असली या नकली -5 - माला और मोहन के साथ /आनंद और प्रभा चाची


आनंद ने अब अपनी पेंट पहनी और सीधा उपर अपने रूम की तरफ दौड़ गया, इधर प्रभा ने भी अपनी बिखरी सांसों को समेटा और अपने कपड़ो को पहनकर नार्मल हुई, उसने सोचा की अब चलकर शाम के लिए कुछ खाने को बना ले और इसलिए वो हाथ मुंह धोकर अपने कमरे के दरवाजे को खोंलने लगी पर जैसे ही उसने दरवाजे से बाहर कदम रखा उसका पैर किसी गीली चीज़ पर गिरा और फिसलते फिसलते बची, उसने फर्श पर देखा और उसे कुछ सफेद सफेद गीली सी चीज़ बिखरी देखी, उसने इधर उधर नजर दोडाई और चारो तरफ वही बिखरा पड़ा था, प्रभा को पहले तो कुछ समझ नही आया पर जब उसने ऊँगली से उसे छुआ और अपने नाक के पास लेकर आई, वीर्य की तीखी खुसबू उसके नथुनों में घुस गयी और एक प्रभा जैसी खेली खायी ओरत के लिए ये पहचानना मुश्किल नही था कि ये सफेद गाढ़ी चीज़ किसी आदमी के लंड से निकला पानी है,

ये समझते ही प्रभा को जैसे चक्कर सा आ गया 

“तो क्या किसी ने मुझे अंदर ऊँगली करते हुए देख लिया? और मुझे देखकर यहाँ मुठ मारी है? कहीं उसने मेरी बाते तो नही सुन ली, कहीं उसे पता तो नही चल गया कि मैं अपने सगे भाई से ही ऐसी बाते कर रही थी, नही नही ये नही हो सकता! अगर उसने किसी को बता दिया तो मैं तो किसी को मुंह दिखने लायक नही रहूंगी, मुझे पता करना ही होगा कि वो कौन है?” ये सोचते सोचते प्रभा के माथे पर पसीने की बुँदे चमकने लगी, वो बुरी तरह से डरी हुई थी 

पर डरने से अब कुछ नही होने वाला था, प्रभा ने सोचा की इससे पहले कि किसी और को इस बात का पता चले उसे उस आदमी को ढूंढना है जिसने यहाँ मुठ मारी है, प्रभा का पहला शक घर के ड्राइवर्स पर गया जो घर के बाहर ही बनाये गये कमरे में रहते थे, इसलिए वो डरे सहमे उस और बढने ही लगी थी कि तभी उसे उपर वाली मंजिल से किसी के हल्के हल्के कराहने की आवाज़ सुनाई दी, प्रभा को एक पल को तो लगा कि कहीं कोई चोर तो नही घुस आया है, पर फिर भी हिम्मत करके वो आगे बढने लगी,

जैसे जैसे वो सीढियों से उपर बढ़ रही थी उसे समझ आ गया था कि ये आवाज़ आनंद के रूम से आ रही है, 
“तो क्या आनंद ने मुझे देखकर मुठ...........नही नही आनंद ऐसा नही कर सकता, वो तो बड़ा ही सीधा साधा लड़का है.......मुझसे तो वो शर्माता भी बहुत है.........पर उसके आवाज़ तो उसके रूम से ही आ रही है” 

प्रभा के मन में ढेरो सवाल उभर आये थे, अब प्रभा भरी कदमो से आनंद के रूम की तरफ बढने लगी थी, और जैसे जैसे वो नजदीक जा रही थी, कराहने और आहों की आवाज़ अब स्पष्ट सुनाइ दे रही थी

प्रभा अब आनंद के कमरे के ठीक सामने थी, उसने हलके से दरवाजे को अंदर की तरफ धकेला तो पाया की दरवाज़ा पहले से ही खुला हुआ है, दरअसल आनंद जल्दीबाज़ी में दरवाज़ा बंद करना ही भूल गया था, आज जो नज़ारा उसने देखा था वो उसकी आँखों के सामने बार बार आ रहा था और एक बार मुठ मारने के बावजूद भी उसका लंड कडक होकर खड़ा था जिसे वो हल्के हल्के सहलाते हुए अपने बिस्तर पर लेटा था, पर उसे इस बात का बिलकुल भी अंदाज़ा नही था की प्रभा चाची उपर भी आ सकती है क्यूंकि वो बहुत ही कम बार उपर आई थी , इसलिए आनंद बेपरवाह होकर दोबारा अपने खड़े लंड को मसले जा रहा था 

इधर प्रभा ने जैसे ही दरवाज़ा थोडा सा खोला अन्दर का नज़ारा देखकर वो बुरी तरह सन्न रह गयी, प्रभा ने जब आनंद के मोटे और खूब लम्बे लंड को देखा तो ना चाहते हुए भी उसका हाथ दोबारा अपनी नाईटी के उपर से अपनी बुर पर चला गया और वो धीरे धीरे उसे मसलने लगी 

पर प्रभा आनंद के लंड को देखने में इतनी मगन हो गयी कि उसे पता ही नही चला कि कब उसने दरवाज़े को जरूरत से ज्यादा खोल दिया और कब आनंद का ध्यान उस पर चला गया,

आनंद ने जैसे ही प्रभा को वहां खड़ा देखा तो पहले वो ठिठका पर जैसे ही उसने देखा कि प्रभा चाची भी अपनी चुत को सहला रही है आनंद के चेहरे पर एक शातिर मुस्कान आ गयी और उसके दिमाग में एक खुराफात ने जन्म ले लिया, आनंद ने चुपके से अपने लंड को अपनी पेंट में डाला और धीरे से खड़ा होकर प्रभा की तरफ बढने लगा 

प्रभा इतनी मगन थी कि उसे पता ही नही चला की आनंद उसको देख रहा है वो तो अब मस्त होकर आंखे बंद करके अपनी चुत को मसले जा रही थी कि तभी अचानक उसे महसूस हुआ कि किसी ने उसकी चुत को नाईटी के उपर से अपनी मुट्ठी में भर लिया 

जैसे ही प्रभा ने आँखे खोली तो देखा कि सामने आनंद खड़े खड़े मुस्कुरा रहा था और जोर जोर से उसकी चुत को मसले जा रहा था 

आनंद ने एक झटके में प्रभा को कमरे के अंदर खिंचा और कमरा बंद कर लिया 


आनंद ने तुरन्त अपनी चाची को खीच कर अपने सीने से लगा लिया और इससे पहले प्रभा कुछ कह पाती या समझ पाती आनंद ने उसके सर को अपने हाथ से पीछे से पकड़ कर उसके रसीले होंठो को अपने होटों की जकड़ में ले लिया, प्रभा तो बस गूं गूं की आवाज़ निकालते हुए उससे छूटने की कोशिश कर रही थी पर आनंद की मजबूत पकड़ से छुट पाना कोई आसान काम नही था 

