मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ - 5 - नीरज-रोमा

हाय दोस्तो.. क्या यार, कहानी में इतने खोए हुए हो.. मुझे याद भी नहीं करते.. अरे मेरी बात जाने दो.. नीरज को तो याद कर लो.. उसका क्या हाल है.. चलो देख लेते हैं। राधे को बाथरूम में लंड हिलाते रहने दो.. हम वापस पीछे चलते हैं.. जब नीरज ने रोमा को घर ड्रॉप किया था।
रोमा को ड्रॉप करने के बाद नीरज बहुत खुश था। करीब 15 मिनट बाद ही उसने रोमा को कॉल कर दिया।
नीरज- हैलो..!
रोमा- हाय.. अरे अभी तो मुझे छोड़ कर गए हो.. क्या हुआ जनाब.. क्या भूल गए?
नीरज- भूला कुछ नहीं हूँ.. तुम्हें थैंक्स बोलना चाहता हूँ और एक जरूरी बात भी करनी है।
रोमा- अरे किस बात का थैंक्स.. मैंने तो बस आपको सच बताया है और जरूरी बात क्या है?
नीरज- क्या शाम को मुझसे मिल सकती हो.. प्लीज़ गलत मत समझना.. तुमसे कोई जरूरी बात करनी है।
रोमा- क्या बात है.. फ़ोन पर बता दो ना.. शाम को मेरा आना जरा मुश्किल है।
नीरज- कोई बात नहीं.. फिर जब तुम मिलोगी.. तब बता दूँगा।
रोमा के मन में हलचल पैदा हो गई आख़िर क्या बात होगी।
रोमा- अच्छा ठीक है.. ऐसा करती हूँ.. कल आप 10 बजे स्कूल से थोड़ा दूर जो पीसीओ है ना.. वहाँ आ जाना.. मैं वहीं मिलने आ जाऊँगी।
नीरज- लेकिन उस टाइम तो तुम स्कूल में रहोगी ना?
रोमा- नहीं.. कल मैं स्कूल नहीं जाऊँगी.. मेरे मौसाजी के यहाँ उनकी बेटी की सगाई है.. हम सब वहाँ जाएँगे.. तो रास्ते में वहीं आपसे मिल लूँगी।
नीरज- ओके.. तो मैं पक्का वहाँ आ जाऊँगा।
सुबह नीरज समय पर वहाँ पहुँच गया और रोमा का इन्तजार करने लगा। थोड़ी ही देर में सामने से उसे रोमा आती हुई दिखाई दी।
रोमा ने हरे रंग का शॉर्ट स्कर्ट और सफ़ेद टॉप पहना हुआ था। उसकी चाल के साथ उसके मम्मे भी थिरक कर कत्थक कर रहे थे और उसकी गाण्ड ऐसे मटक रही थी.. जैसे कोई तराजू हो.. कभी ये पलड़ा ऊपर.. कभी वो पलड़ा ऊपर..
रोमा मुस्कुराती हुई नीरज के पास आ गई।
रोमा- हाय.. कैसे हो आप?
नीरज- बिल्कुल भी अच्छा नहीं हूँ।
रोमा- क्यों क्या हुआ.. प्लीज़ बताओ ना..
नीरज- यहीं सुनोगी क्या.. रास्ते में खड़ी होकर?

रोमा- ओके कहीं और चलते हैं चलो..
दोनों गाड़ी में बैठ गए। नीरज बस अपने झूठे प्यार को लेकर इधर-उधर की बातें करने लगा और रोमा चुपचाप उसकी बातों को गौर से सुन रही थी, उसका दिल भर आया था।
गाड़ी बस चली जा रही थी.. कोई 20 मिनट बाद गाड़ी एक बिल्डिंग के पास जाकर रुकी..
रोमा- ये हम कहाँ आ गए..
