इस बार पहले से ज्यादा उसके बूब्स और निप्पल दिखने लगते हैं । सूरज के जिस्म में उत्तेजना का संचार होने लगता है और उसके लिंग में तनाव महसूस करता है । तनु इन सब से बेखबर थी । किचेन में ही खड़ी होकर कोल्ड ड्रिंक पी रही थी ।
शैली-" कोल्ड ड्रिंक पसंद नहीं है तो दूध पिओगे" शैली के इस धमाके से सूरज हिल जाता है और शैली के बूब्स की ओर देखने लगता है । शैली को सूरज को तड़पाने में बड़ा आनंद आ रहा था । सूरज ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की शैली उससे इतना खुल कर बात करेगी ।
शैली-" बोलो न सूरज दूध पिओगे? एक गिलास ले आऊं दूध किचेन से ।शैली बात को संभालते हुए बोली ।
सूरज बड़ा सुकून मिलता है की शैली अपने दूध की नहीं किचेन में रखे दूध पिने के लिए बोल रही है ।
सूरज-" नहीं दीदी बस, अब कुछ नहीं" सूरज के मुख से शब्द भी नहीं निकल रहे थे । शैली सूरज की हालात को देख कर मुस्कराती हुई किचेन में चली गई ।
सूरज अभी भी सोफे पर बैठा शैली के बारे में सोच रहा था, शैली का जिस्म और सुन्दर रूप सूरज के दिलो दिमाग पर प्रहार कर चुकी थी । बार बार उसकी नज़रे शैली के गोलाकार नितम्ब पर टिक जाती थी ।
सूरज के जीवन में यह पहली घटना थी कीसी लड़की के वक्ष स्थल को स्पष्ट तरीके से मुयायना करना,शैली के स्तन का आकार 34D से कम नहीं था और नितम्ब भी बहार की ओर निकले हुए थे ।
सूरज अपने मन पर काबू करता है और अपना ध्यान शैली से हटाने का प्रयास करता है । शैली तनु दीदी की सहेली है और हमेसा शैली को एक बहन की नज़रो से ही देखा है । पुरे विस्व में भारत ही एक ऐसा देश हैं जहां लड़का एक बार किसी से रिश्ता जोड़ ले फिर कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचता।लेकिन यहां लगती सूरज की नहीं थी वल्कि शैली की थी जिश्म की आग को शांत करने के लिए किसी भी हद तक जाने वाली लड़की थी । बड़े बड़े धुरंदर शैली के bf हुए जो शैली के जिस्म की आग शांत करने का दावा करते रहे लेकिन कोई भी उसकी आग शांत नहीं कर पाया ।
शैली सूरज के कठोर जिस्म,लंबा तगड़ा शरीर को देख कर सम्मोहित थी ।उसके लम्बे शरीर को देख कर उसके लिंग का मापन अपनी कल्पनाओं में करती थी ।
कई बार मूली,खीरा को अपनी प्यासी चूत में डालकर सूरज के कठोर और सख्त लंड की कल्पना कर चुकी थी ।
सूरज अपनी सोच में डूबा देख शैली और तनु उसके पास आकर सोफे पर बैठ जाती है ।
सूरज सोचता है की आज शैली का जन्मदिन है और घर पर कोई चौथा इंसान इस घर में दिखाई नहीं दे रहा है ।
सूरज-" शैली से! दीदी आज आपका जन्मदिन है और घर में कोई दिखाई नहीं दे रहा है? 
शैली-" मम्मी पापा बिजनेस ट्रिप पर गए हैं ।में घर पर अकेली थी, तो सोचा तनु और तुम्हे बुलाकर ही अपना जन्मदिन मना लू ।
सूरज-" लेकिन दीदी सिर्फ हमदोनो को ही क्यूँ बुलाया आपने और भी तो आपके रिलेटिव होंगे, 
शैली-" जो लोग दिल के सबसे करीब होते हैं उन्हें ही बुलाया जाता है, और किसी को मेरी फ़िक्र ही नहीं है, मेरे मम्मी पापा को तो मेरा जन्म दिन याद ही नहीं है।उनके लिए उनका बिजनेस से बढ़कर कुछ नहीं है" शैली भावुक होकर बोली
तनु-" कोई नहीं शैली हम न, यादगार जन्मदिन मनाएगें तेरा"
सूरज-" हाँ दीदी आप परेसान मत हो, 
हम तीनो लोग ही काफी है धमाकेदार जन्मदिन मनाने के लिए" शैली यह सुनकर खुश हो जाती है ।
तनु-" शैली यह बता तूने क्या क्या तैयारी की है, खाने में क्या बनाया है"
शैली-" मैंने रोस्टेड चिकेन, चिकेन कोरमा, बिरयानी बनाई है" 
सूरज-" वाह्ह दीदी, जल्दी से केक काटो फिर खाना खाते हैं"
तनु-" चलो में जल्दी से केक काटने के तैयारी करवाती हूँ, शैली किस रूम में केक काटना है?? उसी रूम को तैयार कर देती हूँ" 
शैली-" केक यहीं लॉन में सोफे पर बैठ कर काटूंगी और यहीं बैठ कर खाना खा लेंगे" 
शैली का घर बहुत बड़ा था नीचे बहुत बड़ी लॉन थी जिसमे चार सोफे पड़े थे दीवार पर बहुत बड़ी LCD TV लगी हुई थी । नीचे दो रूम और एक गेस्ट रूम था बराबर में किचेन और डायनिंग टेवल थी । ऊपर शैली का रूम था और बराबर में स्टडी रूम था जिसमे कम्प्यूटर और म्यूजिक सिस्टम लगा हुआ था ।
तनु और शैली किचेन में रखे फ्रिज से केक निकाल कर सोफे के बीच में रखे टेबल पर रख देती हैं ।
तभी तनु बोलती है थोडा म्यूजिक होता तो मजा ही आ जाता ।
शैली-" म्यूजिक ऊपर स्टडी बाले रूम में लगा है उसको अभी यहीं नीचे सेट करवा देती हूँ, सूरज तुम मेरे साथ चलो म्यूजिक ऊपर अलमारी में लगा है उतरवाने में मेरी मदद करो"
सूरज-" ठीक है दीदी चलो" सूरज थोडा घबरा भी रहा था 
शैली-" तनु तुम जब तक किचेन में सलाद काटकर रखो"
तनु-" okkk 
शैली सूरज को ऊपर रूम में लेकर जाती है।
म्यूजिक सिस्टम का बॉक्स ऊपर की अलमारी में रखा था। अलमारी बहुत ऊँचाई पर थी ।
शैली-" सूरज म्यूजिक ऊपर अलमारी से कैसे उतारा जाए ?