इधर आनंद का मोटा लंड अपनी गदराई चाची की मदमस्त जवानी को छूने से खड़ा होकर झटके मारने लगा, आनंद ने देखा कि प्रभा कुछ ज़्यादा ही नखरा कर रही थी तो आनंद ने अचानक फिर से अपने हाथ के पंजो से अपनी चाची की फूली हुई चूत को उसकी नाईटी के उपर से पकड़ लिय,

उसकी इस हरकत पर प्रभा बुरी तरह सीसीया गयी पर इससे पहले कि वो कुछ कर पाती आनंद ने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर पेंट के उपर से ही रख दिया परन्तु प्रभा ने झट से अपनी मुट्ठी बंद कर ली 

आनंद अपनी चाची की चूत को बुरी तरह अपने हाथो मे दबोचे हुए था, 

“ओह कम ओन चाची अब ज्यादा नाटक मत दिखाओ, मैं जानता हू की आप भी मेरा लंड पकड़ने के लिए तड़प रही हो, तभी तो यहाँ खड़ी होकर अपनी चुत मसल रही थी” 

प्रभा ने आनंद को खा जाने वालो नज़रो से देखते हुए उससे अपनी चूत को छुड़ाया और उसे धकेल कर बेड पर गिरा दिया, 

प्रभा (अपने चेहरे पर गुस्सा दिखाते हुए) - आनंद तुझे शरम नही आती अपनी चाची के साथ ऐसा करते हुए, मैं तेरी शिकायत तेरे चाचा से करूँगी,

आनंद मुस्कुराते हुए अपने पेंट की जीप खोलता हुआ बोला - ठीक है चाची कर देना, पर शिकयत तो मैं भी करूंगा कि आप अपने सगे भाई राकेश के साथ ही चुद्वाती हो पर फिर भी आप चाहो तो चाचा से मेरी शिकायत कर सकती हो पर जो आप देखना चाहती हो वह तो पहले देख लो

प्रभा को लगा कि यहाँ तो उसका कार्ड उल्टा उस पर ही भारी पड गया है, वो अभी कुछ और तरकीब सोच ही रही थी कि आनंद अपने लंड को अपनी पेंट की कैद से आजाद करने की कोशिस करने लगा 

प्रभा ने जब आनंद को अपना लंड बाहर निकालते हुए देखा तो ना जाने क्यों वो उस रूम से गयी नही बल्कि आनंद की ओर अपनी पीठ करके बोली - मुझे नही देखना, मुझे जाने दे यहाँ से नही तो अच्छा नही होगा

आनंद को भी पल भर में ही समझ आ गया कि अगर चाची चाहती तो अभी यहाँ से भाग सकती थी पर उन्होंने सिर्फ पीठ मेरी तरफ कर दी और खुद अभी भी यहीं खड़ी हैं इसका मतलब वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है, ये सोचकर ही आनंद का लंड तो जोश के मारे और ज्यादा कड़क हो गया 

आनंद ने अब झट से अपनी पेंट उतारी और फिर अपनी अंडरवेर नीचे सरका कर अपनी बनियान भी उतार दी, अब आनंद पूरी तरह से नंगा होकर बिस्तर पर पड़ा था, 

फिर आनंद धीरे से जाकर अपनी चाची के पीछे से आराम से चिपकता हुआ बोला - सॉरी चाची मुझे ऐसी हरकत नही करना चाहिए थी, मुझे माफ़ कर दीजिए

प्रभा आनंद को एक दम बदलते देख चकित हो जाती है और जैसे ही आनंद को पलट कर देखती है उसके होश उड़ जाते है क्यूंकि वहां आनंद पूरा नंगा खड़ा हुआ था 


आनंद को नंगा खड़ा देखकर प्रभा अपनी मुस्कुराहट को रोक नही पाई , इधर आनंद ने मोके का फायदा उठाते हुए झट से अपनी चाची के हाथ को पकड़ कर अपने खड़े मोटे लंड पर रख दिया, प्रभा बड़े ही हल्के अंदाज मे उसका विरोध करती हुई उसके लंड को हल्के हाथो से पकड़ कर बोली - यह सब मत कर आनंद, यह सब ठीक नही है कही तेरे चाचा को पता चल गया तो तेरा तो कुछ नही पर मेरी तो जान ही ले लेंगे, ये कहते हुए प्रभा धीरे-धीरे उसके मोटे लंड को सहलाने लगी 

आनंद धीरे से अपनी चाची से चिपक कर उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके गले को चूमता हुआ बोला - नही चाची आप फिकर क्यो करती हो और फिर जब से मेने तुम्हे निचे कमरे में नंगा देखा है मे तब से ही तुम्हे चोदने के लिए तड़प रहा हू, एक बार मुझे चोद लेने दो उसके बाद मे आप से कुछ नही मंगूगा,

इधर प्रभा की पकड़ न चाहते हुए भी आनंद के मोटे लंड पर धीरे-धीरे बढ़ जाती है और वह भी अपने मोटे-मोटे गदराए दूध को आनंद की छाती से दबाती हुई बोली - लेकिन आनंद यह सब ठीक नही है मे तेरी चाची हू,

आनंद प्रभा के पीछे अपना हाथ लेजा कर उसकी गदराई मोटी गान्ड को अपने हाथ मे भरता हुआ बोला - अरे चाची आप नही जानती अपनी चाची को चोदने मे कितना मज़ा आता है आप एक बार मुझसे कस कर चुदवा लोगि ना फिर देखना आप रोज मुझसे चुदवाने के लिए तड़पोगी, और वैसे भी तुम्हारी इस गदराई गान्ड को देख कर मेरा लंड हमेशा ही खड़ा रहता है, एक बार मुझे पूरी नंगी होकर दिखाओ ना

प्रभा भी अब धीरे धीरे आनंद के रंग मे रंग चुकी थी और आनंद के मोटे लंड को अब कस-कस कर अपने हाथो से दबोचते हुए मंद-मंद मुस्कुरकर बोली - तुझे शर्म नही आएगी अपनी चाची को नंगी देखने मे,

आनंद प्रभा के मोटे-मोटे भारी चुतडो को अपने हाथो मे भर -भर कर कस कर दबाता हुआ -अरे चाची आप शरम की बात कर रही हो मे तो आपको नंगी देखने के लिए मरा जा रहा हू

प्रभा आनंद के लंड को दबाती हुई बोली - क्या करेगा अपनी चाची को नंगी देख कर

आनंद अपना हाथ आगे ले गया और फिर प्रभा के पेट की ओर से अपना हाथ उसकी नाईटी के अंदर सीधे पेंटी के अंदर घुसा दिया और झट से उसकी फूली हुई चिकनी चूत को अपने हाथ मे पकड़ कर दबोचते हुए बोला -चाची आपको पूरी नंगी करके सबसे पहले आपकी इस फूली हुई चूत को खूब चाटूगा और फिर अपनी प्यारी चाची को पूरी नंगी करके आपकी खूब कस्के चूत और मोटी गदराई गान्ड को चुसूंगा,