नीरज- ये मेरे चाचा की बिल्डिंग है.. ऊपर का फ्लैट हमारा है.. चलो वहाँ चलकर आराम से बातें करेंगे।
दोस्तो, दरअसल नीरज ने ये सब झूठ कहा था.. ये तो आप जानते हो.. मगर आपको बता दूँ कि नीरज ने किसी तरह एक दलाल को पैसे देकर ये फ्लैट कुछ दिनों के लिए ले लिया था.. ताकि रोमा को आराम से यहाँ लाकर उसकी चूत का मज़ा ले सके।
रोमा नीरज के पीछे-पीछे चलने लगी.. जब दोनों फ्लैट में गए.. तो रोमा थोड़ी घबरा गई।
उसने सोचा अन्दर कोई होगा.. मगर वहाँ उन दोनों के सिवा कोई नहीं था।
रोमा- नीरज जी आपके सिवा यहाँ कोई नहीं रहता क्या..
नीरज- मैंने बताया था ना.. हम दिल्ली में रहते हैं यहाँ बस काम के सिलसिले में आना होता है।
रोमा- अच्छा वो बात क्या थी.. जो आप बताना चाहते थे?
नीरज- अरे बता दूँगा.. इतनी जल्दी भी क्या है.. आई हो तो घर तो देखो.. क्या लोगी तुम.. ठंडा या गर्म?
रोमा- अरे नहीं.. मुझे कुछ नहीं चाहिए वैसे भी बहुत लेट हो गई हूँ.. अब मुझे चलना चाहिए।
नीरज- इतनी जल्दी क्या है.. लगता है तुम घबरा रही हो.. रोमा डरो मत.. मैं कोई ऐसा-वैसा इंसान नहीं हूँ.. अगर मुझ पर भरोसा ही नहीं है.. तो वो बात बताने का कोई फायदा नहीं.. चलो तुम्हें घर छोड़ आता हूँ।
रोमा- अरे नहीं नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.. आपसे मैं क्यों डरूँगी.. प्लीज़ सॉरी.. कहो ना ऐसी क्या बात है.. जो आप बताना चाहते हो।
नीरज के चेहरे पर ज़हरीली मुस्कान आ गई.. क्योंकि चिड़िया दाना चुगने लगी थी और अब जल्दी ही जाल में फँस जाएगी।
नीरज ने मौके का फायदा उठाया और फ़ौरन जाल फेंक दिया यानि कि वो अपने घुटनों पर बैठ गया और रोमा का हाथ अपने हाथ में लेकर उसको ‘आई लव यू..’ बोल दिया।
रोमा मन ही मन नीरज को पसंद करने लगी थी और आज उसके सामने नीरज ने अपने प्यार का इज़हार कर दिया.. वो बेचारी ख़ुशी से फूली ना समाई.. उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसने नीरज का हाथ पकड़ कर उसको उठा लिया और ख़ुशी से उसके सीने से लिपट गई।
रोमा- आई लव यू टू नीरज.. मुझे आपसे ज़्यादा प्यार करने वाला इस दुनिया में और कहाँ मिलेगा..
रोमा बस ख़ुशी से नीरज से लिपटी हुई थी.. उसके नुकीले मम्मे नीरज के सीने में धँस गए थे.. जिसके कारण नीरज का लौड़ा ‘धिंक चिका.. धिंक चिका..’ करने लगा था।
नीरज के हाथ रोमा की पीठ पर घूमने लगे थे।
रोमा के बदन में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी.. तो वो नीरज से अलग हो गई। अब उसको शर्म आने लगी थी।
नीरज- अरे क्या हुआ रोमा.. अच्छा नहीं लगा क्या?
रोमा- ऐसी बात नहीं है.. मुझे जाना होगा वरना घर पर गड़बड़ हो जाएगी।
नीरज- ठीक है.. चलो मगर दोबारा कब मिलोगी और आज हमारा प्यार का दिन है.. तो कुछ ‘मीठा’ होना चाहिए ना..
रोमा- मैं कुछ समझी नहीं.. क्या ‘मीठा’ होना चाहिए?
नीरज ने रोमा के मुलायम होंठों पर अपनी उंगली घुमाई और बस उसकी आँखों में देखने लगा।
रोमा समझ गई.. नीरज क्या चाहता है और वो थोड़ी घबरा गई.. क्योंकि इतनी जल्दी कोई भी लड़की चुम्बन के लिए तैयार नहीं होती.. कुछ घबरा जाती है.. तो कुछ नाटक करती ही है। 
अब रोमा क्या कर रही थी ये भी पता चल जाएगा।
रोमा- न..न..नहीं नहीं.. इतनी जल्दी कुछ नहीं.. आप भी ना बस..
