मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ -4 मीरा राधे की सुहागरात / ममता सरजू

नीरज वापस चला गया था और अपनी मंडली वालों को कह दिया कि राधे कुछ दिनों बाद आएगा.. अब जब तक वो नहीं आता.. उसका यहाँ क्या काम है.. तो वो भी कहीं और काम ढूँढने जा रहा है।
यह बोल कर उसने एक झोपड़पट्टी में अलग जगह ले ली। अभी वो एक कोठे पर बैठा शराब पी रहा था।
शीला- अरे मेरे राजा शराब ही पीता रहेगा या कुछ करेगा भी.. तेरा दोस्त कहाँ है?
नीरज- हट साली.. पीने दे.. आज यहाँ मैं तुझे चोदने नहीं आया हूँ। अब मैं लखपति बन गया हूँ.. तुझसे एक काम है वो कराने आया हूँ.. तू बता यहाँ कोई कच्ची कली आई है क्या? और उसका दाम क्या होगा? साला बहुत मन हो रहा है.. कोई कच्ची चूत मारने का.. साली वो मीरा को देख कर लौड़ा बेकाबू हो गया है.. साला राधे तो उसको चोद कर मज़ा ले लेगा.. मेरा भी कुछ करवा दे ना..
शीला- मेरे राजा यहाँ नई लड़कियाँ जब आती हैं तो उनकी बोली लगती है.. तुम जानते नहीं ये मुंबई है.. बड़े-बड़े पैसे वाले बूढ़े ठरकी यहाँ आते हैं सालों को कच्ची चूतों का शौक है.. एक रात के लिए लाखों देते हैं तुम दे पाओगे?
नीरज- अबे साली.. मैंने कहा ना.. अब मैं कंगला नहीं हूँ.. लखपति बन गया हूँ.. दे दूँगा मैं.. तू बस बता कोई नई लड़की आई है क्या?
शीला- अरे राजा कहाँ हाथ मारा है.. बता तो मुझे?
नीरज ने नशे की झोंक में उसे सारी बात बता दी तो शीला यह सुनकर खुश हो गई।
शीला- देख राजा यहाँ की लड़की का ख्वाब जाने दे.. एक रात के लिए मिलेगी और लाख रुपये गए चूत में.. ये काम बड़े पैसे वालों का है.. तू एक काम कर बाहर किसी छोटी लड़की को फँसा उस पर थोड़ा खर्चा कर.. उसके बाद उसकी चूत और गाण्ड का महूरत कर.. वो भी जब तक तेरा मन ना भरे.. तब तक.. सही कहती हूँ एक लाख से कम खर्चा होगा और तू रोज उसको चोद सकेगा। 
नीरज- साली तेरी बात में दम तो है.. यहाँ तो रात भर के लिए लड़की मिलेगी.. और वो तो रोज मुझे मिलेगी.. मगर मुझे ऐसी लड़की कहाँ मिलेगी?
शीला- अरे राजा ये सपनों का शहर है.. यहाँ रोज हजारों कमसिन लड़कियाँ अपने सपने लेकर आती हैं। तू किसी फिल्म स्टूडियो के बाहर तलाश कर या फिर किसी स्कूल के बाहर तलाश कर.. वहाँ भी कमसिन लड़कियाँ होती हैं.. उनको किसी तरह पटा ले.. बस तेरा काम बन जाएगा।
नीरज- मगर कैसे और कहाँ.. कुछ तो आइडिया दे।
शीला ने उसको आराम से आइडिया समझाया कि करना क्या है और कैसे करना है। उसकी बातें सुनकर नीरज की आँखों में चमक आ गई।
नीरज- साली तू कमाल की है.. अच्छा आइडिया दिया.. कल ही काम पर लग जाऊँगा.. चल अब मेरे लौड़े को चूस कर ठंडा कर दे..
शीला- राजा बस चुसवाएगा.. क्या मुझे चोदेगा नहीं..
नीरज- नहीं.. अब तो ये लौड़ा कुँवारी चूत में ही जाएगा.. आजा चल चूस कर ठंडा कर दे।
शीला ने नीरज का लौड़ा पैन्ट से बाहर निकाल लिया.. जो सोया हुआ था।
शीला उस पर जीभ फेरने लगी।

थोड़ी देर तक शीला कभी जीभ से लौड़े को चाटती.. तो कभी उसको मुँह में लेकर चूसती.. लौड़ा अपने आकार में आने लगा और 5 मिनट में वो तनकर 7″ का हो गया.. मोटा भी ठीक-ठाक था.. शीला बड़े प्यार से लौड़े को चूसने लगी।
नीरज- आह्ह.. चूस साली.. आह्ह.. कुछ दिन तू और चूस ले उसके बाद तो किसी कमसिन के होंठों से ही आह्ह.. चुसवाऊँगा.. आह.. साली एक तो वो नीतू रंडी मिली आह्ह.. जो चूत चटवा कर लात मार दी.. आह दूसरी मीरा आ.. जिसको बस देख ही पाया.. आह्ह.. साला राधे.. उसको बड़ा तड़पा कर चोदेगा.. आह्ह.. चूस आह्ह.. चूस आह्ह…
शीला ने होंठ भींच लिए और ज़ोर-ज़ोर से मुँह हिलाने लगी.. फच फच की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी।
नीरज- आह्ह.. ज़ोर से कर माँ की लौड़ी.. आईई.. आह्ह.. मेरा निकलने वाला है आह्ह.. आह्ह..
नीरज अकड़ने लगा.. उसका लौड़ा फूलने लगा और कुछ देर बाद उसके लौड़े ने पानी की धार शीला के मुँह में मारनी शुरू कर दी। शीला का तो काम यही था.. पूरा पानी गटक गई और जीभ से लौड़े को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
दोस्तो, नीरज का तो हो गया.. चलो अब अपने हीरो के पास चलते हैं। अब तक तो उसकी कहानी पूरी हो गई होगी। अब देखते हैं.. क्या होता है..।
राधे की बात मीरा बड़े ध्यान से सुन रही थी जब राधे चुप हो गया तो..
मीरा- हूँ.. तो यह बात है.. लड़का होते हुए भी तुमको लड़की बनकर जीना पड़ता है.. सही है.. ऐसी जलालत भरी जिंदगी से कौन पीछा छुड़ाना नहीं चाहता.. मगर हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था.. जो हमें धोखा दिया.. ये कौन सा इंसाफ़ हुआ?
राधे- देखो मीरा.. मैं ज़्यादा पढ़ा-लिखा तो नहीं हूँ.. मगर इतना जानता हूँ कि भगवान जो भी करता है.. अच्छे के लिए करता है। अब देखो उसकी लीला कैसे मेरे हाथ पर वो निशान बना दिया.. जो तुम्हारी खोई बहन के हाथ पर था.. और मेरा जिस्म ऐसा बनाया कि लड़की हो.. तुम जरा इस बात को भी समझो..
मीरा इस जमाने की मॉर्डन लड़की ज़रूर थी मगर दो बातों ने उसे राधे की बात मानने पर मजबूर कर दिया था। 
एक तो वो अपने पापा से बहुत प्यार करती थी.. वो जानती थी.. कि अगर पापा को इस बात का पता लग गया.. तो वो असमय ही मर जाएँगे.. और दूसरी बात आप जानते ही हो.. राधे ने जिस तरह उसके जिस्म को चूसा.. और चूत को चाटा था.. और अपना बंबू नुमा लौड़ा उसे दिखाया था.. बस वो पिघल गई.. या यूं कहो लौड़े की चाहत में राधे की हो गई..
मीरा- चलो ठीक है.. मान लेती हूँ कि तुम सही बोल रहे हो.. मगर अब ये नाटक चलता रहने दो.. मेरे पापा बरसों बाद खुश हुए हैं.. अब मैं उनको दु:खी नहीं कर सकती और ‘हाँ’ मेरी दीदी बनकर ही रहना.. कुछ गलत करने की सोचना भी मत..
राधे- मीरा तुम बेफिकर रहो.. तुम्हारे पापा अब मेरे पापा जैसे ही हैं.. मैं उनको कभी पता नहीं चलने दूँगा.. मगर तुम मेरी भावनाओं को समझो.. तुम्हारे मादक जिस्म को देखने और चूसने के बाद अब मुझसे रहा नहीं जाएगा.. देखो मेरे लौड़े का क्या हाल हो गया है.. देखो ना.. इसे…
राधे के मीरा के जिस्म की बात करते ही लौड़ा वापस उफान पर आ गया।
मीरा बस टकटकी लगाए उसको देखने लगी और इसी मौके का फायदा उठा कर राधे उसके पास चिपक कर बैठ गया। उसने धीरे से कंबल को मीरा के जिस्म से हटा दिया।
मीरा तो लौड़े को देखने में इतनी खो गई थी.. कि उसे पता भी नहीं चला कि कब राधे ने उसका हाथ पकड़ा और लौड़े पर रख दिया।
जैसे ही मीरा की नाज़ुक उँगलियाँ राधे के गर्म लौड़े से टकराईं.. उसको होश आ गया। उसने जल्दी से अपना हाथ पीछे खींच लिया.. जैसे उसको 440 वोल्ट का झटका लगा हो।
मीरा- यह क्या बदतमीज़ी है.. मैंने मना किया था ना.. तुम कुछ नहीं करोगे..!
राधे- अरे तो मैं कहाँ कुछ कर रहा हूँ.. तू तुम बहुत अच्छी लड़की हो.. बस तुम्हारी इच्छा पूरी कर रहा था.. लो छू कर देख लो लौड़े को.. माँ कसम.. मैं कुछ नहीं करूँगा।
मीरा थोड़ी शर्मा गई.. जब उसको अहसास हुआ कि उसका कंबल एक तरफ़ पड़ा है.. और राधे उसके मम्मों को देख रहा है।

मीरा- न..नहीं देखना मुझे.. तत..तुम जाओ यहाँ से.. मुझे कपड़े पहनने दो..
राधे- अब इस हाल में कहाँ जाऊँ.. अच्छा तुमको देखने में शर्म आ रही है.. लो मैं आँख बन्द करके सो जाता हूँ.. तुम देखना चाहो तो देख लो.. मैं सो रहा हूँ गुड़नाईट..
इतना कहकर राधे आँख बन्द करके सीधा सो गया.. उसने अपनी टाँगें फैला ली थीं और उसका लौड़ा कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा होकर मीरा को सलामी दे रहा था।
काफ़ी देर तक मीरा लौड़े को एकटक देखती रही.. वो जानती थी कि राधे सोया नहीं है.. बस आँख बन्द करके पड़ा है.. मगर उसके आँख बन्द कर लेने से मीरा की शर्म कुछ कम हो गई थी, वो आराम से लौड़े को देख सकती थी।
दस मिनट तक मीरा वैसी की वैसी बैठी रही.. राधे ने भी कोई हरकत नहीं की.. अब लौड़ा भी धीरे-धीरे बैठने लगा था। थोड़ी देर में ही लौड़ा पूरी तरह मुरझा सा गया था.. जिसे देख कर मीरा ने मन ही मन कहा- अरे ये तो मुरझा गया.. लगता है राधे सच में सो गया है.. तभी तो लौड़ा भी सो गया.. अब मैं इसको टच करके देख सकती हूँ..