प्रभा- पर तूने मुझमे ऐसा क्या देखा की तू मुझे चोदने के लिए मरा जा रहा है

आनंद- अरे चाची तुम्हारी जैसी गदराई अगर मेरी मम्मी भी होती तो मे उसको भी चोद देता और अपनी बीवी बना लेता 

प्रभा- मुस्कुरकर तू बड़ा ही कमीना है आनंद अपनी माँ को ही अपनी बीवी बनाना चाहता है 

आनंद प्रभा के मोटे-मोटे दूध को दबोचते हुए उसके रसीले होंठो को अपने मुँह मे भर कर बोला - चाची बीबी तो मे तुम्हे भी चोद कर बनाना चाहता हू, बोलो बनोगी मेरी बीबी? लोगी मेरा ये मुन्सल लंड अपनी इस फूली हुई चुत में 

प्रभा- जालिम, एक औरत की चूत को इतनी बुरी तरह से मसल रहा है और फिर उससे पूछता है कि वह तेरा लंड लेगी कि नही

आनंद अपनी चाची की बात सुन कर उसकी नाईटी को उसके बदन से अलग कर देता है, अपनी चाची को लाल रंग की पेंटी मे देख कर वह पागल हो जाता है उसे यह नही पता था कि उसकी चाची इतनी जयदा गदराई हुई है, अपनी चाची की मोटी-मोटी दूधिया जंघे, देख कर वह पागल हो जाता है जब वह अपनी चाची की फूली हुई पेंटी मे कसी चूत को देखता है तो तुरंत उसकी चूत को अपनी मुट्ठी भर कर दबोच लेता है और प्रभा आनंद के सीने से चिपक जाती है और उसका खड़ा लंड अपने हाथो मे पकड़ कर कस-कस कर दबाने लगती है

आनंद जल्दी से अपनी चाची का ब्लौज उतार कर उसे सिर्फ़ ब्रा और पेंटी मे बेड पर लिटा देता है और फिर अपनी चाची को खड़ा होकर उपर से नीचे तक निहारने लगता है, उसकी चाची की फूली हुई चूत की फांके पेंटी से बाहर फूल कर दिखाई देती है , आनंद सीधे अपनी चाची के पेरो की तरफ आता है और उसकी फूली हुई चूत पर अपना मुँह रख कर उसकी चूत को अपने मुँह से दबाने लगता है और प्रभा मदहोश होने लगती है, 

आनंद अपनी चाची की पेंटी को साइड मे करके उसकी चूत को फैला-फैला कर चाटने लगता है और प्रभा पागलो की तरह सीसीयाने लगती है, आनंद अपनी चाची की चूत की खुश्बू सूंघ कर पागल हो जाता है और फिर उसकी चूत मे अपनी जीभ डाल कर पागलो की तरह उसकी चूत को चाटने लगता है, प्रभा पड़ी-पड़ी अपने हाथ पेर फेंकती हुई कराहने लगती है,

आनंद- चाची कैसा लग रहा है

प्रभा- आह बहुत अच्छा लग रहा है आनंद तेरे चाचा ने तो आज तक मेरी चूत को इस तरह नही चटा हाय तू कितना अच्छा चाटता है, आह-आह

आनंद अपनी चाची की फूली हुई चूत को दबोच-दबोच कर चाटने लगता है और फिर आनंद अपनी चाची की पेंटी को उसके पेरो से निकाल देता है और प्रभा को उल्टा लेटा कर उसके गदराए मोटे-मोटे चुतडो को अपने हाथो से फैला-फैला कर चाटने लगता है 

प्रभा उसकी इस हरकत से पागल हो जाती है और खूब ज़ोर-ज़ोर से हा-ह करने लगती है आनंद अपनी चाची की मोटी गान्ड को अपने हाथो से खूब दबोच-दबोच कर उसकी मोटी गान्ड को खूब फैला-फैला कर चूसने लगता है,

लगभग 20 मिनिट तक आनंद अपनी चाची के मोटे चुतडो को दबोच-दबोच कर लाल कर देता है, और प्रभा ना जाने कितना पानी छोड़ती है, आनंद उसके सारे रस को चाट-चाट कर उसकी चूत को साफ कर देता है उसके बाद आनंद अपनी चाची को उठा कर बैठा देता है और उसके मोटे-मोटे दूध को कस-कस कर दबोचते हुए मसल्ने लगता है

प्रभा एक दम से आनंद के मोटे लंड को पकड़ कर झुक कर अपने मुँह मे भर लेती है और उसके लंड को खूब कस-कस कर चूसने लगती है, आनंद अपनी चाची जो कि अपनी जंघे फैलाए आनंद का लंड चुस्ती रहती है क़ी चूत मे अपनी उंगली डाल देता है और उसकी चूत मे तब तक उंगली पेलता है जब तक की उसकी उंगली उसकी चूत मे जड़ तक नही पहुच जाती है, प्रभा की आँखे काम वासना से पूरी नशीली हो जाती है और वह उसके मोटे लंड को चूस-चूस कर लाल करने लगती है,

आनंद- बस चाची अब रुक जाओ नही तो तुम्हारे मुँह मे निकल जाएगा

प्रभा- हाय जब से तेरा ये मोटा लम्बा लंड देखा है तब से तेरे मोटे लंड को अपने मुँह मे भरने के लिए तड़प रही थी आज तो मे इस मोटे डंडे का सारा रस पी जाउन्गि मेरे मुँह मे ही अपना रस निकाल दे, और फिर प्रभा उसके लंड को पागलो की तरह कस-कस कर चूस्ते हुए उसके रस को अपने मुँह के अंदर पूरी ताक़त से खिचने की कोशिश करने लगती है और आनंद से रहा नही जाता है और वह रुक -रुक कर अपनी चाची के मुँह मे अपना रस निकालने लगता है और प्रभा उसके सारे रस को चूस-चूस कर पीने लगती है, आनंद के लंड से जब तक उसका रस निकलता है प्रभा तब तक उसके रस को खिच -खींच कर चुस्ती रहती है और फिर आनंद मस्त होकर अपनी चाची को ले कर बेड पर लेट जाता है,

आनंद पूरा नंगा अपनी चाची के नंगे बदन से चिपका हुआ उसके मस्ताने भोस्डे पर अपना हाथ फेरता हुआ उसके रसीले

होंठो को चूस्ता रहता है और प्रभा फिर से उसके लंड को सहलाने लगती है,

आनंद- चाची अब क्या करना है

प्रभा- मुस्कुरा कर अब मेरी चूत को कस-कस कर चोद और क्या करना है, आज तो मे रात भर तुझसे अपनी चूत मराउन्गि

आनंद- अपनी चाची को अपने सीने से कस कर दबाते हुए उसकी मोटी गान्ड की गहरी दरार मे अपने हाथ को फेरते हुए उसके होंठो को चूमने लगता है और उसका मोटा लंड जो अभी थोडा सा मुरझाया था, उसकी चाची की चूत के उपर रगड़ खाने लगता है,