नीरज- अरे इसमें क्या है.. वो कहते हैं ना.. नए रिश्ते की शुरूआत कुछ मीठे से होनी चाहिए.. तो मैंने कहा बस.. कि कुछ मीठा हो जाए.. हम दोनों एक ही ‘डेरी-मिल्क’ आधी-आधी खाएँगे तो प्यार और मजबूत होगा।
रोमा- आप ‘डेरी-मिल्क’ की बात कर रहे हो.. मैं समझी..
इतना बोलकर रोमा चुप हो गई।
नीरज- हाँ और नहीं तो क्या.. तुम क्या समझी?
रोमा- कुछ नहीं.. अब चलो देर हो रही है।
नीरज- अरे बताओ ना यार.. क्या समझी तुम?
रोमा- कुछ नहीं.. अब चलो भी..
नीरज- हा हा हा.. जानता हूँ.. तुम शरमा रही हो.. अरे मेरी भोली रोमा.. तुम जो समझी.. वो तुम्हारी मर्ज़ी के बिना नहीं होगा.. वादा करता हूँ तुम अपने नीरज को जानती नहीं हो.. मैं मर जाऊँगा.. मगर तुम्हारे साथ कुछ ज़बरदस्ती नहीं करूँगा।
रोमा ने नीरज के होंठों पर हाथ रख दिया और गुस्से से देखते हुए बोली- प्लीज़ दोबारा मरने की बात मत करना।
नीरज- अच्छा नहीं करूँगा.. लेकिन तुम भी मेरा साथ किसी हाल में नहीं छोड़ोगी.. वादा करो..
रोमा ने वादा किया और दोनों वहाँ से निकल गए। नीरज ने अपनी पहली चाल में रोमा को फँसा लिया था। उससे दोबारा मिलने का वादा लेकर नीरज उसे घर के पास छोड़ आया।
चलो यहाँ तो कुछ नहीं हुआ.. अपने राधे के पास वापस चलते हैं।
जब राधे बाहर आया.. तो वो सिर्फ़ अंडरवियर में था.. मीरा सोई हुई थी.. उसकी मदमस्त उठी हुई गाण्ड देख कर राधे का लौड़ा तन गया।
राधे चुपचाप बिस्तर के पास गया अपना अंडरवियर निकाला और लौड़े को सहलाते हुए मुस्कुराने लगा..
मीरा अपनी मस्ती में सोई हुई थी और पैरों को हिला रही थी.. तभी राधे ने मीरा के चूतड़ों को पकड़ लिया और ज़ोर से दबा दिया।
मीरा- ऊईइ.. क्या करते हो.. दु:ख़्ता है.. ना..!
बोलने के साथ ही मीरा सीधी लेट गई और राधे को नंगा देख कर चौंक गई।
राधे- मेरी जान अभी कहा दु:ख़ता है.. जब यह तेरी गाण्ड में जाएगा तब बराबर दु:खेगा।
मीरा- तुम पागल हो गए हो क्या… कमरे का दरवाजा खुला है.. कोई आ गया तो?
राधे- अरे घर में कोई नहीं है कौन आएगा?
मीरा- अरे बाहर से कोई आ सकता है.. कम से कम मेन डोर तो बन्द कर आओ।
राधे- अब कौन आएगा इस समय पर.. तुम भी ना बना बनाया मूड खराब कर रही हो।
मीरा- तुमसे कौन जीतेगा.. आ जाओ मेरे आशिक.. जो करना है.. कर लो.. जब तक पापा नहीं आ जाते.. खुलकर मज़ा कर लो.. बाद में तो छुप-छुप कर ही करना होगा।
राधे- मेरी जान.. तेरी गाण्ड बड़ी मस्त है आज इसका भी उद्घाटन करवा लो..
मीरा- नहीं अभी नहीं.. मेरी चूत का दर्द ख़त्म हो जाने दो.. उसके बाद गाण्ड की बात करना.. लाओ पहले मुझे लंड चूसने दो.. कितना मस्त लग रहा है.. खड़ा हुआ..