मीरा ने डरते-डरते राधे को आवाज़ दी.. मगर उसका कोई जबाव नहीं आया तो मीरा लौड़े को काँपते हाथों से छुआ.. उसको बड़ा अच्छा लगा.. अब वो थोड़ा खुलकर लंड को सहलाने लगी। उसकी चूत में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी।
मीरा के कोमल हाथ का कमाल था कि लौड़ा फिर तन कर उसको सलामी देने लगा। मीरा का मन ललचा रहा था.. दिल कर रहा था उसको छू लें.. मगर डर भी लग रहा था.. अब ये डर किस बात का था.. ये आप अंदाज़ा लगा सकते हो। 
थोड़ी देर लौड़े को सहलाने के बाद मीरा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने हल्के से अपने सुलगते नर्म होंठ लौड़े पर रख दिए और बस जीभ से सुपारे को पहले चूमा फिर चाटने लगी।
राधे बहुत हरामी था.. वो सोया नहीं था.. और सच भी है कि ऐसी क़यामत पास में नंगी बैठी हो.. तो कोई नामर्द ही सो सकता है। वो तो बस मीरा के खुलने का इन्तजार कर रहा था.. मगर अब भी वो चुप था, उसने भी ठान लिया था कि जब तक मीरा खुलकर पूरा लौड़ा ना चूस ले.. वो चुप ही पड़ा रहेगा।
जैसा राधे ने सोचा.. वैसा ही हुआ.. मीरा को लौड़े का स्वाद अच्छा लगने लगा, उसने सुपारे को पूरा मुँह में भर लिया। अब वो चुदासी हो उठी थी और मज़े से लौड़ा चूसने लगी थी।
राधे ने आँखें खोल दीं और मीरा को देखने लगा.. उसका लौड़ा कब से इसी लम्हे का इन्तजार कर रहा था.. अब उसको सुकून मिल रहा था..
मीरा को अपनी चुदास के चलते इस बात का होश ही नहीं था कि राधे उसको देख रहा है.. वो तो बस लौड़े को लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी। 
लौड़ा मोटा होने के कारण उसको तकलीफ़ तो हो रही थी.. मगर लौड़े का स्वाद ही ऐसा था कि वो पूरा जड़ तक अन्दर लेकर मज़ा ले रही थी। अब उसकी चूत में भी करंट पैदा हो गया था.. उसकी चूत भी रिसने लगी थी। उधर राधे के लौड़े से भी हल्का पानी आना शुरू हो गया था.. उसका लौड़ा फूलने लगा था.. अब किसी भी पल वो झड़ सकता था। 
बस यही वो पल था.. जब राधे झटके से बैठ गया और मीरा के सर पर हाथ रख कर नीचे से दो-तीन तगड़े झटके मीरा के मुँह में मारे.. उसके लौड़े से तेज़ गर्म वीर्य की धार.. सीधे मीरा के गले में जा लगी.. मजबूरन मीरा को पानी गटकना पड़ा..
एक मिनट तक राधे ने उसके सर को लौड़े पर दबा कर रखा.. जब तक की पूरा लौड़ा झड़ ना गया.. राधे अपने लण्ड को मीरा के हलक में फंसाए रहा।
जब राधे ने हाथ हटाया.. तो मीरा की जान में जान आई।
मीरा- उहह.. उहहुउ.. पागल हो क्या.. ओह्ह.. पानी मेरे पेट में चला गया..
राधे- जानेमन.. अब बस भी करो.. मैं सोया हुआ था.. तब तो बड़े प्यार से लौड़ा चूस रही थीं.. अब जब मेरा पानी निकलने का टाइम आया तो मुझसे रहा ना गया.. सॉरी.. अब ये लौड़े पर थोड़ा बचा हुआ पानी भी साफ कर दो ना.. प्लीज़..
मीरा के होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई.. उसने जीभ से चाट कर लौड़े को साफ कर दिया। 
दरअसल उसकी उत्तेजना भी भड़क गई थी उसकी चूत में आग लगने लगी थी। अब नाराज़गी बनाए रखने में.. उसको अपना नुकसान दिखाई दे रहा था..
मीरा- लो.. मैंने तुमको माफ़ भी कर दिया और तुम्हारा लौड़ा साफ भी कर दिया.. अब सो जाओ.. रात बहुत हो गई है.. कल बात करेंगे।
राधे ने मीरा को पकड़ कर अपने से चिपका लिया और अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया।
राधे- थैंक्स मीरा.. तुमने मुझे सुकून दिया.. मगर मैं ख़ुदग़र्ज़ नहीं हूँ.. तुम्हारी चूत जो सेक्स की आग में जल रही है.. इसको ठंडा करना मेरा फर्ज़ है.. मैं तुमको ऐसे तड़पता हुआ कैसे छोड़ सकता हूँ..
राधे का हाथ चूत पर लगते ही मीरा को असीम आनन्द की प्राप्ति हुई और एक सिसकी उसके मुँह से निकल गई..
मीरा- आह्ह.. ससस्स.. राधे.. नहीं.. प्लीज़ अभी नहीं.. मेरा दिल नहीं मान रहा है अभी सेक्स करने को.. प्लीज़.. तुम बहुत अच्छे हो.. मगर अभी कुछ नहीं..
राधे- मैं जानता हूँ मेरी जान.. तुम्हारा मन तो बहुत है.. मगर तुम डरती हो.. घबराओ मत.. जब तक तुम नहीं कहोगी.. मैं तुम्हारी चूत में लौड़ा नहीं डालूँगा.. अभी बस चाट कर इसको ठंडा करूँगा.. प्लीज़ अब मना मत करना..
मीरा कुछ नहीं बोली और उसने अपनी टाँगें फैला दीं.. और राधे के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। राधे उसके नरम होंठों को चूसने लगा और एक हाथ से चूत को रगड़ने लगा।
कोई 3 मिनट के लंबे चुम्बन के बाद जब राधे अलग हुआ तो मीरा ने राधे का सर पकड़ कर चूत पर टिका दिया और उसके बालों में हाथ घुमाने लगी।
राधे मीरा की चूत को चाटने लगा था.. मीरा पहले ही बहुत गर्म थी.. सिर्फ 2 ही मिनट में उसकी चूत ठंडी हो गई और वो ख़ुशी से राधे से लिपट गई।
मीरा- ओह.. माय गॉड.. राधे यू आर सो स्वीट.. तुमने आज जो किया है.. उससे मैं बहुत खुश हूँ.. प्लीज़ मेरा विश्वास मत तोड़ना.. आई लव यू राधे.. आई लव यू.. सो मच…
राधे- लव यू टू.. मेरी जान घबराओ मत.. तुम तो मेरे लिए भगवान का दिया एक अनमोल तोहफा हो.. तुम तो मेरी बेरंग जिंदगी में रंग भरने आई हो.. तुम्हें धोखा देना मतलब.. भगवान को धोखा देना है। अब हम दोनों मिलकर पापा को संभालेंगे..
मीरा- राधे.. पापा का दिल बहुत कमजोर है.. उनको जरा सा भी सदमा अब मौत के मुँह में ले जाएगा.. प्लीज़ राधे अब रात में हम लवर रहेंगे.. मगर दिन में तुम्हें दीदी ही रहना होगा..
राधे- ठीक है मीरा.. जैसा तुम कहो.. मैं वैसा ही करूँगा और हाँ 5 लाख तो नीरज ले गया.. बाकी मेरे पास हैं.. वो मैं तुम्हें वापस दे दूँगा..
मीरा- अरे नहीं नहीं.. वो अपने पास रखो भगवान की दया से हमारे पास पैसों की कमी नहीं है और अब तो हम सारी जिन्दगी साथ में ही रहेंगे तो सब कुछ हमारा ही तो है।
राधे- हाँ मीरा.. सही कहा.. चलो अब सो जाओ.. कल स्कूल नहीं जाना क्या!!
मीरा- कपड़े तो पहन लो.. और मुझे भी पहनने दो..
राधे- नहीं जान.. आज हम ऐसे ही एक-दूसरे से नंगे लिपट कर सोएँगे।
मीरा- ना बाबा.. मुझे ऐसे नंगे तुम्हारे साथ नहीं सोना.. तुम्हारा लौड़ा बहुत बड़ा है.. कहीं रात को सोते में अन्दर घुस गया.. तो मेरी जान निकल जाएगी..
राधे- मेरी जान.. मैं कोई गुंडा नहीं हूँ.. जो तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ करूँगा.. अब आ जाओ.. सो जाते हैं।
मीरा- लेकिन रात को तुम्हारा लौड़ा कड़क हुआ तो?
राधे- अरे डरती क्यों है.. मुठ्ठ मार के शांत कर लूँगा.. मैंने वादा किया ना.. कुछ नहीं करूँगा.. तुमको क्या मुझ पर भरोसा नहीं है? 
मीरा- सॉरी राधे.. ऐसी बात नहीं है.. मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.. मगर मुझे खुद पर भरोसा नहीं है.. तुम्हारे लौड़े को देख कर मन बार-बार ललचा रहा है.. कहीं मैं बहक ना जाऊँ।
राधे- अरे अगर इतना ही मन है.. तो ले लो चूत में.. डर किस बात का?
मीरा- डर नहीं है राधे.. मेरे कुछ सपने हैं.. मैं अपनी सील ऐसे नहीं तुड़वाना चाहती हूँ.. मैंने कुछ प्लान किया हुआ है.. जब सही मौका आएगा.. तब चुदवाऊँगी।
राधे- ठीक है जान.. जैसा तुम चाहोगी.. वैसा ही होगा.. चलो पहन लो कपड़े.. मगर मैं क्या पहनूँ.. ये लड़की बन-बन कर थक गया हूँ।
मीरा हँसने लगी और राधे से कहा- आज मैनेज कर लो.. कल हम रात के लिए कुछ कपड़े ले आएँगे।
राधे ने अपने बैग से सलवार निकाली और पहन ली.. मीरा ने नाईटी पहन ली.. दोनों चिपक कर सो गए।
रोज की तरह मीरा जल्दी उठ गई और राधे को भी उठा दिया। दोनों रेडी होकर कमरे से बाहर आईं और अपने पापा के पास चली गईं।
दोस्तो, यहाँ कुछ बताने लायक नहीं है.. वही फैमिली ड्रामा.. नाश्ते के बाद मीरा स्कूल चली गई और राधे अपने कमरे में वापस चला गया।
चलो नीरज का हाल जान लेते हैं।
गुरूवार की दोपहर को नीरज ने कुछ अच्छे कपड़े लिए.. एक रेंट की कार ली और गाँधी पब्लिक स्कूल के पास जाकर खड़ा हो गया।
जब छुट्टी हुई तो लड़कियाँ बाहर आने लगीं.. नीरज कार के पास खड़ा झूठ-मूठ फ़ोन पर बात करने लगा.. वो ऐसे बात कर रहा था जैसे बहुत बड़ा रईस हो.. और उसकी गर्लफ्रेण्ड उससे मिलने नहीं आ रही हो और वो अपने किसी दोस्त से ये सब बता रहा हो..
कुछ लड़कियाँ उसके पास से गुज़रीं.. तो उनकी निगाहें बस कार को देख रही थीं.. तो कुछ नीरज को देख कर मुस्कुरा रही थीं। 
ऐसी ही 2 लड़कियाँ उसकी बातें सुनकर आपस में बात करने लगीं.. जिनमें से एक का नाम रोमा और दूसरी का टीना था। दोनों ही 18 साल के आस-पास की थीं.. दिखने में भी माल लग रही थीं।
बाकी उनकी तारीफ वक़्त आने पर कर दूँगी।
रोमा- यार टीना क्या मस्त कार है.. मन करता है.. एक लॉन्ग-ड्राइव पर जाया जाए।
टीना- हाँ यार.. तू सही बोल रही है.. देख बंदा भी स्मार्ट है.. कोई बुद्धू लड़की है.. जो इसको मना कर रही है.. बेचारा अपने किसी दोस्त को बता रहा है।
नीरज का ध्यान भी उन दोनों की तरफ ही था और उसने उनकी बातें भी सुन ली थीं।
रोमा- यार इसे पहले यहाँ कभी नहीं देखा.. कौन है ये?
टीना- अरे होगा कोई भी.. तुझे क्या है चल अब..
रोमा- अरे यार उसके पास फ़ोन देख.. क्या मस्त है.. महंगा लगता है।
टीना- अरे बाप रे.. वो इधर ही आ रहा है चल-चल अब यहा से..