सूरज-" दीदी आप स्टूल पर चढ़कर उतार लो" शैली के दिमाग में तभी एक प्लान आता 
शैली-' रुको में बहार से स्टूल लेकर आती हूँ । शैली बहार जाकर अपनी पेंटी उतार देती है शैली मिनी स्कर्ट पहनी होती है जो उसकी जाघों तक ही थी। शैली की शैतानी खोपड़ी कई गुना तेज चलती है ।आज उसने सूरज को अपनी चूत दिखाने का पूरा मन बना लिया था । शैली जल्दी से स्टूल लेकर रूम में जाती है और अलमारी के नीचे सेट कर उसपर खड़ी होने लगती है ।
शैली-" सूरज तुम स्टूल को पकड़ो" सूरज स्टूल को पकड़ कर खड़ा हो जाता है, 
शैली की कमर की तरफ सूरज का मुँह होता है ।सूरज को चूत के दर्शन कराने के बारे में सोच कर शैली की चूत से कामरस की कुछ बूदें निकलने लगती है ।
शैली म्यूजिक सिस्टम को निकालने की कोसिस करने लगती है उसका हाथ वहां तक पहुँच नहीं पा रहा था ।
शैली पंजो के बल पर खड़ी होने का प्रयास करती है लेकिन खड़ी नहीं हो पाती है ।
शैली-" सूरज स्टूल को छोड़ कर मेरी कमर को पकड़ो, मेरा हाथ अंदर नहीं पहुच पा रहा है" 
सूरज कपकपाते हुए हाथो से शैली की कोमल कमर को जैसे ही पकड़ता है शैली और सूरज के जिश्म में सैलाव सा आ जाता है । शैली की सिसक भरी सिसकी निकल जाती है और उसकी चूत से कामरस की दो चार बुँदे निकलने लगती हैं ।
सूरज जैसे ही शैली की कमर को पकड़ता है उसकी नाक शैली की चूत के सामने आ जाती है । शैली बड़ी चालाकी से अपनी स्कर्ट को ऊपर की ओर खींच लेती है जिससे उसकी चूत सूरज की आँखों से सामने आ जाती है । सूरज ने जैसे ही शैली की चूत को देखा उसके लंड ने पेंट के अंदर खुली आज़ादी के जंग के लिए बगावत कर दी ।वो आज़ाद होना चाहता था शैली की रणभूमि चूत से जंग लड़ना चाहता था । लंड की खूंखार अकड़ और बार बार तोप सामान सलामी से उसके जिश्म और दिमाग में एक क्रान्ति पैदा हो गई थी सूरज ने कभी किसी के साथ सम्भोग नहीं किया लेकिन काम क्रिया के सभी ज्ञान से परिचित था।शहर में आने के बाद और इंस्टिट्यूट में दोस्तों के द्वारा अक्सर सेक्स ज्ञान सुनता रहता था ।
शैली जैसे ही पंजो के बल ऊपर की ओर उचक्ती है उसकी चूत सुरज की नाक की नोक से रगड़ जाती है और चूत से निकले कामरस उसकी नाक पर बहने लगता है ।
शैली की मुह से सिसकारी फूटने लगती है लेकिन बड़ी हिम्मत के साथ अपनी आवाज को निकलने नहीं देती है । सूरज पूरी तरह से सेक्स की आग में झूलसने लगता है ।अपने आपको बड़ी हिम्मत के साथ कंट्रोल करता है । सूरज की जगह अगर कोई और लड़का होता तो अबतक पटक कर उसकी चूत की धज्जियाँ उडा देता लेकिन वह मजबूर था वह अपनी मर्यादा को पार नहीं करना चाहता था ।
सूरज के दोनों हाथ शैली की कमर पर थे और उसकी चूत अभी भी उसकी नाक की नोक से रगड़ रही थी, सूरज की नज़र शैली की हलके बालो से हरी भरी रसीली चूत पर टिकी हुई थी शैली जैसे ही पंजो के बल ऊपर की और उचकाती उसकी चूत में सूरज की नाक की नोक घुस जाती शैली को ऐसा करने में ही बड़ा मजा आता है और सोचती है सूरज की नाक के रगड़ने से इतना मजा आ रहा है अगर लण्ड को चूत में घुसवाया तो कितना मजा आएगा इसी बात को सोचते हुए उसकी चूत से पानी बहने लगता है और सूरज की नाक से बहते हुए उसके होंठो तक पहुचने लगता है । सूरज की नाक जैसे ही शैली की चूत में घुसती उसकी चूत की मादक सुघंध सूंघ कर उसका लण्ड फनफनाने लगता और नसे फूलने लगती ।
शैली की चूत का रस नाक से होते हुए उसके होठों तक बहने लगता है सूरज पर रहा नहीं जाता और शैली के कामरस को होठों पर 
जीव्ह के माध्यम से चाटने लगता है ।
शैली के कामरस का स्वाद
नमकीन और कसेला था सूरज सारा पानी चाट गया। सूरज का मन कर रहा था की शैली की चूत में जीव्ह डाल कर उसकी चूत का सारा पानी पी जाए लेकिन डरता था ।
शैली और सूरज दोनो जिश्म जिस्म की भड़ास और हवस को शांत करने के में जुटे हुए थे । हालांकि दोनों अनजान बनकर ही एक दूसरे के नज़दीक आ रहे थे ।
शैली की चूत बार बार रगड़ खाने से चर्मसीमा के नजदीक पहुँच जाती है ।
