मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ - 6 नीरज रोमा

अरे अरे ये क्या हो गया दोस्तो, सॉरी यह सीन आप बाद में देखना.. वहाँ ममता से थोड़ी गड़बड़ हो गई है.. चलो वहाँ चलते हैं।
शाम को मीरा और राधे बैठे हुए बातें कर रहे थे.. तभी डोर बेल बजी..
मीरा- ओह.. माँ.. कौन आया होगा.. राधे तुम अन्दर चले जाओ.. क्या पता कौन है?
राधे कमरे में चला गया और मीरा ने दरवाजा खोला तो सामने ममता का पति सरजू खड़ा था।
दोस्तों मैं आपको बताना भूल गई.. कभी-कभी सरजू यहाँ दिलीप जी से पैसे माँगने आ जाता था। हालाँकि दिलीप जी हमेशा उस पर गुस्सा करते रहते हैं कि वो दारू ना पिए.. मगर कहते हैं ना कुत्ते की दुम को 100 साल नली में रखो.. सीधी नहीं होती। यह सरजू भी वही कुत्ते की दुम है।
सरजू- नमस्ते मेमसाब।
मीरा- सरजू तुम यहाँ.. इस वक़्त क्यों आए हो… पापा घर में नहीं हैं.. जाओ यहाँ से..
सरजू- मेमसाब मैं आपसे ही मिलने आया हूँ.. वो ममता आज बड़ी खुश लग रही थी। मैंने पूछा तो कहने लगी मेमसाब उसको एक दवा लाकर देगी.. जिससे वो माँ बन जाएगी.. बस इसी लिए आपसे मिलने आया हूँ..
सरजू की बात सुनकर एक बार तो मीरा डर गई कि ये ममता ने क्या कर दिया। सरजू को बताने की क्या जरूरत थी..
मीरा- हाँ मैंने कहा था.. लेकिन तुम यहाँ क्यों आए हो?
सरजू- आपका शुक्रिया अदा करने आया हूँ मेमसाब.. बस जल्दी से वो दवा ला दो.. ताकि मैं बाप बन सकूँ। वैसे एक बात पूछू.. आप बुरा तो नहीं मानोगी ना?
मीरा- हाँ पूछो.. क्या बात है?
सरजू- वो क्या है ना मेमसाब.. मैं अक्सर रात को दारू पीकर टुन्न हो जाता हूँ और घर आकर सो जाता हूँ.. ममता को पति का सुख नहीं दे पाता.. बेचारी खुद ही सब करती है.. मैं तो बस सोया रहता हूँ.. ऐसे में वो दवा काम करेगी ना?
मीरा के चेहरे पर थोड़ी शर्म आ गई हालाँकि सरजू ने शॉर्ट में कहा.. मगर मीरा सब समझ गई।
मीरा- ये तुम मेरे साथ कैसी बातें कर रहे हो.. जाओ यहाँ से.. वो दवा मैं ला दूँगी और वो ऐसे भी काम करेगी.. समझ गए ना.. अब जाओ यहाँ से.. दोबारा मत आना.. नहीं तो पापा को बोल दूँगी।
सरजू घबरा गया और माफी माँगता हुआ वहाँ से चला गया.. मगर उसके दिल में इस बात की ख़ुशी थी कि ममता अब माँ बन जाएगी।
मीरा बड़बड़ाती हुई कमरे में आई.. उसके चेहरे पर थोड़ा गुस्सा भी था।
राधे- अरे मेरी जान क्या हुआ?
मीरा- होना क्या था.. वो ममता के पेट में कोई बात पचती ही नहीं.. जाकर बोल दिया अपने पति को..
राधे- अरे मैंने सब सुना है.. बेचारी ने दवा का नाम लिया है और कुछ तो नहीं कहा ना?
मीरा- क्या जरूरत थी दवा का नाम लेने की.. चुप नहीं रह सकती थी क्या.. और हाँ तुमने बताया नहीं.. दोपहर में मेरे जाने के बाद क्या किया तुम दोनों ने?