राधे बिस्तर के पास जाकर खड़ा हो गया और मीरा पेट के बाल लेटी हुई लौड़े पर जीभ घुमाने लगी।
राधे ने मस्ती में आँखें बन्द कर लीं और मीरा पूरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.. तभी घर का मेन डोर खुला और ममता अन्दर आ गई।
वो सीधी इनके कमरे की तरफ़ आई और जब उसकी नज़र अन्दर पड़ी.. तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं.. उसके पैरों के नीचे से जैसे जमीन निकल गई हो।
ये दोनों तो अपनी मस्ती में खोए हुए थे और ममता ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया.. उसकी साँसें तेज़ चलने लगीं दरअसल वो इस तरह खड़ी थी कि राधे का लौड़ा उसे साफ-साफ मीरा के मुँह में अन्दर-बाहर होता हुआ दिखाई दे रहा था।
मीरा ने लौड़ा मुँह से निकाल कर उसे अपने हाथों में ले लिया।
मीरा- बस मेरे आशिक अब क्या मुँह में ही पानी निकालोगे.. मेरी चूत गीली हो गई है.. अब अपने इस शैतान को मेरी चूत में घुसा दो न..
राधे- मेरी जान अपने जिस्म को इस कपड़े से तो आज़ाद करो। 
मीरा जब बैठी तो उसकी नज़र ममता पर पड़ गई.. वो एकदम चौंक सी गई। उसकी नज़रें दरवाजे पर चिपक गईं और उसकी इस हरकत ने राधे को भी दरवाजे की तरफ़ देखने पर मजबूर कर दिया।
राधे ने जल्दी से पास पड़ी चादर अपने जिस्म पर लपेट ली।
मीरा- अम्म.. म..ममता तुम तो चली गई थी ना.. वापस क्यों आई?
ममता- बीबीजी, जाते वक़्त मुझे याद आया कि मैं अपना फ़ोन रसोई में भूल गई हूँ.. बस वही लेने आई थी.. मगर यहाँ तो नजारा ही अलग हो गया। आपकी बहन का लौड़ा देख कर तो मेरी आँखें चकरा गईं..
राधे- देखो ममता तुम अन्दर आओ और मैं मीरा की बहन नहीं.. पति हूँ.. प्लीज़ तुम किसी को कुछ मत बताना.. तुम्हें जो चाहिए.. हम दे देंगे.. जितने पैसे बोलोगी.. हम देंगे..
ममता- बीबी जी ना ना.. साहेब जी.. मैं गरीब जरूर हूँ.. बेईमान नहीं.. लालची नहीं हूँ.. मुझे बस आप इस उलझन से आज़ाद कर दो.. यह माजरा क्या है?
राधे और मीरा ने ममता को पास बिठाया और शुरू से अब तक की सारी बातें बता दीं।
ममता- साहेब जी.. आप दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी है.. मैं कभी किसी को कुछ नहीं बताऊँगी.. लेकिन..
मीरा- लेकिन क्या ममता?
ममता- बीबी जी आप बुरा मत मानना.. मैंने इतना बड़ा लौड़ा कभी सपने में भी नहीं देखा है.. मेरे पति का तो ना के बराबर है.. बस एक बार मैं साहेब जी का लौड़ा अपनी चूत में लेना चाहती हूँ.. मेरी प्यासी चूत की आग यही बुझा सकते हैं.. मेरी सूनी गोद को यही भर सकते हैं.. भगवान के लिए मुझे ये मौका दे दो.. मैं जीवन भर आपकी आभारी रहूंगी।
राधे- यह तुम क्या कह रही हो?
ममता- ना ना साहेब जी.. मैं आपको कोई धमकी नहीं दे रही.. बस प्रार्थना कर रही हूँ.. अगर आप ना भी करोगे.. तो भी मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी। मैंने इस घर का नमक खाया है.. अब नमकहरामी नहीं करूँगी..