आनंद- चाची और चुसू तुम्हारी इस चूत को

प्रभा रुक जा मे चुसती हू, तूने दो बार पानी छोड़ दिया है तो थोडा टाइम लगेगा इसे खड़ा होने में, 

ये कहकर प्रभा धीरे धीरे आनंद के लंड को सहलाने लगती है और फिर कुछ ही देर की चुसाई के बाद आनंद का लंड फिर से खड़ा होकर सलामी देने लगा था 

अब प्रभा की चूत खूब रसीली हो जाती है तो उससे बर्दास्त करना मुस्किल हो जाता है और वो पीछे सरक कर आनंद के लंड को अपने हाथो से पकड़ कर सररर से उसके लंड पर बैठ जाती है और आनंद का लंड अपनी चाची की रसीली चूत को भेदता हुआ उसकी चूत की गहराई मे उतर जाता है और फिर प्रभा कूद-कूद कर आनंद के मोटे लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर करने लगती है, आनंद भी अपनी चाची के मोटे-मोटे दूध को अपने हाथो मे कस कर पकड़ता हुआ मसल्ने लगता है और अपनी कमर उठा-उठा कर अपनी चाची की चूत मे अपने लंड को भरने लगता है,
प्रभा अपनी मोटी गान्ड को उठा-उठा कर आनंद के लंड मे मारने लगती है और जब उससे बर्दास्त करना मुस्किल हो जाता है तो प्रभा नीचे लुढ़क जाती है और आनंद को पकड़ कर अपने उपर चढ़ाने लगती है, आनंद झट से अपनी चाची की गदराई मोटी जाँघो को फैला कर उसकी फूली हुई चूत मे अपने लंड को लगा कर एक तगड़ा शॉट मारता है और उसका लंड उसकी चाची की चूत मे जड़ तक समा जाता है, आनंद अपनी चाची की मोटी-मोटी जाँघो को कस कर दबोचता हुआ उसकी चूत मे अपने लंड के धक्के मारने लगता है और प्रभा आह-आह करते हुए सीसियती हुई उसके लंड पर अपनी चूत उठा-उठा कर मारने लगती है,

आनंद सतसट अपनी चाची की चूत को कस-कस कर चोदने लगता है और प्रभा की चूत पानी-पानी हो जाती है,

कुछ देर बाद आनंद अपनी चाची को बेड पर घोड़ी बना देता है और उसकी चूत मे अपने लंड को पीछे से लगा कर एक कस कर धक्का मारता है और उसका पूरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर समा जाता है और आनंद अपनी चाची की मोटी गदराई गान्ड को मसलते हुए उसकी फूली हुई चूत मे अपने लंड को पेलने लगता है, प्रभा आनंद के लंड के धक्को का जवाब अपनी अपनी चूत को उसके लंड पर मारती हुई देने लगती है जब प्रभा से सहना मुश्किल हो जाता है तो वह एक दम से लुढ़क जाती है और आनंद अपनी चाची की मोटी जाँघो को पूरा फोल्ड करके अपने पेर के पंजो पर बैठ कर अपनी चाची की चूत को अपने लंड से कस-कस कर ठोकने लगता है और प्रभा खूब कस-कस कर उसके लंड पर अपनी चूत के धक्के मारने लगती है,

लगभग 40 मिनिट तक अलग अलग पोज़ मे आनंद अपनी चाची को चोदता है और उसके बाद प्रभा की चूत की चिकनाहट खूब बढ़ जाती है और वह आनंद को अपने हाथो से कस लेती है और आनंद लगभग 20-25 तगड़े धक्के अपनी चाची की चूत मे सतसट मारता हुआ उसकी चूत के अंदर अपने पानी को छोड़ देता है और प्रभा सीसियती हुई आनंद को अपनी बाँहो मे कस कर पानी छोड़ती हुई गहरी-गहरी साँसे लाने लगती है, कुछ देर तक दोनो एक दूसरे से चिपके पड़े रहते है उसके बाद आनंद अपनी चाची को मुस्कुरा कर देखता हुआ उसके उपर से हट जाता है, प्रभा अपनी आँखे बंद किए हुए गहरी-गहरी साँसे लेती रहती है और फिर आनंद जब उसके गालो को अपने दन्तो मे भर कर काटता है तब प्रभा अपनी आँखे खोल कर आनंद को देखती है और फिर दोनो देवेर चाची एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है,

आनंद- मुस्कुरा कर अपनी चाची के मोटे-मोटे दूध के निप्पल को मसलता हुआ, चाची आख़िर मेने आपको भी चोद ही दिया,


प्रभा- मुस्कुरा कर उसके गाल को अपने हाथो से खिचती हुई, तू बहुत बड़ा पाजी है आनंद, और दोनो एक दूसरे की बाँहो मे चिपक जाते है, 


आनंद तो खुशी के मारे फुले ही नही समा रहा था, आज उसने अपने जीवन की पहली चूत जो हासिल कर ली थी, और पहली चूत का तो मजा ही कुछ और होता है और यहाँ तो उसकी पहली चूत ही उसकी अपनी सगी चाची की थी और इस बात ने उसे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, भरपूर सेक्स के बाद आनंद और प्रभा दोनों एक दुसरे की बाँहों में सो गये 
सुबह घडी की सुई 6 बजा रही थी, आनंद की न जाने क्यूँ आँखे खुल गयी, उसने आँखे मसलते हुए अपने बाजु में देखा तो अपनी नंगी चाची को अपने साथ सोता देखकर सुबह सुबह ही उसका लोडा बगावत करने पर उतर आया, पर वो जानता था कि ये टाइम सही नही है, वैसे भी कल रत तीन बार जमकर चुदाई करने के बाद उसे और उसके लोडे दोनों को आराम की शख्त जरूरत है, 
आनंद अभी ये सोच ही रहा था कि उसके दिमाग की बत्ती जली और उसे यद् आया की उसे तो ऑफिस भी जाना है, चपरासी बनकर, एक बार तो उसने सोचा कि रहने दो यार पर फिर उसकी नजरो के सामने चांदनी का खूबसूरत चेहरा आ गया था, इसलिए आनंद फटाफट खड़ा हुआ और लगभग 1 घंटे में वो नहा धोकर पूरी तरह तैयार था , फिर उसने बेसुध सी सोयी अपनी चची को उठाया और उसको एक डीप किस देकर जाने का बोल दिया 

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इधर मोहन और माला की जिंदगी काफी बदल चुकी थी पर हम वहीं से शुरू करते है जहाँ छोड़ा था, यानि जब मोहन को पुलिस पकड़कर ले गयी थी, सभी बस्ती वालो ने किसी तरह थोड़े थोड़े पैसे मिलकर बड़ी मुश्किल से मोहन की जमानत करायी थी 
जमानत मिलने के बाद मोहन सीधा अपने घर की तरफ चल पड़ा, उसे ये डर था कि कहीं उसकी गैरमौजूदगी में लाला के आदमियों ने उसकी बहन के साथ कुछ गलत तो नहीं कर दिया, इसलिए मोहन तेज तेज कदमों से चलता हुआ सीधा अपने घर की तरफ रवाना हो गया

