हिटलर को प्यार हो गया - 3

बहादुर ने देखा कि विकी कहीं बाहर से अपनी बाइक पे अभी आ कर खड़ा ही था. बहादुर उसके पास पहुँचा और बोला.

बहादुर-साले उस दिन मैने तुम्हारी बेहन का हाथ पकड़ा था तो तूने मुझे बहुत मारा था. लेकिन साले आज जो वो गुल खिला रही है वो सब नही दिखता तुम्हे.

विकी ने बहादुर को गिरेबान से पकड़ लिया और बोला.

विकी-क्या बकवास कर रहा है साले.

बहादुर-मैं कोई बकवास नही कर रहा खुद चल कर देखले पीछे लॉन में जो टाय्लेट है उसमे कैसे अपने यार के साथ रंग-रलियाँ मना रही है.

विकी-चल और अगर ये बात झूठी निकली तो आज तुझे मारकर वही लॉन में गाढ दूँगा तुझे.

बहादुर-चल.
दोनो पीछे की तरफ चल देते हैं और टाय्लेट के पास जाकर बहादुर ने बाहर से दरवाज़ा खोल दिया और एक जोरदार लात दरवाज़े पे मार दी और दरवाज़ा टूट गया. सामने की हालत देखकर विकी के पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई.

अंदर प्रीति की जीन्स उसके पैरों में थी और उसकी टी-शर्ट उसकी छातियों के उपर से हटी हुई थी और अमित उसके मम्मे चूस रहा था. दरवाज़ा खुलते ही दोनो एकदम से अलग हो गये और जैसे ही प्रीति ने विकी को सामने देखा तो वो बुरी तरह से डर गई और उसका सिर घूमने लगा उसने जल्दी से अपने कपड़े सही किए और विकी के पास आकर जैसे ही कुछ बोलने लगी तो विकी ने एक जोरदार तमाचा उसकी गाल पे जड़ दिया.

तमाचा इतनी ज़ोर से पड़ा कि प्रीति एक साइड पे जाकर गिरी. विकी अमित की तरफ बढ़ा और
उसे गले से पकड़कर बाहर खींचा और उसकी गालों पे तमाचो की झड़ी लगा दी. प्रीति अमित को बचाने के लिए बीच में आई तो विकी ने फिर से एक तमाचा उसे दे मारा और गुस्से से बोला.

विकी-दूर हो जाओ मेरी नज़रों से.

विकी ने अपनी लात को फोल्ड कर के अमित के पेट में मारा और अमित अपना पेट पकड़कर नीचे गिर गया. विकी ने अपनी बेल्ट निकाली और अमित पे बुरी तरह से बरसाने लगा उसने अमित के कपड़े फाड़ दिए और उसके नंगे जिस्म पे बेल्ट के साथ प्रहार करने लगा. विकी की इतनी ख़ूँख़ार पिटाई से अमित बेहोश हो गया. कॉलेज के टीचर्स को जब पता चला कि विकी पीछे लॉन में किसी लड़के को मार रहा है तो उन्होने पीछे जाकर बहुत मुश्क़िल से उसे पकड़कर रोका. और जल्दी से अमित को हॉस्पिटल में अड्मिट करवा दिया.

प्रीति सीधा अपने घर गई और अपने रूम में जाकर रोने लगी.
शाम को उसके रूम के खट्खटाने की आवाज़ आई तो उसने डरते डरते दरवाज़ा खोला.

सामने विकी खड़ा था और उसकी आँखों में खून उतरा हुआ था. अंदर आते ही उसने एक जोरदार तमाचा प्रीति की गाल पे जड़ दिया और बोला.

विकी-आज तुमने सारे कॉलेज के सामने मेरी नाक कटवा दी.

प्रीति-भैया मुझे माफ़ कर दो लेकिन मैं अमित को प्यार करती हूँ. मैं उसके बिना नही जी सकती.

विकी-बंद कर अपनी बकवास आज से तेरा कॉलेज जाना बंद.

प्रीति-प्लीज़ भैया ऐसा मत करो.

विकी-चुप कर तुझे तो कॉलेज में भेजना ही नही चाहिए था ना तू कॉलेज जाती और ना ये कलंक मेरे मूह पे लगता. क्या इज़्ज़त रह जाएगी अब मेरी कॉलेज में जब सब को पता चलेगा कि हिट्लर की बेहन एक लड़के के साथ टाय्लेट में........

प्रीति-कोन्सि इज़्ज़त की बात कर रहे हो आप. तुम सिर्फ़ कमज़ोरो को डरा सकते हो और कुछ नही कर सकते. भैया आप सिर्फ़ अपने लिए ही सोचते हो आपको अपने माँ बाप और बेहन की कोई फिकर नही है. बस तुम्हे सिर्फ़ अपना ही अच्छा बुरा दिखता है.

विकी ने एक और थप्पड़ प्रीति के गाल पे जड़ दिया और प्रीति बेड पे गिर गई और सुबकने लगी.

विकी वहाँ से बाहर निकल गया और अपने कमरे में जाकर कमरा अंदर से बंद कर दिया.

अमित को अब होश आ चुका था और उसने खुद को हॉस्पिटल के एक बेड पे पाया. उसके माता पिता उसके पास ही बैठे थे और साथ में एक पोलीस वाला भी था. अमित को होश आते ही उसके पिता ने कहा.

पिता जी-अमित बेटा इनस्पेक्टर साहिब को अपने बेयान लिखवा और बता कॉन था वो हरामज़ादा.

अमित-नही पापा मुझे उनके खिलाफ कोई रिपोर्ट नही लिखवानी क्यूंकी मैं उसकी बेहन प्रीति को प्यार करता हूँ. और मैं और प्रीति जो कर रहे थे ऐसा करते हुए कोई भी भाई अपनी बेहन को देखले तो वो ऐसा ही करेगा जैसा विकी ने किया. मुझे पूरी उम्मीद है पापा कि एक दिन वो खुद प्रीति का हाथ मेरे हाथ में देगा.

इनस्पेक्टर-वाह बेटा वाह मैने तो सोचा था कि आज कल सच्चा इश्क़ करने वाले लोग नही रहे मगर तुम्हे देखकर लग रहा है कि मैं ग़लत हूँ. बेस्ट ऑफ लक बेटा अगर तुम्हारा प्यार सच्चा है तो वो तुम्हे ज़रूर मिलेगा. उधर जब प्रीति ने फोन पे अमित से बात की तो उसे पता चला कि अमित अब बिल्कुल ठीक है तो जाकर उसके दिल को
सकून आया.


प्रीति को अब कुछ समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे. उसके दिमाग़ रीत का ख्याल आया तो उसने सोचा कि एक बार रीत को मिला जाए. उसने अपनी फ़्रेंड कोमल को फोन किया और उसे रीत का मोबाइल नंबर. पता करने के लिए कहा.

कोमल ने जल्दी ही उसे रीत का मोबाइल नंबर. दे दिया. प्रीति ने वो नंबर. डाइयल किया और दूसरी तरफ से आवाज़ आई.

रीत-हेलो.

प्रीति-हेलो रीत.

रीत-जी आप कॉन.

प्रीति-रीत मैं विकी की सिस्टर बोल रही हूँ.

रीत-ओह अच्छा अच्छा जी बोलिए.

प्रीति-रीत तुम्हे तो पता ही है कि जो कुछ मेरे और अमित के साथ कॉलेज में हुआ है.

रीत-जी.

प्रीति-रीत मैं और अमित एक दूसरे को प्यार करते है और हम एक दूसरे के सिवा जिंदा नही रह सकते लेकिन तुम विकी को तो जानती ही हो वो कैसा इंसान है वो हम दोनो के बीच दीवार बन कर खड़ा है.

रीत-तो इसमे मैं क्या कर सकती हूँ जी.