रोमा कुछ बोल पाती.. तब तक नीरज उनके पास आ गया था।
नीरज- हाय.. मेरा नाम नीरज ठाकुर है.. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ.. यहाँ बिजनेस के सिलसिले में आता रहता हूँ.. मेरी एक फ्रेण्ड यहाँ इस स्कूल में पढ़ती है.. आज वो आई नहीं.. क्या आप उसका पता बता सकती हो..?
रोमा- ओह.. हाँ.. क्यों नहीं.. नाम क्या है उसका.. कौन सी क्लास में है वो?
नीरज ने झूठ-मूठ का पासा फेंका.. उसने कोई पूजा नाम बताया.. क्लास का पता नहीं.. ऐसा बोल दिया।
टीना- पूजा नाम की तो बहुत लड़कियाँ स्कूल में हैं.. ऐसे क्या पता लगेगा.. आप कुछ और बताओ..।
नीरज- दरअसल अब आपसे क्या छुपाऊँ.. वो मुझे फ़ेसबुक पर मिली और हमारी दोस्ती हो गई.. खास उसके लिए मैं दिल्ली से यहाँ आया हूँ.. मगर वो मिलने से मना कर रही है.. बस इसी लिए मैंने सोचा शायद आप उसको जानती होगी।
रोमा- उसका नम्बर क्या है.. मुझे दो.. मैं उसके बारे में पता लगा कर बता दूँगी। 
नीरज- न..नहीं नहीं.. नम्बर नहीं है.. बस चैट से बात होती है.. आईडी में दे नहीं सकता.. वो गुस्सा हो जाएगी.. मैंने उसको बोल दिया है.. रोज यहाँ आकर खड़ा रहूँगा.. जब तक वो मुझसे मिलने को राज़ी ना हो जाए।
टीना- अरे कहीं कोई फेक आईडी से आपको उल्लू बना रहा होगा.. यहाँ पढ़ती है.. ये किसने बताया आपको?
नीरज- उसी ने बताया था.. मैंने उसको अपने कई पिक भेजे हैं लेकिन उसने मुझे आज तक अपना कोई पिक नहीं दिया.. बस मैं यहाँ इसी लिए खड़ा हूँ.. कि वो मुझे पहचान लेगी।
टीना- बेस्ट ऑफ लक.. हमें घर जाने में देर हो रही है.. आप भी जाओ.. यहाँ खड़े होने से कोई फायदा नहीं.. सब लड़कियाँ जा चुकी हैं।
नीरज- ओके आप जाइए.. मैं चला जाऊँगा।
उनके जाने के बाद नीरज ने अपने आपको शाबाशी दी.. और वहाँ से चला गया।
दोपहर को राधे अपने कमरे में था.. तब ममता ने आवाज़ लगाई- बीबी जी.. आप खाना अभी खाओगी या छोटी दीदी के आने के बाद उनके साथ खाओगी?
राधे- मैं मीरा के साथ ही खा लूँगी.. तू अपना काम कर.. पापा ने खा लिया क्या?
ममता- हाँ उन्होंने खा लिया है.. अब मैं उनको दवा देने जा रही हूँ..
राधे- अच्छा जा.. मुझे भी थोड़ा आराम करने दे.. अब जा तू..
ममता वहाँ से दिलीप जी के पास गई।
ममता- लो साहब जी दवा ले लो..
दिलीप जी- राधा ने खाना खाया क्या? 
ममता- नहीं साहब जी.. वो मीरा के साथ खाएँगी.. आपसे एक बात करनी है.. ये राधा बीबी जी कुछ अजीब सी हैं.. किसी से बात नहीं करती हैं.. बस कमरे में ही रहती हैं.. ऐसा क्यों?
दिलीप- अरे ऐसा कुछ नहीं है.. इतने साल दूसरी जगह रही है.. अब अचानक यहाँ आ गई है.. दिल जमते-जमते ही जमेगा..
ममता दवा देकर अपने काम में लग गई..
दोपहर को मीरा स्कूल से घर आ गई.. वो अपने पापा के पास गई.. उनसे बात की.. फिर राधा के साथ लंच किया और अपने कमरे में चली गई।
मीरा- दीदी आप बाहर जाओ.. मुझे कपड़े बदलने हैं।
राधे- ओये-होये मेरी सोनी.. क्या बात है.. कल तक तो मेरे हाथों से कपड़े निकलवा रही थी.. आज कैसी शर्म?
मीरा- बस बस.. ज़्यादा स्मार्ट मत बनो.. तब तक मैं तुम्हें अपनी दीदी समझ रही थी.. अब मुझे पता है कि तुम एक लड़के हो.. अब जाओ बाहर..
राधे- मीरा हमारे बीच सेक्स के अलावा सब कुछ हो गया है.. अब बाहर जाने से फायदा क्या.. मैं तुम्हारा ऐसा क्या नया देख लूँगा?
मीरा- धीरे बोलो और प्लीज़ दिन में तो लड़की की आवाज़ में ही बोलो.. पापा ने सुन लिया तो गजब हो जाएगा..
राधे- ओके.. समझ गया.. अब तुम भी समझ लो.. चलो कपड़े बदल लो और आ जाओ बिस्तर पर.. कुछ बात करनी है..
मीरा- ओके.. तुम आँख बन्द कर लो प्लीज़.. तुम्हें मेरी कसम है.. अब कोई बहस नहीं करना..
राधे ने उसकी बात मान ली और आँखें बन्द करके बैठ गया। मीरा ने रेड टॉप और ब्लॅक हाफ पैन्ट पहनी.. वो उस ड्रेस में बड़ी सेक्सी लग रही थी।
मीरा उसके पास आकर बैठ गई और राधे के बालों में हाथ घुमाने लगी..
राधे ने आँखें खोलीं और मीरा को देखता रह गया.. उसकी खूबसूरती के आगे वो अपना संतुलन खो बैठा। उसने मीरा को बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
मीरा उसको मारती रही.. मगर वो उसके होंठों को चूसता रहा और उसकी पीठ पर हाथ घुमाता रहा। कोई 5 मिनट बाद दोनों अलग हुए।
मीरा- तुम बहुत गंदे हो.. बस इसी लिए मैं तुम्हारे सामने कपड़े नहीं पहन रही थी।
राधे- अरे यार एक किस ही तो किया है.. अब इतना भी नहीं करूँ क्या.. तुम मेरी होने वाली बीवी हो..
राधे की बात सुनकर मीरा के होंठों पर मुस्कान आ गई।
मीरा- किस कर सकते हो.. मगर मेरी इजाज़त लेकर ओके.. और अपने इस बे लगाम घोड़े को काबू में रखो.. समझे वक़्त आने पर मैं इसको शांत कर दूँगी.. समझे मेरे आशिक..
मीरा ने लौड़े को दबाते हुए ये बात कही थी। मीरा की इस हरकत से राधे की आँखें मज़े में बन्द हो गईं।
राधे- यार तुम्हारा क्या प्लान है.. कब तुम इसे ठंडा करोगी.. तुम कुछ बताती भी तो नहीं हो..
मीरा- बस कुछ दिन रुक जाओ.. सब बता दूँगी..
दोनों बस ऐसे ही सामान्य बातें करते रहे और उनकी आँख लग गई।
शाम को दोनों उठे.. पापा से मिले और बाहर घूमने निकल गए..
राधे ने कुछ लड़कों के कपड़े और नाइट के लिए पजामे भी ले लिए.. मीरा ने भी कुछ ब्रा-पैन्टी और टॉप-स्कर्ट्स ले लिए और कुछ कपड़े उसने राधे की नजरों से बचा कर लिए उसे बिल देने के टाइम पर किसी बहाने बाहर भेज दिया।
ममता तो रोज की तरह अपना काम करके चली गई.. ये जब आई तो दिलीप जी बाहर बैठे इनका इन्तजार कर रहे थे।
दिलीप जी- अरे कहाँ रह गई थीं तुम दोनों.. चलो खाना खा लो और सो जाओ.. मैं भी सो जाता हूँ.. मुझे भी थकान सी हो रही है। 
मीरा- ओह.. पापा.. आप क्यों इतना चिंता करते हो.. आप सो गए होते..
दिलीप जी- अरे जिसकी दो जवान बेटियाँ घर से बाहर हों.. उसको कैसे नींद आ सकती है.. चलो जाओ बेटा.. अब खाना खा लो…
राधा ने पापा को समझा कर अन्दर भेज दिया.. उनको दवा दी और सुला दिया। उसके बाद दोनों ने खाना खा लिया और अपने कमरे में चली गईं..
राधे ने कमरे में जाते ही दरवाजे को लॉक किया और अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए।
मीरा बस उसको देख कर मुस्कुरा रही थी.. वो दो मिनट में ही अंडरवियर में आ गया और बिस्तर पर जाकर लेट गया।
मीरा- हैलो मिस्टर.. क्या इरादा है.. ये कौन सा तरीका है सोने का?
राधे- अब तुम्हें पता है.. कि मैं लड़का हूँ तो मुझे कैसा डर.. अब मैं तो खुल कर ही सोऊँगा ना..
मीरा- ठीक है.. ठीक है.. चलो आँखें बन्द करो.. मुझे भी चेंज करना है।
राधे- जानेमन.. अब ये ज़ुल्म ना कर.. दिन की बात तो समझ आ गई.. पर अभी तो रात है.. अब नहीं मानूँगा.. तुमको जाना है तो.. जाओ बाथरूम में चली जाओ.. मैं तो यही रहूँगा..
मीरा समझ गई कि ये मानने वाला नहीं है.. उसने कपड़े निकले और अलमारी से नाईटी हाथ में लेकर.. नंगी ही बिस्तर पर आ गई।
राधे तो बस देखता रह गया।
मीरा- लो यही चाहते हो ना तुम.. कर लो अपनी हवस पूरी.. मेरी तमन्ना जाए भाड़ में.. बस खुश..!
राधे- अरे यार.. तुम पागल हो क्या हवस होती.. तो कल ही पूरी कर लेता.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है.. बस मैं तो खुलकर सोना चाहता हूँ.. अब तो जब तक तुम नहीं कहोगी.. मैं हाथ भी टच नहीं करूँगा।
मीरा खुश हो गई और राधे से लिपट गई उसको एक चुम्बन किया.. जब वो अलग हुई तो राधे का लौड़ा चड्डी फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो गया।
मीरा- आई लव यू.. मेरे राधे.. अब देखो इस शैतान को किस करते ही कैसे तन गया है।
राधे- मेरी जान.. अब इसमे इस बेचारे की क्या ग़लती है.. तुम जैसी कच्ची कन्या इसके सामने नंगी खड़ी होगी.. तो ये तो उछलेगा ही ना…
मीरा- बस कुछ दिन रुक जाओ.. इसको इतना मज़ा दूँगी कि ये भी याद रखेगा..
राधे- ठीक है जान.. मैं भी अपने अरमानों को काबू में रखूँगा.. चल अब नाईटी पहन ले.. आ जा सो जाते हैं.. ऐसे जागते रहेंगे तो इसे शांत करने के लिए मुझे मुठ्ठ मारनी पड़ेगी।
मीरा उसके चिपक कर सो गई.. राधे को परेशानी तो बहुत हो रही थी.. मगर वो मीरा से सच्ची मोहब्बत करने लगा था। बस बेचारा लौड़े को काबू में करके उससे लिपट कर सो गया।
दोस्तो, आप सोच रहे होंगे.. ये कैसी कहानी है.. अब तक मजेदार सेक्स आया ही नहीं है.. तो आपको बता दूँ.. अब सेक्स की बारी है.. एक बार चुदाई शुरू हो जाएगी ना.. तो बस लगातार चलती रहेगी.. थोड़ा और बर्दाश्त कर लो..