जब वह अपने घर पहुंचा तो देखा कि उसकी बहन घर के अंदर ही उसके लिए खाना बनाने की तैयारी कर रही थी
माला ने भी जब मोहन को दरवाजे पर देखा तो वो दौड़ कर उसके गले लिपट गई दोनों भाई बहन काफी देर तक एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए थे 
मोहन - तुम ठीक तो हो माला , वो लाला के आदमी यहां दुबारा तो नहीं आए
माला - आप चिंता मत करो भैया, मैं बिल्कुल ठीक हूं पर आपके बिना ये 2 दिन बहुत ही मुश्किल से गुज़रे है, रात दिन बस मैं आप ही की चिंता करती रही 

दोनों भाई बहनों की आँखों में आंसू आ गये थे, मोहन तो एक भाई की तरह ही बर्ताव कर रहा था पर माला के दिल में अब अपने भाई के लिए इज्ज़त अब और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी, और उसे खुद ही पता नही चला कि कब मोहन उसके लिए भाई से भी बढ़कर कुछ और हो चूका था, दरअसल इन दो दिनों में वो रात दिन ये सोचती रही कि किस तरह मोहन ने उसकी इज्जत लुटने से बचाई थी किस तरह एक हीरो की भांति उसने मुझे उन गुंडों के चंगुल से छुटाया था, अगर मोहन ना होता तो वो आज किसी को मुंह दिखाने लायक भी ना होती, पर मोहन ने बिलकुल सही समय पर आकर उसकी इज्जत को तार तार होने से बचा लिया था,
और इन दो दिनों में ही माला के लिए मोहन की हसियत कुछ और हो चुकी थी, वो मोहन को अब अपने भाई से भी बढ़कर मानने लगी थी, और उसे खुद भी इस बात का पता नही चला कि वो अब मोहन की तरफ आकर्षित होने लगी थी, इसलिए वो आज एक बहन की तरह नही बल्कि एक लडकी की तरह मोहन से गले मिल रही थी 
कुछ देर गले लिपटे रहने के बाद दोनों भाई बहन घर के अंदर आ गये और फिर रात का खाना खाने लगे, आज माला ने अपने हाथो से मोहन को खाना खिलाया, और फिर सोने की तयारी करने लगे, चूँकि उनके घर में सिर्फ एक ही टूटी फूटी सी चरपाई थी जिस पर मोहन सोता था और माला हमेशा निचे ही सोती थी इसलिए आदत के मुताबिक मोहन तो अपनी चारपाई पर आकर लेट गया पर माला चुपचाप खड़ी रही

मोहन – अरे माला तुम ऐसे खड़ी क्यूँ हो, जाओ लालटेन की बत्ती बुझा दो और आकर सो जाओ 
माला- वो भैया मुझे आपसे कुछ कहना था 
मोहन – बोलो बहना क्या बोलना चाहती हो 
माला – भैया, जब से वो घटना हुई है मैं अच्छे से सो नही पाती हूँ, जब भी आँखे बंद करती हूँ वो मंजर मेरी बंद आखों के सामने घूम जाता है और डर के मारे मेरी आँखे खुल जाती है, पिछले दो दिनों से मैं अच्छे से नही सो पाई हूँ भैया
और ये कहकर माला धीरे धीरे सुबकने लगी और उसकी आँखों में आंसू की कुछ बुँदे छलक आई 

माला को इस तरह रोता देख मोहन का दिल पसीज गया
मोहन – तुम चिंता क्यों करती हो बहन, जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ, तुम्हे कुछ नही हो सकता,
माला – मैं जानती हूँ भैया कि आप हमेशा मेरा ख्याल रखेंगे, पर अब मुझसे अकेले नही सोया जाता, क्या मैं........क्या मैं आपके साथ सो जाऊ?????
माला की बात सुनकर मोहन का दिल जोरो से धडकने लगा, भले ही माला उसकी बहन हो पर थी तो एक जवान लडकी ही, और मोहन ने भी पिछले दो दिनों से मुठ नही मारी थी, तो उसके दिमाग में अनेक अजीब अजीब विचार आने लगे 

माला – भैया आप चुप क्यों हो, क्या मैं आपके साथ सो जाऊ, मुझे निचे अकेले सोते हुए डर लगता है अब 
माला ने ये बात इतने भोलेपन से की कि मोहन बाकि सब कुछ भूल गया और बोला – आओ मेरी प्यारी गुडिया, मेरे साथ सो जाओ, आओ 

माला खुशी के मारे तुरन्त जाकर मोहन के साथ उसकी कम्बल में ही लेट गयी, पर आज की रात क्या होने वाला था इसकी भनक उन दोनों भाई बहनों को बिलकुल भी नही थी 
माला और मोहन एक साथ सो तो गये पर चारपाई इतनी छोटी थी कि दोनों सीधे होकर नही लेट पा रहे थे, और उपर से माला के जिस्म से बार बार रगड खाने से मोहन के सरीर में एक अजीब से लहर उठ रही थी जिसकी वजह से उसके सोये लंड में अब थोड़ी थोड़ी हरकत भी होने लगी थी, 

काफी देर तक दोनों भाई बहन एक करवट लिए ही सोते रहे पर अब उनका शरीर दुखने लगा था, जब और बर्दास्त करना मुश्किल हो गया तो हारकर माला ही बोली 
माला – भैया, इस तरह से तो लेटने में भुत तकलीफ हो रही है मुझे, क्या मैं ....क्या मैं आपके उपर आकर लेट जाऊ?????
माला ने कह तो दिया पर उसे भी नही पता था कि उसके इस तरह कहने का मोहन पर क्या असर पड़ेगा खासकर मोहन के लंड पर, क्यूंकि अब मोहन का लंड एक झटके में पूरी तरह तनकर उसकी पेंट फाड़ने को तैयार खड़ा था, मोहन की सिट्टी पिट्टी गुल हो चुकी थी ये सुनकर 
मोहन – पर वो............वो मैं.....
माला – आने दो न भैया , इस तरह सोने से तो मेरा पूरा बदन दर्द करने लगा है, और मैं कोई इतनी भी भारी नही हूँ 
माला ने आज कुछ और ही सोच रखा था और वो बस किसी तरह अपने भाई के सामीप्य का सुख लेना चाहती थी , हारकर मोहन भी कांपते होटों से बोला - ठीक है, माला, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी 

माला तो अनुमति मिलते ही फुदक कर मोहन के शरीर के उपर आकर लेट गयी, पर जैसे ही वो मोहन के जिस्म के उपर पेट के बल लेटी अगले ही पल उसकी आँखे आश्चर्य के मारे फ़ैल गयी, क्यूंकि उसकी सलवार के उपर मोहन का खड़ा हुआ लंड बुरी तरह से धंसने की कोशिश कर रहा था, 