प्रीति-रीत तुम विकी को समझाओ शायद वो तुम्हारी बात मान जाए.

रीत-प्रीति मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगी उसे समझाने की और तुम दोनो को मिलाने की. आख़िरकार तुम मेरी ननद हो तुम्हारा ख्याल तो मुझे रखना ही पड़ेगा.

प्रीति-थॅंक यू भाभी. अब से मैं भी आपको भाभी ही कहूँगी.

रीत-ओके ननद रानी मैं आज ही विकी से बात करके देखती हूँ.

प्रीति-ओके भाभी मुझे फोन कर बताना कि क्या बात हुई.

रीत-ओके बाइ.

प्रीति-बाइ भाभी.

रीत फोन रख देती है और सोचने लगती है कि क्या विकी उसकी बात मानेगा. वो सोचती है कि बात करने में क्या जाता है एक बार उसे समझा कर ज़रूर देखना चाहिए.

वो उठी और विकी को ढूँढने लगी और विकी उसे कॅंटीन में बैठा दिखाई दिया. रीत ने उसे वहाँ से उठाया और कॉलेज के साथ बनी पार्क में उसे लेज़ाने लगी.

विकी-अरे डार्लिंग कहाँ जा रही हो.

रीत-चुप चाप आओ ना मुझे तुम से कुछ ज़रूरी बात करनी है.

वो दोनो पार्क में एक बेंच पर बैठे होते हैं. विकी देखता है कि उस टाइम पार्क काफ़ी सुनसान है और उसके मन में शैतानी सूझती है. वो रीत को पकड़कर अपनी तरफ खीचता है और उसके होंठों पे होंठ रख देता है और ज़ोर ज़ोर से रीत को चूसने लगता है. रीत अपने हाथों से उसे दूर धकेलने की कोशिश करती है मगर विकी की मज़बूती के सामने वो कमज़ोर पड़ जाती है. विकी रीत की राइट जाँघ को खींच कर अपनी दोनो टाँगों के दूसरी ओर रख देता है.

अब विकी बेंच पे बैठा होता है और रीत उसकी गोद में उसकी और चेहरा किए अपनी दोनो टाँगें विकी के इर्द-गिर्द रखे बैठी होती है. विकी उसके होंठ चूस रहा था और उसके दोनो हाथ रीत के चुतड़ों को उसकी सलवार के उपर से मसल रहे होते हैं. विकी उसके होंठ छोड़ देता है और उसके मम्मो को कमीज़ के उपर से ही अपने दाँतों से काटने लगता है.

होंठ आज़ाद होते ही रीत कहती है.

रीत-विकी मैं तुम्हे कुछ कहने के लिए यहाँ लेकर आई थी ना कि यहाँ तुम्हारी गोद में बैठने के लिए.

विकी-बस चुप चाप बैठी रहो जानू मज़ा आ रहा है.

रीत-चुप बदमाश छोड़ो मुझे किसी ने देख लिया तो मैं तो पूरे कॉलेज में बदनाम हो जाउन्गी. प्लीज़ छोड़ो ना तुम्हे मेरी क़सम.

विकी क़सम का नाम सुनते ही रीत के उपर अपनी पकड़ ढीली कर देता है और ढील का फ़ायदा उठाते हुए रीत उस से अलग हो जाती है. वो अपने कपड़े सही करती है और विकी के पास बैठ जाती है.

विकी-हां तो बोलो क्या बात है.

रीत-वो बात ऐसे है विकी कि......

रीत को समझ नही आ रहा कि वो कहाँ से बात शुरू करे.

विकी-अब बोलो भी या दुबारा शुरू हो जाउ.

रीत-वो विकी मैं प्रीति और अमित के बारे में बात करना चाहती हूँ.
विकी का चेहरा रीत की बात सुनते ही गुस्से से भर जाता है.

विकी-चुप करो मुझे कोई बात नही करनी उनके बारे में.

रीत-विकी तुम समझते क्यूँ नही वो दोनो एक दूसरे को प्यार करते है. वो एक दूसरे के बिना नही जी पाएँगे.

विकी-मैं बोल रहा हूँ चुप कर.

रीत-विकी वो तुम्हारी बेहन है क्या उसकी खुशी का तुम्हे ज़रा सा भी ख्याल नही. एक बार सोच कर तो देखो अगर तुम उनकी शादी करवा देते हो तो वो कितना खुश होगी.
विकी रीत की गाल पे एक थप्पड़ जड़ देता है और बोलता है.

विकी-बंद कर अपनी बकवास साली तू कॉन होती है मुझे समझाने वाली मेरी बेहन के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा ये सोचना मेरा काम है समझी.

और वो वहाँ से उठ कर चला जाता है. रीत की आँखों में आँसू आ जाते हैं और विकी के जाते ही वो सुबकने लगती है और विकी को ऐसे बात करता देख सोचती है कि वो विकी को बिल्कुल भी नही बदल पाई. वो वैसे का वैसा ही है. वो समझ जाती है कि विकी को सिर्फ़ उसके शरीर की भूख थी उस से आगे कुछ नही. वो प्रीति को फोन कर सारी बात बता देती है. प्रीति रीत की बात सुनकर और परेशान हो जाती है. क्यूंकी एक आख़िरी उम्मीद रीत ही थी उसके लिए लेकिन अब वो भी कम होती दिखाई दे रही थी.


रीत भी वहाँ से उठी और अपनी स्कॉटी लेकर अपने भरे मन से अपने घर की तरफ चल पड़ी.


रीत जब से घर आई थी तो उसने खुद को अपने रूम में बंद किया हुया था और उल्टी अपने बेड पर लेटी हुई थी उसकी आँखों में से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. उसके दिमाग़ में बार बार विकी के कहे शबाद घूम रहे थे. रीत को इस बात का दुख नही था कि विकी ने उसे थप्पड़ मारा था दुख था तो सिर्फ़ इस बात का कि विकी ने उस से बहुत बदतमीज़ी से बात की थी. उसे अब लग रहा था कि वो सब कुछ हार चुकी है विकी को बदलने का जो उसने सपना देखा था वो टूट चुका था.

वो सोच रही थी कि कैसा पत्थर दिल इंसान है विकी. मैने उसके लिए क्या नही किया पहले क्लास में वो मेरा अपमान करता रहा मगर मैं सहती रही फिर उसके दिल में अपने लिए प्यार जगाया और अपना सब कुछ यहाँ तक कि वर्जिनिटी भी उसको सौंप दी पर उसने इस सब के बदले मुझे क्या दिया. सिर्फ़ बदतमीज़ी, बेरूख़ी, और मेरे जिस्म के ज़रिए अपनी हवस मिटाई मगर प्यार तो उसने मुझे सिर्फ़ दिखावे के लिए किया. मैं ही बेवकूफ़ थी जो उसे सुधारने चली थी. आज के बाद मैं उसकी शकल तक नही देखूँगी. जहाँ जाकर मरना है मरे वो. फिर उसने अपने आप को संभाला और उठ कर अपनी मम्मी के साथ काम करने लगी.
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उधर रीत के घर की जो हालत थी वैसे ही विकी के घर की भी थी. विकी ने भी रीत की तरह खुद को कमरे में बंद कर रखा था. वो एक कुर्सी पे बैठा था और सोच रहा था कि आज जो भी हुआ वो अच्छा नही हुआ मुझे रीत से ऐसे बात नही करनी चाहिए थी. उसके दिल के पे क्या गुज़री होगी इसका तो मैने ख्याल ही नही किया. उसने तो सिर्फ़ मुझे अपनी राय ही दी थी मुझे उसे थप्पड़ नही मारना चाहिए था.