राधे- अरे करना क्या था.. बस मेरा लौड़ा चुसवाया उसको.. बड़ा अच्छा चूसती है।
मीरा- बस सिर्फ़ चुसवाया उसको.. और कुछ नहीं किया?
राधे- अरे उसने साफ मना कर दिया.. बोली कल अपनी चूत क साथ जलवा दिखाएगी।
मीरा- ओह.. लगता है.. वो कल चूत को साफ करके आएगी।
राधे- हाँ शायद मुझे भी ऐसा ही लगता है।
मीरा- चलो रेडी हो जाओ.. पिक्चर देख कर आएँगे.. आज खाना भी बाहर खाकर आएँगे।
राधे- मेरी जान.. अगर बुरा ना मानो तो आज थोड़ी ड्रिंक हो जाए.. प्लीज़।
मीरा- ओके मेरे आशिक.. वैसे मुझे शराब से नफ़रत है.. मगर आज तुम्हारे लिए ये भी सही.. अब चलो..

दोनों रेडी होकर बाहर निकल जाते हैं।

दोस्तो, इनको घूमने दो.. चलो वापस आपको रोमा के पास ले चलती हूँ.. वहाँ क्या हो रहा है.. कहीं वहाँ नीरज ने रोमा को चोद तो नहीं दिया ना..
नीरज ने रोमा को अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर पर ले जाकर लेटा दिया। रोमा के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थीं, रोमा बस नीरज को देख रही थी और नीरज उसके एकदम करीब आ गया था.. रोमा ने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
नीरज उसके होंठों को चूसने लगा.. अपने नीचे उसे दबा लिया। अब नीरज का लौड़ा ठीक रोमा की चूत पर सैट हो गया था.. बस कपड़े बीच में आ रहे थे।
रोमा की साँसें तेज होने लगी थीं.. उसका जिस्म जलने लगा था.. मगर वो चुपचाप मज़ा ले रही थी.. अब नीरज के हाथ हरकत करने लगे थे। वो रोमा के अनछुए अमरूदों को सहलाने लगा था.. साथ ही अपने लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा था।
करीब 5 मिनट तक ये सब चलता रहा.. रोमा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी.. मगर वो डर भी रही थी। आज से पहले कभी किसी मर्द ने उसके जिस्म को ऐसे टच नहीं किया था और नीरज तो पक्का चोदू था। 
अब उसने अपना हाथ रोमा के टॉप में घुसा दिया और ब्रा के ऊपर से मम्मों को दबाने लगा। दूसरे हाथ को स्कर्ट में डाल कर चूत को मसलने लगा।
रोमा की चूत से पानी रिसने लगा था उसकी पैन्टी पूरी गीली हो गई थी। रोमा को डर था.. कहीं उसके सफ़ेद स्कर्ट पर दाग ना लग जाए..। अब उसकी बर्दाश्त की सीमा पार हो गई थी।
रोमा- आह्ह.. नीरज.. उई सस्स.. प्लीज़ अब बस भी करो.. एयेए.. बहुत देर हो गई आह्ह.. मुझे घर जाना होगा आह्ह..
नीरज- बस थोड़ी देर और मुझे प्यार कर लेने दो.. देखो तुमने वादा किया था.. मना नहीं करोगी.. प्लीज़ बस थोड़ा और मज़ा लेने दो.. तुम्हारे महकते जिस्म ने मुझे मदहोश कर दिया है..