सुबह का वही आलम था.. जो रोज होता है.. मीरा स्कूल चली गई और राधे कमरे में पड़ा रहा। उधर अपना नीरज भी स्कूल के सामने खड़ा हो गया।
आज भी दोनों लड़कियाँ उसको देख कर उसकी बातें करती हुई निकल गईं।
दोस्तो, एक-दो दिन ये सिलसिला चलता रहा रविवार को छुट्टी का दिन था तो राधे और मीरा ने खूब मस्ती की.. फिल्म देखी.. बाहर खाना खाया.. और जी भर कर चूमा-चाटी की।
अब आपको सीधे सोमवार का हाल बताती हूँ.. जहाँ से कहानी में एक नया मोड़ आएगा।
सोमवार की दोपहर को जब स्कूल की छुट्टी हुई.. नीरज वहीं खड़ा अपने फ़ोन से लगा हुआ था।
सब लड़कियाँ रोज की तरह जा रही थीं.. रोमा आज अकेली ही थी.. नीरज को देख कर वो उसके पास रुक गई।
रोमा- सुनिए.. मैं कितने दिन से आपको देख रही हूँ.. आप रोज यहाँ आते हो.. मेरी बात मानो वो कोई लड़का है.. जो फेक आईडी से आपको उल्लू बना रहा था.. कोई पूजा नहीं है.. आप क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो।
नीरज- अगर तुम्हारी बात गलत हुई तो..! पूजा मुझे देखने यहाँ आ गई तो..! नहीं.. नहीं.. मैं अपनी पूजा को धोखा नहीं दे सकता..
रोमा- आप बहुत अच्छे इंसान हो.. आजकल कौन ऐसा सच्चा प्यार करता है.. आप मानो या ना मानो.. पूजा नाम की कोई लड़की नहीं है।
नीरज- ठीक है तुम्हारी बात मान लेता हूँ.. मैं वापस चला जाऊँगा.. अगर तुम्हें एतराज़ ना हो.. तो मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूँ..
रोमा मन ही मन में नीरज को दिल दे बैठी थी। उसने फ़ौरन ‘हाँ’ कर दी।
नीरज ने उसे गाड़ी में बैठाया और मीठी-मीठी बातें करके उससे दोस्ती कर ली। उसने मोना का नम्बर भी ले लिया।
चलो दोस्तो, नीरज ने भी लड़की पटा ही ली.. अब जल्दी इसका ‘काम’ भी शुरू हो ही जाएगा.. अब चलो राधे का हाल जान लेते हैं।
शाम को दिलीप जी के हाथ में बैग था.. वो शायद कहीं जा रहे थे।
मीरा- पापा आप अपना ख्याल रखना.. आप कब तक आ जाओगे?
दिलीप जी- अरे मैं काम के सिलसिले में जा रहा हूँ.. 4-5 दिन में आ जाऊँगा.. बस तुम दोनों अपना ख्याल रखना..
दिलीप जी के जाने के बाद मीरा के चेहरे पर ख़ुशी के भाव साफ नज़र आ रहे थे।
राधे भी उसको देख कर मुस्कुरा दिया।
मीरा- राधे.. चलो जल्दी से खाना खा लो आज एक शादी में जाना है.. जल्दी करो देर हो जाएगी।
राधे- क्या.. किसकी शादी में जाना है? यार ये अचानक से तुमको क्या हो गया.. कहाँ जाना है..? खाना खाकर किस की शादी में जाया जाता है.?
मीरा- तुमको मेरी कसम है.. कोई बहस नहीं जो कहूँ.. बिना कोई सवाल पूछे बस करते जाओ.. ओके..
राधे- ओके मेरी जान.. अब नो सवाल.. बस काम.. चलो खाना खा लेते हैं।
दोनों ने जल्दी से खाना खाया.. उसके बाद मीरा ने राधे को कहा- चलो अब जल्दी से नहा लो.. और हाँ नहाते समय अपने बाल भी साफ कर लेना।
राधे- ओये होये.. मेरी जान क्या इरादा है.. आज तो मज़ा आ जाएगा.. लगता है मेरी मुराद पूरी हो जाएगी।
मीरा- बस ज़्यादा उछलो मत.. उस दिन लौड़ा चूस रही थी.. तो बाल बीच में आ रहे थे.. आज अगर तुमने मेरी सारी बात मानी.. तो लौड़ा चूस कर मज़ा दे दूँगी.. इसके आगे सोचना भी मत..
राधे- अरे मेरी जान.. ये ही बहुत है.. तेरे मुलायम होंठ भी किसी कुँवारी चूत से कम नहीं हैं.. बस अभी गया और अभी आया..
राधे नहाने में मस्त हो गया और मीरा अलमारी से कुछ कपड़े निकालने लगी।
एक बैग देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
राधे जब बाहर आया तो मीरा ने उसे देख कर एक कटीली मुस्कान दी।
राधे- क्या हुआ मेरी जान.. बड़ी क़ातिल मुस्कान दे रही हो?
मीरा- कुछ नहीं.. अब जल्दी से ये ड्रेस पहन लो.. मैं तब तक नहा कर आती हूँ..
राधे ने जब बैग में देखा.. तो चौंक गया.. उसमे एक शेरवानी थी।
राधे- अरे ये कहाँ से आई.. और शादी मेरी थोड़े है.. जो मैं ऐसे कपड़े पहनूँ.. तुम ये लाई कहाँ से हो?
मीरा- ये मैंने आज ही लिया है.. तुम जब बाहर चले गए थे तब.. अब बहस मत करो.. बस पहन लो.. मैं नहाकर आती हूँ।
मीरा चली गई और राधे तैयार होने लगा.. आधा घंटा बाद मीरा भी नहाकर बाहर आ गई.. उसने अपने जिस्म पर बस एक तौलिया ही बाँध रखा था।
राधे- हाय.. मेरी जान.. ऐसी बिजलियाँ मत गिराओ.. अपने दीवाने पर.. नहीं तो कोई गुस्ताखी हो जाएगी।
मीरा- बस ज़्यादा मत बोलो.. आज तुम्हें एक तोहफा मिलेगा.. सब्र करो..
मीरा कमरे में चली गई और अन्दर से लॉक लगा लिया और रेडी होने लगी। राधे बाहर बैठा बस सोच रहा था.. किसकी शादी में जाना है आज.. क्या हो गया मीरा को.. क्या तोहफा देगी यह?
इन्हीं ख्यालों में आधा घंटा निकल गया.. जब राधे का सब्र टूट गया तो वो दरवाजे के पास खड़ा हो गया।
राधे- अरे मीरा.. सो गई क्या.. कितनी देर हो गई है?
मीरा- बस तैयार हो गई हूँ.. अब तुम मेरे प्यारे जानू हो ना.. तो प्लीज़ मेरी एक बात मानोगे? मैं दरवाजा खोल रही हूँ.. तुम अपनी आँखें बन्द रखना.. प्लीज़.. प्लीज़!
राधे- अब क्या करोगी तुम.. चलो आ जाओ.. मेरी आँखें बन्द हैं…
मीरा ने धीरे से दरवाजा खोला.. राधे आँखें बन्द किए खड़ा था। मीरा ने जल्दी से काली पट्टी उसकी आँखों पर बाँध दी।
राधे- अरे.. ये क्या कर रहो हो तुम.. क्या हुआ बोलो तो!
मीरा- ससस्स.. चुप रहो.. बोलो मत.. आज तुम्हें तोहफा मिलेगा.. अब चुपचाप मेरे साथ कमरे में अन्दर चलो।
राधे कुछ नहीं बोला और मीरा उसे अन्दर ले गई।
मीरा- राधे आज के दिन के लिए मैंने तुम्हें बताया था ना.. दरअसल आज किसी और की नहीं.. हमारी शादी होगी।
राधे- क्क्क..क्या.. लेकिन ये सब कैसे होगा.. मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा?
मीरा- देखो जरूरी नहीं कि पंडित मन्त्र पढ़े और हम अग्नि के सात फेरे लें.. तभी शादी होगी.. अगर हम सच्चे दिल से एक-दूसरे को अपना जीवन साथी मान लें.. तो भी शादी हो जाती है।
राधे- हाँ जान.. बात तो सही है.. चलो आज हम ऐसे ही शादी कर लेते हैं.. बताओ मुझे क्या करना है?
मीरा ने राधे को कसमें दिलाईं और दिल से दोनों ने एक-दूसरे को अपना मान लिया। मीरा बहुत खुश थी कि आज उसका सपना पूरा हो गया है।
राधे- जानेमन.. अब शादी तो हो गई.. मुझे तुमने दूल्हा बना कर बैठा दिया.. अब तो मेरी आँख खोल दो.. ताकि मैं अपनी दुल्हन को देख सकूं।
मीरा- रूको थोड़ी देर.. मुझे पहले ठीक से बैठ जाने दो।
राधे ने कहा- ठीक है.. 
उसके बाद मीरा ने उसको कहा- अब अपनी पट्टी खोल दो और देख लो अपनी दुल्हन को..
राधे ने जब आँखें खोलीं.. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. क्योंकि मीरा बिस्तर पर बैठी थी.. उसने लाल रंग की बहुत खूबसूरत साड़ी पहनी हुई थी.. और घूँघट निकाल रखा था।
राधे- वाह.. मेरी जान.. मान गया तुम्हें.. मज़ा आ गया.. तुम सच में इस साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो। अब अपना चाँद सा मुखड़ा भी दिखा दो..
मीरा शर्मा रही थी और राधे उसके पास जाकर बैठ गया। उसका घूँघट हटाया उसकी तारीफ की और एक लंबा सा चुम्बन उसको कर दिया।
मीरा- लो आज मैं कुछ नहीं कहूँगी.. बना लो मुझे अपना.. कर लो अपनी चाहत पूरी.. आज हमारी सुहागरात है.. डाल दो अपना लौड़ा चूत में.. कर दो मुझे बेहाल.. अब मैं तुम्हारी हूँ..
राधे- हाँ मेरी जान.. आज तुम्हारी सील तोड़ कर.. तुझे लड़की से औरत बना दूँगा.. मगर ये शादी तो पहले भी हो सकती थीं.. फिर इन्तजार क्यों?
मीरा- बुद्धू राम.. पापा के रहते शादी तो हो जाती.. मगर सुहागरात कैसे होती.. मुझे पता है.. पहली बार चुदाई में बड़ा दर्द होता है.. अब दर्द होगा.. तो चीखें भी निकलेगीं.. और पापा के रहते में कैसे चीख पाती?
राधे- अरे किसने कहा कि दर्द होगा.. मैं अपनी जान को बड़े प्यार से चोदूँगा ना.. और थोड़ा दर्द होगा तो मैं अपने होंठों से तुम्हारे होंठ बन्द कर दूँगा..

मीरा- बस बस.. मुझे उल्लू मत बनाओ.. तुम्हारा घोड़े जैसा लौड़ा.. जब मेरी छोटी सी चूत में जाएगा.. तो मेरी जान निकल जाएगी.. और जो चीखें मेरी निकलेगीं ना.. उसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते। अब पापा के रहते मैं कैसे चुदवा लेती?
राधे- ओये होये.. मेरी जान को सब पता है.. लेकिन मैं मुँह बन्द कर दूँगा तो चीखें कहाँ से निकलेगीं?
मीरा- अरे पागल मुझे चीखना है.. मुँह बन्द नहीं करना.. यही मेरा सपना है.. कि बस ज़ोर-ज़ोर से चीखूँ.. मैं अपनी सील तुड़ाई वाली चुदाई को खूब एँजाय करूँ.. अब ज़्यादा बातें मत करो.. आ जाओ.. जब से तुम्हारा लौड़ा देखा है.. मेरी चूत हरदम पानी-पानी रहती है।
राधे- क्या बात है मीरा.. इतना कंट्रोल किया तुमने.. चल आजा आज तेरी चूत के चीथड़े उड़ा देता हूँ..