दूसरी ओर उसका दिमाग़ सोच रहा था कि मैने रीत से रिश्ता बनाया था तो सिर्फ़ उसके जिस्म की खातिर और उसे मैने अच्छी तरह से भोग भी लिया और इस रीत को छोड़ने के बाद रीत के साथ रिश्ता ख़तम करने के लिए जो कुछ मैने सोच रखा था वही कुछ तो मैने आज किया. लेकिन फिर भी मुझे उस पे प्यार क्यूँ आ रहा है क्यूँ उसका चेहरा मेरे सामने बार बार घूम रहा है. क्यूँ मैं उसके इलावा कुछ और नही सोच पा रहा हूँ. कहीं मैं उसे प्यार तो नही करने लगा. नही नही ऐसा नही हो सकता. प्यार और रीत से नही नही. आज के बाद मैं उसके बारे में सोचूँगा भी नही. क्योंकि अब मुझे उस से कुछ भी नही लेना है. विकी खड़ा होता है और बाहर अपने दोस्त की दुकान की तरफ चल पड़ता है.

दिन गुज़रने लगते हैं 1 वीक हो चुका है रीत और विकी को एक दूसरे को देखे हुए. क्यूंकी इन दिनो ना तो विकी कॉलेज गया और ना ही रीत. दोनो का मन अब कॉलेज जाने को नही कर रहा है.
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उधर अमित और प्रीति को मिले भी कई दिन बीत चुके हैं लेकिन वो दोनो फोन पे ज़रूर एक दूसरे से बात करते हैं. लेकिन उन्हे अब शादी का कोई रास्ता दिखाई नही दे रहा है. अमित ने प्रीति को भाग कर शादी करने के लिए कहा मगर प्रीति ने इस पे सॉफ इनकार करते हुए कहा कि वो ऐसा काम नही करेगी जिसकी वजह से उसके माँ बाप को इज़्ज़त से कहीं जाने में दिक्कत हो क्योंकि वो लोग ग़रीब ज़रूर थे लेकिन इज़्ज़तदार थे और ग़रीब को अपनी इज़्ज़त ही सब से प्यारी होती है. उन दोनो ने अब अपने प्यार का फैंसला भगवान के हाथ में छोड़ दिया था उन्हो ने सोच रखा था कि अगर भगवान ने उनका मिलन लिखा होगा तो वो किसी ना किसी तरीके हो ही जाएगा. अमित प्रीति को बार बार मिलने के लिए बोल रहा था मगर प्रीति ने उसे सॉफ सॉफ बोल दिया था कि जब तक उनकी शादी की बात एक किनारे नही लग जाती तब तक वो एक दूसरे को नही मिलेंगे. और अगर उनकी शादी पक्की हो गई तो वो खुद उस से मिलकर जी भर के उसे प्यार करेगी. मगर ये बस अब उनकी सोच थी. ऐसा होना या ना होना ये तो आने वाले कल में छिपा था.

विकी एक दिन अपने दोस्त की दुकान पे से वापिस आ रहा था तो उसकी नज़रें कुछ देखकर अटक सी गई. वो बिना पलक झपकाए उस ओर देखता रहा. वहाँ पे एक दुकान से एक लड़की कुछ खरीद रही थी. उसने पिंक कलर का चुरिदार सूट पहना हुआ था और चुनरी पूरे ढंग से उसने अपने सिर पे ले रखी थी गोरा रंग, ब्राउन आइज़ और पूरा वेल शेप्ड शरीर जिसपे पहना गुलाबी सूट उसे और खूबसूरत बना रहा था. उसकी शराफ़त उसके पहनावे से ही झलक रही थी. विकी ने जब से उसे देखा था उसके कदम वहीं जम गये थे वो उसकी सुंदरता में खोता ही जा रहा था. उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा था. आज एक बात जो खास थी वो ये थी कि इस से पहले जब भी विकी किसी लड़की को देखता था तो सब से पहले उसकी नज़र उसके शरीर पे जाती थी. लेकिन आज तो वो उस लड़की के चेहरे में ही खो चुका था. उसे वो लड़की दुनिया की सबसे शरीफ लड़की लग रही थी. जैसे ही उस लड़की की नज़र विकी से टकराई तो दोनो की नज़रे एक दूसरे को देखने के बाद नीचे झुक गई.

वो लड़की कोई और नही रीत ही थी. आज काफ़ी दिनो बाद विकी ने उसे देखा था तो वो उसे देखता ही रह गया. उसकी नज़र रीत के उपर से हट ही नही रही थी. रीत ने जैसे ही विकी को देखा तो वो वहाँ से जाने लगी. विकी एक टक खड़ा उसको जाते हुए देखता रहा जब तक वो उसकी नज़रों से ओझल नही हो गई. रीत के जिस प्यार और ख़याल को वो पिछले दिनो से दबाए हुए था वो प्यार आज रीत को देखते ही फिर से जाग उठा था. उसके दिमाग़ में फिर से उस्दिन की घटना घूमने लगी जब उसने रीत को थप्पड़ मारा था.

वो फिर से खुद को रीत का गुनेह गार मान ने लगा. इसी कशम कश में वो घर पहुँचा और अपने कमरे में जाकर लेट गया. उसके दिमाग़ में सिर्फ़ रीत ही घूम रही थी. वो जब भी आँखें बंद करता था तो उसे एक पिंक चुरिदार में सिर पे चुन्नी लिए और एक मासूम सा चेहरे उसे खड़ा दिखाई देता था. वो एकदम से उठा और सोचने लगा कि मुझे रीत से उस दिन की घटना के लिए माफी माँगनी चाहिए. उसने कुछ सोच कर अपना मोबाइल उठाया और रीत का नंबर. डाइयल कर दिया.

रीत ने जब मोबाइल पे विकी का नाम देखा तो उसने एक पल के लिए तो फोन उठाने की सोची मगर फिर अपने चेहरे पे गुस्सा लाते हुए फोन कट कर दिया. विकी ने एक दफ़ा और ट्राइ किया और रीत ने फिर से फोन कट कर दिया.

विकी को एक बार तो रीत के फोन कट करने से गुस्सा आया मगर उसने फिर ठंडे दिमाग़ से सोचा और एक मेसेज टाइप किया 'रीत प्लीज़ मेरी कॉल रिसीव करो मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है तुमसे' और मेसेज सेंट कर दिया.

रीत ने मेसेज रीड किया. उसने भी अपना दिमाग़ थोड़ा ठंडा किया और विकी की कॉल आक्सेप्ट की.

रीत-हेलो.

विकी-हेलो रीत क्या इतनी नाराज़ हो मुझसे.

रीत-नही विकी मैं क्यूँ नाराज़ हूँगी मैं तो तुम्हारी कुछ लगती ही नही आख़िर हमारा रिश्ता ही क्या है.

विकी-प्लीज़ रीत ये मत कहो कि हमारा कोई रिश्ता नही है. आख़िर हमने प्यार किया है.


रीत-विकी तुम्हे प्यार का मतलब भी पता है क्या होता है. तुम्हारे दिमाग़ में प्यार का मतलब सिर्फ़ हवस है.

विकी-नही रीत ऐसा नही है पहले मैं जैसा भी था मगर अब विकी बदल चुका है.

रीत-विकी कभी नही बदल सकता आख़िर तुमने उस्दिन अपना असली रंग दिखा ही दिया.

विकी-रीत तुम समझती क्यूँ नही उस्दिन मैं बहुत परेशान था. मैं तो प्रीति और अमित वाली घटना को भूलना चाहता था मगर तुम फिर से मुझे उन्ही बातों में घसीट रही थी इसलिए मुझे गुस्सा आ गया. प्लीज़ मुझे माफ़ करदो.

रीत-विकी तुमने मुझे थप्पड़ मारा उसका मुझे गुस्सा नही. लेकिन जिस बदतमीज़ी से तुमने मुझसे बात की वो मुझे बुरा लगा.

विकी-रीत मुझे माफ़ करदो प्लीज़ मैं तुमसे मिलकर सारे गिले-शिकवे दूर करना चाहता हूँ. प्लीज़ मुझसे मिलोगि ना.