मीरा- देखो ममता.. वैसे तो दुनिया की कोई भी औरत अपने पति को दूसरी औरत के पास नहीं जाने देगी.. मगर तुम्हारे ऊपर बड़ा ज़ुल्म हुआ है और मैं खुद यही चाहती हूँ कि राधे तुम्हें बच्चा दे।
राधे- यह क्या बोल रही हो तुम मीरा.. बच्चा देना कोई मजाक है क्या?
मीरा- हाँ पता है.. आसान नहीं है.. मगर भगवान चाहे तो एक बार में ही बच्चा पेट में पड़ जाता है.. नहीं तो महीनों मेहनत करनी पड़ती है बच्चे के लिए..
राधे- हाँ तो ये बात तुम सोचो.. कैसे होगा ये?
मीरा- अरे मेरे आशिक.. बहुत आसान है.. सुबह जब मैं स्कूल चली जाऊँगी.. तो तुम और ममता अकेले रहोगे.. बस कोशिश करते रहना.. कभी ना कभी तो कामयाब हो जाओगे।
ममता इन दोनों की बातें सुनकर मन ही मन खुश हो रही थी.. उसकी चूत गीली होने लगी थी।
राधे- दिन में पापा रहेंगे ना.. कैसे होगा सब?
मीरा- अरे मेरे भोले आशिक… जब मैं स्कूल चली जाऊँगी और पापा अपने काम से बाहर होंगे.. तब तुम आराम से ममता के साथ कर सकते हो और अभी तो पापा को आने में दो दिन लगेंगे.. तब तक तो बिना किसी डर के कर सकते हो ना..
ममता- बीबी जी आप बहुत अच्छी हो भगवान आपका भला करेगा.. अभी तो मैं जाती हूँ.. आप मज़ा करो। कल आप स्कूल चली जाओगी.. तब मैं साहेब जी के साथ हो जाऊँगी।
मीरा- कल क्यों.. आज ही कर लो.. थोड़ा मज़ा ले लो..
मीरा की बात से ममता शर्मा गई।
ममता- नहीं बीबी जी.. आज नहीं.. आज आप मज़ा लो.. मैं कल अच्छे से नहा- धो कर आऊँगी।
मीरा- ओये होए.. ममता क्या बात है.. नहा कर आओगी या साफ-सफ़ाई करके आओगी.. हाँ..
ममता- बीबी जी आप बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी बोल देती हो..
मीरा- हा हा हा.. अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात है.. जब इतना बड़ा लौड़ा चूत में जाएगा.. तो शर्म अपने आप बाहर आ जाएगी.. तुम छूकर तो देखो.. तुम्हें भी पता चल जाएगा।
इतना कह कर मीरा ने राधे का कपड़ा हटा दिया और उसका आधा खड़ा लौड़ा ममता के सामने आ गया।
राधे- अरे मीरा, ये क्या है?
मीरा- अब तुम ज़्यादा भोले मत बनो मेरे सामने तो बड़ी डींगें हांकते हो.. अब ममता से क्यों शर्मा रहे हो.. कर दो बेचारी की गोद हरी-भरी।
ममता तो बस टकटकी लगाए राधे के लौड़े को निहार रही थी, तभी मीरा ने ममता का हाथ पकड़ कर लौड़े पर रख दिया।
मीरा- मेरे सामने तुम शर्मा रही हो.. लो मैं पापा के कमरे में जा रही हूँ.. थोड़ा मज़ा तुम दोनों भी कर लो।
मीरा के जाने के बाद ममता धीरे-धीरे लौड़े को सहलाने लगी.. अब भी उसमें थोड़ी झिझक थी.. मगर ऐसा तगड़ा लौड़ा देख कर उसकी जीभ लपलपा रही थी।
राधे- ममता ऐसे शरमाओगी तो कैसे चलेगा.. ठीक से मज़ा लो ना..