रोमा- आह्ह.. मैं मना नहीं कर रही हूँ कककक.. प्लीज़ आह्ह.. दोबारा आऊँगी आह्ह.. बाकी का तब कर लेना.. आह्ह.. मेरे कपड़े गंदे हो जाएँगे ऐइ…
नीरज समझ गया.. कि रोमा की बातों का क्या मतलब है और उसने ऐसी हरकत कर दी.. जिसका रोमा ने अंदाज़ा भी नहीं लगाया होगा।
नीरज बैठ गया और एक ही झटके में उसने रोमा के स्कर्ट को पकड़ कर खींच दिया। अब रोमा की सफेद पैन्टी में से उसकी गीली चूत साफ नज़र आने लगी.. जिसे देख कर नीरज का दिमाग़ घूम गया।
रोमा- ओह.. माय गॉड.. ये क्या किया आपने.. नहीं ये ग़लत है.. छोड़ो मुझे प्लीज़.. नीरज मुझे शर्म आ रही है।


नीरज- अरे घबराओ मत.. मैं कुछ नहीं करूँगा.. बस प्यार करूँगा.. ये मैंने इसलिए निकाली है.. ताकि खराब ना हो.. प्लीज़ रोमा.. तुम्हें मेरी कसम है बस.. थोड़ी देर मुझे करने दो.. मैं वादा करता हूँ.. बस होंठों से प्यार करूँगा और कुछ नहीं प्लीज़..
रोमा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी बस थोड़ी घबरा रही थी। असल में उसको भी ये सब में मज़ा आ रहा था.. मगर वो एक कच्ची कली थी.. उसका डरना भी सही था।
रोमा- आह्ह.. नहीं नीरज.. आज के लिए इतना उई..ई.. काफ़ी है.. आह्ह.. प्लीज़ मुझे घर जाने दो ना।
नीरज- देखो रोमा मुझे ऐसे अधूरा छोड़ कर मत जाओ.. और तुम भी तो प्यार के पहले मिलन का मज़ा लो.. बस 5 मिनट मुझे प्यार करने दो.. उसके बाद चली जाना प्लीज़।
रोमा- आह्ह.. ओके आह्ह.. मगर जल्दी ओफ.. माँ को पता लग गया.. तो मुझे मार देगी वो।
नीरज- मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा.. जिससे तुमको तकलीफ़ हो.. बस 5 मिनट चुप रहो.. मैं जो करूँ.. करने दो.. देखो कितना मज़ा आता है.. अब बस चुप रहना तुम.. और ये टॉप भी निकाल दो.. मैं तुम्हारे खूबसूरत जिस्म को देखना चाहता हूँ। प्लीज़ ना.. मत कहना.. बस 5 मिनट के लिए अपने आपको मेरे हवाले कर दो।
रोमा समझ गई कि अब मना करने से कोई फायदा भी नहीं.. नीरज मानेगा तो है नहीं.. और उसको भी मज़ा आ रहा था तो उसने चुपचाप ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी।
नीरज ने जल्दी से उसका टॉप भी उतार दिया। सफ़ेद ब्रा और पैन्टी में रोमा बला की खूबसूरत लग रही थी। उसका दूधिया बदन और कयामत ढा देने वाला फिगर नीरज को पागल कर रहा था। वो बस बैठहाशा रोमा पर टूट पड़ा। कभी ब्रा के ऊपर से उसके मम्मों को चूसता.. तो कभी उसके पेट को धीरे-धीरे वो रोमा की चूत तक पहुँच गया। पैन्टी के ऊपर से उसने चूत को होंठों में दबा लिया और चूसने लगा।
रोमा- आह्ह.. ऐइ.. नीरज आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है.. ऐइ.. ससस्स.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. 5 मिनट हो गए.. ऐइ.. ऐसा मत कररो उई..ई.।
नीरज कुछ ना बोला और बस चूत को चूसता रहा.. रोमा जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी। 
अचानक नीरज ने पैन्टी को एक साइड हटाया और सीधे होंठ चूत पर रख दिए।
रोमा- सस्सस्स आईईइ आह.. नीरज आप्प प्लीज़ आह्ह.. मुझे ज़ोर से आह बाथरूम आ रहा है.. उई..ई.. हटो एयेए।
नीरज ने रोमा की जाँघें पकड़ लीं और ज़ोर-ज़ोर से चूत चाटने लगा। रोमा उत्तेजना के चरम पर थी… किसी भी पल उसकी चूत का जवालामुखी फटने वाला था। वो कमर को हिला-हिला कर मज़ा लेने लगी और आख़िर वो पल आ गया, रोमा की चूत ने अपना पहला कामरस छोड़ना शुरू कर दिया.. जिसे नीरज जीभ से चाटने लगा।
कुछ देर बाद जब रोमा शांत हुई.. उसकी चूत का पूरा रस चाटने के बाद नीरज बैठ गया।
नीरज- आह.. मज़ा आ गया.. रोमा तुम बहुत खूबसूरत हो.. तुम्हारा जिस्म भी महकते गुलाब जैसा है।
रोमा अब ठंडी हो गई थी.. अब उसको अहसास हुआ कि वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में नीरज के सामने बैठी है। 
उसने जल्दी से अपने घुटने सिकोड़ लिए और अपने मम्मों और चूत को छुपाने लगी।
नीरज- अरे क्या हुआ रोमा.. तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी क्यों.. क्या हुआ.. तुम्हें मज़ा नहीं आया क्या?