रीत-ओके. जहाँ पे हमारा रीलेशन ख़तम हुआ था वहीं पे दुबारा शुरू करेंगे. कल सुबह 10 वजे उसी पार्क में आ जाना.

विकी-ओके रीत थॅंक्स न्ड आइ लव यू.

रीत-लव यू 2.

रीत से बात करने के बाद अब विकी के दिल को सकून आ गया था. अब उसे कल का इंतज़ार था.
दूसरे दिन रीत और विकी उसी पार्क में बैठे थे.

विकी ने रीत के हाथ पकड़े और कहा.

विकी-रीत प्लीज़ मुझे माफ़ करदो.

रीत-बस बस छोड़ो अब ये बातें मैने तुम्हे माफ़ किया.

विकी-ओके तो अपनी आँखें बंद करो.
रीत ने आँखें बंद की तो विकी उठ कर उसके पीछे चला गया और एक गोल्ड की चैन रीत के गले में डाल दी. रीत ने आँखें खोल कर देखा तो वो हैरान हो गई और बोली.

रीत-विकी ये क्या है.

विकी-एक छोटा सा गिफ्ट है जानू.

रीत-इसे तुम छोटा बता रहे हो और इतने पैसे कहा से आए तुम्हारे पास.

विकी-अरे यार पापा ने मेरे अकाउंट में रखे थे कुछ पैसे.
रीत गुस्से से बोली.

रीत-क्या. तुमने वो पैसे खर्च कर दिए सिर्फ़ मेरे लिए. विकी तुम समझते क्यूँ नही हो मुझे किसी गिफ्ट की ज़रूरत नही है मुझे जो चाहिए था वो मिल चुका है. जो पैसे तुमने मेरा गिफ्ट लाने के लिए खरच किए उनकी ज़रूरत तुम्हारे परिवार को है. मुझे तो सिर्फ़ विकी चाहिए और कुछ नही.

रीत की बात सुनकर विकी की आँखों में आँसू आ गये और उसने रीत को बाहों में भर लिया और बोला.

विकी-रीत मुझे माफ़ करदो मैने तुम्हारे बारे में बहुत ग़लत सोचा.
रीत उस से अलग हुई और उसकी आँखों में आँसू देखकर मुस्कुराती हुई बोली.

रीत-अरे वाह मेरे हिट्लर की आँखों में आँसू.

विकी-नही रीत आज के बाद मैं हिट्लर नही सिर्फ़ तुम्हारा हीरो हूँ. सिर्फ़ तुम्हारा. तुम्हारे प्यार ने मुझे बदल दिया है रीत. अब कोई मुझे हिट्लर नही कहेगा.
रीत खुशी से झूम उठी और उसने विकी के गले में बाहें डालते हुए उसके होंठों से अपने होंठ सटा दिया. दुनिया से बेख़बर दोनो प्रेमी एक दूसरे को चूमने लगे.

तभी विकी को अपने कंधे पे किसी का हाथ महसूस हुआ और एक आवाज़ आई.

'वाह तो आशिक़ मियाँ यहाँ पे अपनी महबूबा के साथ इश्क़ लड़ा रहे हैं'

विकी ने रीत के होंठ छोड़ कर पीछे देखा तो पीछे जिम्मी और उसके दोनो दोस्त खड़े थे. उनके हाथ में हॉकी और बेसबॉल थी.

जिम्मी-क्यूँ बे साले बहुत मारा था उस्दिन तुमने जब इस छमिया का हाथ पकड़ा था मैने. आज सब हिसाब बराबर करूँगा.

विकी-जिम्मी प्लीज़ जो कुछ हुआ भूल जा अब मैं लड़ाई झगड़ा नही करना चाहता.

जिम्मी-वाह जी वाह क्या कहने तुम्हारे आज पिटने की बारी तुम्हारी आई तो तू लड़ाई झगड़ा नही चाहता.
और इतना कहते ही जिम्मी ने हॉकी विकी के पेट में मार दी और विकी पेट को पकड़ते हुए नीचे गिर गया. फिर वो तीनो हॉकी और बेसबॉल से विकी को बुरी तरह पीटने लगे. रीत भाग कर आई और जिम्मी के आगे हाथ जोड़ कर बोलने लगी.

रीत-जिम्मी प्लीज़ इसे छोड़ दो. प्लीज़ अब ये पहले जैसा नही रहा.
जिम्मी ने रीत को कहा.

जिम्मी-सिर्फ़ एक शरत पे इसे माफ़ कर सकता हूँ मैं इसे.

रीत-कोन्सि शर्त.
जिम्मी रीत के चुतड़ों पे हाथ फिराता हुआ बोला.

जिम्मी-अगर तुम अपना ये चुरिदार उतार कर मेरे सामने अपने ये कयामत चुतड़ों को दिखा दो तो हम इसे छोड़ देंगे.
जिम्मी की बात सुनते ही रीत एक दम सक पका गई और उस से दूर हट गई और बोली.

रीत-ये तुम क्या बकवास कर रहे हो जिम्मी. मैं ऐसा कभी नही करूँगी.

जिम्मी-ओके तो कोई बात नही.

जिम्मी फिर से विकी को बुरी तरह से मारने लगा. विकी नीचे पड़ा कराह रहा था. रीत की आँखों में आँसू आ चुके थे वो लगभग रो रही थी. वो कुछ सोच कर जिम्मी की तरफ बढ़ी और उसके पास जाकर बोली.

रीत-जिम्मी अगर तुम यही चाहते हो तो मैं तैयार हूँ पर प्लीज़ विकी को छोड़ दो.

जिम्मी के चेहरे पे कातिल मुस्कान आ गई और वो बोला.

जिम्मी-अरे ये हुई ना बात अब आएगा मज़ा भाई एक बात तो मान नी पड़ेगी. प्यार बहुत है लैला-मजनू में. चल जल्दी से हो जा शुरू.
रीत की बात सुनकर नीचे पड़ा विकी दर्द से कराहता हुआ बोला.

विकी-रीत ये क्या बकवास कर रही हो तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है. तुम्हे मेरी क़सम है अगर तुमने इनके सामने ये सब किया.
रीत रोती हुई विकी को बोली.

रीत-विकी तुम मेरे लिए सब कुछ हो तुम्हे इस तरह मार खाते हुए नही देख सकती मैं.
विकी नीचे पड़ा चिल्ला रहा था और वो जिम्मी को गालियाँ दे रहा था मगर उसकी हालत एसी हो चुकी थी की वो कुछ कर भी नही पा रहा था.

रीत ने उनलोगो की तरफ पीठ की और अपने हाथ अपने चुरिदार के नाडे की तरफ बढ़ा दिए.
विकी उसे बार बार मना कर रहा था मगर रीत जानती थी अगर विकी को इनकी मार से बचाना है तो उसे ये करना ही पड़ेगा.
रीत जब नाडा खोलने लगी तो जिम्मी ने उसे रोकते हुए कहा.

जिम्मी-अरे डार्लिंग पहले अपना ये कमीज़ तो उपर उठाओ ताकि हमें अच्छे से तुम्हारी गान्ड के दर्शन हो.

रीत ने अपनी कमीज़ को पकड़कर उपर किया तो उसकी गोरी कमर उन लोगो को दिखने लगी. वो तीनो अपने हाथ से अपना अपना लंड मसल्ने लगे. रीत की गोरी गान्ड उसके टाइट चुरिदार में क़ैद उनके सामने थी. रीत ने ना चाहते हुए भी अपना नाडा खोल दिया और उसका चुरिदार ढीला हो गया. जिम्मी उसकी और बढ़ा और पीछे से रीत के दोनो चूतड़ थाम लिए जो कि अभी चुरिदार में ही ढके हुए थे.