ममता- साहेब जी, आप बहुत अच्छे हो आपका लौड़ा बहुत तगड़ा है.. हमारी मीरा के तो भाग खुल गए.. जो आपसे उसकी शादी हुई.. बस सारी जिंदगी उसको खुश रखना।

राधे- हाँ ममता.. जरूर खुश रखूँगा.. चलो अब बातें बन्द करो.. तुम्हारे मुलायम होंठों से मेरे लौड़े को सुकून दो।
ममता ने बड़ी ख़ुशी से लौड़े को चूमना शुरू किया और सुपाड़े को जीभ से चाटने लगी।
राधे को मज़ा आने लगा.. ममता का स्टाइल थोड़ा अलग था.. मीरा तो नई खिलाड़ी थी.. मगर ममता एक्सपर्ट की तरह लौड़े को चूसने लगी।
राधे का लौड़ा अपने पूरे आकार में आ गया। अब राधे ममता के सर को पकड़ कर झटके मारने लगा।
ममता ने अपने होंठ भींच लिए.. राधे को कुँवारी चूत के जैसा मज़ा आने लगा।
दस मिनट तक राधे ममता के मुँह को चोदता रहा।
राधे- बस ममता अब क्या मुँह से पानी निकालोगी.. अपनी चूत के दीदार भी करा दो..
ममता ने लौड़ा मुँह से निकाला और कहा- नहीं साहेब जी.. अपना जिस्म तो आपको कल ही दिखाऊँगी.. आज तो बस आपके लौड़े से निकला पानी ही पी लूँगी।
राधे ने हंस कर उसको कहा- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.. लो चूसो लौड़े को.. आज पानी पीलो.. कल चूत में डलवा लेना..
ममता ने दोबारा लौड़े को मुँह में भर लिया और मस्ती से चूसने लगी। अब वो कभी राधे की गोटियाँ चूस रही थी.. तो कभी सुपाड़े को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। ऐसी ज़बरदस्त चुसाई के आगे लौड़े की क्या मजाल.. जो पानी ना फेंके।
राधे ने ममता के सर को पकड़ लिया और स्पीड से चोदने लगा.. दो मिनट में उसके लौड़े ने वीर्य की धार ममता के गले में मारनी शुरू कर दी।
ममता ने जीभ से चाट-चाट कर पूरा लौड़ा साफ कर दिया.. आख़िरी बूँद तक लौड़े से निचोड़ कर वो पी गई..
राधे- आह्ह.. ममता.. मज़ा आ गया.. तूने तो मुँह से कुँवारी चूत का मज़ा दे दिया.. तुम बहुत सेक्सी हो यार..
ममता- साहेब जी.. कल देखना मेरी चूत भी कुँवारी ही है.. मेरा पति तो निकम्मा नामर्द है.. आपके जैसा असली मर्द कभी मिला ही नहीं.. कल आपको ऐसा मज़ा दूँगी कि आप याद रखोगे मुझे.. अब मैं चलती हूँ..
राधे- अरे ममता तुम कब से लौड़े को चूस रही हो.. तुम्हारी चूत भी तो गीली हो गई होगी.. ऐसे तड़पती ही घर जाओगी क्या..?
ममता- हाँ साहेब जी.. चूत में बड़ी आग लगी है.. आपके लौड़े को देख कर ही ये फड़फड़ाने लगी थी.. मगर आज नहीं.. इसे और तड़पने दो.. अब तो मैं कल ही इसको शांत करवाऊँगी..
राधे इसके आगे कुछ ना बोल सका और ममता ने राधे का शुक्रिया अदा किया और वहाँ से निकल गई।
ममता के जाने के बाद राधे जब मीरा के पास गया तो वो गहरी नींद में सो चुकी थी और ममता ने लौड़े को ठंडा कर दिया था.. तो राधे ने सोचा कि वो भी थोड़ा सो ले.. तो अच्छा रहेगा और बस वो वापस आकर कमरे में सो गया।
दोस्तो, उधर रोमा अपने रिश्तेदार के घर तो थी.. मगर उसका पूरा ध्यान बस नीरज पर ही था.. वो उसके बारे में ना जाने क्या-क्या सोच रही थी। उसका दिल नीरज से मिलने क लिए तड़प रहा था। शाम तक वो अपने घर वापस आ गई थी। उसने आकर कपड़े बदले और सीधा नीरज को फ़ोन लगा दिया।
नीरज- हाय रोमा.. कैसी हो..? क्या सगाई से वापस आ गईं?