म्यूजिक का डिब्बा पकड़ने के लिए बार बार उचकने से उसकी चूत से कामरस का सैलाव और चरम स्खलन की तीब्रता बढ़ जाती है । सूरज भी इस हवस के चरम स्खलन अपने लण्ड महसूस करता है और शैली की कमर को तेजी से पकड़ कर अपनी नाक चूत में बलपूर्वक घुसाने का प्रयत्न करने लगता है ।
सूरज के इस साहसी बल और कामोत्तेजना को महसूस करती है और चूत को के छेड़ में सूरज की नाक की नोक को अंदर महसूस करते हुए उसका जिस्म में एक अकड़न पैदा होती है। शैली की चूत से कामरस की बौछार सूरज की नाक और मुँह पर होने लगती है । इधर सूरज भी पेंट के अंदर की थोडा सा झड़ जाता है लेकिन पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो पाटा है ।
सूरज जेब से रुमाल निकालता है और मुँह पर लगे कामरस, चूत रस को साफ करता है और पानी को चाट जाता है ।
शैली के झड़ते ही उसे कमजोरी का अहसास होता है।शैली इस बात से अनजान थी की चूत का पानी सूरज ने चाट कर देखा है । सूरज पूरी तरह से हवस में डूब चूका था, दुबारा मौका मिला तो वह चुकेगा नहीं ।
पहली चुदाई का उदघाटन शैली की चूत से ही करेगा । यदि आज नीचे तनु न होती तो शायद अभी इसी वक़्त पटक के चोद भी देता ।
शैली ने जैसा सोचा उससे ज्यादा उसको मजा आया । स्त्री के पास दुनिया का सबसे बड़ा हथियार उसका जिस्म और सूराख ही है। बड़े बड़े महात्मा भी स्त्री के सामने पानी मांग गए तो सूरज जैसे एक तुच्छ इंसान की औकाद ही क्या ।
शैली अपनी काम्यावी पर खुश थी लेकिन यह तो सिर्फ सुरुआत थी जब तक सूरज का लण्ड अपनी चूत में न घुसवा ले तब तक उसे चैन कहाँ था ।
तभी नीचे से तनु की आवाज़ आती है ।
तनु-' अरे जल्दी आजा शैली, क्या हुआ इतनी देर क्यूँ लगा दी" नीचे से ही आवाज़ लगाती है ।
शैली-" अभी आई तनु बस पांच मिनट रुक"
शैली सूरज का कन्धा पकड़ कर नीचे उतरती है ।
शैली-" सूरज संभाल कर पकड़ लेना, म्यूजिक साउंड बहुत अंदर की ओर है इसलिए रहने दो टीवी पर ही सांग चला लेंगे"
सूरज-" ok कोई नहीं दीदी, आप आओ, गिरने नहीं दूंगा" सूरज शैली की कमर को पकड़ कर गॉद में उठाकर नीचे उतार देता है ।
शैली के बूब्स सूरज के मुँह पर दब जाते हैं ।
सूरज-" दीदी आप तो बहुत हलकी हो" 
शैली-" हाँ सूरज, खाना पीना शारीर के सिर्फ दो ही जगह लगता है इसलिए ऊपर और नीचे का आकर बढ़ गया है वाकी जगह नहीं" शैली अपने बूब्स और नितम्ब की ओर देखते हुए बोलती है ।सूरज शैली का इशारा समझ जाता है और शर्मा जाता है । अभी की चूत रगड़ाई की घटना को अनजान तरीके से पर्दा डाल दिया था जैसे कुछ हुआ ही न हो और सामान्य तरीके से बात कर रहे थे ।
सूरज-" (बूब्स और नितम्ब देखते हुए) हाँ दीदी यह तो सच है शारीर का विकास सिर्फ दो ही जगह हुआ है" और हँसने लगता है ।तभी शैली की नज़र सूरज की पेंट पर पड़ती है जहां सूरज के वीर्य से भीगी हुई थी ।
शैली-" अरे सूरज तेरी पेंट कैसे गीली है" शैली सूरज के लण्ड की ओर इशारा करती है । सूरज के होश उड़ जाते हैं, उसका लण्ड अभी भी पेंट के अंदर तम्बू की तरह खड़ा था । शैली जानबूझ कर उसे उकसा रही थी । शैली चाहती थी की सूरज उसके साथ थोडा खुल जाए फिर तो उसका लण्ड लेने में आसानी होगी।

शैली-" अरे सूरज ये तुम्हारी पेंट गीली कैसे हो गई? सूरज हड़बड़ा जाता है यह सुनकर, सूरज स्वयं झुककर पेंट की तरफ देखता है चैन के पास वीर्य के निकलने से थोडा सा हिस्सा गिला था ।
सूरज-" दीदी पसीना से भीग गई है" सूरज के मुख से बड़ी मुश्किल से झूठ निकला लेकिन शैली अच्छी तरह से जानती थी की ये वीर्य के निसान है ।शैली कामयावी की कुटिल मुस्कान के साथ बोलती है ।
शैली-" लोगों के माथे से पसीना टपकता है तेरे निचे से पसीना निकलता है, ऐसा लग रहा है तूने पिशाव कर ली हो" हस्ते हुए बोलती है ।
सूरज अपनी शर्ट को पेंट के अंदर से निकाल लेता है ताकी उसका गीलापन छुप जाए ।
तनु देखेगी तो पता नहीं क्या सोचेगी ।
शैली हँसते हुए निचे चलने के लिए बोलती हैं क्यूंकि तनु बहुत देर से बुला रही थी यदि ज्यादा देर रुके तो ऊपर भी आ सकती थी । दोनों लोग जैसे ही नीचे पहुँचते है शैली खुश हो जाती है तनु ने केक काटने की सारी तैयारियां कर ली थी ।
तनु-" क्या हुआ म्यूजिक सिस्टम लेकर नहीं आई? 