जिम्मी को ऐसा करता देख विकी अपना पूरा ज़ोर लगाते हुए उठा और जिम्मी के पास जाकर उसके गिरेबान को पकड़ लिया. और उसकी टाँगो के बीच लात मारी और जिम्मी वहीं पे गिर गया. रीत विकी का प्रहार देखकर हैरान हो गई. और उसने झट से अपना नाडा बाँध लिया और एक साइड पे हो गई. विकी ने जिम्मी की हॉकी उठाई और धड़ा धड़ उसपे बरसा दी. फिर वो मुड़ा और उसके दूसरे दोनो दोस्तो पे भी वही हॉकी बरसाने लगा. वो दोनो तो वहाँ से भाग खड़े हुए. जब वो पीछे मुड़ा तो जिम्मी भी उसे भाग ता हुआ दिखाई दिया. रीत भाग कर उसके पास आई तो विकी ने एक जोरदार तमाचा उसकी गाल पे दे मारा और बोला.

विकी-क्या कर रही थी तुम.
और विकी ने उसे गले से लगा लिया.

रीत भी उसके गले लग कर रोने लगी. उन्हे पता ही नही चला कि कब उनके होंठ जुड़ गये. काफ़ी देर बाद वो अलग हुए और घर की तरफ चल पड़े.

विकी अब बिल्कुल बदल चुका था. वो जितना हो सके लड़ाई झगड़े से दूर ही रहता था. रीत के कहने पे अब वो प्रीति और अमित की शादी के लिए भी मान गया था. प्रीति और अमित विकी के इस फ़ैसले पे बहुत खुश थे. प्रीति जानती थी कि ये सब सिर्फ़ रीत की वजह से ही मुमकिन हो पाया है. वो उस का शुक्रिया अदा करना चाहती थी. उसने रीत का नंबर. अपने मोबाइल से डाइयल किया.

रीत-हेलो.

प्रीति-हेलो भाभी कैसी हो आप.

रीत-ओह प्रीति तुम. मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो.

प्रीति-मैं भी ठीक हूँ भाभी.

रीत-अब तो खुश है ना.

प्रीति-जी भाभी मैं बहुत खुश हूँ और अमित भी बहुत खुश है. हम दोनो आपका शुक्रिया अदा करना चाहते है प्लीज़ आप आज दोपेहर को 12 वजे अपने कलाज के पास वाले होटेल में आ जाना हम आपका वही मिलेंगे.

रीत-अरे पगली इसकी क्या ज़रूरत है.

प्रीति-नही मुझे कुछ नही पता आप वहाँ पे आ रही हो बस.
और फोन कट हो जाता है.

अमित, प्रीति और रीत होटेल में एक टेबल पे बैठे होते हैं.

प्रीति-भाभी आपने तो चमत्कार कर दिया.

रीत-अरे मैने कुछ नही किया जो भी किया उस भगवान ने किया.

अमित-कुछ भी हो आपने जो हमारे लिए किया हमारे लिए तो आप ही भगवान हो.

रीत-अरे नही नही आप तो बे-वजह मुझे क्रेडिट दे रहे हो. छोड़ो ये सब ये बताओ शादी की तैयारी है ना अब.

प्रीति-बिल्कुल भाभी फुल तैयारी है. आप बताओ आप कब हमारे घर भाभी बन कर आ रही हो.

रीत-अरे ये बात तो तुम्हारे भैया ही तुम्हे बता सकते हैं.

प्रीति-मैं जल्द ही आप दोनो की बात भी चलाती हूँ घर में.

रीत-अच्छा बाबा चला लेना बात. वैसे तुम्हारे मम्मी पापा मान जाएँगे ना.

प्रीति-अरे कैसी बात कर रही हो भाभी. आप तो हमारे लिए भगवान बन कर आई हो. जब पापा और मम्मी को पता चलेगा कि भैया को आप ने सुधारा है तो वो तो फ़ौरन हां कर देंगे.

रीत प्रीति की बात सुनकर खुश हो जाती है. फिर वो लोग लंच करते हैं और फिर रीत उनसे विदा लेती हुई अपने घर की तरफ निकल जाती है.

अमित और प्रीति भी अमित की गाड़ी में चल देते हैं.

अमित-प्रीति तुम्हे अपना वादा याद है ना.

प्रीति-कॉन्सा वादा.

अमित-वाह जी क्या बात है आपने कहा था कि जब हमारी शादी पक्की हो जाएगी तो आप मुझे जी भर के प्यार करेंगी.

प्रीति-प्यार तो अब भी करती हूँ और आगे भी करती रहूंगी. प्रीति ने हंसते हुए कहा.

अमित-अब बात को घूमाओ मत जानू. गाड़ी अब वहीं आ पहुँची है जहाँ हमने पहली दफ़ा प्यार किया था.
प्रीति ने बाहर देखा तो पाया कि अमित गाड़ी को वहीं पे ले आया था जहाँ पे उन्होने पहली बार सेक्स किया था.

अमित ने गाड़ी को एक तरफ रोक दिया और गाड़ी से उतर कर प्रीति की तरफ आ कर उसकी विंडो को खोला और प्रीति को गोद में उठा लिया और झाड़ियों की तरफ जाने लगा.
प्रीति उसे झाड़ियों की तरफ जाता देख उसकी छाती में मुक्के मारती हुई बोली.

प्रीति-अमित तुम पागल हो गये हो क्या. वहाँ खुले आम ये सब करेंगे तो कोई भी हमे आकर पकड़ सकता है. पहले भी हम एक बार टाय्लेट में पकड़े जा चुके है. मगर तुम्हारा दिमाग़ तो पता नही कहाँ घास चरने गया है. छोड़ो मुझे.

मगर अमित बिना उसकी बात सुने उसे झाड़ियों में और अंदर तक ले गया और एक पेड़ के पास लेज़ा कर उसने प्रीति को उतारा और प्रीति कुछ बोल पाती उस से पहले ही अमित ने अपने होंठ उसके होंठों पे टिका दिए और उसे अपनी बाहों के आगोश में ले लिया. कुछ देर तक प्रीति उस से छूटने की कोशिश करती रही मगर फिर उसने अपने हथियार डाल दिए और अपनी बाहें अमित के गले में डालकर उसका साथ देने लगी. वहाँ पे काफ़ी उँची उँची झाड़ियाँ थी. उनको कोई देख नही सकता था. वो दोनो अब बिना किसी डर से एक दूसरे के होंठ चूसने में खोए हुए थे.


अमित के हाथों ने अब हरकत दिखाना शुरू कर दिया था उसका एक हाथ टी-शर्ट के उपर से प्रीति के बूब्स दबा रहा था और दूसरा उसकी जीन्स के उपर से प्रीति के चुतड़ों का जायज़ा ले रहा था. अमित ज़ोर ज़ोर से प्रीति के मम्मे और चूतड़ मसल्ने लगा था और प्रीति के मूह से भी अब सिसकारियाँ निकलने लगी थी. अमित ने अब प्रीति को फिर से उठा लिया था और उसे ज़मीन पे लिटा दिया और खुद उसके उपर आ कर उसकी टी-शर्ट के उपर से ही उसके मम्मे चूसने लगा था. प्रीति मुस्कुराती हुई अमित की तरफ देख रही थी और उसके बालों में अपनी उंगलिया घुमा रही थी. अमित थोड़ा नीचे हुआ और जीन्स के उपर से ही अपनी जीभ प्रीति की चूत पे फिराने लगा. फिर उसने अपने दोनो हाथ उपर किए और प्रीति की जीन्स का बटन खोल दिया.

अमित ने जीन्स को प्रीति की कमर के पास से पकड़ा और नीचे करने लगा. अमित को ऐसा करता देख प्रीति ने अपनी जीन्स दोनो हाथो से पकड़ी और उपर की तरफ खीचने लगी और बोली.

प्रीति-तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है अमित यहाँ खुले में मेरी पॅंट उतरने में लगे हो.