राधे मीरा को प्यार करने लगा.. धीरे-धीरे उसकी साड़ी निकाल दी.. उसका गोरा पेट चूमने लगा.. अब ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया। मीरा बस लाल रंग की ब्रा-पैन्टी में थी। उसका कसा हुआ जिस्म.. राधे को पागल बना रहा था। उसका लौड़ा बाहर आने को बेताब हो रहा था।
मीरा- आह्ह.. रूको मेरे आशिक.. मुझे पूरी नंगी कर दोगे क्या.. अपने कपड़े भी तो निकालो।
मीरा के कहने भर की देर थी कि राधे ने अंडरवियर के अलावा सब कुछ उतार दिया, अब दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में चुम्मा-चाटी कर रहे थे, राधे होंठों से लेकर चूत तक अपने होंठों की छाप छोड़ रहा था।
मीरा- आह्ह.. ससस्स.. उईईइ.. मज़ा आ रहा सस्सस्स है.. करो आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता.. निकाल दो ब्रा को.. कर दो आ..आज़ाद मेरे मम्मों को.. आह्ह.. चूस लो आह्ह.. इनका पूरा रस.. आह्ह..
राधे ने ब्रा अलग कर दी.. अब वो मीरा के मम्मों को रगड़ने लगा। उनको दबा-दबा कर चूसने लगा.. जैसे उनमें से आज सारा दूध निकाल कर पी जाएगा।
अब उसने पैन्टी भी निकाल दी और बरफी जैसी चिकनी चूत को होंठों में दबा कर चूसने लगा।
मीरा- आह आईईइ.. मर गई मैं आह्ह.. चूसो आह्ह.. राधे उईह.. आज मुझे अपनी रानी आ बना लो आह्ह..
राधे का लौड़ा कड़क होकर चड्डी फाड़ने को बेताब था.. तो राधे ने उसको आज़ाद कर दिया।
अब दो नंगे जिस्म एक-दूसरे को अपनी ओर खींच रहे थे।
राधे ने चूत को चाटना बन्द कर दिया और लौड़े को मीरा के मुँह के पास ले गया।
राधे- जान आँखें खोलो और देखो तुम्हारा अरमान.. तुम्हारे सामने है.. चूस लो इसे.. कर दो इसे इतना गीला.. कि जब तुम्हारी चूत में ये जाए.. तो बस ‘स्ररर’ से घुसता चला जाए.. तुम्हें ज़रा भी तकलीफ़ ना हो..
मीरा ने आँखें खोलीं तो लौड़ा ठीक उसके होंठों के पास था.. बिना झाँटों के चमक रहा था।
मीरा- आह्ह.. मेरे आशिक.. चूत को छोड़ क्यों दिया.. आह्ह.. बहुत आग लगी है.. उफ़.. लाओ लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दो.. आह्ह.. आज इसको चूस कर मज़ा लूँगी।
राधे ने लौड़ा मुँह में घुसा दिया.. अब पोज़ ऐसा था कि राधे मीरा के सीने पर बैठा उसके मुँह को चोद रहा था। मीरा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी.. उसकी चूत रिसने लगी थी और राधे के लौड़े से भी पानी की बूँदें आने लगी थीं..
राधे- आह.. चूस मेरी रानी उफ.. काट मत आह्ह.. आज मेरे लौड़े को सुकून मिल जाएगा.. आह्ह.. तेरी कच्ची चूत में जाकर आह्ह..
अब दोनों का ऐसा हाल था कि बस पूछो मत.. राधे तो फिर भी ठीक है.. मीरा की चूत तो आग उगलने को बेताब थी।
मीरा ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और अपनी चूत राधे के सामने कर दी..
मीरा- आह्ह.. राधे अब बर्दास्त नहीं होता उफ़.. मेरा पानी निकलने वाला है.. आह्ह.. अब घुसा दो अपना लौड़ा.. मेरी चूत में आह्ह..
राधे समझ गया कि अब लोहा गर्म है.. सही मौका है चोट मारने का.. उसने मीरा के पैर फैला दिए.. कमर के नीचे एक तकिया रख दिया.. जिससे उसकी चूत का उभार ऊपर आ गया। अब राधे ने अपना मोटा लंड चूत के मुहाने पर टिका दिया और धीरे-धीरे चूत की दरार पर रगड़ने लगा।
मीरा- आह्ह.. उइ मत तड़पाओ.. आह्ह.. बस घुसा दो.. उई चूत की खुजली बढ़ती जा रही है.. प्लीज़ आह्ह.. ससस्स..
राधे- बस मेरी जान.. अब बदन को ढीला छोड़ दो.. मेरा लौड़ा अब तेरी चूत की गहराई नापने को रेडी है।
राधे ने लौड़े की टोपी को चूत पर टिकाया और अपने हाथ से चूत को थोड़ा फैला दिया ताकि लौड़ा स्लिप ना हो। टोपी को चूत में फँसा कर वो अपने हाथ से लौड़े को चूत में घुसड़ने लगा।
मीरा- आह्ह.. मज़ा आ गया.. उई क्या मोटा लौड़ा है.. आह्ह.. घुसाओ न.. आह्ह.. उई..
राधे- अभी पूरा घुसा कहाँ है.. जान.. बस चूत के मुँह पर सुपारा ही टिका है.. अब ले.. इसे कहते है घुसड़ेना..
राधे ने कमर को दबाया तो 2″ लौड़ा चूत में घुस गया.. या यूं कहो सुपारा चूत को खोलता हुआ अन्दर चला गया।
मीरा- आह आह.. धीरे से आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह..
राधे उसके होंठों को चूसने लगा और लौड़े पर दबाव बनाता रहा। उसको लौड़ा घुसड़ेने में बहुत ज़ोर लगाना पड़ रहा था.. और आएगा क्यों नहीं.. जिस चूत में आज तक उंगली नहीं गई.. वो अपना मोटा लंड घुसा रहा था। 
थोड़ा और आगे जाकर लौड़ा किसी चीज़ से टकरा कर रुक सा गया.. राधे समझ गया यह सील है। अब उसने लौड़े को पीछे लिया और ज़ोर से धक्का मारा.. चूत को चीरता हुआ आधा लौड़ा घुस गया।
मीरा के होंठ बन्द थे मगर वो चीखी बहुत तेज थी। उसकी आँखें छत की तरफ थीं और आँसू आने शुरू हो गए थे।
राधे ने आधा लौड़ा घुसा कर अपने आप को रोक लिया था। अब वो बस मीरा के होंठ चूस रहा था। जब उसको लगा मीरा अब शांत है.. तो वो उसके निप्पल चूसने लगा।
मीरा- आ..आह्ह.. राधे बहुत दर्द दर्द हो रहा है.. मैं मार जाऊँगी.. एयेए आह्ह.. आह..
राधे- मेरी जान.. लौड़े से कोई मरता है क्या.. तेरा तो पानी निकलने वाला था ना.. क्या हुआ लौड़े से वापस सरक गया क्या?
मीरा- आआ आह्ह.. निकलने वाला था.. आह्ह.. मगर दर्द से आ सारी फीलिंग चली गई आह्ह..
राधे- जब लौड़ा बराबर अन्दर-बाहर होने लगेगा ना.. तो फीलिंग वापस आ जाएगी.. अब दर्द कम हुआ ना.. तू कहे तो.. चुदाई शुरू करूँ..
मीरा- आह्ह.. ये दर्द तो ऐसे ही रहेगा.. तुम आराम से चोदो आह्ह.. अब कुछ ठीक हूँ।
राधे ने जितना लौड़ा घुसाया था.. अब उसी को आगे-पीछे करके चोदने लगा.. पांच मिनट तक मीरा दर्द से ‘आहें’ भरती रही.. फिर उसकी चूत का दर्द कम होता गया.. और चूत में दोबारा करंट पैदा हो गया था।
मीरा- आह्ह.. आह.. अब मज़ा आ रहा है.. एयेए चोदो आह्ह.. उहह..
राधे अब ज़ोर-ज़ोर से लौड़ा आगे-पीछे करने लगा और हर धक्के के साथ लंड को थोड़ा और आगे सरका देता। अब उसका जोश बढ़ गया था.. उसने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा 8″ का मूसल चूत में समा गया।
मीरा- आआह्ह.. आईईइ.. मर गई रे.. एयेए मेरी चूत फट गई.. उएयेए.. रूको आहह..
राधे बस झटके मारता रहा.. उसका लौड़ा अब बेकाबू हो गया था। दस मिनट तक मीरा तड़पती रही… चिल्लाती रही.. मगर राधे पूरी रफ्तार से लौड़ा आगे-पीछे करता रहा। मीरा का पानी निकलने को था.. अब उसको दर्द के साथ मीठा मज़ा भी आने लगा था..
उसको दर्द तो बहुत हो रहा था मगर लौड़े की चोट उसकी चूत को एक मीठा मज़ा दे रही थी।
मीरा- आह्ह.. आह.. चोदो मेरे राधे.. आह्ह.. अब थोड़ा आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. प्लीज़ अब कुछ मत करना.. आह्ह.. अब ये करंट आना शुरू हो गया है.. आह्ह.. अब मेरा पानी निकल जाने दो आह्ह..
राधे- उहह उहह.. अब मेरा भी आह्ह.. पानी निकलने वाला है.. आह्ह.. अन्दर निकाल दूँ क्या.. आह्ह?
मीरा- आह्ह.. अन्दर ही निकालो ना.. आह्ह.. उह.. मेरी सूखी चूत को गीला कर दो.. आह्ह.. उई ले.. मैं गई.. आह्ह.. उईह…
अब राधे ने रफ्तार और बढ़ा दी.. अब वो ठकाठक मीरा को चोदने लगा था।
मीरा भी झड़ने लगी थी.. तो गाण्ड उठा-उठा कर वो चुदने लगी। अंत में दोनों एक साथ झड़ गए।
मीरा- आह.. मज़ा आ गया.. तुम्हारा पानी चूत में कितना सुकून दे रहा है.. आह्ह.. मेरी चूत कब से सूखी थी.. आज तुमने गीली कर दी.. मज़ा आ गया आह्ह.. अब हटो भी.. मेरे ऊपर से.. मेरी कमर दुखने लगी है।
राधे धीरे से ऊपर उठा तो ‘फुच्छ’ की आवाज़ के साथ लौड़ा चूत से बाहर आ गया.. जो वीर्य और खून से सना हुआ था। लौड़े के निकलते ही मीरा की सिसकी निकल गई।
मीरा- उईह.. मर गई रे..
राधे- अरे वाह मेरी जान.. 8″ का लौड़ा अन्दर लिया.. तब तो मरी नहीं.. अब बाहर निकाल लिया.. तो मर गई तुम.. कहो तो वापस पेल दूँ।
मीरा- बस ज़्यादा हीरो मत बनो.. देखो मेरी चूत का क्या हाल हो गया है.. अब चलो मुझे उठाकर बाथरूम तक लेकर चलो.. अब पति बने हो तो ज़िम्मेदारी भी उठाओ..
राधे- अरे मेरी जान.. खून देख कर तुम डरी नहीं.. ऐसा क्यों?
मीरा- मैंने बताया था ना.. मुझे सब पता है.. बस मैंने कभी सेक्स नहीं किया था।
राधे मीरा को गोद में उठा कर बाथरूम ले गया। वहाँ दोनों आमने-सामने बाथटब में बैठ गए और बातें करने लगे।
राधे- क्यों जान.. चुदाई में मज़ा आया ना?
मीरा- अभी कहाँ मज़ा आया.. अभी तो बस दर्द हुआ.. आज तो तुम्हें ही मज़ा आया होगा.. जब तक मेरा दर्द कम ना हो जाए.. तुम मज़ा लो.. उसके बाद मैं देखो कैसे मज़ा लेती हूँ।
राधे- ओये होये.. सोणिए.. इसका मतलब मैं आज पूरी रात तेरी चूत मार सकता हूँ..