रोमा- हाँ.. आ गई.. मगर वहाँ मज़ा नहीं आया.. बस आपके बारे में ही सोचती रही।
नीरज- अरे मेरी भोली रोमा.. मेरे बारे में सोच कर अपना मज़ा क्यों खराब किया.. अगर मेरी इतनी याद आ रही थी.. तो एक फ़ोन कर लेतीं।
रोमा- नहीं.. वहाँ से फ़ोन करना ठीक नहीं था और याद तो अभी भी आ रही है।
नीरज- अच्छा.. तो आ जाओ.. मैं हरदम तुमसे मिलने के लिए तैयार हूँ।
रोमा- इस वक़्त कैसे आऊँ.. घर से बाहर आने का.. कोई बहाना भी तो होना चाहिए ना।
नीरज- किसी फ्रेण्ड के घर जा रही हो.. ऐसा बोलकर आ जाओ ना.. यार मेरा भी बहुत मन है तुमसे मिलने का.. प्लीज़.. किसी भी तरह आ जाओ ना यार।
रोमा- किसी सहेली का नाम लेकर आऊँगी.. तो मॉम उसको बाद में पूछ सकती हैं.. और फिर मेरी शामत आ जाएगी.. क्योंकि मेरी मॉम बहुत गुस्से वाली हैं।
नीरज- अरे यार स्कूल में कितनी लड़कियां हैं.. तुम्हारी मॉम सबको तो नहीं जानती होंगी न।
रोमा- बात तो सही है मगर..
नीरज- अब ये ‘अगर-मगर’ करती रहोगी.. तो हो गई मोहब्बत.. यार थोड़ी देर के लिए कोई भी बहाना बना लो.. इसमें क्या है।
रोमा- ओक मैं ट्राइ करती हूँ.. आप वेट करो.. बाय।
रोमा अपनी माँ से डरती थी.. मगर ये प्यार होता ही ऐसा है कि कमजोर से कमजोर दिल की लड़की भी अपने आशिक के लिए बड़ा कदम उठा लेती है और बस रोमा ने भी वही किया। अपनी माँ को झूठ कह दिया कि कल एक्सट्रा क्लास है और टेस्ट भी है.. आज सगाई के कारण उसकी स्टडी भी नहीं हुई है.. तो अपनी फ्रेण्ड के यहाँ पढ़ने जा रही है.. एक घंटे में वापस आ जाएगी।
उसकी माँ ने कई सवालों के बाद उसको जाने की इजाज़त दे दी।
रोमा ने जल्दी से रेड टॉप और वाइट स्कर्ट पहना और कुछ बुक्स लेकर घर से निकल गई और साथ ही साथ नीरज को फ़ोन भी कर दिया कि सुबह जहाँ मिली थी.. वहाँ आ जाओ।
थोड़ी देर बाद रोमा वहाँ पहुँची तो नीरज पहले से वहाँ मौजूद था।
रोमा- वाऊ.. आप बहुत जल्दी आ गए.. क्या बात है।
नीरज- मुझे पता था.. तुम जरूर आओगी इसलिए उस समय बात होने के बाद ही मैं यहाँ आ गया था।
रोमा- ओह्ह.. आप बहुत स्मार्ट हो.. अब यहीं बात करोगे.. या चलोगे भी.. कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी।
दोनों गाड़ी में बैठ गए और गाड़ी चलने लगी।
रोमा- मॉम को झूठ बोलकर एक घंटे के लिए आई हूँ.. अब बोलो हम कहाँ चलें..?