अमित-अब छोड़ो भी नखरे प्रीति. अब रुका नही जा रहा.

प्रीति-मैं नही उतारने दूँगी.

अमित-ओके चलो पूरी नही उतारूँगा थोड़ी नीचे तो करने दो.

और अमित ने पॅंट को पकड़ा और नीचे सरका कर घुटनो तक कर दिया. नीचे प्रीत ने ब्लॅक पैंटी पहन रखी थी जिसके उपर उसकी चूत के गीलेपन के निशान छपे हुए थे. अमित ने पैंटी को भी किनारों से पकड़ा और उसे भी खीच कर प्रीति की जांघों में अटका दिया. प्रीति को अपनी नंगी चूत का आभास होते ही उसने अपने दोनो हाथों से अपनी चूत ढक ली. अमित ने उसके हाथ हटाया तो प्रीति ने अपनी जांघों को कस कर भींच लिया. अमित ने अपने होंठ उसकी गीली चूत पे धीरे से फिराए तो प्रीति के शरीर में कंप कपि सी दौड़ गई.

अमित ने उसकी जांघों को अलग करना चाहा मगर प्रीति ने उन्हे और कस कर भींच लिया. अमित ने अपना एक हाथ उसकी जांघों के बीच फसा दिया और पूरे ज़ोर से उसकी जंघें अलग कर दी और जंघें अलग होते ही अपना मूह उन के बीच प्रीति की चूत पे टिका दिया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत के होंठों में घुसाने लगा. प्रीति अपनी जांघों से उसके सिर को भींचने लगी. उसका पूरा शरीर एक मीठे से आनंद में खो गया. वो सोचने लगी कि ऐसा मज़ा तो पहले उसे कभी नही आया था. धीरे उसकी टाँगें खुलती चली गई.

अब उसकी चूत पूरी उभर कर अमित के सामने आ चुकी थी और अमित अपनी जीभ से उसके अंदर हलचल मचा रहा था. प्रीति के शरीर में एक लावा सा उठने लगा था. और उसने अमित का सिर पकड़ कर अपनी चूत की तरफ दबा रखा था. फिर उसका पूरा शरीर काँपने लगा और एक गरम गरम प्रेमरस उसकी चूत में से निकला जिसने कि अमित का चेहरा भिगो दिया. प्रीति के पूरी तरह से झड़ने के बाद अमित ने अपना चेहरा उठाया तो उसके चेहरे पर प्रीति की चूत से निकले प्रेमरस के निशान थे.

जिन्हे देखकर प्रीति हँसने लगी और अमित के चेहरे की तरफ इशारा करते हुए उसे चिडाने लगी. अमित ने अपना चेहरा सॉफ किया और अपनी पॅंट भी नीचे सरका दी उसकी अंडरवेर में उसका लंड पूरे उफान पर था जिसे देख कर प्रीति का दिल जोरो से धड़कने लगा. फिर अमित ने अंडरवेर नीचे काइया और फन फनाता हुआ उसका लंड प्रीति की आँखो के सामने झूलने लगा. अमित ने प्रीति को उठाया और उसे झुकने के लिए कहा. प्रीति थोड़ी ना-नुकर के बाद उसके सामने झुक गई.

अब प्रीति के घुटने और हाथ ज़मीन पे थे और उसकी गान्ड अमित के सामने थी. प्रीति की जीन्स और पैंटी उसकी जांघों में अटकी हुई थी. और उसकी गोरी और नंगी गान्ड देखकर अमित का लंड और टाइट होता जा रहा था. अमित ने अपने दोनो हाथ प्रीति की कमर पे टिकाए और अपना लंड उसकी चूत पे रखकर एक धक्का मारा और उसका आधा लंड अंदर घुस गया. प्रीति के मूह से हल्की चीख निकली मगर इस चीख में मज़ा ज़्यादा था और दर्द कम था. फिर अमित ने एक और ज़ोर से धक्का मारा और अपना लंड जड़ तक अंदर पहुँचा दिया और धीरे धीरे प्रीति को चोदने लगा. प्रीति भी धीरे धीरे सिसकने लगी.

अब उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी अमित के लंड के साथ अपने शरीर को आगे पीछे करने लगी. अमित अब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और प्रीति उसके धक्को को ना सहती हुई एक बार फिर झड गई. फिर उसने प्रीति को खड़ी किया और एक पेड़ के सहारे प्रीति खड़ी हो गई अमित ने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया प्रीति दर्द और आनद की मिली जुली आहें भरने लगी. जब अमित को लगा कि अब वो झड़ने वाला है तो उसने प्रीति को कस कर पकड़ लिया और पूरी ताक़त के साथ उसे चोदने लगा. फिर कुछ ही जोरदार प्रहार अमित ने किए और अपना सारा वीर्य प्रीति की चूत में भर दिया. और उधर प्रीति की चूत ने भी हथियार डालते हुए अपना प्रेमरस छोड़ दिया. अमित कुछ मिनिट तक प्रीति को चूमता रहा और फिर वो दोनो वहाँ से निकले और अपने घर की तरफ रवाना हो गये.


दिन बीत ते गये और अमित और प्रीति की शादी हो गई. अब प्रीति ने घर में अपने मम्मी पापा को विकी और रीत के बारे में बता दिया. उसके मम्मी पापा बहुत खुश हुए और कहने लगे कि अगर इतनी समझदार लड़की हमारे घर की बहू बने तो इसमे हमे क्या इतराज़ हो सकता है. और फिर देखते ही देखते विकी और रीत की शादी भी फिक्स हो गई.

दिपु और बॉब्बी दोनो दिपु के घर में बैठे थे और उनके सामने रखे पीसी में विकी रीत को चोद रहा था. रीत का नंगा जिस्म देखकर दोनो के लंड पॅंट में पूरे तने हुए थे. उन्होने पूरी चुदाई देखी और फिर पीसी बंद कर दिया. दिपु जो कि कुछ गुस्से में था बोला.

दिपु-यार बॉब्बी ये हिट्लर ने ठीक नही किया उसने हमारे साथ वादा किया था कि मैं सब को रीत की दिलाउन्गा मगर साला अब मुकर गया और उस से खुद ही शादी करने चला है. भले ही साला उस से शादी करले मगर रीत की चूत और गान्ड तो हम फाड़ कर ही रहेंगे. भले ही मुझे उसके लिए कुछ भी करना पड़े.

बॉब्बी-अरे यार मुझे ये सब सही नही लग रहा.

दिपु-क्या सही नही लग रहा तुझे.

बॉब्बी-यही कि हम हिट्लर और रीत के साथ ऐसा करे आख़िर हिट्लर हमारा दोस्त है.

दिपु-क्यूँ साले उसने कोन्सि दोस्ती निभाई हमेरे साथ जो हम उसकी दोस्ती का ख़याल करे. उसने भी हमें धोखा दिया.

बॉब्बी-नही दिपु उसने जो किया वो धोखा नही है. आख़िर वो प्यार करता है रीत से और तभी उस से शादी कर रहा है. इस से पहले जितनी भी लड़कियाँ उसकी जिंदगी में आई हम सब ने मिलकर उन्हे चोदा मगर रीत की बात अलग है यार उसने हिट्लर की ज़िंदगी में आकर उसे हिट्लर से हीरो बना दिया. और यहाँ तक दोस्ती निभाने की बात है तो उसने खूब दोस्ती निभाई है हमारे साथ. साले जब तुझे जिम्मी के ग्रूप ने पीटा था तो हिट्लर ने अकेले ही तेरे लिए उन सब की पिटाई की थी साले तू इतनी जल्दी भूल गया क्या. और इस से पहले भी कितने ही मौको पर उसने हम दोनो का साथ दिया है. उसने तो एक दोस्त होने के पूरे फ़र्ज़ अदा किए है दिपु उसने हमें कोई धोखा नही दिया और अगर हम अब रीत के साथ ऐसा करेंगे तो ये सबसे बड़ा धोखा होगा हमारा उसके साथ. मैं तो ये सब नही करूँगा दिपु आगे तुम्हारी मर्ज़ी है.