माला के जिस्म में तो एक तेज़ सरसराहट दौड़ गयी, और साथ ही मोहन भी अजीब से सुख की अनुभूति कर रहा था, तभी अचानक ना जाने माला को क्या सुझा और उसने एक झटके में मोहन के होटो पर अपने होठ सटा दिए पर अगले ही पल वापस भी पीछे खीच लिए, 
मोहन तो समझ ही नही पाया कि क्या हुआ, पर इतना साफ था कि उसे ये बहुत ही ज्यादा पसंद आया, इधर माला को लगा कि शायद उसने जल्दबाजी कर दी कहीं भैया बुरा मान गये तो, और इसीलिए माला ने अपना मुंह घुमाया और मोहन के बदन से निचे उतरने लगी कि तभी अचानक मोहन ने उसे पकड़कर वापस अपने शारीर पर खीच लिया और अगले ही पल उसने ज़ोरदार तरीके से माला के होठों को अपने होटों के कब्ज़े में ले लिए और उन फूलों का रसपान करने लगा,
थोड़ी देर बाद जब वो अलग हुए तो माला बोली – भैया मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ आप भी मुझे अपना प्यार दिखा दीजिये ना 
मोहन – मैं भी तुमसे बहुत बहुत प्यार करता हूँ मेरी गुडिया रानी 
ये कहकर मोहन ने माला को पलट कर खुद उसके उपर लेट गया 
माला अब कोई बात करके समय नही गवाना चाहती थी….वो फिर से मोहन के होंठो को चूसने लगी. इस बार उसने कुछ देर मोहन होंठो को चूसने के बाद, अपने होंठो को अलग कर दिया….और मोहन के सर को अपनी गर्दन पर झुकाते हुए बोली.

माला: भैया मुझे प्यार करो ना…मुझे किस करो. मेरे बदन के हर हिस्से को चुमो, चाटो….खा जाओ मुझे….

मोहन जैसे ही माला के ऊपर आया…माला ने अपनी टाँगे खोल ली, जिससे मोहन की टाँगें उसकी जाँघो के दरमियाँ आ गई…और उसका तना हुआ लंड उसके पेंट में से माला की सलवार के ऊपर से उसकी चूत से जा टकराया..

"आह भैयाआआआ उंह “ माला अपनी सलवार के ऊपर से ही मोहन के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए सिसक उठी….

उसने अपनी टाँगो को कैंची की तरह मोहन की कमर पर लपेट लिया…मोहन ने भी उसके मम्मो को मसलते हुए अपने होंठो को उसकी सुरहीदार गर्दन पर लगा दिया….और उसके गर्दन को चाटने लगा…..माला मस्ती में फिर से सिसक उठी, उसने मोहन के सर के इर्द गिर्द घेरा बना कर उससे अपने से और चिपका लिया….

माला- ओह्ह्ह भैया हां खा जा मुझे आज पूरा का पूरा आहह…सीईइ भैया आज मेरी आग को बुझा दो भैयाआआआ….

मोहन भी अब पूरी तरह मस्त होकर उसकी चुचियों को मसलते हुए, उसके गर्दन को चूम रहा था….और माला उसके सर को सहला रही थी…और बार बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा कर अपनी चूत को सलवार के ऊपर से ही, मोहन के लंड पर दबा रही थी….

"ओह्ह्ह भैया आहह और ज़ोर से दबाओ ना मेरे मम्मे अह्ह्ह अह्ह्ह्ह…" माला सिसकी
फिर मोहन उसकी गर्दन को चूमता हुआ नीचे की ओर आने लगा….और उसके कुरती से बाहर झाँक रहे मम्मो के ऊपरी हिस्से को अपने होंठो में भर कर चूसने के कोशिश करने लगा…

"आह हां चुस्ससो अह्ह्ह्ह भैया आह” ये कहते हुए, माला ने अपने हाथो को मोहन के सर से हटाया, और फिर अपने दोनो हाथों को नीचे ले जाकार अपनी कुरती को पकड़ कर ऊपर करने लगी….ये देख मोहन जो कि अपना सारा वजन माला के ऊपर डाले लेटा हुआ था, वो अपने घुटनो के बल माला के जाँघो के बीच में बैठ गया….


माला ने अपनी कुरती को पकड़ कर ऊपर करते हुए उतार दिया….और फिर चारपाई पर बैठते हुए अपनी पुरानी सी ब्रा के हुक्स खोल कर उसे भी जिस्म से अलग कर दिया….ब्रा को अपने बदन से अलग करने के बाद, उसने मोहन की ओर देखा, जो उसकी छोटी चपटी अधपकी चुचियों को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था.

" ये आपको बहुत पसन्द है ना ?" माला ने मुस्कुराते हुए मोहन की ओर देखकर कहा, मोहन ने भी हां में सर हिला दिया

मोहन का लंड अब पूरी तरह तन गया था…जो अब सीधा माला की चूत की फांको के ठीक ऊपर था…..मोहन ने भी तुंरत अपने लंड को अपनी पेंट की कैद से आजाद कर दिया 

माला ने फिर से मोहन को बाहों में भरते हुए, उसके सर को अपनी चुचियों पर दबा दिया…

"आह भैया चूसो ईससी अहह” मोहन भी पागलो की तरह माला की चुचियों पर टूट पड़ा….और उसकी एक चुचि को मुँह में भर कर उसके अंगूर के दाने के साइज़ के निप्पल को अपनी ज़ुबान से दबा -2 कर चूसने लगा…. माला ने उसके सर को फिर से सहलाना शुरू कर दिया…..

माला: आह चुस्स्स्स लो आह भैया खा जा मेरे मम्मो को अहह उंह सीईईईई आह हाईए मा ओह हां चुस्स्स्स्स भैया और ज़ोर ज़ोर सी से चूसो

माला की आवाज़ में अब मदहोशी साफ झलक रही थी….उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था…उसके गाल लाल होकर दिखने लगे…फिर माला को अपनी चूत की फांको पर मोहन के लंड का गरम सुपडा रगड़ ख़ाता हुआ महसूस हुआ. माला एक दम से सिसक उठी, उसने मोहन के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया, उसका निपल खींचता हुआ मोहन के मुँह से पक की आवाज़ से बाहर आ गया….

माला: (मस्ती में सिसकते हुए) हाय कितने जालिम हो आप….

माला की आँखें अब वासना के नशे में डूबती हुई बंद हुई जा रही थी, उसने अपनी नशीली अध खुली आँखों से एक बार मोहन की तरफ देखा, फिर उसके होंठो से अपने होंठ सटा दिए, मोहन ने भी माला के नीचे वाले होंठ को अपने होंठो में दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया….
उंह अहह उंघह" माला घुटि आवाज़ में सिसक रही थी….

उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकार मोहन के लंड पर रखा, और उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया, मोहन के बदन में तेज सरसराहट दौड़ गई, माला ने अपने होंठो को मोहन के होंठो से अलग किया और अपनी टाँगो को फेला कर घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा लिया, मोहन तो जैसे इस पल का इंतजार में था….वो अपने घुटनो के बल माला की जाँघो के बीच में आ गया, और एक झटके में उसकी वो फटी सी सलवार निकल कर फ़ेंक दी और फिर जैसे ही उसकी नज़र माला की फूली हुई चूत पर पड़ी, उसका लंड फिर से झटके खाने लगा, जो उस वक़्त माला के हाथ में था, माला मोहन के लंड की फुलति नसों को अपने हाथ में सॉफ महसूस कर रही थी…..

उसने मोहन के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो मोहन के लंड का सुपडा उसकी चूत की फांको को फेलाता हुआ, छेद पर जा लगा, माला की कुँवारी चूत की फाँकें मोहन के लंड के सुपाडे के चारो तरफ फैेलाते हुए कस गई, अपनी चूत के छेद पर मोहन के लंड का गरम सुपडा महसूस करते ही उसके बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कोंध गई हो, उसका पूरा बदन थरथरा गया….

माला की चूत उसकी चूत से निकल रहे कामरस से एक दम गीली हो चुकी थी, माला ने अपनी आँखो को बड़ी मुस्किल से खोल कर मोहन की तरफ देखा, और फिर काँपती आवाज़ में बोली…

माला: भैया धीरे-धीरे ही अंदर करना, मैं ये सब पहली बार कर रही हूँ, इसलिए मुझे दर्द होगा, पर आप चिंता मत करना , चाहे मुझे कितना भी दर्द हो, आप अपना लंड मेरी फुद्दि में पूरा घुसाना

अब मोहन ने धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को माला की चूत के छेद पर दोबारा दबाना शुरू किया, जैसे ही उसके लंड का सुपडा माला की गीली चूत के छेद में थोड़ा सा घुसा, माला एक दम सिसक उठी, मोहन के लंड का सुपाडा माला की चूत की सील पर जाकर अटक गया, मोहन भी इस रुकावट को सॉफ महसूस कर पा रहा था….

माला की चूत की झिल्ली, मोहन के लंड के सुपाड़े से बुरी तरह अंदर को खिच गई, जिसके कारण माला के बदन में दर्द की एक तेज लहर दौड़ गई, उसके चेहरे पर उसके दर्द का साफ पता चल रहा था

मोहन: क्या हुआ बहन ? ज्यादा दर्द हो रहा है क्या ?

माला: आहह हां भैया…दर्द हो रहा है…..


मोहन: बाहर निकाल लूँ…..

माला: नही भैया बाहर मत निकालना….ये दर्द तो हर लड़की को जिंदगी में एक ना एक बार तो सहन करना ही पड़ता है….भैया आप बस ज़ोर से घस्सा मारो….और एक ही बार मे मेरी फुद्दी फाड़ दो

मोहन: अगर तुम्हे दर्द हुआ तो ?

माला: मैं सह लूँगी……आप मारो न धक्का

मोहन ने अपनी पूरी ताक़त अपनी गान्ड में जमा की, और अपने आप को अगला शाट मारने के लिए तैयार करने लगा, माला ने अपने दोनो हाथों से मोहन के बाजुओं को कस के पकड़ लिया, और अपनी टाँगों को पूरा फैला लिया..

माला - भैया…भैया फाड़ दो अब…..

मोहन ने कुछ पलो के लिए माला के चेहरे की तरफ देखा, जो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, उसने अपने होंठो को दांतो में दबा रखा था. जैसे वो अपने आप को उस दर्द के लिए तैयार कर रही हो, उसके माथे पर पसीने के बूंदे उभर आई थी, मोहन ने एक गहरी साँस ली, और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोर दार धक्का मारा



मोहन के लंड का सुपाडा माला की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया, मोहन का आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार मे अंदर जा चुका था…

" हाए मम्मी मर गई हाईए अहह भैयाआआआ बहुत दर्द हो रहा है….” माला छटपटाते हुए, अपने सर को इधर उधर पटक रही थी, उसे अपनी चूत में दर्द की तेज लहर दौड़ती हुई महसूस हो रही थी….

माला के इस तरह से दर्द के कारण बिलबिलाने से मोहन भी घबरा गया, उसने माला की ओर देखा, उसकी बंद आँखो से आँसू बह कर उसके गालो पर आ रहे थे

"बहन मैं बाहर निकाल लेता हूँ" मोहन ने माला की ओर देखते हुए कहा….

माला: (अपनी आँखो को खोलते हुए) नही नही भैया बाहर मत निकालना…पूरा अंदर कर दो….मेरी फिकर मत करो…..

मोहन: पर बहन…

माला: मैंने कहा ना मेरी परवाह मत करो….आप अपना लंड पूरा मेरी फुद्दि में डाल दो…..

मोहन ने अपने लंड की तरफ देखा, जो माला की टाइट चूत के छेद में घुस कर फँसा हुआ था, और फिर उसने एक बार फिर से पूरी ताक़त के साथ झटका मारा, इस बार उसके लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारो को फैलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा
"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह भैयाऽऽऽऽऽऽऽ…..भैयाऽऽऽऽऽऽऽ… भैया…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ…भैया…….." माला ने दर्द से छटपटाते हुए अपने हाथों से मोहन के बाजुओ को इतनी कस के पकड़ा कि उसके नाख़ून मोहन के बाजुओ में गढ़ने लगे, मोहन को अपने लंड के इर्द गिर्द माला की टाइट चूत की दीवारे कसी हुई महसूस हो रही थी, उसके लंड में तेज गुदगुदी सी होने लगी, 

दोनो थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, मोहन अब धक्के लगाने को उतावला हो रहा था, पर माला ने उसकी कमर में अपनी टाँगो को लपेट रखा था, जिसकी वजह से मोहन हिल भी नही पा रहा था, कुछ लम्हे दोनो यूँ ही लेटे रहे, फिर धीरे-धीरे माला का दर्द कुछ कम होने लगा, और उसे अपनी चूत में अजीब सी सरसराहट होने लगी, अब उसे मज़ा आने लगा था, और उसने अपनी टाँगो को जो कि उसने मोहन की कमर पर कस रखी थी, को ढीला कर दिया, जैसे ही मोहन की कमर पर माला की टाँगों की पकड़ ढीली हुई, मोहन ने अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में माला की चूत से बाहर खींचा, और फिर से एक झटके के साथ माला की चूत में पेल दिया, 
धक्का इतना जबरदस्त था कि माला का पूरा बदन हिल गया
"आह शीईइ भैया उंह धीरे उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह हँ ओहहहहहहह हमममम"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह भैयाऽऽऽऽऽऽऽ…..भैयाऽऽऽ" माला ने फिर से अपने पैरो को मोहन के चुतड़ों के ऊपर रख कर उसे अपनी तरफ दबा लिया