रोमा- नहीं नीरज.. अभी जो हुआ अच्छा नहीं हुआ।
नीरज- अरे जान.. ऐसा क्या हो गया.. बस प्यार ही तो किया मैंने.. तुम्हारे सुलगते जिस्म को ठंडा किया मैंने… तुम्हारी जवानी का पहला कामरस निकाला मैंने.. और तुम उदास हो रही हो। अपने दिल पर हाथ रख कर पूछो कि मज़ा आया कि नहीं।
रोमा- सच कहूँ.. ऐसा मज़ा कभी जिंदगी में नहीं आया.. मगर शादी के पहले ये सब करना गलत है ना.. अपनी हवस को पूरा करने के लिए हम समाज के नियम तोड़ रहे हैं।
नीरज- जान कैसी बातें कर रही हो.. प्यार कभी ग़लत नहीं होता.. ना शादी के पहले.. ना शादी के बाद.. हाँ.. अगर प्यार सिर्फ़ हवस के लिए किया जाए.. तो ग़लत है। देखो मैंने अपने कपड़े निकाले क्या.. तुम्हें सेक्स के लिए मजबूर किया क्या..? हाल तो मेरा भी खराब है.. मगर मैं ख़ुदग़र्ज़ नहीं हूँ। अगर तुम खुद चलकर मुझे प्यार दोगी तभी मैं लूँगा.. वरना नहीं.. समझी अब अपने कपड़े पहन लो और जाओ.. मुझे नहीं पता था.. इतना समझाने के बाद भी तुम मेरे प्यार को हवस का नाम दोगी।
रोमा- नहीं नहीं नीरज.. आप मुझे गलत समझ रहे हो.. मेरा ये मतलब नहीं था.. प्लीज़।
बहुत देर तक दोनों में बहस होती रही आख़िरकार रोमा को झुकना पड़ा और नीरज अपने नापाक इरादे में कामयाब हो गया।
रोमा- ओके बाबा मैं कान पकड़ कर सॉरी कहती हूँ.. बस अब आप जो कहोगे.. मैं करूँगी और थैंक्स कि आज आपने मुझे इतना मज़ा दिया।
नीरज- ये हुई ना मोहब्बत वाली बात.. अब देखो मेरी जान.. मैंने तुम्हें इतना मज़ा दिया.. तुमने सारे कपड़े निकाल दिए। मगर ब्रा और पैन्टी नहीं निकाली.. बस एक बार तुम्हारे संगमरमरी जिस्म को बिना कपड़ों के भी दिखा दो न। अपने संतरे जैसे कड़क मम्मों का रस पिला दो.. पैन्टी में छुपी अपनी मादक चूत के दीदार करा दो.. तब मैं समझूँगा कि तुम मुझसे सच्ची मोहब्बत करती हो.. बोलो दिखाओगी ना।
रोमा- छी: छी:.. आप कितने बेशर्म हो.. कैसी बातें करते हो.. मैं नहीं दिखाती.. मुझे शर्म आ रही है।
नीरज- अरे यार.. अब आधी नंगी मेरे सामने खड़ी हो.. पूरी होने में कैसी शर्म और मैं तो तुम्हारा होने वाला पति हूँ.. आज नहीं तो कल.. मेरे सामने नंगी होना ही है.. तो आज क्यों नहीं।
रोमा- ओके ओके.. चलो अपनी आँखें बन्द करो.. मुझे ऐसे शर्म आ रही है और मैं कहूँ.. तब आँखें खोलना।

नीरज ने अपनी आँखें बन्द कर लीं.. तब रोमा ने अपनी ब्रा-पैन्टी भी निकाल दी।
दोस्तो, अभी तक मैंने आपको रोमा का फिगर नहीं बताया है.. अब ये पूरी नंगी हो गई है.. तो आप भी गौर से देख लो..