शैली-" म्यूजिक सिस्टम बहुत ऊँचाई पर रखा है इसलिए निकाल नहीं सकी, टीवी और मोबाइल पर ही गाने बजाकर मन बहला लेंगे" शैली ने सफाई दी ।
तनु-" ठीक है शैली, बहुत देर हो गई है जल्दी से केक काट तू" शैली को चाक़ू देकर बोली तनु, 
शैली केक काटती है । सूरज और तनु Happy birth Day Shaili" बोलकर wish करते हैं ।
तनु और सूरज केक शैली को खिलाते हैं ।
शैली केक का टुकड़ा लेकर सूरज और तनु को खिलाते हैं ।
तनु केक के ऊपर की क्रीम लेकर शैली के मुँह पर लगा देती है, शैली भी कम नहीं पड़ती है वो भी केक तनु के मुँह पर लेप देती है । सूरज उनदोनो को देख कर हंस रहा था ।
शैली बहुत सारा केक लेकर सूरज के मुह पर जबरदस्ती पोतने लगती है ।

सूरज अपना पीछा छुड़ाने के लिए बराबर में गेस्ट रूम में घुसता है लेकिन आज शैली कोई मौका कहाँ छोड़ने वाली थी, सूरज के पीछे भागती हुई गेस्ट रूम में आकर सूरज को कस कर दबौच् लेती है ।सूरज को कस कर पकड़ने के कारण शैली के बूब्स उसके टॉप से आधे से ज्यादा बहार निकल आते हैं । सूरज की नज़र शैली के उछलते हुए बूब्स पर पड़ती है,उसका पप्पू पेंट में सलामी मारने लग जाता है ।
शैली सूरज के मुँह पर केक लगाने के लिए झपटती है लेकिन सूरज जानबूझ कर गेस्ट रूम में पड़े बेड के ऊपर चढ़ जाता है और शैली के हिलते चूतड़ और बूब्स को देखने लगता है । शैली सूरज की नज़र को भांप जाती है, उसकी चूत में फिर से चीटियाँ सी रिंगने लगती हैं ।शैली जानबूझ कर अपने बूब्स और स्कर्ट को ऊपर की और खिसका कर बेड पर चढ़ने लगती है जिसके कारण उसकी रसीली चूत के दर्शन सूरज को हो जाते हैं । सूरज का ध्यान शैली की चूत और बूब्स पर था शैली ने इसी का फायदा उठा कर सूरज को बेड पर गिरा दिया और उसकी छाती पर दोनों टांग फैला कर बैठ गई और सारा केक सूरज के मुह पर पोत दिया । सूरज की नज़र कहीं शैली पर जाती तो कभी उसकी चूत पर ।
वो टांग फैला कर छाती पर बैठने के कारण उसकी चूत की फांके खुल चुके थे और अंदर का लाल दाना चमक रहा था । सूरज का लण्ड पेंट में झटके मारने लगता है ।
शैली-" केक लगाते हुए!" मुझसे बच कर कहाँ जाओगे बच्चू,आज अच्छी तरह से तुम्हारे मुँह पर केक पोतुंगी" हँसते हुए बोलती है । तभी तनु कमरे में आती है शैली जल्दी से सूरज के ऊपर से उठती है ताकि तनु उसकी स्कर्ट में खुली चूत न देख ले ।

तनु जब कमरे में आती है तो उसे शैली पर थोडा शक़ सा होता है की वह जरूर सूरज के साथ कुछ तो ऐसा कर रही थी की मुझे देख कर तुरंत सूरज की छाती से उठकर खड़ी हो गई ।
शैली कई बार सूरज को पटाने के लिए तनु से बोल चुकी थी लेकिन वह हमेसा एक मज़ाक समझकर शैली को डांट दिया करती थी ।
तनु जानती थी की शैली बहुत हवस की भूकी लड़की है । अपनी प्यास बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती है ।
तनु को शैली पर गुस्सा और जलन दोनों होती हैं । शैली की गतिबिधिओं पर नज़र रखने का निश्चय करती है ।
तनु जानती थी की उसका भाई सूरज बहुत ही भोला और मासूम है उसे लड़कियो में ज्यादा रुचि नहीं है ।
तनु-" शैली ये क्या किया सूरज का पूरा चेहरा तूने केक से सना दिया और उसके कपड़ों पर भी केक लगा दिया,
शैली-" ओह्हो सूरज के तो सारे कपडे गंदे हो गए, तू फ़िक्र मत कर में अभी कपडे धोकर सुखा देती हूँ" सूरज के कपडे देखती हुई बोली 
सूरज-" कोई बात नहीं दीदी, में इन्ही कपड़ो में घर चला जाऊँगा, वैसे भी रात में कौन देखेगा" 
शैली-" ओये सूरज के बच्चू रात में कहीं नहीं जाना है सुबह ही घर जाने दूंगी" शैली अपना आदेश सुनाती हुई बोली
तनु-" नहीं शैली पूनम और माँ इंतज़ार कर रही होंगी" तनु ने चिंता जाहिर करते हुए बोला 
शैली-" में अभी पूनम दीदी को फोन कर देती हूँ," शैली फोन लगा कर पूनम को सुबह आने को बोल देती है । 
शैली-" अब खुश बोल दिया, चलो भूंक लगी है जल्दी से खाना खाते हैं" तीनो लोग लॉन में आकर बैठ जाते हैं ।
तनु-" शैली तू एक काम कर सूरज के लिए कोई लोअर दे दे,इसके कपडे केक से सने हैं । शैली एक लोअर लेकर आती है । सूरज बाथरूम में जाकर पेंट और कच्छा भी उतार देता है चुकी उसका कच्छा भी वीर्य निकलने के कारण चिपचिपा रहा था ।