नीरज- तुम बोलो कहाँ जाना पसन्द करोगी.. समुद्र किनारे या किसी मॉल में.. जो तुम कहो.. वहीं चलेंगे।
रोमा- नहीं नहीं.. मैं घूमने नहीं.. आपसे मिलने आई हूँ.. और ये सब जगह तो मैंने कई बार देखी हुई हैं और दूसरी बात कोई पहचान लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.. कोई ऐसी जगह चलते हैं.. जहाँ बस हम दोनों के अलावा कोई ना हो।
नीरज- ऐसी जगह तो मेरा फ्लैट ही है.. आराम से बैठकर बातें करेंगे.. वहाँ पर और कोई आएगा भी नहीं।
रोमा ने नीरज की बात सुनकर ‘हाँ’ में सर हिलाया और दोनों वहीं जा पहुँचे.. जहाँ पहले गए थे।
नीरज- सच रोमा.. अभी भी किस्मत पर यकीन नहीं आ रहा.. तुम जैसी अच्छी लड़की मेरी लाइफ में आ गई।
रोमा- यकीन दिलाने के लिए चींटी काटूँ क्या.. हा हा हा हा।
नीरज ने हँसते हुए रोमा को बाँहों में भर लिया।

अब दोनों एक-दूसरे को बाँहों में भरे हुए बस खड़े थे.. नीरज के हाथ रोमा की कमर पर घूम रहे थे और रोमा की साँसें तेज़ होने लगी थीं।
रोमा ने काँपते होंठों से धीरे से नीरज के कान में कहा- आई लव यू नीरज.. आज आप मुँह मीठा कर सकते हो।
बस इतना सुनना था कि नीरज ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।
अब तो बस नीरज होंठों को ऐसे चूसने लगा जैसे कभी दोबारा रोमा हाथ में नहीं आएगी। उसकी वासना जाग उठी और उसके हाथ रोमा के चूतड़ों पर चले गए, वो उनको दबाने लगा।
रोमा ने जब यह महसूस किया तो जल्दी से नीरज को धक्का देकर उससे अलग हो गई, उसकी साँसें तेज़ हो गई थीं।
नीरज- अरे क्या हुआ रोमा..?
रोमा- नहीं.. यह ग़लत है.. आपके हाथ कहाँ तक पहुँच गए थे.. हर बात की एक हद होती है।
नीरज- आई एम सॉरी रोमा.. मुझे नहीं पता था.. प्यार की भी कोई हद होती है.. मैं तो बस सच्चे दिल से तुम्हें प्यार कर रहा था.. आई एम सॉरी।
इतना कहकर नीरज मायूस सा होकर एक तरफ़ बैठ गया।
रोमा का दिल भर आया। उसको लगा शायद उसने नीरज को दु:ख पहुँचाया है.. वो नीरज के करीब आ गई।
रोमा- आई एम सॉरी नीरज.. मैं घबरा गई थी.. सॉरी.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. मैंने पहली बार ये सब किया.. तो समझ नहीं आया कि मुझे क्या कहना चाहिए।
नीरज- नहीं रोमा.. तुम जाओ.. ग़लती मेरी ही है.. जो मैं तुम्हारे प्यार में बहक गया था।
रोमा- प्लीज़ नीरज.. मुझे और शरमिंदा मत करो.. अब मैं कभी आपको किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी.. प्लीज़ मान जाओ ना।
नीरज मन ही मन मुस्कुरा रहा था.. अब चिड़िया जाल में फंसने लगी थी।
नीरज- नहीं रोमा.. तुम नहीं जानती.. ये प्यार ऐसा ही होता है.. आदमी कहाँ से कहाँ पहुँच जाता है.. तुम ये सब नहीं समझ पाओगी।
रोमा- मैं सब समझती हूँ.. प्लीज़ मान जाओ.. मुझे एक बार आजमा कर तो देखो.. अब मैं कुछ नहीं कहूँगी।
नीरज- ठीक है.. मान जाता हूँ.. एक बात कहूँ.. मैं तुम्हें खुल कर प्यार करना चाहता हूँ.. क्या तुम मुझे इजाज़त देती हो?
रोमा- हाँ मेरे प्यारे नीरज.. जैसे प्यार करना चाहते हो.. कर लो.. मैं नहीं रोकूंगी.. आ जाओ.. अपनी रोमा को जैसे चाहो आजमा लो..
लो दोस्तो, गई रोमा काम से.. नीरज ने जो जाल फेंका.. बेचारी फँस गई जाल में.. खुद चूत ऑफर कर रही है..
नीरज ने रोमा के कंधे पकड़ लिए और बस उसको देखता रहा.. उसकी आँखों में एक अजीब सा नशा था। रोमा ने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और बस नीरज की आँखों में देखने लगी।
नीरज ने रोमा को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले जाकर लेटा दिया। रोमा के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थीं।




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