जब उसे अपनी चूत की दीवार पर मोहन के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो एक दम से मस्त हो गई, फिर थोड़ी देर रुकने के बाद माला ने मोहन को धीरे से कहा

"भैया अब धीरे से बाहर निकालो…मुझे कुछ देखना है" ये कहते हुए उसने फिर से अपने पैरो की पकड़ ढीली की और मोहन ने घुटनो के बल बैठते हुए धीरे-2 अपने लंड को बाहर निकालना शुरू किया, फिर से वही मज़े की लहर माला के रोम-रोम में दौड़ गई, उसे मोहन के लंड का सुपाडा अपनी चूत के दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था

"ओह्ह भैया मेरी फुद्दि आह आह बहुत मज़ा आ रहा है..ओह्ह उम्ह्ह." माला बोली

मोहन ने जैसे ही अपना लंड माला की चूत से बाहर निकाला, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड खून और माला के चूत से निकल रहे कामरस से सना हुआ था
फिर माला ने अपनी बाहों को खोल कर मोहन को आने का इशारा किया
मोहन उसके ऊपर झुक गया, माला ने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके आँखो में झाँकते हुए बोली "मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ भैया" और फिर दोनो के होंठ फिर से आपस में गुथम गुत्था हो गए, फिर से वही उम्ह्ह आहह उन्घ्ह की आवाज़े उनके मुँह से आने लगी

मोहन का लंड अब उसकी चूत की फांको पर रगड़ खा रहा था, मोहन भी मस्ती में उसके होंठो को चूस्ता हुआ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से भिचते हुए उसकी चुचियों को दबा रहा था, माला की चूत में कुलबुली सी होने लगी, वो नीचे से अपनी गान्ड को हिलाते हुए मोहन के लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने की कोशिश कर रही थी

थोड़ी देर के बाद अचानक से मोहन के लंड का सुपाडा माला की चूत के छेद पर अपने आप जा लगा, माला का पूरा बदन एक दम से थरथरा गया, उसने अपने होंठो को मोहन के होंठो से अलग किया और फिर मोहन की आँखो में देखते हुए मुस्कुराने लगी,फिर उसने अपने आँखे शरमा कर बंद कर ली, उसके होंठो पर मुस्कान फेली हुई थी….

मोहन ने भी बिना देर किए, धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को माला की चूत के छेद पर दबाना शुरू कर दिया….

"उंह भैया सीईईईई अहह बहुत माजा आ रहा है….." माला बोली

मोहन के लंड का सुपाडा माला की चूत के छेद और दीवारो को फेलाकर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बढ़ने लगा, माला के बदन में मस्ती के लहरे उमड़ रही थी, उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारे मोहन के लंड को अपने अंदर कस कर निचोड़ रही थी


धीरे-2 मोहन का पूरा लंड माला की चूत में समा गया, माला ने सिसकते हुए मोहन को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी टी-शर्ट ऊपर उठा कर उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगी

"आह भैया करो ना उंह आ सीईईई आह भैया मुझे बहुत मज़ा आ रहा है….”

मोहन ने माला के फेस को अपनी तरफ घुमाया, और फिर अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया, माला ने अपने होंठो को खोल दिया, मोहन ने थोड़ी देर माला के होंठो को चूसा, और फिर अपने होंठो को हटाते हुए, उसकी जाँघो के बीच में घुटनो के बल बैठते हुए, अपनी पोज़िशन सेट की, और अपने लंड को धीरे-2 आगे पीछे करने लगा
मोहन के लंड के सुपाडे को माला अपनी चूत की दीवारो पर महसूस करके एक दम मस्त हो गई, और अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेने लगी

"अह्ह्ह्ह भैया हाईए मेरे फुद्दि आह मारो और ज़ोर से मार आह फाड़ दो अह्ह्ह्ह ऑश”

धीरे-2 मोहन अपने धक्कों की रफतार को बढ़ाने लगा, पूरे रूम में माला की सिसकारियो और चारपाई के हिलने से चर-2 की आवाज़ गूंजने लगी, माला पूरी तरह मस्त हो चुकी थी, माला की चूत उसके काम रस से भीग चुकी थी, जिससे मोहन का लंड चिकना होकर माला की चूत के अंदर बाहर होने लगा था, माला भी अपनी गान्ड को धीरे-2 ऊपर की ओर उछाल कर चुदवा रही थी….

"हाई ओईए अहह मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह भैया बहुत मज़ा आ रहा है.आह चोदो मुझे अह्ह्ह्ह और तेज करो सही…मैं झड़ने वाली हूँ आह उहह उहह उंघह ह भैया ममैं गाईए अहह…." माला धीरे धीरे आहे भर रही थी

मोहन के जबरदस्त धक्को ने कुछ ही मिनट में माला की चूत को पानी -2 कर दिया था, उसका पूरा बदन रह-2 कर झटके खा रहा था, मोहन अभी भी लगातार अपने लंड को बाहर निकाल-2 कर माला की चूत में पेल रहा था, माला झड़ने के बाद एक दम मस्त हो गई थी, उसकी चूत से इतना पानी निकाला था कि, मोहन का लंड पूरा गीला हो गया था

अब माला अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी थी,और लंबी -2 साँसे ले रही थी, माला ने अपनी आँखें खोल कर मोहन की तरफ देखा, जो पसीने से तरबतर हो चुका था, और अभी भी तेज़ी से धक्के लगा रहा था,अब रूम में सिर्फ़ चारपाई के चर्मार्ने से चू-2 की आवाज़ आ रही थी….जैसे -2 मोहन झटके मारता, चारपाई हिलता हुआ हल्की हल्की चू-2 की आवाज़ करता, माला चारपाई के हिलने की आवाज़ सुन कर शरमा गई, और अपने फेस को साइड में घुमा कर मुस्कराने लगी…

मोहन: (अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए) क्या हुआ…?

माला: (मुस्कुराते हुए) कुछ नही…..

मोहन: फिर मेरी तरफ देखो ना…

माला: नही मुझे शरम आती है…..
मोहन ने अपने दोनो हाथों से माला के चेहरे को अपनी तरफ घुमाया, पर माला ने पहले ही अपनी आँखे बंद कर ली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान फेली हुई थी, मोहन ने माला के होंठो को अपने होंठो में लेकर चुसते हुए अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर कुछ ही पलो में उसके लड में तेज सुरसुरी हुई, उसका लंड माला की चूत में झटके खाने लगा, और फिर वो माला के ऊपर निढाल हो कर गिर पडा, माला और मोहन दोनों एक साथ झड़ कर शांत हो चुके थे, 
दोनों के चेहरे पर सम्पूर्ण संतुस्ती के भाव थे और फिर दोनों ही एक दुसरे की बाँहों में आकर सो गये 

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