सूरज अपने गंदे कपडे वाशिंग मशीन में डाल देता है और लोअर पहन कर सोफे पर आ जाता है ।तभी तनु सोचती है क्यूँ न सूरज की पेंट अभी धोकर डाल दू सुबह तक सूख जाएगी ।
तनु-" शैली तू खाना लगा में पांच मिनट में सूरज की पेंट और शर्ट धो कर आती हूँ ।
शैली-" ठीक है जल्दी काम निपटा कर आजा, में खाना लगाती हूँ" तनु बाथरूम में चली जाती है। शैली जमीन पर बिछी कालीन पर खाना खाने के लिए सूरज से बोलती है । 
सूरज सोफे से उठ कर निचे बैठ जाता है ।
शैली किचेन से चिकेन और पूरा खाना उठाकर सूरज के पास रख देती है । शैली जानबूझ कर निचे झुकाती है जिसके कारण शैली के बूब्स फिर से सूरज के सामने बिलकुल नंगे दिखाई देने लगते हैं ।शैली मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती थी ।
शैली जमीन पर उकडू बैठ जाती है जिससे शौली की खुली चूत सूरज के सामने आ जाती है । सूरज का लंड़ लोअर में खड़ा हो जाता है । कच्छा न पहनने के कारण लोअर में बहुत बड़ा तम्बू सा बन जाता है ।शैली जैसे ही लोअर में तम्बू देखती है सूरज के लण्ड का आकार का अनुमान लगाने लगती है । सोचती है कितना बड़ा लंड है सूरज का, शैली की चूत से कामरस बहने लगता है जिसे सूरज बिना पालक झपकाए देख रहा था ।शैली की चूत से सफ़ेद द्रव्य निकल कर उसकी फांको को गीला करते हुए उसकी गुदा तक पहुँच जाता है इसका अहसास शैली को भी होता है । सूरज का मन मचल जाता है और शैली की रस छोड़ती चूत को चाटने के लिए आतुर हो जाता है ।
इधर तनु जब बाथरूम में गई तो सूरज के कपड़ो को निकाल कर फर्स पर डालती है तभी सूरज का कच्छा भी अलग निकल कर गिर जाता है ।तनु कच्छे को उठाती है और उस पर लगे सफ़ेद द्रव्य को देखती है । तनु मन में सोचती है की सूरज ने अपना कच्छा क्यूँ उतारा? 
क्या शैली ने सूरज के कच्छे पर भी केक लगा दिया है । तनु शैली को मन ही मन बहुत सारी गालियां देने लगती है । और कच्छे पर लगे सफेद वीर्य को केक समझकर छूने लगती है । तनु समझ नहीं पा रही थी की ये कैसा केक है जो चिपचिपा सा रहा है और गाढ़े पानी की भाँती है ।
तनु कच्छे पर लगे वीर्य को नाक के नथुनो के पास ले जाकर सूंघ कर देखती है, मादक सी खुशबु का अहसास होता है लेकिन फिर भी वह समझ नहीं पाती है की ये क्या है ?
तनु उस चिपचिपे वीर्य को चाटकर परिछण करने का निशचय लेती है और उस कच्छे पर लगे वीर्य को ऊँगली से लेकर चाटने लगती है । तनु ने कभी किसी लड़के का वीर्य चाटकर तो नहीं देखा था लेकिन पोर्न फिल्मो में लड़के के लण्ड से निकलने वाला सफ़ेद द्रव्य बहुत देखा था जिसे लड़कियां बड़े आराम से पीती हैं और चाटती हैं ।

तनु का माथा ठनकता है उसे याद आता है की लड़को के लंड से सफ़ेद रस निकलता है । ये सफ़ेद द्रव्य भी सूरज के लंड से निकला हुआ पानी है जिसे तनु ने सूंघ कर ही नहीं वल्कि चाटकर भी देखा था ।
तनु आपने आपको कोसती है की ये मैंने क्या किया अपने ही भाई के लंड से निकला पानी चाट लिया, कितनी अभागी बहन हूँ में उसकी । अपने आपको भला बुरा कह कर जमींन पर बैठ जाती है और कपडे धोने लगती है ।
तनु सोचती है की मेरा शक सही है इस चुड़ैल शैली ने ही कुछ ऐसा जादू किया होगा मेरे भाई पर की उसका वीर्य कच्छे में ही छूट गया ।
तनु सोचती है की लड़के हस्तमेथुन मार कर पानी निकालते हैं, कहीं ऐसा तो नहीं है की शैली ने सूरज के लंड को रगड़ा हो और पानी निकल गया हो, गेस्ट रूम में जब शैली सूरज के मुँह पर केक लगा रही थी तब शैली सूरज के लंड वाले हिस्से पर बैठ कर जानबूझकर हिली डुली हो तभी उसका पानी छूटा हो ।
तनु-"(मन में गुस्सा होते हुए) साली कुतिया अपनी चूत की आग बुझाने के लिए कुछ भी कर सकती है, आज रात मुझे जग कर नज़र रखनी पड़ेगी, सूरज तो नादान है बहक सकता है" 
इन सब बातों को सोच कर तनु भी सेक्स के प्रति आकर्षित महसूस करती है और अपनी चूत पर कुछ गीलापन महसूस होता है ।
तनु हाँथ डालकर अपनी चूत को छू कर देखती है तो हैरान रह जाती है उसकी चूत से चूतरस बह रहा था ।
तनु अपने भाई के कच्छे पर लगे वीर्य को रगड़ रगड़ कर साफ़ करती है ।
उसके मन में सूरज को लेकर कभी कोई गलत ख्याल नहीं आया लेकिन आज 
सूरज के वीर्य को चाटकर उसके तन बदन में हवस की आग फ़ैल जाती है ।
तनु अपने आपको कंट्रोल करती और कपडे धोकर बाशिंग मशीन में सुखा कर डाल देती है । 