मीरा- और नहीं तो क्या.. आज हमारी सुहागरात है.. तो पूरी रात ही चुदवाऊँगी ना.. तुम क्या समझे.. दर्द से मैं डर जाऊँगी?
राधे- वाहह.. मेरी जान.. तुम तो बहुत बहादुर हो.. तेरी बातों से लौड़ा दोबारा खड़ा हो गया.. चल दूसरा राउंड लगा लेते हैं।
मीरा- मेरे आशिक.. तुम्हारे लौड़े ने मेरी टाँगें फिरा दी हैं.. मैं चल नहीं पाऊँगी.. जैसे लाए थे.. वैसे ही लेकर चलो न!
राधे- हाँ.. क्यों नहीं.. मेरी मीरा रानी.. अब तो सारी जिन्दगी तुझे लौड़े पर उठा कर घूमूंगा..
मीरा मुस्कुरा दी और राधे ने उसे बाँहों में ले कर बाहर निकल आया, तौलिया से दोनों के बदन साफ किए और उसे कमरे में ले जाकर बिस्तर के पास जाकर रुक गया।
मीरा- क्या हुआ.. रुक क्यों गए?
राधे- अरे जान.. बिस्तर पर देखो.. खून से भरा पड़ा है..
मीरा- मेरे प्यारे राधे.. मैं जानती थी कि आज ऐसा कुछ होगा चादर हटा दो.. नीचे प्लास्टिक डाला हुआ है.. बिस्तर खराब नहीं हुआ होगा.. दूसरी चादर लगा लेंगे।
राधे ने मीरा को नीचे खड़ा किया और चादर हटा दी.. पास रखी दूसरी चादर डाल दी।
अब मीरा बिस्तर पर सीधी सो गई और अपनी बाँहें फैला कर राधे को आने का इशारा किया.. राधे तो पहले से ही तैयार था। वो सीधा उससे लिपट गया और उसके मम्मों को चूसने लगा।
मीरा- अरे रूको तो.. इतनी जल्दी क्या है.. पहले मुझे प्यार तो करो.. कुछ मीठी बातें तो करो।
राधे- ये प्यार नहीं तो क्या है मेरी जान.. और बातों के लिए तो पूरी लाइफ पड़ी है.. अभी तो चुदाई करो बस.. जब हम बूढ़े हो जाएँगे.. मेरा लौड़ा खड़ा होना बन्द हो जाएगा.. तब बातें ही करेंगे और कुछ तो होगा नहीं हमसे.. हा हा हा हा हा हा।
मीरा भी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगती है।
राधे दोबारा मीरा के होंठ चूसने लगा.. तो मीरा भी उसका साथ देने लगी।
अब दोनों का मिलन हो गया था.. राधे का लौड़ा तो बेलगाम घोड़ा था। तन कर मीरा की चूत को छूने लगा था।
मीरा- राधे मेरी चूत को चाटो ना.. तुम्हारे होंठों से बहुत मज़ा आता है मुझे।
राधे- ठीक है जान.. हम 69 के पोज़ में आ जाते हैं तुम लंड महाराज की चुसाई करो.. में तुम्हारी चूत को चाटता हूँ। 
मीरा- हाँ राधे.. ये सही रहेगा.. मगर तुम सीधे लेट जाओ.. मैं तुम्हारे ऊपर लेट कर लौड़ा चूसूंगी.. तुम भी मेरी चूत को आराम से चाटना।
राधे सीधा हो गया.. अब दोनों का चूसने का प्रोग्राम चालू हो गया था, मीरा बड़े मज़े से लौड़े को पूरा मुँह में लेकर चूस रही थी.. गोटियाँ चाट रही थी।
राधे की जीभ से मीरा को चूत में एक मीठा सा दर्द महसूस हो रहा था.. कुछ देर पहले जो ताबड़तोड़ चुदाई हुई थी उसकी वजह से चूत में सूजन आ गई थी। अब उसको चटवाने में दर्द और मज़ा दोनों आ रहा था।
दस मिनट तक ये खेल चलता रहा। अब दोनों ही गर्म हो गए थे। मीरा की चूत तो फड़फड़ाने लगी थी। अब उसको लौड़े की जरूरत थी। 
मीरा- आह्ह.. राधे.. अब बस.. बहुत चूस लिया.. अब डाल दो अपने शैतान घोड़े को.. मेरी चूत में.. आह्ह.. बड़ी जलन हो रही है.. आह्ह.. अपने पानी की धार से मिटा दो.. मेरी चूत की आग को.. आह्ह।
राधे- अच्छा ले मेरी जान.. चल आ जा लेट जा सीधी.. अभी तेरी चूत को ठंडा करता हूँ।
मीरा सीधी लेट गई और राधे उसके पैरों के बीच बैठ गया। उसने लौड़े को चूत पे टिकाया और धीरे से धक्का मारा। लौड़ा थोड़ा चूत में घुस गया।
मीरा- आई.. ओह.. लौड़ा है या बम्बू.. मेरी तो.. इसके चूत में घुसते ही जान निकल जाती है।
राधे- मेरी जान.. बस आज की बात है.. पूरी रात तेरी चूत को चोद कर इस लौड़े की आदी बना दूँगा.. फिर देखना कभी दर्द नहीं होगा।
राधे ने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया। अब वो ‘दे घपा-घप’ चूत की चुदाई में लग गया था। मीरा को दर्द तो हो रहा था.. मगर अब उसकी उत्तेजना के सामने ये दर्द कुछ भी नहीं था।
मीरा- आह्ह.. आई.. चोदो राजा.. आह्ह.. मचा दो धूम.. आह्ह.. मेरी चूत को आज फाड़ दो.. आज ये मीरा आह्ह.. अपने राधे की हो गई अइ.. आह।
राधे- हाँ मेरी मीरा.. आह्ह.. आज आह्ह.. उहह.. मैं तुझे आज इतना चोदूँगा कि आह्ह.. तेरी चूत जब भी लौड़े के बारे में सोचेगी.. तो आह्ह.. मेरा लौड़ा ही याद करेगी आह्ह।
राधे 10 मिनट तक मीरा को चोदता रहा.. अब उसका लौड़ा पूरा जड़ तक ‘घपा-घप’ जा रहा था। मीरा की चूत लावा उगलने लगी थी।
मीरा- आह्ह.. आह फास्ट आई.. राधे मैं आह्ह.. आई.. चोदो आह्ह.. मेरा पानी उई.. आईईइ निकल रहा है आह्ह।
राधे ने चोदने की स्पीड बढ़ा दी.. मीरा कमार उठा-उठा कर चुदने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
राधे अब भी पूरी स्पीड से चोद रहा था उसका स्टेमिना पावरफुल था।
मीरा- आह्ह.. आह.. बस भी करो आह्ह.. कितना चोदोगे.. आह्ह.. मेरी चूत का हाल से बेहाल हो गया उई आह्ह।
राधे- उहह उहह.. अभी कहाँ मेरी जान.. अभी तो लौड़ा ठीक से चूत को देख रहा है.. थोड़ा टाइम लगेगा उहह.. उहह.. ले संभाल.. मेरे ओह..उह.. झड़ ही नहीं रहा.. आह्ह.. तेरी चूत बड़ी कसी हुई है.. आह्ह.. मज़ा आ गया आह्ह।
राधे- मेरी जान आह्ह.. अब लौड़ा निकाल रहा हूँ.. तू जल्दी से घोड़ी बन जाना.. अब मन कर रहा है.. तुझे घोड़ी बना कर चोदूँ.. आज पूरी रात हर आसन में तेरी चूत का मज़ा लूँ।
मीरा- आह्ह.. आह्ह.. निकाल लो मेरे आशिक.. मैं भी आज पूरी रात अपने राधे के लौड़े को चूत में रखना चाहती हूँ.. आह्ह.. निकाल लो आह्ह।
राधे ने झटके से लौड़ा चूत से बाहर निकाल लिया और मीरा झट से घुटनों पर आ गई। राधे ने एक सेकंड भर में लौड़ा दोबारा चूत में घुसा दिया।
मीरा- आह्ह.. मज़ा आ गया.. फिल्म में देखा था.. ऐसे घोड़ी बनते हुए आह्ह.. आह्ह.. आज खुद बनी तो पता चला.. क्या मस्त मज़ा आता है।
अब राधे स्पीड से मीरा को चोद रहा था और मीरा भी उत्तेजना में आ गई थी। चूत ‘छप-छप’ करने लगी थी.. उसका पानी दूसरी बार निकलने वाला था। मगर राधे का लौड़ा झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मीरा झड़ गई और राधे अँधाधुंध झटके मारता रहा।
मीरा की चूत में जलन होने लगी.. तब कहीं जाकर राधे ने स्पीड से लौड़े को आगे-पीछे किया और उसका पानी भी मीरा की चूत के पानी से जा मिला।
चुदाई के बाद दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे के लिपटे पड़े बातें करते रहे।
मीरा- आह्ह.. राधे.. मज़ा आ गया.. तुम तो बहुत तगड़े हो.. झड़ते ही नहीं.. कितनी लंबी चुदाई करते हो.. आह्ह।
राधे- मेरी जान भगवान ने मुझे बस यही एक चीज़ ऐसी दी है कि कोई भी लड़की या औरत इसके आगे टिक नहीं सकती।
मीरा- राधा तुमने सारा पानी चूत में डाला है.. कहीं मैं प्रेगनेन्ट ना हो जाऊँ..! अभी मुझे पढ़ना है.. कुछ बनना है।
राधे- डरो मत.. कल गोली ला दूँगा।
मीरा- ओह मेरे जानू.. तुम कितने अच्छे हो।
मीरा खुश थी कि उसको जैसा पति चाहिए था.. मिल गया, वो राधे के सीने से चिपक गई और लौड़े को सहलाने लगी।
राधे- क्या हुआ जानेमन चूत की आग मिटी नहीं क्या.. दोबारा लौड़े को तैयार कर रही हो।
मीरा ने झट से अपना हाथ लौड़े से हटा लिया।
मीरा- अरे नहीं नहीं.. मैं तो बस ऐसे ही इसको सहला रही थी। मेरी चूत को तुमने चोद-चोद कर लाल कर दिया है.. अब और नहीं चुदना.. थोड़ा रेस्ट करने दो मुझे।
राधे- हा हा हा हा.. मैं तो मजाक कर रहा था जान.. सहला लो अब ये तुम्हारा ही तो है.. और चूत को आराम दो.. क्योंकि अब मेरा इरादा तेरी मुलायम गाण्ड मारने का है.. साली बड़ी मस्त है तेरी गाण्ड.. आज इसको भी खोल दूँगा ताकि पापा के आने के बाद ना कोई दर्द हो.. ना कोई चीख निकले।
मीरा- नहीं.. अभी नाम मत लो गाण्ड का.. चूत का ये हाल हो गया है.. कल पता नहीं.. चल भी पाऊँगी या नहीं.. गाण्ड मारोगे तो बिस्तर से उठ भी नहीं पाऊँगी।
राधे- हा हा हा.. चल मेरी जान.. आज तेरी गाण्ड बख्श दी.. मगर मैं पापा के आने से पहले इसका मुहूरत जरूर कर दूँगा।
मीरा- ओके.. ये बात पक्की रही.. आज बस चूत के मज़े लो.. गाण्ड बाद में मारना।
दोनों एक-दूसरे से बातें करते रहे और इसी दौरान राधे का लौड़ा फिर खड़ा हो गया। अब बेचारे की सुहागरात थी.. पूरा मज़ा लेने का उसका हक़ था।
उसने लिया भी.. रात भर में उसने मीरा को चोद-चोद कर अपने लौड़े की दीवानी बना लिया। पता नहीं कब दोनों चुदाई से थक कर नंगे ही सो गए।
दोस्तो, रात की लंबी चुदाई के बाद दोनों इतनी गहरी नींद में सोए कि बस क्या बताऊँ।
सुबह के 7 बजे ममता रोज की तरह अपने काम पर आ गई.. मगर आज मीरा सोई हुई थी। उसको ना देख कर ममता ने खुद से कहा कि बीबी जी रोज वक़्त पर उठ जाती हैं.. आज क्या हुआ.. उठी क्यों नहीं.. तबीयत तो ठीक है ना?