रोमा के मम्मे एकदम गोल सेब की तरह कड़क थे.. उनका साइज़ करीब 30″ का होगा और उसकी कमर एकदम पतली हिरनी की तरह थी.. गाण्ड भी ज़्यादा बड़ी नहीं थी.. मगर थी बड़ी मस्त.. एकदम मुलायम और लचीली.. करीब 32″ की रही होगी। उसकी फूली हुई गुलाबी चूत जिसके आस-पास हल्के रोंए से थे.. बहुत सेक्सी लग रही थी।
रोमा ने धीरे से कहा- लो अब देख लो..
नीरज ने जब आँखें खोलीं.. तो बस देखता ही रह गया.. उसका लौड़ा तो पहले से ही उफान पर था.. अब तो वो पैन्ट फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो गया था।
नीरज- वाउ कुदरत ने बड़ी फ़ुर्सत से तुम्हें बनाया है रोमा.. तुम किसी अप्सरा से काम नहीं दिख रही हो.. अरे अरे.. ऐसे हुस्न को छुपाओ मत.. प्लीज़ देखने दो मुझे.. जी भर कर देख लेने दो न.. प्लीज़ प्लीज़..
रोमा- बस बहुत देख लिया.. आज ही सब कुछ देख लोगे क्या.. अब मुझे देर हो रही है।
नीरज- अरे एक बार मुझे तुम्हारे मम्मों को छूने तो दो..
रोमा- प्लीज़ आज नहीं.. दोबारा आऊँगी.. तब जी भर कर छू लेना.. अभी मुझे जाना होगा।
नीरज- तुम तो बड़ी मतलबी निकलीं यार.. मैंने तुम्हें कितना मज़ा दिया.. तुम्हारी चूत को सुकून दिया और तुम मुझे ऐसे ही अधूरा छोड़ कर जा रही हो.. यह कहा का इंसाफ़ हुआ..?
रोमा- क्क्क..क्या मैं कुछ समझी नहीं.. आप अब मुझसे क्या चाहते हो.. मैंने सब कुछ तो दिखा दिया आपको..
नीरज- तुमने तो दिखा दिया.. मेरा कहाँ कुछ देखा है.. तुम्हारी चूत की आग तो मिट गई.. मेरे लौड़े का भी कुछ सोचो न..
रोमा- छी: छी: .. आप कितने गंदे हो.. कैसी बातें कर रहे हो.. मुझे नहीं देखना.. अब मैं जा रही हूँ और प्लीज़ अब कोई इमोशनल ड्रामा मत करना..
नीरज- हाँ हाँ जाओ.. तुम्हें तो मेरी मोहब्बत ड्रामा लगती है ना.. जाओ.. मगर जाने से पहले बस एक बार अपने मन से सोचो.. मैं तुम्हें सेक्स करने को नहीं बोल रहा.. बस अपना लौड़ा देखने को बोल रहा हूँ.. मैं जानता हूँ सेक्स करना ठीक नहीं होगा। यह प्यार का अपमान होगा.. मगर तुम मेरे ज़ज्बात को नहीं समझोगी.. जाओ तुम..
रोमा- ओके ओके.. बाबा.. अब नाराज़ मत हो.. दिखा दो.. मगर प्लीज़ सेक्स नहीं करना.. तुम्हें मेरी कसम है..