दिपु का चेहरा भी अब शांत पड़ चुका था वो अब अपने अतीत में खो चुका था कितने ही मौको पर विकी ने उसकी मदद की थी और मैं उसके साथ ये सब करने चला था. नही नही मुझे ऐसा नही करना चाहिए. यही सोचता हुया वो बोला.

दिपु-बात तो तेरी सही है यार. हवस मेरे पर इतनी भारी हो चुकी थी कि मुझे अपने यार के एहसान तो दिख ही नही रहे थे. मैं तो अंजाने में उसके साथ इतना बड़ा धोखा करने चला था. नही मैं ये कभी नही करूँगा. उसने अपना पीसी ऑन किया और वो क्लिप डेलीट कर दी. और बॉब्बी को गले लगा लिया अब उसकी आँखों में भी आँसू आ चुके थे.
बॉब्बी-अबे चल उठ अब शॉपिंग के लिए चलते हैं हमें अपने हिट्लर की शादी में भी तो जाना है.
डिपु उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगा और उठ कर उसके साथ चल पड़ा.
.
विकी और रीत की शादी की तैयारी हो चुकी थी. पूरे घर में चहल पहल थी. प्रीति भाग भाग कर काम कर रही थी क्यूंकी उसे अपनी भाभी का बेसब्री से इंतेज़ार था कि कब वो लाल जोड़े में सजकर उनके घर आए और कब वो उस से मिले. प्रीति को अगर बेसब्री थी रीत के आने की तो विकी का भी यही हाल था वो सोच रहा था कि कब रीत उसके साथ उसके बिस्तेर में होगी. और वो उसे जी भर कर प्यार करेगा. दिपु, बॉब्बी और हिट्लर के कुछ और दोस्त बार बार हिट्लर को सलाह दे रहे थे कि सुहागरात में ऐसे करना वैसे करना. विकी भी उनकी सलाहें सुन रहा था और हँस देता था.

आख़िरकार वो लम्हा आ ही चुका था जिसका सब को इंतेज़ार था. पूरे रसम और रिवाज के साथ विकी और रीत की शादी हो चुकी थी और अब वो लाल रंग के लहंगे में क़ैद वो अप्सरा विकी के घर उसकी पत्नी बनकर आ चुकी थी. सब के चेहरे उसे देखकर खुशी से खिल उठे थे. प्रीति और विकी तो खुश थे ही. लेकिन विकी के मम्मी पापा भी इतनी सुंदर और सुशील बहू पाकर फूले नही समा रहे थे. रीत को काफ़ी देर तक तो प्रीति और उसकी कुछ सहेलियों ने उलझाए रखा और दूसरी तरफ विकी को उसके दोस्तों की सलाहें अभी तक चालू थी. रात के 11 बज चुके थे तब रीत ने जाकर अपने कपड़े चेंज किए और एक रेड कलर का ही सलवार कमीज़ पहन लिया जो कि उसके गोरे जिस्म पे काफ़ी हॉट लग रहा था. उसने अपने आप को खूब तैयार किया और जाकर उस बेड पे बैठ गई जो कि स्पेशल उसकी सुहागरात के लिए सजाया गया था. उसने अपनी चुन्नी से अपने चेहरे पे घूँघट कर लिया और विकी का इंतेज़ार करने लगी.


कुछ ही देर में दरवाज़ा खुला और विकी अंदर आया और उसने दरवाज़े पे अंदर से कुण्डी लगा दी.
विकी ने देखा कि रीत ने घूँघट किया हुआ था और अपने घुटनो को मोड़ कर उन के उपर हाथ रख कर बैठी थी. विकी ने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ अंडरवेर में रीत की तरफ बढ़ने लगा. उसका लंड पूरा तन कर उसकी अंडरवेर को फाड़ने को हो रहा था. रीत ने तिरछी नज़रों से विकी की तरफ देखा तो अंडरवेर में उसका तना हुआ लंड देख कर उसके पूरे शरीर में करेंट सा दौड़ गया. विकी उसके पास आकर बेड के उपर बैठ गया और बोला.

विकी-कैसी है मेरी सरकार.

रीत-ठीक हूँ जनाब.

विकी-लेकिन सुबह तक तो बुरा हाल हो जाएगा तुम्हारा.

रीत ने विकी की पीठ पे एक थप्पड़ मारा और बोली.

रीत-तुम नही सुधरोगे.

विकी ने धीरे धीरे रीत का घूँघट उसके चेहरे पे से हटा दिया. रीत शरम के मारे विकी से नज़रें नही मिला पा रही थी. विकी ने उसकी चिन पे उंगली रखकर उसके चेहरे को उपर उठाया और दोनो की नज़र मिलते ही वो दोनो मुस्कुराने लगे. फिर विकी ने रीत की चुन्नी को उतार कर साइड पे रख दिया और चुन्नी के उतर जाने से रीत की कमीज़ के खुले गले से रीत के मम्मों के बीच की लकीर दिखने लगी और उसे देखते ही विकी के लंड ने एक अंगड़ाई ली.

अब विकी एक एक करके रीत के गहने उतारने लगा और उन्हे साइड पे रख दिया. अब तक़रीबन सभी गहने विकी ने उतार दिए थे सिर्फ़ हाथों के कंगन, गले का हार और पैरों की पायल ये रीत के शरीर पे थे. अब रीत घुटनो पे सिर रखकर शरम की वजह से अपना चेहरा छुपाए बैठी थी. उसकी चूत आने वाले रंगीन पलों को सोचकर गीली होने लगी थी. विकी ने उसके दोनो पैर पकड़े और उन्हे खीच कर सीधे कर दिया इस तरह करने से रीत को अपने घुटनो पर से सिर उठाना पड़ा क्योंकि उसकी टाँगें अब बेड पे सीधी हो चुकी थी.

टाँगें सीधी होने की वजह से अब रीत के मम्मे उसके टाइट कमीज़ में क़ैद अब विकी के सामने थे जिन्हे देखकर विकी का जी उन्हे दबोचने को मचल उठा था. विकी अपनी जगह से उठा और रीत की दोनो टाँगों के इर्द-गिर्द अपने घुटने रखकर उसकी टाँगों पे बैठ गया. उसने अपने दोनो हाथ रीत की जांघों पे रख दिए जो की एक दूसरे से चिपकी हुई थी.

वो अपने हाथ उपर की तरफ लेज़ा ने लगा और उसके हाथ रीत की चूत के पास पहुँच कर रुक गये उसने रीत की तरफ देखा तो वो शरम से नज़रें झुकाए बैठी थी. विकी ने हाथ आगे बढ़ाए और रीत की सलवार का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही रीत के शरीर को झटका सा लगा और वो आगे बढ़कर विकी के गले लग गई विकी ने भी मौके का पूरा फ़ायदा उठाते हुए रीत का चेहरा पकड़कर उसके होंठों पे अपने होंठ सटा दिए और उन्हे प्यार से चूसने लगा. रीत भी उसका भरपूर साथ देने लगी.

विकी ने उसे लिटा दिया और खुद उसके होंठ को जकड़े हुए उसके उपर लेट गया और अपने दोनो हाथ रीत के मम्मों के उपर रख दिए और उन्हे मसल्ने लगा. रीत को अपनी चूत के पास विकी के लंड का एहसास हो रहा था. विकी ने रीत के होंठ छोड़ कर उसकी कमीज़ को पकड़ा और उसे निकाल दिया. नीचे रेड कलर की ब्रा में क़ैद रीत के उभारों को देखते ही विकी अपने होश गँवा बैठा और उन के उपर टूट पड़ा उसने मम्मों को ब्रा में से निकाल लिया और उन्हे चूसने लगा.