तनु जल्दी से बहार लॉन की तरफ जाती है जहां शैली सूरज के लण्ड पर भूकी नज़रो से घूर रही थी । तनु जैसे ही उन दोनों के पास आती है सूरज अपने खड़े लंड को छुपा लेता है दोनों हाथ रखकर और शैली भी अपनी चूत को छिपाने के लिए सही से बैठ जाती है । तनु स्तिथि को भांप लेती है सूरज की लोअर की ओर भी देख लेती है जहां खड़े लंड के कारण लोअर में तम्बू बना हुआ था ।
शैली-" कपडे धोने में बड़ा समय लगा दिया तूने" तनु से बोलती है 
तनु-" हाँथ से धोने के कारण समय लग गया" सूरज जैसे ही ये बात सुनता है तो चोंक जाता है उसे लगा की तनु बाशिंग मशीन में कपडे धोएगी इसलिए माशीन में कपडे डाल कर आया था । ताकि उसके कच्छे पर लगे वीर्य के निसान न देख पाए।
सूरज के माथे पर पसीना आ जाता है और सोचता है की तनु ने हाथ से कच्छा धोया होगा तो वीर्य के निसान भी देख लिए होंगे ।
सूरज घबराने लगता है इसी घबराहट के कारण उसका लंड भी ढीला पड़ जाता है ।
तनु क्या सोच रही होगी अपने भाई के बारे में यही सोचकर उसका बुरा हाल था ।
वह नज़रे नहीं मिला पा रहा था तनु से ।
तनु भी सूरज की मनोदसा को भांप जाती है और सामान्य व्यवहार करती हुई बोलती है ।
तनु-" जल्दी से खाना लगाओ भूंक लगी है"
शैली-" बस एक मिनट रुक" शैली सबको खाना लगाती है । तनु और शैली खाने पर टूट पड़ते है लेकिन सूरज घबराहट और सोच में डूबा हुआ था जिसे तनु समझ जाती है ।
तनु-" क्या हुआ सूरज जल्दी खाओ न खाना" 
सूरज-" ओह्ह हाँ दीदी खा रहा हूँ" 
शैली-"क्या हुआ अच्छा नहीं बना है क्या?" 
सूरज,"नहीं दीदी बहुत बढ़िया बना है" 
तीनो लोग खाना खाने लगते हैं ।
शैली को याद आता है की उसके फ्रिज में बियर की चार बोतल रखी हैं ।
शैली जब भी मटन या चिकन बनाती है तो एक बीयर जरूर पीती है ।
शैली फ्रिज से बियर लेकर आती है ।
सूरज और तनु तो पीते नहीं थे । 
शैली-" बियर के साथ चिकन खाने का मजा ही कुछ और है, अपने अपने गिलास दो"
सूरज-" दीदी में तो पीता ही नहीं हूँ"
तनु-" में भी नहीं पीती हूँ" तनु ने एक दो बार शैली के साथ पी कर देखि है लेकिन सूरज की मौजूदगी के कारण मना कर देती है ।
शैली-" आज मेरा जन्म दिन है इसलिए थोड़ी सी तो पी नी पड़ेगी" शैली जबरदस्ती तीनो के ग्लास में बियर डाल देती है ।
तनु का भी मन चल रहा था लेकिन सूरज क्या सोचेगा यही सोच रही रही ।
यही हाल सूरज का भी था की में पी तो लूंगा लेकिन तनु दीदी क्या सोचेंगी।
तनु-" प्लीज़ शैली में नहीं पी पाउंगी" अपना ग्लास शैली को देती हुई बोली ।
शैली समझ जाती है की भाई बहन दोनों एक दूसरे से शर्मा रहें हैं ।
शैली-" आज तुम दोनो भूल जाओ की भाई बहन हो, ऐसा फील करो की हम तीनो दोस्त हैं । मेरे लिए एक ग्लास तो पी नी पड़ेगी तनु" शैली मानती नहीं है अपनी जिद पर अड़ जाती है ।
सूरज को जबरदस्ती एक ग्लास बियर का देती हुई बोलती है ।
सूरज तनु की ओर देखता है और तनु सूरज की ओर मायूसी से देखती है ।दोनों एकदूसरे को देखकर शर्मा रहे थे ।
शैली-" क्या देख रहे हो जल्दी से पियो" शैली अपना ग्लास खाली करती हुई बोलती है । एक सांस में ही पूरा गिलास पी जाती है ।
सूरज-" तनु से! पी लो दीदी, एक ग्लास में कुछ नहीं होगा" सूरज की इजाजत मिलते ही तनु भी एक सांस में पूरा ग्लास खाली कर देती है । सूरज तो देखकर चोंक जाता है और खुद चाय की तरह एक एक घूंट पिने लगता है ।
शैली-" ऐसे नहीं सूरज एक ही सांस में पी जाओ" 
सूरज हिम्मत करके एक ही साँस में पूरा ग्लास खाली कर देता है । 

पहली बार पिने के कारण उसे बहुत कड़वी लगती है । कड़वेपन की बजह से सूरज को बहुत अटपटा लगता है लेकिन थोडी देर में मूड ठीक हो जाता है ।
सूरज सोचता है की तनु दीदी ने पहली बार में कैसे पी ली ? उसे शक़ होता है की तनु दीदी पहले भी पी चुकी हैं ।
सूरज-" तनु दीदी क्या आपने पहले भी पी है" तनु चोंक जाती है और सोचती है की सूरज को कैसे पता चला ।
शैली-" सूरज हां ये सच है की तनु पहले भी एक दो बार मेरे साथ पी चुकी है,लेकिन तुम यह बात किसी से नहीं कहोगे, आज हम तीनो एक दोस्त की तरह हैं । इसलिए तुम्हे सच बता दिया, नाराज मत होना"
सूरज-" दीदी में नाराज़ नहीं हूँ, सबकी अपनी जिंदगी है जिसको जो मर्जी है करे, 