नीरज- ठीक है जान.. नहीं करूँगा.. बस आओ तुम खुद अपने हाथों से इसे आज़ाद करो।
रोमा डरते हुए नीरज के पास आई उसकी पैन्ट खोली.. अब चड्डी में से लौड़ा उसको दिखने लगा। उसने डरते हुए चड्डी नीचे की.. तो नीरज का 7″ का लौड़ा उसको सलामी देने लगा।
रोमा- ओह्ह.. माँ.. ये इतना बड़ा होता है.. मैंने तो कभी सोचा नहीं था..
नीरज- कैसी बात करती हो.. आज नेट के युग में.. तुमने कभी लौड़ा नहीं देखा.. इतनी सीधी भी मत बनो..
रोमा- आपकी कसम.. मैंने कभी नहीं देखा.. बस सुना था कि यह ऐसा होता है।
नीरज- इसका नाम लो जान.. लौड़ा कहो.. लंड कहो.. इसे छू कर देखो.. अच्छा लगेगा..
रोमा का मन भी उसे छूने को बेताब था.. बस नीरज के कहते ही वो लौड़े को सहलाने लगी।
नीरज- आह्ह.. ऐसे मुलायम हाथ.. आज पहली बार लौड़े को छुए हैं.. मज़ा आ गया.. आह्ह.. बस थोड़ी देर ऐसे ही सहलाओ जान.. मेरा पानी निकाल दो.. ताकि मैं भी ठंडा हो जाऊँ.. उसके बाद कोई ड्रामा नहीं.. सीधे घर जाएँगे..
रोमा कुछ नहीं बोली और लौड़े को बड़े प्यार से सहलाती रही।
नीरज उसको समझाता रहा.. ऐसे आगे-पीछे करो.. फिर उसको चूसने को कहा तो रोमा नहीं मानी। उसने साफ-साफ मना कर दिया। नीरज ने भी ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया.. वो जानता था.. कि आज नहीं तो कल.. इसको लौड़ा चुसवा ही देगा!
दस मिनट की कड़ी मेहनत के बाद नीरज के लौड़े ने वीर्य छोड़ दिया.. जो रोमा के हाथों पर जा लगा.. जिससे उसको बड़ी घिन आई। वो भाग कर बाथरूम में गई.. सब साफ किया।
रोमा- छी:छी: कितने गंदे हो आप.. मेरे हाथ पर ही पानी निकाल दिया।
नीरज- मेरी जान मैंने तो तुम्हारी चूत का पानी पिया है.. तुम हाथ की बात कर रही हो.. कुछ दिनों बाद देखना.. तुम खुद इसे चूस-चूस कर इसका पानी पिओगी।
रोमा- छी:छी:.. कभी नहीं.. मैं ऐसा कभी नहीं करूँगी.. अब प्लीज़ बातें बन्द करो.. चलो.. नहीं तो आज की ये मुलाकात आखिरी मुलाकात बन जाएगी। आप मेरी मॉम का गुस्सा नहीं जानते हो..
नीरज ने आगे कुछ नहीं कहा, दोनों ने कपड़े पहने और नीचे आ गए।
नीरज- रोमा बुरा मत मानना.. तुम बार-बार अपनी मॉम का जिक्र करती हो.. कभी पापा नहीं कहती.. ऐसा क्यों?
रोमा- जब मैं 8 साल की थी.. मेरे पापा एक एक्सीडेंट में चल बसे.. मॉम ने दूसरी शादी नहीं की.. पापा हमारे लिए इतना कर गए थे कि कोई कमी ना रहे.. उनके जाने के बाद मॉम चिड़चिड़ी हो गईं.. बस उनका गुस्सा दिन पर दिन बढ़ता गया.. अब तो मुझे उनसे डर लगने लगा है।
नीरज- ओह्ह.. आई एम सॉरी.. मुझे पता नहीं था..

दोनों बस यूं ही बातें करते रहे.. गाड़ी रोमा के घर से थोड़ी दूर रोक कर नीरज ने रोमा को हल्का सा किस किया और रोमा चली गई।


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