बस यही सोच कर वो कमरे के दरवाजे को ठोकने लगी।
ज़ोर-ज़ोर से दरवाजे को खटखटाते हुए ममता बोल भी रही थी- आज क्या हो गया.. उठी नहीं क्या?
जिससे मीरा की आँख खुल गई।
मीरा का पूरा बदन दर्द कर रहा था.. खास कर चूत में बहुत सूजन आ गई थी। रात को तो मारे मज़े के वो गाण्ड उछाल कर चुदवा रही थी। अब उसका दर्द से बुरा हाल हो गया था और पूरा जिस्म बुखार से तप रहा था।
मीरा- उहह राधे.. उठो उहह.. देखो बाहर शायद ममता आ गई है.. उठो.. उसने अगर देख लिया.. तो गजब हो जाएगा।
राधे अंगड़ाई लेता हुआ उठा और मीरा को देख कर मुस्कुराने लगा।
मीरा- जाओ ममता को जवाब दो.. नहीं तो वो इस तरह तो पूरे शहर को हल्ला करके बता देगी कि आज मीरा उठ नहीं रही है।
राधे- यह काम तो तुम भी कर सकती हो..
मीरा- नहीं राधे.. मुझे बहुत तेज बुखार है और पूरा बदन दुख रहा है… तुम उसको कह दो ये सब!
राधे ने मीरा की हालत समझते हुए ममता को आवाज लगा कर बोल दिया कि मीरा बीमार है आज स्कूल नहीं जाएगी।
ममता ने कई सवाल किए.. मगर राधे तो राधा था ना.. उसने सब संभाल लिया।
ममता ने कहा- नाश्ता बना रही हूँ.. नहा लो.. उसके बाद दवा दे देना.. सब ठीक हो जाएगा।
राधे- जान.. तुमको तो बहुत बुखार हो गया.. ऐसा करो नाश्ता कर लो और दवा ले लो.. ठीक हो जाओगी।
मीरा- मेरे प्यारे राधे.. पहले तुम नहा कर मेरी दीदी बन जाओ.. उसके बाद मैं उठ जाऊँगी.. नहीं तो ममता अगर तुम्हारा ये शैतान जैसा लौड़ा देख लेगी ना.. तो बेहोश हो जाएगी।
राधे- अगर देख लेगी.. तो उसकी चूत में भी खुजली शुरू हो जाएगी.. बहुत कम औरतों को ऐसा तगड़ा लौड़ा नसीब में होता है।
मीरा- हाँ सही कहा तुमने.. ममता अक्सर अपने पति की कहानी सुनाती है.. कि उसका बहुत छोटा सा है.. मज़ा नहीं आता और दूसरी बात.. वो माँ बनना चाहती है.. मगर उसका पति इस लायक नहीं.. दो मिनट में ठंडा हो जाता है।
राधे- अरे तो इसमें क्या है.. मैं हूँ ना.. बुलाओ उसको.. अभी उसकी तमन्ना पूरी कर दूँगा।मीरा- शर्म करो.. रात को हमारी शादी हुई है.. और अभी से तुम्हारा मन मुझसे भर गया.. जो दूसरी औरत को चोदने की बात कर रहे हो।
सराधे- मेरी जान.. मैं मजाक कर रहा था अगर चोदने का इतना बड़ा हब्शी होता.. तो तुमको कब का चोद देता.. समझी मैं तो बस ऐसे ही बोला।
मीरा- वैसे एक बात कहूँ.. तुमने जो कहा.. अगर वैसा हो जाए.. तो बेचारी ममता खुश हो जाएगी।
राधे- ओ हैलो.. क्या बकवास कर रही हो..? मैं क्यों उसको बच्चा दूँगा.. मैं तो तुम्हें अपने बच्चों की माँ बनाऊँगा यार।
मीरा- अच्छा अब ये बातें बन्द करो.. जाओ नहा लो।
राधे नहा-धोकर अपने लड़की वाले रूप में बाहर निकल आया.. तब तक मीरा ने भी कपड़े पहन लिए और कमरे का दरवाजा खोल कर सो गई। 
ममता कमरे में आई.. मीरा का जायजा लिया.. उसको बुखार था। ममता ने ज़बरदस्ती उसको उठाया.. मुँह धुलवा कर नाश्ता करवाया.. दवा दी.. मगर इन सब के दौरान मीरा को चलने में बहुत तकलीफ़ हो रही थी.. जो ममता से छुपी ना रह सकी। मीरा ने बहुत कोशिश की.. सीधा चलने की.. मगर उसकी चाल से ममता को समझते देर नहीं लगी कि माजरा क्या है।
ममता- ही ही बीबी जी.. ये क्या हुआ कब से देख रही हूँ आपकी चाल को.. क्या हो गया.. ऐसे-कैसे चल रही हो.. जैसे रात किसी ने..!
ममता बोलते-बोलते चुप हो गई.. मीरा भी उसकी अधूरी बात को समझ गई मगर अनजान बनकर उसने पूछा।
मीरा- क्या मतलब है तुम्हारा..? क्या रात किसी ने क्या.. पूरा बोलो.. अब चुप क्यों हो गई.. बोल दो.. जो कहना है।
ममता- माफ़ करना बीबीजी.. चमड़े की ज़ुबान है.. फिसल गई मगर आप ऐसे लंगड़ा कर क्यों चल रही हो.. आपको तो बुखार है ना।
मीरा- रात को बाथरूम में फिसल गई थी समझी.. वैसे तुम कहना क्या चाह रही थीं?
ममता- बुरा मत मानना बीबी जी.. ऐसी हालत तभी होती है.. जब कोई बहुत बुरी तरह से चुदवा कर आती है।
मीरा- ममता चुप रहो.. कुछ भी बोल दिया.. मैं किसके पास जाऊँगी.. तुम भी ना बस।
ममता की बात से मीरा का चेहरा शर्म से लाल हो गया।
मीरा- अच्छा ममता तेरी तो शादी हो गई है.. तू अक्सर अपने पति की बात बताती है.. लेकिन मैंने कभी ध्यान नहीं दिया आज बता ना.. तेरे पति तुझे मज़ा तो खूब देते होंगे ना?
ममता- काहे का मज़ा.. बीबी जी उसमें कहाँ दम है.. दारू पीके टुन्न हो जाता है… मैं अपनी जवानी की आग में तड़फती रहती हूँ.. वो सोया रहता है.. उसके लौड़े को खड़ा करने की नाकाम कोशिश करके.. मैं भी थक-हार कर सो जाती हूँ.. काश.. कोई तगड़ा लौड़ा मिल जाता.. तो जवानी का मज़ा ही आ जाता।
ममता सिसकारियाँ लेकर बोल रही थी.. तभी राधे भी वहाँ आ गया।
राधा- क्या बात हो रही है.. मैं भी तो सुनूँ।
मीरा- दीदी ये ममता है ना.. देखो कैसी बातें कर रही है.. खुद का पति तो इसको खुश रखता नहीं.. मेरे बारे में उल्टा-सीधा बोल रही है और किसी दूसरे आदमी के बारे में बता रही है।
ममता- अरे बीबी जी चुप रहिए.. मैंने तो बस मजाक किया था।
राधा- अरे शर्माती क्यों है.. बता मुझे भी तो पता चले.. कैसी बातें हो रही थीं।
ममता शर्मा जाती है और रसोई की तरफ भाग जाती है।
ममता के जाने के बाद राधे हँसने लगता है और मीरा भी उसके साथ हँसने लगती है।
मीरा- क्या दीदी.. आपने बेचारी को भगा दिया.. अगर आप उसकी कहानी सुन लेतीं.. तो बड़ा मज़ा आता, मैंने कई बार सुनी है।
राधे- अच्छा यह बात है.. ऐसा क्या खास है उसकी कहानी में.. अब तो सुनना ही पड़ेगा..
राधे रसोई की तरफ गया और ममता को ज़बरदस्ती बाहर लाकर बोला- ममता मुझे भी अपनी कहानी बताओ.. मीरा कह रही थी बड़ी दिलचस्प कहानी है..
ममता- बड़ी बीबी जी.. क्यों गरीब का मजाक उड़ा रही हो.. यह कहानी नहीं मेरे जीवन का कड़वा सच है।
मीरा- अरे ममता.. हम मजाक नहीं कर रहे.. दीदी को अपनी बात बताओ.. ये तुम्हारी मदद कर सकती हैं.. समझो बात को..
राधे- हाँ ममता.. बताओ ऐसा क्या हुआ तुम्हारे साथ.. जो ऐसी बातें कर रही हो?
ममता- ठीक है बीबी जी सुनाती हूँ मगर देखो मैं ठहरी अनपढ़ तो जो बोलूँ.. आप समझ लेना.. मुझे घुमा-फिरा कर बोलना नहीं आता.. सीधे-सीधे अपनी बात बताती हूँ.. आप हँसना मत बस हाँ..!
मीरा- अरे नहीं हँसेंगे.. बोलो अब..
राधे- यहाँ नहीं.. चलो कमरे में चलो.. वहाँ आराम से बताना..
तीनों वहाँ से कमरे की तरफ चल दिए.. मीरा अब भी लंगड़ा रही थी.. उसका बुखार तो उतर गया था.. मगर चूत में अभी भी थोड़ा दर्द था।
कमरे में जाकर ममता ने अपनी कहानी बतानी शुरू की।
ममता- देखो बीबी जी.. जब मैं जवान हुई.. तो मोहल्ले के सारे लड़के मुझे देख कर ‘आहें’ भरते थे.. मेरे बापू को लगा अब शादी कर देने में ही भलाई है.. तो बस उस निक्क्मे सरजू से मेरा रिश्ता कर दिया और हो गई शादी.. मुझे शादी के बारे में ज़्यादा पता नहीं था.. बस इतना जानती थी कि शादी की रात पति अपनी पत्नी को नंगा करके चुदाई करता है और ये चुदाई का क्या मतलब था.. ये ज़्यादा पता नहीं था। शादी की रात कुत्ता दारू पीके आ गया.. उस कमीं ने अपनी औकात पहली रात ही दिखा दी।
राधे- क्या तेरा बाप तेरा दुश्मन है क्या.. जो उसने तेरी ऐसे आदमी से शादी कर दी?
ममता- अरे बीबी जी.. उस सरजू के बाप से मेरे बापू की अच्छी दोस्ती है न.. बस इसी लिए ये रिश्ता कर दिया..
मीरा- दीदी आप चुप रहो ना.. आगे तो सुनो क्या हुआ?
ममता- होना क्या था.. हरामी आ गया और बस मेरे चूचे दबाने लगा.. मैं तो घबरा गई.. मगर मैंने कुछ कहा नहीं.. मेरी सहेली ने कहा था कि तेरा मर्द जो करे.. उसे करने देना.. कुछ बोलना मत.. बड़ा मज़ा आएगा.. इसी वास्ते मैं चुप रही..
मीरा- आगे बोल ना.. फिर क्या हुआ?
ममता- होना क्या था.. वो मेरे चूचे मसलता रहा.. मेरे जिस्म में अजीब सी आग लगने लगी..।
दोस्तो, ऐसे मज़ा नहीं आ रहा है.. चलो थोड़ा पीछे जाकर आपको ममता की सुहागरात का सीधा सीन ही दिखा देती हूँ.. आप भी क्या याद करोगे..
तो चलो सीधे ममता के कमरे में..