जिंदगी एक बार मिलती है इसलिए हर वो काम करके देखना चाहिए जिसमे अलग ही मजा है" सूरज को हलकी सी चढ़ चुकी थी 
तनु को भी नशा चढ़ने लगा था लेकिन शैली नार्मल थी क्योंकि उसे आदत थी बियर की 
शैली-" सही कहा सूरज, ज़िन्दगी खुल कर जीना चाहिए, एक दिन तो सबको ही मरना है इसलिए हर काम को करके देखना चाहिए, सही कहा न तनु मैंने"
तनु-" हाँ सही बात है शैली, ज़िन्दगी संघर्षो से भरा है ऐसे में हमें हर दिन,हर पल को जीना चाहिए पता नहीं कब मौत आ जाए" 
शैली-" शराब बहुत बढ़िया चीज बनाई है जिसे पी कर अच्छी बातें ही निकलती है मुँह से और मन की बात भी" शैली एक बार फिर से बियर का ग्लास भर देती है । इस बार तीनो लोग एक दूसरे से चेस करते हुए एक ही सांस में गटक जाते हैं ।
तनु और सूरज की झिझक ख़त्म हो चुकी थी ।

बियर के हलके नशे में तीनो लोग मस्ती में खाना खाते हैं ।
खाना खाने के पश्चात तनु और शैली नशे में झूमती हुई सभी बर्तन किचेन में रखते हैं ।
शैली टीवी में गाना लगा देती है ।
सभी लोग झूमते हैं ।
शैली सूरज और तनु दोनों को एकसाथ डांस करवाती है ।
तनु और सूरज शरमाते हुए दोनों एकसाथ डान्स करते हैं ।
शैली भी सूरज के साथ डांस करते हैं ।इस तरह रात के 12 बज जाते हैं । तनु को नींद आने लगती है ।
तनु-" अब मुझे नींद आ रही है, कहाँ सोना है शैली"
शैली-" हम तीनो लोग गेस्ट रूम में ही सो जाते हैं" 
सूरज-" में इसी सोफे पर ही लेट जाता हूँ" 
शैली नहीं मानती है और तीनो लोग गेस्ट रूम में सोने चले जाते हैं ।
सूरज और तनु के बीच में शैली लेट जाती है।
सूरज तनु की बजह से थोडा डर रहा था की कहीं शैली फिर से कोई हरकत न कर दे ।
इधर शैली के मन में सूरज के लंड को लेकर कामुकता की सिरहन उसके जिस्म और दिलो दिमाग में फैली हुई थी ।तनु के सोने का इंतज़ार कर रही थी ।
इधर तनु शैली की हरकत देखने के लिए सोने का नाटक करती है ।
शैली को जब ये आभास हो जाता है की तनु सो गई है वह धीरे से उठकर तनु को चेक करती है । शैली तुरंत सूरज की ओर खिसक कर अपना एक हाथ सूरज के पेट पर रख देती है । सूरज भी आँखे बंद किए हुए था । सूरज घबरा सा जाता है ।उसका लंड लोअर में झटके मारने लगता है ।
शैली धीरे धीरे अपना हाँथ पेट पर सहलाती हुई एक ऊँगली से लंड को कुरेदने लगती है और दूसरे हाँथ से स्कर्ट को ऊपर कर अपनी चूत की फांको को सहलाने लगती है।
हवस के इस नशे में इतना चूर हो गई की ये भी भूल गई की दोनों बहन भाई एक ही बिस्तर पर लेटे हैं । अगर देख लिया तो कितनी शर्मिंदगी होगी ।
सूरज का लंड बुरी तरह से अकड़ चूका था वह शैली को मना करना चाहता था लेकिन तनु न जग जाए इसलिए शांत लेटा रहा ।तभी शैली सूरज का हाँथ लेकर अपनी चूत पर रख देती है और अपने हांथो की मदद से चूत को रगड़बाने लगती है । सूरज का तो बुरा हाल हो गया। शैली तुरंत सूरज के लोअर में हाँथ डालकर लंड को सहलाने लगती है । सूरज को जोश चढ़ने लगता है पहली बार किसी लड़की ने उसका लंड पकड़ा था और उसने पहली बार किसी की चूत को छुआ था । सूरज अपनी एक ऊँगली से शैली की चूत को रगड़ने लगता है । शैली की चूत से कामरस हल्का हल्का बह रहा था । तभी शैली उठती है और सूरज के लंड को मुह में लेकर चूसने लगती है ।सूरज इस सुख को पाकर बहुत खुस हो जाता है । 

कमरे में हलकी रौशनी थी 
जैसे ही तनु देखती है की शैली सूरज के लंड को मुँह में लेकर चूस रही है तनु को बहुत गुस्सा आता है लेकिन बोलती कुछ नहीं है चुपचाप लेटे हुए देखती रहती है ।
इधर सूरज बार बार तनु की तरफ देखता है की कहीं जग न जाए ।
सूरज-" शैली रुक जाओ तनु दीदी जग सकती हैं" हलकी आवाज़ में बोलता है ।
शैली-" बहार सोफे पर चलो सूरज" 
शैली सूरज को बहार सोफे पर लेकर जाती है, और अपने कपडे उतार देती है, सूरज शैली के बूब्स और चूत को देख कर पागल सा हो गया था ।
सूरज अपना लोअर उतार कर शैली को सोफे पर लेटा देता है और 69 की पोजीसन में आकर शैली की चूत में जीव्ह डाल कर चाटने लगता है ।सूरज ने जैसे ही चूत में जिव डाली शैली तड़प उठती है सूरज का लंड मुह में लेकर चूसने लगती है ।
इधर कमरे में तनु जैसे ही देखती है की शैली सूरज को पकड़ कर बहार ले जा रही है । वो भी तुरंत कमरे के दरवाजे से देखने लगती है । दरवाजा थोडा खुला हुआ था,कमरे में अँधेरा भी था जिसके कारण शैली और सूरज तनु को देख नहीं सकते थे ।