उसने हाथ रीत के नीचे से उसकी पीठ पर पहुँचा दिया और ब्रा की हुक खोल दी और ब्रा को रीत के जिस्म से अलग कर दिया. अब उपर से रीत नंगी थी और विकी उसके उपर चढ़ा हुआ था और उसके मम्मे चूस रहा था. विकी रीत के उपर से उतर गया और उसकी टाँगों में से रीत की सलवार निकाल दी और नीचे से रेड कलर की पैंटी भी उतार कर सलवार के पास ही रख दी. अब रीत बिल्कुल नंगी अपने पति के सामने थी.

विकी ने उसकी टाँगों को उठा कर अपने कंधे पे रखा और अपनी जीभ रीत की चूत पे रख कर उसे चूसने लगा. रीत विकी की इस हरकत पे शर्म से लाल हो गई और धीरे धीरे सिसकने लगी. वो विकी की जीभ का प्रहार ना सहते हुए झाड़ गई और विकी अपनी पत्नी की चूत का रस पी गया. फिर विकी ने अपना लंड निकाला और उसे रीत की चूत पे फिराने लगा. रीत की टाँगें विकी के कंधे पे ही थी और विकी का लंड उसकी चूत पे दस्तक दे रहा था.

विकी ने एक झटका लगाया और लंड रीत की चूत के अंदर खिसक गया फिर एक और धक्का लगा और काफ़ी हद तक लंड रीत की चूत में समा गया. रीत दर्द से कराहने लगी. विकी अब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और उसका लंड तेज़ी से रीत की चूत के अंदर बाहर होने लगा. पूरा कमरा रीत की सिसकियों के साथ गूंजने लगा. विकी के तेज़ तेज़ धक्को को ना सहर्ती हुई रीत एक बार फिर झड गई. विकी ने अपना लंड निकाला और रीत को भी उठा दिया. वो बेड पे घुटनो के बल खड़ा हो गया और अपना लंड रीत के चेहरे के पास किया और रीत के होंठों पे फिराने लगा.
रीत ने अपना चेहरा घूमते हुए कहा.

रीत-क्या कर रहे हो विकी.

विकी-डार्लिंग प्लीज़ इसे मूह में लेकर चूसो ना.
रीत ने ना में सिर हिला दिया और गुस्से से विकी की तरफ देखा.

विकी ने इशारे के साथ ही उसे प्यार से मूह में लेने को कहा और रीत को भी विकी पे प्यार आ गया और उसने अपने होंठ खोल कर लंड के टोपे को मूह में ले लिया.

रीत विकी के लंड के टोपे को अपने होंठों में लिए चूस रही थी. विकी ने रीत का सिर पीछे से पकड़ा और अपने लंड पे उसका दवाब बढ़ाने लगा. रीत को ना चाहते हुए भी अपना मूह और खोलना पड़ा और विकी के विशाल लंड को अपने मूह में लेना पड़ा. अब लगभग आधे से ज़्यादा लंड रीत के मूह में था और विकी अपने लंड को कभी उसके मूह से बाहर निकालता और कभी अंदर डाल रहा था.

मगर ये कष्ट कुछ देर विकी को करना पड़ा फिर रीत खुद अपना चेहरा आगे पीछे करते हुए लंड को लॉली पोप की तरह चूसने लगी. रीत को लंड को चूसने में मज़ा आने लगा था. वो पूरी मस्त होकर विकी का लंड चूस रही थी. विकी का शरीर भी अब अकड़ने लगा था. विकी रीत के होंठों की गर्मी का अपने लंड पे ना झेलता हुआ रीत के मूह में ही झड़ने लगा और उसने तब तक अपना लंड बाहर नही निकालने दिया जब तक रीत उसके लंड में से निकला रस गटक नही गई. जैसे ही विकी ने अपना लंड निकाला तो रीत उसे मारने लगी कीनकी उसे गुस्सा आ रहा था कि विकी ने उसके मूह में ही अपना रस छोड़ दिया था.

अब विकी ढेर होकर एक तरफ गिर गया और उसने रीत को अपने उपर खींच लिया. वो दोनो फिर से एक दूसरे के अंगों को मसऑल्ट हुए होंठों को चूसने लगे. कुछ ही मिनिट में विकी का लंड फिर से रीत की चूत की सैर करने के लिए तैयार हो गया. रीत उसके उपर थी तो उसने नीचे से ही रीत की चूत पर अपना लंड सटा दिया और लंड को रीत की चूत ने अपने अंदर समा लिया. विकी नीचे से धक्के लगाने लगा और रीत भी कूद कूद कर विकी के लंड का मज़ा लेने लगी. कुछ देर इस तरह से चोदने के बाद विकी ने रीत को अपने उपर से उतारा और उसे घुटनो के बल बेड पे झुका दिया.

और खुद पीछे जाकर रीत की चूत में लंड डाल दिया. इस पोज़िशन में रीत को थोड़ा दर्द हो रहा था और हर धक्के के साथ उसके हाथो में पहना चूड़ा भी छनक रहा था और एक मादक सा म्यूज़िक पैदा कर रहा था. विकी की नज़र अब रीत की उठी हुई गान्ड पे पड़ी तो उसे रीत की गान्ड का छेद दिखाई दिया. उसने साइड पे पड़ी एक शीशी उठाई और कुछ तेल उसकी गान्ड पे डाल दिया और उसके गान्ड के छेद के आस पास भी कुछ तेल लगा दिया.

अचानक विकी ने अपना लंड रीत की चूत से निकाल लिया और एकदम से उसकी गान्ड के छेद पे लंड रखकर एक हल्का धक्का लगाया और लंड का टोपा रीत की गान्ड में घुस गया और रीत की एक दर्दनाक चीख पूरे घर में फैल गई. विकी को भी एक बार तो रीत की चीख ने डरा दिया. रीत दर्द के मारे बिलखने लगी और विकी को लंड बाहर निकालने को बोलने लगी. मगर विकी ने उसे प्यार से समझाते हुए एक और धक्का लगाया और आधा लंड अंदर घुस गया और साथ ही एक खून की धार रीत की गान्ड में से निकल आई.

रीत ने अपना चेहरा बेड की चद्दर में घुसेड दिया और विकी ने एक और झटका दिया और लंड पूरा अंदर पहुँचा दिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. रीत के लिए अब घुटनो पे खड़े रहना मुश्क़िल हो रहा था और वो पेट के बल बेड पे गिर गई. विकी ने उसकी कमर पकड़ कर उसे फिर से उठाया और धक्के लगाने लगा. रीत की दर्द से भरी आहें पूरे कमरे में गूँज़ रही थी. विकी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था. रीत की आँखों में से लगातार आँसू बह रहे थे. विकी को जब लगा कि वो झड़ने वाला है तो उसने लंड रीत की गान्ड से निकाला और चूत में डाल दिया. रीत ने अब थोड़ी राहत की साँस ली.

विकी ज़ोर ज़ोर से रीत की चूत चोदने लगा. और फिर उन्दोनो मे एक दूसरे को जाकड़ लिया और वो एक साथ झड़ने लगे. विकी ने लंड बाहर निकाला और बेड पे रीत को लिटाया और खुद उसको बाहों में भरते हुए उसके पास लेट गया. ऊन्दोनो की नज़रें मिली और दोनो मुस्कुराने लगे.

विकी ने अपने होंठ रीत की तरफ बढ़ाए और रीत ने आगे बढ़ते हुए विकी के होंठों को अपने होंठों में क़ैद कर लिया और वो दोनो फिर से एक दूसरे को प्यार करने लगे.

दोस्तो इस तरह अपने हिटलर ने अपनी सुहागरात रीत की गान्ड की सील तोड़ कर मनाई 
.................

दा एंड


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