सरजू- क्यों मेरी बुलबुल.. मज़ा आ रहा है क्या.. हिच्च..
ममता- ऊंह.. आह्ह.. दुखता है जी.. धीरे दबाओ ना..
सरजू- अरे मेरी धर्म पत्नी जी.. अभी कहाँ दर्द हुआ जब मेरा लौड़ा तेरी चूत में जाएगा.. उस बखत दर्द होगा तेरे को.. ही ही ही ही.. हिच्च..
ममता को कुछ समझ नहीं आया.. बस वो चुपचाप रही.. सरजू ने उसके होंठों को चूमा और धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े निकाल दिए।
ममता- जी.. लाइट तो बन्द कर दो.. मुझे शर्म आती है।
सरजू- अरे मुझसे कैसी शर्म.. तू मेरी पत्नी है.. हिच्च.. मैं तेरा पति.. अब तो सारी जिंदगी हमें ऐसे ही रहना है.. हिच्च.. तू काहे को डरती है.. हिच्च..
सरजू ने ममता को एकदम नंगा कर दिया था और अब खुद भी नंगा होने लगा।
ममता बस चुपचाप नशे में धुत्त सरजू को देख रही थी.. जब उसने पजामा निकाला तो उसका 4″ का पतला सा लंड देख कर वो घबरा गई.. क्योंकि उसने आज तक किसी का लौड़ा नहीं देखा था और आज ये छोटा सा लौड़ा भी उसको बड़ा लग रहा था। उसने बस अपनी सहेलियों से सुना था.. पर देखा पहली बार था और सरजू तो दारू के नशे में क्या से क्या बक रहा था।
सरजू- क्या देख रही है जानेमन.. हिच्च.. इसे लंड कहते हैं.. आज इसी लंड से तेरी चूत को फाडूंगा मैं.. हिच्च..
ममता नंगी शर्मा रही थी.. उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो बस चुपचाप बिस्तर पर बैठ गई..
सरजू उसके पास आया और उसके चूचे चूसने लगा.. उसका लौड़ा तना हुआ था। थोड़ी देर बाद उसने लौड़ा ममता के मुँह में डाल दिया..
सरजू- चूस मेरी ममता रानी.. आह्ह.. आज मज़ा आ जाएगा उफ़.. चूस.. न..
ममता को कुछ अच्छा नहीं लग रहा था.. मगर वो फिर भी लौड़े को चूसने लगी।
सरजू- आ आह्ह.. चूस.. मज़ा आ गया.. आह्ह..
सरजू ने ममता के सर को पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा। जल्दी ही उसका पानी निकल गया.. जिसे मजबूरन ममता को गटकना पड़ा।
ममता- उहह.. उहह.. छी:.. आप कितने गंदे हैं.. मेरे मुँह में मूत दिया आह्ह..
सरजू- अरे ममता रानी.. ये मूत नहीं वीर्य था.. जिसे पीकर तू धन्य हो जाएगी.. आह्ह.. मज़ा आ गया… चल अब तेरी चूत चाट कर तुझे ठंडा करता हूँ उसके बाद तेरी सील तोड़ूँगा..
ममता को अब कुछ-कुछ होने लगा था.. सरजू उसकी कुँवारी चूत को बड़ी बेदर्दी से चाटने लगा..
ममता- आह्ह.. आई.. सी सी अजी सुनिए तो आह्ह.. बस भी करो.. आह्ह.. नहीं आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है आह्ह..
सरजू लगातार चूत चाट रहा था.. ममता की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं.. जल्द ही उसका बदन अकड़ने लगा और उसकी चूत ने रस छोड़ दिया.. जिसे सरजू पी गया..
ममता की बात सुनकर मीरा की चूत गीली हो गई थी और राधे का लौड़ा फुंफकारने लगा था.. मगर दोनों ही अपने ज़ज्बात को दबाए बैठे.. उसकी बातें सुन रहे थे।
आधे एक घंटे तक सरजू और ममता एक-दूसरे से लिपटे पड़े रहे.. इस दौरान सरजू ने दो-चार पैग और लगा लिए अब वो नशे में झूलने लगा था.. ज़ुबान लड़खड़ाने लगी थी.. 
सरजू- ममता आज हमारी सुहागरात है अब तू मेरे लौड़े.. हिच्च.. को.. चूस कर खड़ा कर.. अब तेरी सील तोड़ने का बखत आ गया है.. हिच्च हिच्च.. 
ममता ने लौड़े को चूसना शुरू कर दिया जल्दी ही लौड़ा खड़ा भी हो गया, अब ममता की शर्म भी खुल गई थी, वो भी सरजू को बोलने लगी थी।
ममता- मेरे स्वामी.. आपने ये क्या कर दिया.. मेरे नीचे आग लग रही है.. आह्ह.. कुछ करो.. घुसा दो अपना ये.. आह्ह.. स्वामी.. जल्दी कुछ करो।
सरजू ने ममता के पैरों को फैलाया.. लौड़ा.. चुसाई के कारण थूक से सना हुआ था। सरजू ने लौड़े को चूत पर टिका कर धीरे से धक्का मारा लौड़ा फिसल गया। दो बार कोशिश करने के बाद सुपाड़ा ही चूत में घुस पाया था कि ममता दर्द से कराह उठी। 
उसी पल सरजू ने ज़ोर से धक्का मारा.. और पूरा लौड़ा चूत में घुस गया। खून चूत से रिस कर बाहर आने लगा.. ममता ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी। मगर सरजू तो बस ‘घपाघप’ लौड़ा पेल रहा था। पांच मिनट में ही उसका लौड़ा अकड़ गया और ममता की सुखी चूत को गीला कर दिया।
सरजू- आह्ह.. मज़ा आ गया.. तेरी सील तोड़कर आह्ह.. बहुत थक गया हूँ.. अब तू गुसलखाने में जाकर चूत साफ कर ले.. मैं तो सो रहा हूँ.. बहुत थक गया हूँ मैं.. आह्ह.. उहह।
सरजू नशे में था.. जल्दी ही उसे नींद आ गई.. ममता बस बिस्तर पर पड़ी सिसकती रही।
काफ़ी देर बाद ममता उठी.. बाथरूम जाकर उसने अपनी चूत साफ की और सरजू के पास ही सो गई।
राधे- अरे वाह.. ममता तेरी कहानी तो अच्छी है.. माना कि तेरे पति का छोटा है मगर तेरी चीखें निकलवा दीं उसने.. लेकिन सुहागरात की रात बस एक बार ही चोदा.. ये अच्छा नहीं किया तेरे पति ने।
ममता- जाने दो बड़ी बीबी जी.. अब आपको क्या बताऊँ.. पहली रात को मैं कुँवारी थी.. पहली बार चुदवाया तो दर्द होगा ही.. उस रात के बाद कोई एक महीने तक वो रोज मुझे चोदता रहा.. मेरी चुदाई की तड़प बढ़ती ही जा रही थी। सच कहूँ बीबी जी.. वो तो 5 मिनट में ठंडा हो जाता.. मेरी सुलगती चूत को मुझे उंगली से ठंडा करना पड़ता.. अब तो कई महीने हो गए.. वो नशे में धुत होकर आता है और गिर कर सो जाता है। मेरे तो करम ही फूट गए। मैं उसको सोते हुए नंगा करके खुद से चुदवा लेती हूँ मगर मज़ा नहीं आता.. उसका लौड़ा बड़ी मुश्किल से चूस कर खड़ा करती हूँ.. जब उसके ऊपर बैठ कर एक-दो बार ऊपर-नीचे होती हूँ.. साला भड़वा.. उतने में ही पानी छोड़ देता है.. मैं अधूरी की अधूरी रह जाती हूँ।
राधे- ओह सॉरी.. ममता.. मैं कुछ कर सकूँ तो मुझे बताना.. मैं जरूर तुम्हारी मदद करूँगी।
ममता- बीबी जी मुझे बच्चा चाहिए.. वो मेरे पति तो दे नहीं सकते.. पड़ोस वाली सुनीता कहती है किसी और मर्द से सम्बन्ध बना ले.. चुदाई का सुख भी मिल जाएगा और गोद भी हरी हो जाएगी।
मीरा- तो तुमने क्या सोचा?
ममता- नहीं बीबी जी.. ऐसे ही किसी से चुदवाना ठीक नहीं.. जो आगे चलकर मेरे जीवन में जहर घोल दे.. हाँ कोई ऐसा आदमी मिल जाए जिसके पास तगड़ा लौड़ा हो.. और मुझे पक्का विश्वास दिलाए कि मुझे बच्चा देकर वो कभी मुझे परेशान नहीं करेगा। तब मैं ख़ुशी से उसको अपनी चूत दे दूँगी।
ये सब कहते-कहते ममता की आँखों में आँसू आ गए।
राधे- तुम्हारा दिल दुखाने का मेरा बिल्कुल इरादा नहीं था ममता.. मगर तुम चिंता मत करो.. बहुत जल्दी तुम्हारी गोदी में बच्चा होगा।
ममता- कैसे होगा बीबी जी?
मीरा- होगा.. ममता जरूर होगा.. दीदी तुमको बच्चा देगी।
ममता की समझ में कुछ नहीं आया.. वो बस दोनों को टुकुर-टुकुर देखती रही।
राधे ने मीरा की कही बात को संभालते हुए कहा- अरे इसका मतलब है.. मैं ऐसे आदमी को जानती हूँ.. जो तुम्हें बच्चा देगा.. समझी.. अब जाओ अपना काम करो.. मुझे थोड़ा आराम करना है।
ममता- बीबी जी.. अगर सच में ऐसा हो जाए.. तो मैं आपका अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगी।
ममता के बाहर जाते ही राधे ने मीरा को आँख दिखाई- तुम पागल हो क्या.. सीधे-सीधे मेरा नाम ले दिया।
मीरा- तो क्या हुआ.. बेचारी कितनी दुखी है.. तुम उसको बच्चा दे दोगे.. तो क्या बिगड़ जाएगा।
राधे- अरे मेरी भोली मीरा.. उसकी नजरों में राधा एक लड़की है.. अब उसको थोड़ी पता है मेरे बारे में।
मीरा- ये तो मैंने सोचा ही नहीं.. पापा को पता चल गया तो वो मर ही जाएँगे।
राधे- हाँ मेरी रानी.. अब समझी ना.. बात को ममता का भी कुछ सोचता हूँ इसकी बातों ने गर्म कर दिया.. उसको बोलो कि आज उसकी छुट्टी.. जाओ उसके बाद हम अपनी रासलीला करेंगे।
मीरा भी गर्म थी.. उसने ममता से कहा- दोपहर का खाना बनाकर तुम चली जाना.. रात को हम बाहर खाएँगे। 
ममता भी जल्दी जाने की ख़ुशी में जल्दी से सब काम निपटा कर फ्री हो गई।
बारह बजे तक उसने खाना बना दिया राधे और मीरा ने खाना खा लिया।
मीरा- अच्छा ममता.. बर्तन धोकर तुम चली जाना.. मुझे नींद आ रही है.. मैं तो सोती हूँ।
राधे- तुम सो जाओ.. मैं थोड़ा बाहर जाकर आती हूँ।
ममता बर्तन धोने में लग गई.. राधे बाहर चला गया और मीरा कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गई।
कोई 20 मिनट बाद ममता ने मीरा को कहा- मैं जा रही हूँ।
ममता जब बाहर निकल रही थी.. राधे घर में आ रहा था। उसने ममता से कहा- जल्दी ही वो उसके लिए कुछ करेगी। 
ममता खुश होकर चली गई।
राधे जब कमरे में गया तो मीरा नाईटी पहने हुए बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी, वो राधे बिना कोई आवाज़ किए सीधा बाथरूम में चला गया।

Comments

Popular posts from this blog

लालाजी का सेवक

चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

लालाजी का सेवक - 5 - रंगीली की सुहागरात PART-2