तनु जैसे ही सोफे पर देखती है उसकी आँखे फटी रह जाती है । शैली और सूरज 69 पोजीसन में थे शैली सूरज का लंड चूस रही थी। सूरज का लंड 8 इंची लंबा और 3 इंची से ज्यादा मोटा था जो शैली में मुह में पूरा नहीं जा रहा था ।तनु सूरज के लाल सुपाड़े को देखती है और सोचती है की कितना बड़ा और मोटा लंड है सूरज का ।
इधर सूरज शैली की चूत को चाट चाट कर साफ़ कर चूका था जिसे तनु देख कर बड़ी हैरान थी उसने कभी सोचा नहीं था की सूरज ऐसा कर सकता है ।
तभी शैली उठ कर सूरज को नीचे लेटा देती है और दोनों पैर फेला कर सूरज के तने हुए लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करती है और धीरे धीरे ऊपर निचे करने लगती है ।
सूरज का लंड बहुत मोटा और चौड़ा था शैली की चूत में घुस नहीं पा रहा था ।
शैली पूरा जोर लगाती है, नीचे से सूरज एक तगड़ा झटका मारता है लंड एक बार में ही चूत को फाड़ता हूँ अंदर घुस जाता है ।
शैली के मुँह से चीख निकल जाती है ।
शैली-"ओह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह् सूरज दर्द हो रहा है आराम से डालो आअह्ह्ह्ह्ह मर गई" शैली दर्द से छटपटाने लगती है सूरज पुनः लंड निकाल कर दुबारा आराम से डालता है और नीचे से ही धक्के मारने लगता है 
शैली-"ओह्ह्ह्ह्हो सूरज मेरे भाई आराम से तेरा लंड बहुत मोटा है""
तनु हैरान थी की इतना बड़ा और मोटा लंड शैली की चूत में कैसे घुस गया, शैली ने जब सूरज को भाई बोला तो तनु हैरान थी और मन ही मन शैली को गाली दे रही थी की भाई बोल कर किस तरह चुदवा रही है, रत्ती भर शर्म नहीं है इसको।
शैली और सूरज की इस तावड तोड़ चुदाई देख कर तनु की चूत से भी पानी बहने लगता है वो भी अपना एक हाँथ अपनी सलवार में डालकर अपनी चूत पर फिराती है और हैरान रह जाती है की चुदाई देखकर उसकी चूत पानी छोड़ रही है ।
तनु को चूत सहलाने में आनंद आने लगता है और अपनी चूत में ऊँगली डालकर रगड़ने लगती है ।
इधर शैली का दर्द कम होता है और चुदाई में मजा आने लगता है । सूरज के लंड़ पर तेज तेज उछालने लगती है ।
शैली-" ओह्ह्हो सूरज तेरा लंड बहुत मोटा और प्यारा है"'
सूरज-" ओह्हो दीदी आपकी चूत भी बहुत मस्त है ऐसा लगता है जन्नत में हूँ"
सूरज के मुह दे दीदी शब्द सुनकर तनु के फिर से होश उड़ जाते हैं ऐसा लग रहा था जैसे में सूरज के लंड पर बैठ कर चुदवा रही हूँ" तनु सोचती है और अपनी चूत में तेजी से ऊँगली चलने लगती है ।

शैली-"मेरे भाई ऐसे ही चोदो, बहुत दिनों से प्यासी हूँ मेरी चूत की आग भुजा दो सूरज" सूरज शैली को हटाकर डॉगी स्टायल में बैठकर उसकी चूत में लंड घुसा देता है और तेज तेज धक्के मारता है ।
शैली की चूत में लंड पूरा लंड घुस हुआ था आज से पहले जितनो ने भी शैली को चोदा कोई उसकी हवस को मिटा नहीं पाया । सूरज का विकराल लंड शैली की चूत को अच्छे से रगड़ रहा था जिसके कारण शैली दो बार झड़ चुकी थी लेकिन सूरज अभी नहीं झडा था ।
शैली-" आह्ह्ह्ह सूरज चोदो, बड़ा मजा आ रहा है" सूरज तेजी से धक्के मारता है ।
शैली की जिश्म अकड़ने लगता है और तेज तेज झड़ने लगती है ।
सूरज-" आअह्ह्ह्ह्ह दीदी मेरा भी निकलने वाला है पानी 
शैली-"मेरी चूत में ही भर दो अपना पानी सूरज" 
इधर तनु की हालात खराब थी वो भी एक बार झड़ चुकी थी ।
सूरज अब तेज तेज चौदने लगता है और तेज धक्को के साथ उसका लावा चूत में छूट जाता है ।
इधर तनु भी सूरज को देख कर झड़ जाती है।
शैली की चूत सूरज के वीर्य से भर जाती है ।
सूरज तनु की चूत से लंड निकालता है और लोअर पहनने लगता है तभी उसकी नज़र तनु पर पड़ती है और तनु की सूरज पर ।
दोनों लोग एक दूसरे को देखकर डर जाते हैं ।
तनु जल्दी से कमरे में जाकर लेट जाती है ।
शैली अपनी चूत में सूरज के बीर्य को देखती है पूरी चूत वीर्य से भर चुकी थी । शैली कपडे से चूत साफ़ करती है और अपने कपडे पहनकर रूम में सोने चली जाती है ।
सूरज भयभीत था की अब क्या होगा ।
तनु दीदी क्या सोचेगी मेरे बारे में ।
कैसे नज़रे मिला पाउँगा तनु दीदी से ।

यही हाल तनु का था ।




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